शनिवार, 9 मई 2020

रेल हादसे के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार

बृज बिहारी दुबे


नई दिल्ली। देशभर में जारी कोरोना वायरस महामारी के बीच लॉकडाउन की मार झेल रहे प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा को लेकर कांग्रेस नेती पी. चिदंबरम ने केंद्र को दोषी ठहराया है। उनका कहा है कि कांग्रेस ने बहुत पहले ही गरीब मजदूरों की दिक्कतों को सरकार के सामने रखा था लेकिन केंद्र ने उनकी बातों पर ध्यान ही दिया। ऐसे में जब महाराष्ट्र में रेल हादसे में प्रवासी मजदूरों की जान गई है तो ये सरकार मगरमच्छ के आंसू बहा रही है।
पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि लॉकडाउन के बाद समाज के कई वर्गों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सरकार से लोगों को मदद पहुंचाए जाने की मांग की थी। चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, “बिना नौकरी, खाना और पैसे की के कारण फंसे प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे को सबसे पहले कांग्रेस ने उठाया था। कांग्रेस ही थी जिसने कहा था कि सबसे गरीब 50 फीसदी परिवारों को नकद और अनाज दिया जाना चाहिए और इस सुविधा का लाभ प्रवासी श्रमिकों को मिलना चाहिए। हालांकि सरकारों ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।
कांग्रेस ने ही अपने गृह राज्य जाने वाले प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की बात को उठाया था, जिस पर फैसला लेने में केंद्र ने 38 दिन लगा दिए। वो कांग्रेस ही है जिसने लोगों का ध्यान इस ओर खींचा की लॉकडाउन की स्थिति में ट्रेन और बसों का संचालन बंद होने के बावजूद हजारों लोग पैदल ही घर के लिए निकल रहे हैं। पार्टी की इस चेतावनी पर भी केंद्र की मोदी सरकार ने ध्यान नहीं दिया गया। अब जब महाराष्ट्र में रेल हादसे में प्रवासी मजदूरों की जान गई है तो केंद्र सरकार मगरमच्छ के आंसू बहा रही है।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हमारे राजमार्गों और रेलवे पटरियों पर हर रोज ऐसी त्रासदी देखने को मिलती है लेकिन केंद्र सरकार ही है जिसे ये सब दिखाई नहीं देता।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने प्रवासी श्रमिकों के राहत व बचाव कार्य को केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के नेतृत्व में मल्टीमॉडल एजेंसी का गठन किया जाए। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर इस मानवीय संकट को हल करने क लिए सशस्त्र बल के समर्थन की जरूरत पड़ती है तो उसे भी आजमाना चाहिए। इस दौरान औरंगाबाद दुर्घटना को लेकर पटेल ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रवासी श्रमिकों की समस्या को संभालने में रेल मंत्रालय पूरी तक असमर्थ है।


लॉक डाउन के बाद बढ़ेगा संक्रमण

नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी डॉ. डेविड नाबारो ने कहा है कि भारत में कोरोना वायरस के केस इसलिए कम हैं। क्योंकि यहां की सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए जरूरी कदम बहुत जल्दी उठा लिए थे। उन्होंने यह भी कहा कि नियंत्रण से पहले जुलाई में यह बीमारी अपनी चरम पर होगी। उन्होंने कहा, एक बार जब लॉकडाउन हटा लिया जाएगा तो और ज्यादा केस आएंगे लेकिन लोगों को इससे घबराना नहीं चाहिए। आने वाले महीनों में और ज्यादा केस आएंगे लेकिन उनमें स्थिरता बनी रहेगी।



उन्होंने आगे कहा कि लॉकडाउन हटने के बाद केसों की संख्या में छुटपुट बढ़ोत्तरी होगी। लेकिन इसके बाद इसमें नियंत्रण पा लिया जाएगा। डॉ. नाबारो ने कहा कि वह इस बात से सहमत हैं कि जुलाई के आखिरी तक केस बढ़ेंगे लेकिन आगे हालात सुधर जाएंगे। उन्होंने लॉकडाउन की वजह से कोविड-19 का संक्रमण फैलने से रुक गया है. लेकिन महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और दिल्ली सहित कुछ शहरी इलाकों में फैला भी है। लेकिन तुरंत उठाए गए कदमों से भारत ने इसको फैलने नहीं दिया. जहां आबादी का इतना घनत्व हो वहां पर इसको नियंत्रित करना काफी मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि भारत में अभी जितने केस हैं वह आबादी के हिसाब से काफी कम हैं। डॉ. नाबारो का कहना है कि इस बीमारी से बुजुर्गों की काफी मौतें हुई हैं लेकिन भारत में यह आंकड़ा भी काफी कम है। गौरतलब है कि भारत में अब तक 56,000 केस सामने आ चुके हैं जिसमें 1,850 की मौत हुई है।


फाइनल ईयर छात्रों की होगी परीक्षा

यूनिवर्सिटी के छात्र, नये शिक्षा सत्र के लिए ये हुआ है निर्णय, इस राज्य ने जारी किया आदेश



मुुंबई। महाराष्‍ट्र में कोरोना वायरस महामारी के चलते राज्‍य के उच्‍च शिक्षा विभाग एवं तकनीकी विभाग मंत्री ने फैसला किया है कि राज्‍य में सभी विश्‍वविद्यालयों के छात्रों को जनरल प्रमोशन दिया जाएगा। सिर्फ फाइनल ईयर के छात्रों को परीक्षा देना होगी। राज्य के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने कहा, महाराष्ट्र में सभी विश्वविद्यालय के छात्रों को अंतिम वर्ष में छोड़कर COVID19 लॉकडाउन के कारण परीक्षा के बिना अगली कक्षा में पदोन्नत किया जाएगा। अंतिम वर्ष की परीक्षाएं जुलाई में होंगी।


स्नातक और स्नातकोत्तर के अंतिम वर्ष के छात्र ही परीक्षा देंगे, जबकि प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नति दी जाएगी। प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नति देते समय ग्रेड और अंक दिए जाएंगे। परीक्षा एक जुलाई से 30 जुलाई के बीच होगी। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से 13 गैर कृषि विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थीं। यदि कोई छात्र अपने ग्रेड से संतुष्ट नहीं होता तो वह परीक्षा में बैठने का विकल्प चुन सकता है।
इस संबंध में विश्वविद्यालय स्तर पर निर्णय लिया जा सकता है। यदि छात्र इस परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाता है तो उसे अगली कक्षा में प्रोन्नति दे दी जाएगी, लेकिन उस विषय की दुबारा परीक्षा देनी होगी, जिसमें वह फेल हुआ है। नया शैक्षणिक सत्र विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशों के अनुरूप एक सितंबर से शुरू हो। सभी परीक्षाओं के परिणाम की घोषणा 15 अगस्त को की जाएगी।सामंत ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे के साथ चर्चा के बाद निर्णय किया गया।


नौकरी करने वालों के लिए बुरी खबर

नई दिल्ली। अगर आप किसी कंपनी में नौकरी करते हैं तो यह खबर आपके लिए है। साल में आपको जो बोनस मिलता है और महीने में सैलरी के जो मिनिमम रुपये मिलते हैं, उस पर कंपनियों की नजर है। कंपनियां चाहती हैं कि दो-तीन साल के लिए ऐसा नियम बन जाए कि यह देना ही न पड़े। कंपनी अपने हिसाब से नियम बनाकर ऐसा करना चाहती हैं। कंपनियों ने ये सुझाव केंद्र सरकार को दिए हैं। कंपनियों की ये बात अगर सरकार ने मानी तो यह नियम लागू भी हो सकते हैं। एम्प्लॉयर्स एसोसिएशन के तत्वाधान में कंपनियों के प्रतिनिधि श्रम मंत्री संतोष गंगवार से मिले। फिर एसोसिएशन ने कुछ सुझाव दिए हैं। सरकार से अनुरोध किया गया है कि दो-तीन साल के लिए लेबर कानूनों में छूट दी जाए ताकि कर्मचारियों को न तो मिनिमम वेज देना पड़े और न ही बोनस देना पड़े। जो सैलरी वर्कर्स को देंगे या जो दिहाड़ी वर्कर्स को देंगे वो Corporate Social Responsibility के अंतर्गत आए। इसके तहत कंपनियों को भलाई के काम में सरकार छूट देती है। यह भी कहा कि काम करने के वक्त को 12 घंटे तक बढ़ा दिया जाए। श्रमिकों के साथ होने वाले विवाद के लिए डिस्प्यूट एक्ट में भी छूट दी जाए ताकि लेबर मामलों में मुकदमेबाजी का चक्कर कम हो.कारखाना चलाने के लिए मिनिमम 50% कर्मचारी की अनुमति दी जाए। अभी‌ लॉकडाउन खुलने के बाद एक तिहाई कर्मचारी के लिए अनुमति मिली है।
पीएम गरीब कल्याण योजना में पीएफ वाली योजना का फायदा कंपनियों को ज्यादा दिया जाए। इस योजना में सरकार कर्मचारी और कंपनी दोनों का हिस्सा सरकार जमा करती है। इसके अलावा कंपनी चलाने के लिए सरकार पैकेज दे, साथ ही बिजली की सप्लाई पर सब्सिडी दी जाए।


स्वास्थ्य विभाग में 17 हजार पदों पर भर्ती

 महाराष्ट्र सरकार स्वास्थ्य विभाग में करेगी 17,000 पदों पर भर्ती


मुंबई। महाराष्ट्र कोरोना वायरस के मरीजों की बढ़ती संख्या से जूझ रहा है, ऐसे में महाराष्ट्र सरकार राज्य भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग में 17,000 रिक्त पदों पर भर्ती करने की योजना बना रही है। उम्मीद जताई जा रही है नियुक्ति की प्रक्रिया लॉकडाउन के दौरान ही की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने गुरुवार को कहा कि सरकार अगले दो दिनों में प्रमुख स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती निकालेगी। जो कोरोना वायरस प्रकोप के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।


उन्होंने कहा, अगले दो दिनों में, मैं मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के साथ मिलकर पता लगाऊंगा कि राज्य भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग में 17,000 रिक्त पदों को कैसे भरा जाए। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन देशभर में 17 मई तक जारी है, लेकिन हम योग्य लोगों की भर्ती के लिए एक समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत कुछ भर्तियां होनी अभी बाकी है।


महाराष्ट्र के बाद गुजरात बना सिरदर्द

मुंबई। कोरोना वायरस के मामले में महाराष्ट्र के बाद गुजरात सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। गुजरात में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और यह आंकड़ा 7 हजार पार कर चुका है। इस बीच एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया सहित विशेषज्ञों की एक टीम अहमदाबाद भेजी गई है। माना जा रहा है कि एम्स डायरेक्टर को केंद्र सरकार ने अमहदाबाद की स्थिति को देखने और वहां के डॉक्टरों को गाइड करने के लिए भेजा गया है।


आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि केंद्र से मिले निर्देशों के बाद गुलेरिया और एम्स के मेडिसिन विभाग के डॉ मनीष सुनेजा शुक्रवार शाम भारतीय वायु सेना के विशेष विमान से अहमदाबाद रवाना हुए। ये दोनों सिविल अस्पताल और एसवीपी अस्पताल का दौरा करेंगे और वहां के डॉक्टरों को कोरोना से निपटने में गाइड करेंगे। एक अधिकारी के मुताबिक, ‘वे अहमदाबाद के सिविल अस्पताल और एसवीपी अस्पताल का दौरा कर हालात का जायजा लेंगे। दोनों विशेषज्ञ डॉक्टरों से बात करके फीडबैक देंगे और फिर रवाना हो जाएंगे।’ गौरतलब है कि एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बीते दिनों ही कहा था कि भारत में कोरोना वायरस जून-जुलाई में अपने चरम पर होगा। गुजरात में बीते 24 घंटे में कोविड-19 के 390 नए मामले सामने आने के बाद शुक्रवार को संक्रमितों की संख्या बढ़कर 7,403 हो गई है। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) जयंती रवि ने बताया कि बीते 24 घंटे के दौरान 24 लोगों की मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 449 हो गई। उन्होंने बताया कि 163 मरीजों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी भी दी गई। राज्य में अभी तक 1,872 संक्रमित लोग स्वस्थ हो चुके हैं। अभी तक कुल 1,05,387 नमूनों की जांच की गई है।


उन्होंने कहा, ‘गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के अनुरोध पर केन्द्र सरकार ने एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया और डॉक्टर मनीष सुरेजा को शनिवार को गुजरात भेजने का फैसला किया है ताकि मृत्युदर कम करने में राज्य की मदद की जा सके।’


सोने में निवेश के लिए सुनहरा मौका

सोने में निवेश के लिए एक और मौका, 11 मई से इस भाव पर सोना बेचेगी मोदी सरकार
नई दिल्ली। मोदी सरकार सोने में निवेश के लिए एक और मौका 11 मई से देने जा रही है। आप अगर कोराेना संकट के बीच सबसे सुरक्षित निवेश माने जाने वाले गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं तो यह आपके लिए स्वार्ण बॉन्ड में निवेश का सुनहरा मौका है। सरकारी स्वर्ण बांड की अगली किस्त के लिए निर्गम मूल्य 4,590 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है। अप्रैल सीरीज में गोल्ड बांड का भाव 4,639 प्रति ग्राम तय किया गया था। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को एक बयान में इसकी जानकारी दी।सॉवरेन गोल्ड बांड योजना 2020-21 की दूसरी श्रृंखला 11 मई 2020 से खुलकर 15 मई 2020 तक अभिदान के लिए खुली रहेगी। पहली श्रृंखला जारी करते समय स्वर्ण बांड का निर्गम मूल्य 4,639 रुपये प्रति ग्राम था।


रिजर्व बैंक ने पिछले महीने कहा था कि सरकार 20 अप्रैल से सितंबर तक, छह चरणों में सॉवरेन स्वर्ण बांड जारी करेगी। भारत सरकार की ओर से ये बांड रिजर्व बैंक जारी करेगा। भारत सरकार ने ऑनलाइन आवेदन करने वाले और डिजिटल माध्यम से भुगतान करने वाले निवेशकों को निर्गम मूल्य में 50 रुपये ग्राम प्रति ग्राम की छूट देने का निर्णय लिया है। ऐसे निवेशकों के लिये स्वर्ण बांड की कीमत 4,540 रुपये प्रति ग्राम होगी।


पहली सीरीज में 822 करोड़ का निवेश


पहली सीरीज में 20 अप्रैल से लेकर 24 अप्रैल के बीच इसका सब्सक्रिप्शन हो चुका है। पहली किस्त 28 अप्रैल को जारी की गई। गोल्ड बांड की अप्रैल सीरीज को लेकर निवेशकों में जबरदस्त क्रेज दिखा है। आरबीआई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अप्रैल सीरीज को 17.73 लाख यूनिट के लिए करीब 822 करोड़ का सब्सक्रिप्शन मिला। यह अक्टूबर 2016 के बाद सबसे ज्यादा सब्सक्रिप्शन है। अप्रैल सीरीज में गोल्ड बांड का भाव 4,639 प्रति ग्राम तय किया गया था।


रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा 16.37 लाख के पार हुआ

रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा 16.37 लाख के पार हुआ  पंकज कपूर  देहरादून। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 2024 को लेकर यात्रियों में गजब का उत्साह देखा जा...