शनिवार, 22 मई 2021

कमलनाथ पहुंचे उज्जैन, बाबा की पूजा-अर्चना की

सुनील चौबे   
उज्जैन। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ आज सुबह उज्जैन पहुंचे और बाबा महाकाल के मंदिर पहुंचकर बाहर से ही शिखर दर्शन करते हुए पूजा अर्चना की। उसके बाद वह दिवंगत प्रदेश सचिव के घर परिवार को सांत्वना देने पहुंचे।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ उज्जैन पहुंचने के बाद सबसे पहले बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचे। जहां उन्होंने बाहर से ही शिखर दर्शन किए और पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली को लेकर बाबा से प्रार्थना करते हुए कोरोना संक्रमण को समाप्त करने की कामना की। पंडित राजेश त्रिवेदी ने पूजा अर्चना पूरी कराई। उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत हुए प्रदेश कांग्रेस सचिव सुल्तान शाह लाला के घर पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए परिवार को सांत्वना दी।उनके साथ प्रदेश के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला उज्जैन आए थे। कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नूरी खान से भी मिलने पहुंचे और उनके द्वारा कोरोना संक्रमण काल में लोगों की मदद और अव्यवस्थाओं को लेकर उठाई गई आवाज के साथ उन्हें जेल भेजने के मामले में चर्चा की। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री के साथ विधायक महेश परमार, रामलाल मालवीय, मुरली मोरवाल, शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेश सोनी, जिलाध्यक्ष कमल पटेल, बटुकशंकर जोशी, माया त्रिवेदी, अशोक भाटी, मुकेश भाटी, रवि राय, कमल चौहान उपस्थित थे। उन्होंने महाकाल मंदिर के बाहर पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि बाबा से प्रदेश की जनता के लिए कोरोना से लडऩे की ताकत और खुशहाली की कामना की है। दोपहर में वह स्थानीय कार्यकर्ताओं और मीडिया के साथ मिलकर कोरोना संक्रमण के हालातों की जानकारी भी लेंगे।

नियंत्रण में संक्रमण, 1 जून से मिलेगी राहत: सीएम

सुनील चौबे   

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि राज्य में कोरोना की स्थिति नियंत्रण में आ गयी हैं, लेकिन साथ में उन्होंने चेताते हुए कहा कि इसके बावजूद जरा सी लापरवाही से फिर स्थितियां काबू से बाहर जा सकती हैं। शिवराज सिंह चौहान ने संकेत दिए कि यदि स्थितियां इसी तरह नियंत्रण में रहीं, तो एक जून से क्रमिक तरीके से कोरोना कफ्यू में राहत दी जा सकती है। लेकिन इस दौरान स्थानीय स्थितियों पर ध्यान देकर निर्णय लिया जाएगा।

शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोरोना संबंधी महत्वपूर्ण बैठक के जरिए राज्य के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को संबोधित किया। श्री चौहान ने कोरोना टेस्ट और बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि राज्य में सभी 52 जिलों को 31 मई तक कोराेनामुक्त करने के प्रयास किए जाएं। हालाकि कुछेक मामले आ सकते हैं, लेकिन जिस तरह से हमने अब तक दिनरात प्रयास कर कोरोना पर काबू पाया है, उसी प्रकार कार्य करके 31 मई तक जिलों को कोरोनामुक्त किया जा सकता है।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोरोना वायरस बहुरूपिया की तरह है। अर्थात उसकी प्रकृति का अनुमान लगाना कठिन है। इसके मामले कम होते होते फिर से अचानक बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन, जनप्रतिनिधि और आम नागरिक मिलकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, बेहतर गुणवत्ता के मॉस्क लगाएं और कोरोना एप्रोप्रिएट बिहेवियर (कोरोना रोकने के लिए उपयुक्त व्यवहार) का पालन करें, तो कोरोना को बढ़ने से आसानी से राेका जा सकता है।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसी भी नागरिक को जरा सी सर्दी, खांसी या इस तरह के लक्षण हों तो वे तुरंत सामने आएं और अपनी कोरोना संबंधी जांच कराएं। वहीं अन्य नागरिक और प्रशासन भी ऐसे लोगों पर नजर रख तुरंत उनके इलाज की व्यवस्था करें। ऐसा करके कोरोना वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है। यदि हम यह सब करने में सफल रहे तो तीसरे लहर को भी आने से रोका जा सकता है।

सीटी स्कैन के लिए 2500 से ज्यादा नहीं ले सकते

संदीप मिश्र   

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट के बीच राज्य की योगी सरकार ने सीटी स्कैन के रेट तय कर दिए हैं। सरकार की ओर से शुक्रवार को जारी किये गए एक आदेश के मुताबिक अब सीटी स्कैन के लिए हॉस्पिटल 2500 से ज्यादा रुपए नहीं ले सकेंगे।

बता दें कि बढ़ते कोरोना के बीच इसकी पहचान के लिए सीटी स्कैन का रास्ता अपनाया जा रहा है। हाल ही में देखा जा रहा था कि कोरोना का पता लगाने के लिए किये जाने वाले सीटी स्कैन के लिए कई हॉस्पिटल मनमाने दाम वसूल रहे थे, जिसके बाद अब यूपी सरकार ने सख्ती दिखाते हुए यह कदम उठाया है। सरकार की तरफ से जारी किये गए आदेश के मुताबिक मरीज को 16 स्लाइस तक के सीटी स्कैन के लिए अब सिर्फ दो हजार रुपए ही देने होंगे। इसके अलावा 16 से 24 स्लाइस तक के सीटी स्कैन के लिए हॉस्पिटल अब 2500 से ज्यादा रुपए नहीं वसूल सकते हैं। ऐसे में आदेश में साफ तौर पर निर्देश दिए गए हैं कि जो भी इस आदेश का पालन नहीं करता है उस पर पेंडेमिक एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

तीसरी लहर के लिए यूपी सरकार की तैयारी कोरोना के दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर आने की संभावना और उसका सामने करने की योजना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम तीसरी लहर के लिए अभी से अपनी तैयारी में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाई गई है तो पीडियाट्रिक बेड की संख्या भी बढ़ाई जा रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। हम पर बड़ी जिम्मेदारी है। हम सभी जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे यहां एक्टिव केस कम हुए हैं। दुनिया के लोग दावा कर रहे थे कि यूपी कोरोना का हॉटस्पॉट बनेगा लेकिन केस पर नियंत्रण करने में कामयाब रहे।

अलग: ऑनलाइन कोर्स की परीक्षा आफलाइन होगी

अकांशु उपाध्याय        

नई दिल्ली। कोरोना संकटकाल में पढ़ाई को लेकर शैक्षणिक संस्थानों के सामने जिस तरह की चुनौती खड़ी हुई है। उसे देखते हुए आने वाले दिनों में शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। फिलहाल जो अहम बदलाव होने जा रहा है। उनमें उच्च शिक्षण संस्थानों में अब प्रत्येक कोर्स की पढ़ाई आनलाइन और आफलाइन दोनों में मिलीजुली होगी। जो प्रस्ताव है उसके तहत 40 फीसद या उससे ज्यादा का कोर्स आनलाइन पढ़ाया जाएगा। जबकि 60 फीसद कोर्स आफलाइन ही पढ़ाया जाएगा। यूजीसी की उच्च स्तरीय कमेटी ने फिलहाल इसकी सिफारिश की है। जिसे सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को रायशुमारी के लिए भेजा गया है। माना जा रहा है कि उच्च शिक्षण संस्थानों की राय आने के बाद इस पर कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा। इस ड्राफ्ट में पढ़ाई के साथ परीक्षा भी इसी पैटर्न पर कराने का प्रस्ताव है। यानी परीक्षा भी कोर्स के 40 फीसद हिस्से की आनलाइन होगी, जबकि बाकी कोर्स की परीक्षा आफलाइन होगी। आनलाइन परीक्षा के लिए अलग-अलग तरीकों का प्रस्ताव किया गया है, इनमें वाया वाइस (आवाज), ओपन बुक एक्जाम, आनलाइन असेसमेंट आदि जैसे उपाय सुझाए गए हैं।

कोरोना संकटकाल में यूजीसी ने पिछले साल ही जारी की गई गाइडलाइन में सभी विश्वविद्यालयों से 30 फीसद कोर्स को आनलाइन पढ़ाने का सुझाव दिया था। हालांकि ज्यादातर विश्वविद्यालयों के पास आनलाइन पढ़ाई के लिए जरूरी इंतजाम न हो पाने से इस पर आगे काम नहीं हो पाया था। इस बीच ड्राफ्ट में कमेटी ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से आनलाइन की जरूरी सुविधाएं जुटाने को कहा है। इसमें स्मार्ट क्लासरूम, सभी शिक्षकों को आनलाइन पढ़ाने का प्रशिक्षण, आनलाइन पाठ्य सामग्री का विकास आदि शामिल है। वैसे भी जिस तरह की स्थिति है। उनमें आनलाइन पढ़ाई और परीक्षा दोनों ही अहम हो गई है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी सरकार ने आनलाइन शिक्षा को तेजी से आगे बढ़ाने की पहल की है। साथ ही मौजूदा कोर्सों के विषषय वस्तु को आनलाइन और आफलाइन के लिए चिह्नित करना होगा।

ब्लैक फंगस से निपटने के लिए पर्याप्त साधन नहीं

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ब्लैक फंगस के बढ़ते प्रकोप को लेकर चिंता जाहिर करते हुए सरकार से इस महामारी के इलाज की पर्याप्त व्यवस्था कर पीड़ितो को तत्काल राहत देने की मांग की है।

सोनिया गांधी ने शनिवार को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों को ब्लैक फंगस महामारी घोषित करने को कहा है लेकिन इससे निपटने के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि खबरों के अनुसार महामारी के इलाज के लिए जरूरी दवा की बाजार में बहुत किल्लत है और ऐसे में बिना तैयारी के महामारी घोषित कर इससे नहीं निपटा जा सकता है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि दवा की भारी किल्लत होने के साथ ही इस महामारी को अब तक आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य योजनाओं से नहीं जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस दिशा में शीघ्र कदम उठाते हुए लोगों को राहत देनी चाहिए।

गाइडलाइन पर विचार नहीं, टीकाकरण की इजाजत

अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। कोरोना से जंग में वैक्सीन की कमी के बीच सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने सनसनीखेज बयान दिया है। एसआईआई के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव ने कहा कि केंद्र सरकार ने वैक्सीन के स्टॉक के बारे में जाने बगैर और विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन पर विचार किए बिना कई आयु वर्गों के टीकाकरण को इजाजत दे दी। यानी एक तरह से जाधव ने कई राज्यों द्वारा की जा रही वैक्सीन की कमी की शिकायतों का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ा है।
स्वास्थ्य से संबंधित ई-समिट में बोलते हुए सुरेश जाधव ने कहा कि देश को डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए और इसी के अनुसार टीकाकरण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शुरुआत में 30 करोड़ लोगों को टीका लगाया जाना था, जिसके लिए 60 करोड़ खुराक की जरूरत थी, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही केंद्र सरकार ने 45 साल और फिर 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीका लगाने की इजाजत दे दी।
पर्याप्त वैक्सीन नहीं थी उपलब्ध
एसआईआई के एक्जीक्यूटिव डायरेक्ट ने कहा कि सरकार ने यह जानते हुए भी वैक्सीनेशन की मंजूरी दे दी कि इतनी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। उन्होंने आगे कहा हमने सबसे बड़ा सबक सीखा है कि उत्पाद की उपलब्धता को ध्यान में रखना चाहिए और फिर उसका विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए। गौरतलब है कि कई राज्यों ने वैक्सीन की कमी की शिकायत की है। उनका कहना है कि स्टॉक कम होने की वजह से वह वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ाने में असमर्थ हैं।
कौन सी कोरोना वैक्सीन है प्रभावकारी?
सुरेश जाधव ने यह भी कहा कि टीकाकरण जरूरी है, लेकिन टीका लगने के बाद भी लोग संक्रमण की चपेट में हैं, इसलिए लोगों को सावधान रहना चाहिए और कोरोना से बचाव नियमों का पालन करना चाहिए। जाधव ने आगे कहा कि जहां तक वैक्सीन के चयन का सवाल है, सीडीसी और एनआईएच डेटा के अनुसार, जो भी वैक्सीन उपलब्ध है, उसे लिया जा सकता है, बशर्ते उसे नियामक निकाय द्वारा लाइसेंस दिया गया हो और यह कहना जल्दबाजी होगा कि कौन सा टीका प्रभावकारी है और कौन सा नहीं।

आंख, नाक, हड्डी और जबड़े को करेगा क्षतिग्रस्त

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। अंग्रेजी में कहावत है हेल्थ इज वेल्थ अर्थात स्वास्थ्य ही धन है। सच भी है अगर व्यक्ति का स्वास्थ्य ही उसका साथ नहीं दे तो उसके लिए दुनिया भर की दौलत और बाकी सारी चीजें बेमानी हो जाती है। धरती पर मानव जीवन को ही सबसे अनमोल माना जाता है। इंसान को भगवान की सबसे खूबसूरत रचना कहते हैं।जैसा कि सर्वविदित है मनुष्य जन्म लेता है और एक दिन अपनी उम्र पूरी कर पंचतत्व में विलीन हो जाता है। लेकिन इंसानियत और मानव जाति के लिए समस्या उस वक्त उत्पन्न हो जाती है जब असमय ही अपनी उम्र से पहले मानव का जीवन किसी जानलेवा बीमारी की भेंट चढ़ जाए।

वर्तमान समय में मनुष्य को दो ऐसी ही खतरनाक जानलेवा बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है जोकि उसके जीवन पर भारी पड़ रही हैं। कोरोना से बचाव और वैक्सीन की खोज होते-होते अब ब्लैक फंगस ने भी मनुष्य जाति के दरवाजे पर दस्तक दे दी है। जो लोग कोरोना से जंग जीतने में कामयाब हो पा रहे हैं उन्हें ब्लैक फंगस अपने जाल में फंसा रहा है।

मामला गंभीर होता देख भारत के कई राज्यों में सरकारों द्वारा इसे महामारी भी घोषित कर दिया गया है। अभी तक लोग कोरोना के लक्षण, उपचार, बचाव और सावधानियां समझ ही पाए थे कि ब्लैक फंगस के मरीज भी तेजी से सामने आने लगे। ऐसे में हमें इस खतरनाक बीमारी से बचाव के लिए इसके लक्षण, उपचार और बचाव के बारे में जानना भी बेहद जरूरी है। इंफेक्शन के इस नाजुक दौर में केवल सही जानकारी ही मानव का बचाव कर सकती है।

जानिए ब्लैक फंगस के कुछ अहम लक्षण

जानकारों के मुताबिक, अगर ब्लैक फंगस के लक्षणों के बारे में बात करें तो आंखों में लाल पन, आंखों में दर्द, बुखार, सिर दर्द, खांसी, उल्टी में खून, सांस में तकलीफ, मानसिक स्थिति में बदलाव इस बीमारी के कुछ मुख्य लक्षण बताए जाते हैं। इस तरह के लक्षण दिखने पर व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर अपना इलाज कराना शुरू कर देना चाहिए। समय रहते इलाज शुरू होने पर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। ब्लैक फंगस मरीज की आंख, नाक, हड्डी और जबड़े को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इसका समय रहते इलाज करना चाहिए। ब्लैक फंगस के मरीजों में पाया गया है कि यह फंगस नाक से शुरू होकर धीरे-धीरे आंखों तक पहुंच जाता है।

जानिए ब्लैक फंगस से बचने के कुछ खास उपाय

ब्लैक फंगस से बचने के लिए भी आपको कोरोना से बचने जैसी कुछ सावधानियों का पालन करना चाहिए। मसलन मास्क लगा कर रखें और अपने आस-पास साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। विशेषज्ञों के मुताबिक इस बात की भी आशंका जताई गई है कि मास्क में गंदगी जमा होने पर भी उसका उपयोग करने पर ब्लैक फंगस व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है। ऐसे में गंदे मास्क का उपयोग बिल्कुल भी ना करें और घर से बाहर निकलने पर वापस आने के बाद अपने मास्क को जरूर अच्छी तरह से धो लें।

इसके अलावा डायबिटीज के रोगियों को इस बीमारी से बचने के लिए खास सावधानी बरतने की जरूरत है। मधुमेह रोगी इस समय अपनी डायबिटीज पर नियंत्रण करके रखें तो उनके लिए स्थिति बेहतर बनी रह सकती है। नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करते रहें और जरूरत पड़ने पर चिकित्सक से संपर्क करें।

सीएम ने जनसभा कर, मतदाताओं से संवाद किया

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