रविवार, 2 अक्तूबर 2022

मूसेवाला हत्याकांड का आरोपी हिरासत से फरार

मूसेवाला हत्याकांड का आरोपी हिरासत से फरार

अमित शर्मा

चंडीगढ़/मानसा। पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड का आरोपी गैंगस्टर दीपक टीनू पंजाब के मानसा जिले में पुलिस हिरासत से फरार हो गया है। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक, टीनू को पकड़ने के लिए तलाश अभियान शुरू किया गया है। शनिवार रात मानसा पुलिस द्वारा एक अन्य मामले में गोइंदवाल साहिब जेल से पेशी वारंट पर उसे एक स्थानीय अदालत ले जाये जाने के दौरान वह फरार हो गया। दीपक टीनू, गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का करीबी सहयोगी है। मूसेवाला की हत्या मामले में बिश्नोई प्रमुख आरोपी है। इस घटना के बारे में पूछे जाने पर पटियाला रेंज के महानिरीक्षक (आईजी) मुखविंदर सिंह छिना ने कहा, पुलिस की टीम प्रयास कर रही है और हम उसे जल्द ही पकड़ लेंगे। छिना के पास वर्तमान में बठिंडा रेंज के महानिरीक्षक का भी अतिरिक्त प्रभार है।

वहीं इससे पहले सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में शामिल तीन फरार शार्प शूटरों को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया था। DGP पंजाब ने बताया कि केंद्रीय एजेंसियों की मदद से पंजाब और दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के बीच एक संयुक्त अभियान के तहत दीपक उर्फ मुंडी और उसके सहयोगियों कपिल पंडित और राजेंद्र उर्फ जोकर को गिरफ्तार किया गया। डीजीपी ने बताया, दीपक, पंडित और राजिंदर को आज एजीटीएफ (एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स) टीम द्वारा पश्चिम बंगाल-नेपाल सीमा पर एक खुफिया-आधारित ऑपरेशन की परिणति में गिरफ्तार किया गया है। दीपक बोलेरो मॉड्यूल में शूटर था, पंडित और राजिंदर ने उसे हथियारों और ठिकाने सहित रसद सहायता प्रदान की थी।

सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में शामिल 3 शार्पशूटर प्रियवर्त फौजी, अंकित सेरसा और कशिश उर्फ कुलदीप को दिल्ली पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है जबकि दो शूटर एनकाउंटर में ढेर हो चुके थे। बता दें कि पंजाब के मानसा जिले में 29 मई, 2022 को सिद्धू मूसेवाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 25 अगस्त को पुलिस ने मूसेवाला हत्याकांड में 1850 पन्नों का आरोपपत्र दायर किया था। इस आरोपपत्र में कुल 36 आरोपियों में से 24 के नाम दिए गए हैं। आरोपपत्र के अनुसार कनाडा में रहने वाला कुख्यात अपराधी गोल्डी बरार मूसेवाला की हत्या का मुख्य साजिशकर्ता था और उसने इस घटना को अंजाम देने के लिए गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और जग्गू भगवानपुरिया तथा कुछ अन्य लोगों की मदद ली थी।

बिना हिजाब के खाना खाते हुए महिला गिरफ्तार 

बिना हिजाब के खाना खाते हुए महिला गिरफ्तार 

अखिलेश पांडेय 

तेहरान। ईरान की एक महिला डोन्या राड के परिवार के मुताबिक, रेस्टोरेंट में बिना हिजाब के खाना खाते हुए डोन्या की तस्वीर सामने आने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया है। उसकी बहन ने कहा कि अधिकारियों ने डोन्या को पूछताछ के लिए बुलाया था। इससे पहले ईरान में हिजाब को लेकर हिरासत में ली गई एक महिला की मौत हुई थी। ईरान के सुरक्षा बलों ने बगैर हिजाब के रेस्त्रां जैसे सार्वजनिक स्थान में नाश्ता करती एक महिला डोन्या राड को गिरफ्तार किया है। डोन्या की यह गिरफ्तारी उनकी फोटो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद की गई है, जिसमें वह एक अन्य महिला के साथ परंपरागत ईरानी रेस्त्रां में नाश्ता कर रही हैं।

बताते हैं कि यह फोटो बुधवार को पहली बार सामने आई, जहां वह पुरुष प्रधान कैफे में बगैर हिजाब के नाश्ता कर रही थीं। डोन्या की बहन के मुताबिक, सुरक्षा एजेंसी ने उनकी बहन से संपर्क किया और अपनी हरकत पर स्पष्टीकरण देने को कहा। कुछ घंटों तक डोन्या का कुछ पता नहीं चला फिर एक बेहद संक्षिप्त कॉल में डोन्या ने बताया कि उसे इवन जेल के वार्ड 209 में रखा गया है। तेहरान की इवन जेल कैदियों के साथ क्रूरता के लिए कुख्यात है। यहां अमूमन ईरान के राजनीतिक विरोधियों को रखा जाता है। इसका प्रबंधन ईरान के खुफिया मंत्रालय के अधीन है।

बिहार के कृषि मंत्री सिंह ने यादव को इस्तीफा सौंपा

बिहार के कृषि मंत्री सिंह ने यादव को इस्तीफा सौंपा 

अविनाश श्रीवास्तव 

पटना। बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने रविवार को डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को अपना इस्तीफा सौंप दिया। कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के बाद अब नीतीश सरकार में बने कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने भी मंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को अपना त्याग पत्र सौंप दिया है, हालांकि अभी इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है। इस बात की पुष्टि राजद प्रदेश अध्यक्ष व सुधाकर सिंह के पिता जगदानंद सिंह ने भी की है।

बता दें कि बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने हाल ही में तब खूब चर्चाओं में रहे थे जब उन्होंने अपने ही विभाग में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। राजद नेता हाल ही में तब विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने बयान दिया था कि उनके विभाग के सभी अधिकारी चोर हैं और इस विभाग के प्रमुख होने के नाते वह चोरों के मुखिया हैं। सुधाकर सिंह, कैमूर जिले के रामगढ़ से पहली बार विधायक बने हैं।

गांधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के मौके पर सुधाकर सिंह के इस्तीफे से राज्य की राजनीति में सरगर्मी बढ़ गई है। कृषि मंत्री के इस्तीफा की चर्चा करते हुए प्रदेश अध्यक्ष और सुधाकर सिंह के पिता जगदानंद सिंह ने कहा कि आज गांधी जयंती और शास्त्री जी की जयंती है। दोनों नेताओं ने हमेशा किसानों की चिंता की। किसान देश की जरूरत हैं। कृषि मंत्री हमेशा किसानों का सवाल उठाते रहते थे। किसानों के साथ राज्य में न्याय नहीं हो रहा। अपनी उपज को बेचने के लिए किसानों के पास आज कोई मंडी नहीं है । इस वजह से कृषि मंत्री बहुत आहत हैं।

जमीन से गोली फायर, प्लेन में बैठे शख्स को लगीं

जमीन से गोली फायर, प्लेन में बैठे शख्स को लगीं

सुनील श्रीवास्तव

नाएप्यीडॉ। म्यांमार में ज़मीन से दागी गई गोली म्यांमार नैशनल एयरलाइंस के उड़ते विमान को चीरती हुई एक यात्री को लग गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 63 यात्रियों को ले जा रहा विमान घटना के समय 3,500 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था और उतरने वाला था। अपनी गर्दन और गाल पर रूमाल पकड़े यात्री की तस्वीर सामने आई है। म्यांमार में एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है। यहां जमीन से एक गोली फायर की गई, जो प्लेन में बैठे एक शख्स को लग गई। ये शख्स म्यांमार नैशनल एयरलाइंस के प्लेन में सवार था। हवाई जहाज 3500 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था। तभी गोली उसमें बैठे शख्स को लगी।

घटना के तुरंत बाद फ्लाइट की लैंडिंग करवाई गई और घायल शख्स को अस्पताल में भर्ती करवाया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोली शख्स के गले के पास लगी। उसे खून से लथपथ देखा गया। इस घटना से जुड़ी हैरान कर देने वाली कुछ फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। वहीं, शख्स के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। म्यांमार नेशनल एयरलाइंस की इस फ्लाइट में 63 यात्री सवार थे। ये पूर्वी राज्य काया की राजधानी लोइकाव जा रहा था। लोइकाव में लैंडिंग के वक्त हमला किया गया। घटना के बाद म्यांमार नेशनल एयरलाइंस के एक अधिकारी ने कहा- हमले में अन्य यात्रियों को नुकसान नहीं पुहंचा। सुरक्षा के लिहाज से लोइकाव आने-जाने वाली सभी फ्लाइट्स को कैंसल कर दिया है। फ्लाइट्स पर रोक कब तक लगाई गई है। इसे बारे में जानकारी नहीं दी गई।

म्यांमार की सैन्य सरकार ने विद्रोही बलों पर विमान पर गोलीबारी करने का आरोप लगाया है। हालांकि विद्रोही समूहों ने आरोपों से इनकार कर दिया है। म्यांमार मिलिट्री काउंसिल के स्पोक्सपर्सन मेजर जनरल जॉ मिन टुन ने इस हमले को वॉर क्राइम बताया है। उन्होंने कहा- मैं कहना चाहता हूं कि यात्रियों से भरे विमान पर इस तरह का हमला युद्ध अपराध है। जो लोग शांति चाहते हैं, उन्हें इस हमले के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए।

अंटार्कटिका महाद्वीप में ग्लेशियर से निकल रहा ‘खून‘

अंटार्कटिका महाद्वीप में ग्लेशियर से निकल रहा ‘खून‘ 

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत 

लंदन। दक्षिणी ध्रुव पर स्थिति अंटार्कटिका महाद्वीप में एक ग्लेशियर से ‘खून‘ निकाल रहा है। लाल रंग के इस बहाव को देखकर वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हैं। ये खून बताता है कि ग्लेशियर के काफी नीचे जिंदगी पनप रही है। ग्लेशियर का यह खून नमकीन सीवेज है, जो एक पुराने इकोसिस्टम का हिस्सा है। ब्लड फॉल्स जीवंत लाल पानी का एक झरना है जो विक्टोरिया लैंड, पूर्वी अंटार्कटिका में टेलर ग्लेशियर से निकलता है। दशकों तक इस अजीबो-गरीब नजारे ने इस दूर की घाटी तक पहुंचने में कामयाब रहे बहादुर खोजकर्ताओं को भ्रमित किया। पिछले कुछ दशकों में शोध से पता चला है कि अंटार्कटिका का यह छोटा टुकड़ा शायद पहले की तुलना में भी अजीब है।

खून के झरने यानी ब्लड फॉल्स की खोज सबसे पहले ब्रिटिश खोजकर्ता थॉमस ग्रिफिथ टेलर ने वर्ष 1911 में की थी। अंटार्कटिका के इस इलाके में यूरोपियन वैज्ञानिक सबसे पहले पहुंचे थे। शुरुआत में थॉमस और उनके साथियों को लगा था कि ये लाल रंग की एल्गी है, लेकिन ऐसा था ही नहीं। बाद में यह मान्यता रद्द कर दी गई। उस समय, टेलर और उनके दल ने सोचा कि जीवंत रंग लाल शैवाल के कारण है। हालांकि, यह बाद में गलत साबित हुआ। 1960 के दशक तक वैज्ञानिक यह दिखाने में सक्षम नहीं थे कि ब्लड फॉल्स का लाल रंग वास्तव में लोहे के लवण, या फेरिक हाइड्रॉक्साइड का परिणाम था, जिसे बर्फ की चादर से निचोड़ा जा रहा था।

2009 में, वैज्ञानिकों ने पाया कि टेलर ग्लेशियर से रिसने वाला लाल पानी एक खारे पानी की झील से निकलता है जो 1.5 से 4 मिलियन वर्षों से बर्फ में फंसा हुआ है। वास्तव में, यह झील अति-नमकीन झीलों और जलभृतों की एक बहुत बड़ी भूमिगत प्रणाली का सिर्फ एक हिस्सा है। ब्लड फॉल्स के पानी के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि नमकीन पानी के दबे हुए शरीर बैक्टीरिया के एक दुर्लभ सबग्लेशियल इकोसिस्टम का घर हैं। इसका मतलब है कि बैक्टीरिया प्रकाश संश्लेषण के बिना बना रहता है और संभवतः ब्राइन से साइकलिंग आयरन के माध्यम से खुद को बनाए रखता है।

इसके ऊपर, पानी हिमांक बिंदु से काफी नीचे होता है, जब यह ग्लेशियर से निकलता है तो इसका तापमान लगभग -7 डिग्री सेल्सियस (19.4 डिग्री फारेनहाइट) होता है। फिर 1960 में पता चला कि यहां ग्लेशियर के नीचे लौह नमक यानी आयरन साल्ट है। यह बर्फ की मोटी परत से वैसे निकल रहा है जैसे आप टूथपेस्ट से पेस्ट निकालते हैं। फिर साल 2009 में यह स्टडी आई है कि यहां पर ग्लेशियर के नीचे सूक्ष्मजीव हैं, जिनकी वजह से ये खून का झरना निकल रहा है। ये सूक्ष्मजीव इस ग्लेशियर के नीचे 15 से 40 लाख साल से रह रहे हैं। यह एक बहुत बड़े इकोसिस्टम का छोटा सा हिस्सा है। इंसान इसका छोटा सा हिस्सा ही खोज पाए हैं। यह इतना बड़ा है कि इसके एक छोर से दूसरे छोर तक की खोज करने में कई दशक लग जाएंगे। क्योंकि इस इलाके में आना-जाना और रहना बेहद मुश्किल है।

जब खून के झरने के पानी की जांच लैब में की गई, तो पता चला कि इसमें दुर्लभ सबग्लेशियल इकोसिस्टम के बैक्टीरिया हैं। जिनके बारे में किसी को पता नहीं है, ये ऐसी जगह जिंदा हैं, जहां पर ऑक्सीजन है ही नहीं। यानी बैक्टीरिया बिना फोटोसिंथेसिस के ही इस जगह पर अपना जीवन जी रहे हैं। इस जगह का तापमान दिन में माइनस 7 डिग्री सेल्सियस रहता है। यानी खून का झरना बेहद ठंडा है और ज्यादा नमक होने के कारण यह बहता रहता है, अन्यथा तुरंत जम जाता।

सरकारी आवास पर शिंदे गुट में शामिल हुए, कार्यकर्ता 

सरकारी आवास पर शिंदे गुट में शामिल हुए, कार्यकर्ता 

कविता गर्ग 

मुंबई। महाराष्ट्र में दहशरा रैली से पहले उद्धव गुट को बड़ा झटका लगा है। मुंबई के वर्ली इलाके से बड़ी संख्या में शिवसेना कार्यकर्ता रविवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सरकारी आवास पर शिंदे गुट में शामिल हो गए हैं। बता दें कि शिवसेना के दोनों गुटों की दशहरा रैली पांच अक्टूबर को मुंबई के शिवाजी पार्क में होगी।

दशहरा रैली में अधिक भीड़...

शिवसेना के दोनों गुट दशहरा रैली में अधिकाधिक भीड़ जुटाने का इंतजाम करने में जुट गए हैं। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के खेमों में भीड़ प्रबंधन की होड़ लग गई है। ठाकरे की रैली में पार्टी के शाखा प्रमुख और जिला प्रमुख पर सब निर्भर करता है। वहीं, शिंदे की रैली में भीड़ बढ़ाने के लिए विधायकों और सांसदों का भरपूर जोर है।

राजनीति: कांग्रेस के 3 बड़े प्रवक्ताओं ने इस्तीफा दिया 

राजनीति: कांग्रेस के 3 बड़े प्रवक्ताओं ने इस्तीफा दिया 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए पार्टी ने कमर कस ली है। अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें खड़गे के साथ दीपेंद्र हुड्डा, गौरव बल्लभ और नासिर हुसैन भी मौजूद रहे। इस दौरान पता चला कि कांग्रेस के तीन बड़े प्रवक्ताओं ने इस्तीफा दे दिया है। अब ये तीन प्रवक्ता अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए चुनाव प्रचार करते हुए दिखाई देंगे। चुनाव लड़ने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे, शशि थरूर और झारखंड के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने नामांकन दाखिल किया था।

अध्यक्ष पद के लिए अपना अभियान शुरू करता हूं- खड़गे...

वहीं अध्यक्ष पद के प्रत्याशी मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, जिस दिन मैंने अपना नामांकन दाखिल किया, मैंने उदयपुर में लिए गए पार्टी के ‘एक व्यक्ति एक पद’ के फैसले के अनुरूप राज्यसभा में विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा दे दिया। मैं आज से आधिकारिक तौर पर कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद के लिए अपना अभियान शुरू करता हूं। आज गांधी जी और शास्त्री जी का जन्मदिन है, इसलिए मैंने यह दिन चुना है। एक ने देश को आजादी दिलाई और एक ने देश को सुरक्षित रखते हुए ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया। इसलिए चुनाव प्रचार शुरू करने के लिए इससे बेहतर दिन नहीं हो सकता था।

आवेदन के बाद दोनों प्रत्याशियों ने अपने पक्ष में वोट जुटाने के लिए प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया। जिससे पहले मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में पार्टी नेता के पद से इस्तीफा दे दिया। क्योंकि पार्टी आलाकमान ने यह तय किया है कि एक व्यक्ति एक ही पद पर रह सकता है। इस लिहाज से खड़गे ने इस्तीफा दे दिया।

तीन नेताओं ने पार्टी प्रवक्ता पद से दिया इस्तीफा...

अब प्रचार अभियान के दूसरे दिन बड़ी खबर आ रही है। एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने ऐलान करते हुए कहा कि, “मैं, दीपेन्द्र सिंह हुड्डा और सैयद नसीर हुसैन अपने प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे रहे हैं। हम तीनों अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए प्रचार करेंगे और चाहते हैं कि यह चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हो, जिसके लिए हम तीनों अपने प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे रहे हैं।”

मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर आमने-सामने...

बता दें कि, कांग्रेस के दो उम्मीदवार अध्यक्ष पद के चुनाव में खड़े होंगे। 8 अक्टूबर तक नाम वापस लिया जा सकता है। फिलहाल अभी मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर अध्यक्ष पद के लिए आमने-सामने हैं, बाकी तस्वीर 8 अक्टूबर के बाद साफ होगी। अगर इन दोनों में से कोई भी अपना नाम वापस नहीं लेता है, तो चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।

टेलीकॉम टेक्नोलॉजी के उपकरणों का विकास हुआ

टेलीकॉम टेक्नोलॉजी के उपकरणों का विकास हुआ

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। भारत में 5जी लॉन्च होते ही 6जी की तैयारी शुरू हो गई। बता दें कि शनिवार को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान, देश के तीन प्रमुख दूरसंचार ऑपरेटरों एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफोन आइडिया ने 5G के उपयोग और अपनी योजनाओं को पेश किया था।

केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि टेलीकॉम टेक्नोलॉजी के उपकरणों का विकास भारत में हुआ है और दुनिया में निर्यात होने के लिए तैयार है। इसके साथ 6G में हमें आगे रहना है और 6G के टेक्नोलॉजी के एलिमेंट पर भारत के पेटेंट हो चुके हैं। उस सबको उतारने की तैयारी है।बता दें कि एयरटेल ने देश में अपनी 5जी सेवा को 8 शहरों के साथ शुरू कर दिया है जिसमें दिल्ली, वाराणसी, मुंबई और बेंगलुरु शामिल हैं। कैरियर मार्च 2023 तक सभी शहरी क्षेत्रों और मार्च 2024 तक पूरे देश को अपनी 5G सेवाओं के साथ कवर करेगा।

वहीं रिलायंस जियों ने कहा कि 5G नेटवर्क को दिवाली से कुछ सलेक्‍टेड शहरों के लिए शुरू करेगा। डिपॉर्टमेंट ऑफ टेलीकॉम के अनुसार, पहले फेस के दौरान 13 शहरों को 5G सर्विस की सुविधा उपलब्‍ध कराई जाएगी। इसमें अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्‍नई, वाराणसी, चंड़ीगढ़, दिल्‍ली, जामनगर, गांधीनगर, मुंबई, पुणे, लखनऊ, कोलकत्ता, सिलिगुडी, गुरुग्राम और हैदराबाद में सेवाएं शुरू होंगी।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 


1. अंक-358, (वर्ष-05)

2. सोमवार, अक्टूबर 3, 2022

3. शक-1944, आश्विन, शुक्ल-पक्ष, तिथि-अष्टमी, विक्रमी सवंत-2079।

4. सूर्योदय प्रातः 06:20, सूर्यास्त: 06:25। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 23 डी.सै., अधिकतम-35+ डी.सै., उत्तर भारत में भारी बरसात की संभावना है।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु,(विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसेन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी। 

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

9. पंजीकृत कार्यालयः263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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 (सर्वाधिकार सुरक्षित)

शनिवार, 1 अक्तूबर 2022

प्रेरणा: 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी 'गांधी जयंती'

प्रेरणा: 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी 'गांधी जयंती'

सरस्वती उपाध्याय 

महात्मा गांधी भारत ही नहीं विश्व की धरोहर हैं। लोग आज भी उनसे प्रेरणा लेते हैं। इसीलिए भारत सहित दुनिया के बहुत से देशों में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ाई में गांधी जी ने अहिंसा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया था। अंततः अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा तथा 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ था। दक्षिण अफ्रीका में भी बापू ने ब्रिटिश सत्ता को झुकाया था। जिसकी बदौलत देश-दुनिया में उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना गया। एक अन्य मत के अनुसार स्वामी श्रद्धानन्द ने 1915 मे महात्मा की उपाधि दी थी। तीसरा मत ये है कि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधि प्रदान की थी। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आजाद हिन्द फौज के सैनिकों के लिए उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएं मांगीं थीं। देश की आजादी के बाद उन्होंने कोई भी सरकारी पद लेने से इनकार कर दिया था। इसलिए देशवासियों ने उन्हें राष्ट्रपिता का दर्जा दिया। महात्मा गांधी भारत में सबसे अधिक सम्मानित व लोकप्रिय नेता हैं। देश में किसी भी दल की सरकार हो, सभी महात्मा गांधी के प्रति पूरा सम्मान प्रकट करती है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जनप्रियता के ही कारण आज देश के सभी सरकारी कार्यालयों में उनकी तस्वीर लगी होती है, जो हर एक को शांति व अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।

देश की संसद में भी महात्मा गांधी की विशाल प्रतिमा स्थापित है। जिसके समक्ष बैठकर विभिन्न दलों के सांसद अहिंसात्मक तरीके से सरकारों के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन करते रहते हैं। भारत जैसे विशाल देश में जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे विचारधारा के क्रांतिकारियों के रहते महात्मा गांधी ने शांति के पथ पर चलकर अंग्रेजों से देश की आजादी के लिए संघर्ष करने के लिए पूरे देश को एकजुट किया, जो उनके करिश्माई व्यक्तित्व के कारण ही संभव हो पाया था। देश की आजादी के लिए महात्मा गांधी ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। उन्होंने अपनी पारंपरिक पोशाक को भी त्याग कर शरीर पर सिर्फ एक धोती, हाथ में एक लाठी और चश्मा पहनकर आजादी के संघर्ष में अपना योगदान देने के लिए देश की जनता को जगाने अकेले ही निकल पड़े थे।

देखते ही देखते पूरे देश के लोग उनके साथ जुड़ते गए। अंततः उन्होंने अपने ही तरीके से ब्रिटिश हुकूमत को भारत छोड़कर जाने को मजबूर किया। आज महात्मा गांधी एक प्रेरणा एक प्रतीक बन चुके हैं। उनका बताया शांति का मार्ग आज पूरी दुनिया को अच्छा लग रहा है। बड़े-बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष उनके बताए मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं। उनके सिद्धांतों पर चलने का प्रयास करते हैं। देश दुनिया से आने वाला हर बड़ा नेता दिल्ली में राजघाट स्थित उनकी समाधि पर जाकर उनको श्रद्धांजलि देना नहीं भूलता है। देश में महात्मा गांधी ही एकमात्र ऐसे नेता है जिनके पूरी दुनिया में लाखों-करोड़ों चाहने वाले मौजूद है। दुनिया में जब भी कहीं युद्ध की बात आती है तो लोग अक्सर महात्मा गांधी को याद करते हैं और उनके बताए सिद्धांतों पर चलकर युद्ध को टालने का प्रयास करते हैं। इसीलिए पूरी दुनिया महात्मा गांधी को शांति का पुजारी मानती है। 

प्रति वर्ष 2 अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। पूरी दुनिया को शांति का सन्देश देने वाले महात्मा गाँधी को कभी भी शांति का नोबेल पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ। हालांकि उनको 1937 से 1948 के बीच पांच बार नोबेल पुरस्कार के लिये मनोनीत किया गया था। दशकों उपरांत नोबेल समिति ने सार्वजानिक रूप से स्वीकार किया कि उन्हें अपनी इस भूल पर खेद है और यह स्वीकार किया कि पुरस्कार न देने की वजह विभाजित राष्ट्रीय विचार थे। महात्मा गांधी को यह पुरस्कार 1948 में दिया जाना था परन्तु उनकी हत्या के कारण इसे रोक देना पड़ा था। उस साल दो नए राष्ट्र भारत और पाकिस्तान में युद्ध छिड़ जाना भी एक जटिल कारण था। महात्मा गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई। महात्मा गांधी ने जिस प्रकार सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता। 

तभी तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती को 'विश्व अहिंसा दिवस' के रूप में मनाए जाने की घोषणा की है। गांधी जी के बारे में प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि हजार साल बाद आने वाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई इंसान भी धरती पर कभी आया था। विश्व पटल पर महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नहीं अपितु शांति और अहिंसा का प्रतीक हैं। ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी महात्मा गांधी की 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। गांधी जी एक निष्काम कर्मयोगी थे। 

उन्होंने सदैव लोगों को सद्मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित किया। उनका मत था बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो तथा बुरा मत देखो। गांधी जी समाज में फैली छुआछूत के कट्टर विरोधी थे। गांधी जी सच्चे अर्थों में युगपुरुष थे। सत्य और अहिंसा का जो पाठ उन्होंने सिखाया वह पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय है। उनके महान कृत्यों के कारण आज भी पूरा विश्व उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करता है। आजादी के लिए चलाए जा रहे संघर्ष काल मे महात्मा गांधी की जितनी बड़ी आवश्यकता और उपयोगिता थी वह आज भी कम नहीं हुयी है। यह इसलिए कि आज भी राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर बहुत सी ऐसी समस्याएं हैं जिनका समाधान अस्त्र-शस्त्र से नहीं, अपितु बातचीत से ही सम्भव हो सकता है।

सीएम ने जनसभा कर, मतदाताओं से संवाद किया

सीएम ने जनसभा कर, मतदाताओं से संवाद किया  संदीप मिश्र  बरेली। बरेली के आंवला में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को सुभाष इंटर कॉलेज ग्...