शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस   (हिंदी-दैनिक)


 नवंबर 21, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-96 (साल-02)
2. शनिवार, नवंबर 21, 2020
3. शक-1980, कार्तिक, शुक्ल-पक्ष, तिथि-सप्तमी, विक्रमी संवत 2077।


4. प्रातः 06:49, सूर्यास्त 05:17।


5. न्‍यूनतम तापमान 11+ डी.सै., अधिकतम-23+ डी.सै.। आद्रता बनी रहेंगी।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7. स्वामी, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहींं है।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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गुरुवार, 19 नवंबर 2020

पीएम बोरिस की क्रांति के लिए प्रतिज्ञा

लंदन। एक वैश्विक घटनाक्रम में यूनाइटेड किंगडम के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने एक हरित औद्योगिक क्रांति के लिए प्रतिज्ञा ली है। उनके नेतृत्व में ली गयी इस प्रतिज्ञा का दावा है कि यूके में न सिर्फ़ ऊर्जा, परिवहन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 250,000 नौकरियों का सृजन होगा बल्कि 2030 तक वहां नयी डीजल और पेट्रोल करों की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लग जायेगा।
साथ ही, उसके बाद अगले पाँच सालों में सभी नए निवेश, कारोबार, हीटिंग सिस्टम, और कारों को शून्य कार्बन उत्सर्जन के अनुरूप होना पड़ेगा। यहीं नहीं, 2021 तक ट्रेजरी को सभी निवेश निर्णयों की समीक्षा करनी होगी और ये सुनिश्चित करना होगा कि सभी निवेश शुद्ध शून्य कार्बन के अनुसार हों। और सरकार की जलवायु अनुकूलन टीमों की सभी योजनाएं, विश्व तापमान वर्ष 2100 तक 4c  को ध्यान मैं रखकर बनाना शुरू कर देना चाहिए। इसी क्रम में यह फ़ैसला भी लिया गया कि सभी तरह के व्यवसायों को 'नेट शून्य कार्बन के अनुसार निगरानी और सत्यापन' के लिए बाध्य किया जाना चाहिए। इस बात की भी उम्मीद है कि यूके नए एनडीसी कंट्रीब्यूशन को दिसंबर 2020/जनवरी 2021 तक  प्रस्तुत करेगा।
इस पूरे घटनाक्रम का आधार बनी यूके क्लाइमेट असेम्बली की एक जांच रिपोर्ट जो कहती है कि कोविड के बाद सरकार को सभी भागीदारों (चीन, अमेरिका सहित) के साथ काम करना चाहिए, यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज जलवायु-अनुकूल हों ।
इस जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि:
* कुल 93% विधानसभा सदस्य पूरी तरह से सहमत थे कि नियोक्ताओं और अन्य लोगों को लॉकडाउन आसान करने के इस तरह के कदम उठाने चाहिए जिससे जीवन शैली में ऐसे बदलाव आएं कि वह नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के अनुरूप हो सकें।
* 79% सदस्यों को लगता था कि नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करने में मदद के लिए सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए उठाए गए कदम ठीक हैं लेकिन 9% सदस्य इस बात से असहमत थे ।
इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट (IIED) की वरिष्ठ फेलो डॉ कमिला तौल्मिन कहती हैं, “महामारी के कारण जलवायु सम्बन्धी वार्ताएं लगभग एक वर्ष पीछे चली गई हैं, COP26 के राष्ट्रपति के रूप में हम वर्ष 2020 में जलवायु कार्रवाई में मंदी या देरी को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं। ब्रिटेन में और दुनिया भर में जलवायु का प्रभाव बार बार और लगातार महसूस किया जा रहा है। कई अफ्रीकी देश जलवायु प्रभावों और महामारी की दोहरी मार की वजह से एक गंभीर ऋण संकट का सामना कर रहे हैं । जलवायु संकट थम नहीं रहा है।”
यह रिपोर्ट और प्रधान मंत्री जॉनसन के फ़ैसले दर्शाते हैं कि युके रिकवरी पैकेज पेश करके अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है जिससे आने वाले वक्त में अर्थव्यवस्था, नौकरियों और जलवायु के अनुरूप कम कार्बन उत्सर्जन को बढ़ावा मिलेगा।
आगे, इंस्टीट्यूट फॉर न्यू इकोनॉमिक थिंकिंग (INET) के सीनियर फेलो, एडिअर टर्नर ने कहा, “समिति उन नीतियों के लिए अधिक अवसर प्रदान करने पर जोर देती है जिससे दोनों दिशाओं में प्रगति होगी एक ओर आर्थिक सुधार और दूसरी ओर शून्य कार्बन उत्सर्जन, जो बिल्कुल सही भी है। 
वो आगे कहते हैं, “ब्याज की गिरती हुई दरों को देखते हुए, अब अक्षय ऊर्जा और हरित बुनियादी ढांचे के अन्य रूपों में निवेश करने का समय है;  रोजगार को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है इसलिए सरकार की नीतियां हरित रोजगार बनाने पर केंद्रित होनी चाहिए और उन फर्मों को सरकारी समर्थन मिलना चाहिए जो  उत्सर्जन में कटौती के लिए ज़्यादा से ज़्यादा प्रतिबद्ध हैं, पुरानी तकनीक पर निर्भर और संभावित रूप से फंसी हुई परीसंपत्तियों का समर्थन करने से बचना चाहिए।”               


1.3 मिलियन कच्चे तेल के गिरने का खतरा

कैरेकस। एक ताज़ा मिली जानकारी के मुताबिक़ वेनेजुएला और त्रिनिदाद के बीच, पारिया की खाड़ी में, एक ख़राब और लगभग डूबते तेल टैंकर से 1.3 मिलियन बैरल के करीब कच्चे तेल के समुद्र में गिरने का ख़तरा बन गया है। अगर इस मात्रा में कच्चा तेल समुद्र में गिरता है तो यह मात्रा 1989 के बहुचर्चित एक्सॉन वाल्डेज़ स्पिल के लगभग पांच गुना के बराबर है। टैंकर पेट्रोसुक्रे नामक कंपनी के स्वामित्व में है, जिसका मालिकाना हक वेनेजुएला की राष्ट्रीय तेल कंपनी पेट्रोलिओस डी वेनेजुएला के पास है, जिसकी 74%हिस्सेदारी है, और इटली की ईनी बाकी 25% की मालिक है। त्रिनिदाद और टोबैगो की एनजीओ फिसरमैन एंड फ्रेंड्स ऑफ द सी पिछले कुछ महीनों से इस स्थिति की निंदा करते हुए इस स्थिति के निपटान की मांग कर रही है। अगस्त की शुरुआत में ही इस एनजीओ ने चेतावनी दी थी कि जहाज़ "खतरनाक तरीके से झुक रहा है और इसके पलटने का खतरा बढ़ रहा है"।                   


प्रदूषण फैलाने वालों को टारगेट नहीं किया

राजनीतिक व्यवस्था में किसान,मजदूर और आम जनता का एक विशाल वर्ग सबसे दीन-हीन और कमजोर वर्ग..!


प्रदूषण के असली कारकों को नजर अंदाज कर सारा दोष किसानों के सिर पर मढ़ कर क्या हासिल..!


देश में वर्तमान समय की राजनीतिक व्यवस्था में किसान, मजदूर और आम जनता का एक विशाल वर्ग सबसे दीन-हीन और कमजोर वर्ग है, क्योंकि सत्ता के कर्णधार पूंजीपतियों के लिए ही अपनी सारी नीतियों को बनाते हैं और उसे बिना हिचक के लागू कराने की कोशिश भी करते हैं। सिर्फ प्रदूषण के मसले पर ही गौर किया जा सकता है। ऐसी खबरें आई कि देश के प्रदूषण में किसानों द्वारा जलाई गई पराली का योगदान चालीस फीसद है। क्या इस आंकड़े को सही माना जा सकता है? अब तक के प्रदूषण डाटा के सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल प्रदूषण में बहत्तर फीसद प्रदूषण डीजल-पेट्रोल चालित गाड़ियों से, बीस प्रदूषण कल-कारखानों से और सिर्फ आठ फीसद प्रदूषण में पराली सहित सभी अन्य कारकों से होने वाला प्रदूषण सम्मिलित है।


सवाल है कि आखिर सरकारों के कर्णधार आज तक किसानों को स्वामीनाथन आयोग के सुझावों के अनुसार उनकी फसलों की जायज कीमत (न्यूनतम समर्थन मूल्य) क्यों नहीं देते? केवल इस एकमात्र नीतिगत निर्णय से ही किसानों की आत्महत्या करने और परालीजनित प्रदूषण सहित लगभग अन्य सभी समस्याओं का समाधान हो जाता। दूसरी बात, पराली के निस्तारण का समय से पूर्व समुचित समाधान क्यों नहीं किया जाता है?सरकारें साल भर बिल्कुल नींद की अवस्था में रहतीं हैं। जब किसान अपनी धान की फसल को अगली गेहूं की फसल के समय से बुआई के लिए खेत की साफ-सफाई करने के क्रम में मजबूरी में कटाई से बची पराली (पुआल) को जलाने लगते हैं, तब अचानक सरकारें अपनी कुंभकर्णी नींद से जगतीं हैं! सरकारें किसानों को उनकी फसलों की उत्पादन लागत के अनुसार कीमत न देकर प्रतिदिन किसानों की खुदकुशी के अलावा अब अपने पालित डाटा सर्वेक्षण कार्यालयों के मिथ्या सर्वेक्षणों और किसानों के खिलाफ मनमाफिक फैसलों के जरिए प्रदूषण का मुख्य कारण परालीजनित प्रदूषण को बताने में लगी हैं। प्रदूषण के असली कारकों को नजर अंदाज कर सारा दोष किसानों के सिर पर मढ़ कर क्या हासिल कर लिया जाएगा? सवाल यह भी है कि देश में साठ फीसद तक रोजगार देने वाला कृषि क्षेत्र और अन्नदाता किसानों को पराली को मुद्दा बना कर प्रदूषण का खलनायक बनाने का खेल किसके हित में चल रहा है!


देश को औद्योगिक राष्ट्र बनाने को उद्यत नेता और कथित अर्थशास्त्री अब तक इस देश का कितना विकास कर सके हैं और बेरोजगार युवाओं को कितनी नौकरी दे सके हैं? सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में पिछले पैंतालीस सालों में बेरोजगारी अपने सर्वोच्च स्तर पर है! इस दुखद स्थिति में इस देश की ढहती और बदहाल अर्थव्यवस्था की संबल बनी कृषि को भी बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है।


देश का किसान, मजदूर और आम आदमी सबसे कमजोर, असहाय, असंगठित और दरिद्रता से त्रस्त वर्ग है। इसलिए भारतीय समाज के इस अंतिम छोर पर पड़े, किसी तरह अपनी रोटी कमाने-खाने वाले निर्बल समाज को सशक्त, बलशाली और संगठित पूंजीवादपरस्त वर्ग और उनकी संरक्षक सरकारों के कर्णधार अनाप-शनाप आरोप लगा कर उन्हें खलनायक बताने का खेल रच रहे हैं!                                    


नेट ज़ीरो इमारतें बनाना पूरी दुनिया में संभव

दुनिया के लगभग हर हिस्से में नेट-ज़ीरो या नेट-ज़ीरो के करीब बिल्डिंग निर्माण के लिये जरूरी तमाम प्रौद्योगिकी और क्षमताएं पहले से ही मौजूद हैं। यह क्षमताएं विकसित तथा विकासशील, दोनों ही देशों में मौजूद हैं और इनकी लागत भी परंपरागत निर्माण परियोजनाओं की लागत के लगभग बराबर ही है। यह बातें निर्माण क्षेत्र में जलवायु के अनुकूल वैश्विक नवाचार को लेकर हुए एक ताज़ा अध्ययन में सामने आयी हैं। एनुअल रिव्यू ऑफ एनवायरमेंट एंड रिसोर्सेज़ में छपे एक अध्ययन पत्र में कहा गया है कि बिजली, परिवहन और निर्माण क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के मामले में सबसे बड़ा अंतर पैदा करने की क्षमता है। यह शोध ऐसे समय पर किया गया है जब हमारे शहर और समाज सामूहिक रूप से यह एहसास करने लगे हैं कि लॉकडाउन के दौरान हम कैसे रहते हैं और कैसे अपने घर का मूल्यांकन करते हैं। दुनिया भर में उत्पन्न होने वाली ऊर्जा संबंधी ग्रीन हाउस गैसों के 39% हिस्से के लिए निर्माण क्षेत्र ज़िम्मेदार है और निर्माण संबंधी सामग्री तैयार करने में निकलने वाले कार्बन पर डेढ़ डिग्री सेल्सियस कार्बन बजट के बाकी बचे हिस्से का लगभग आधा भाग तक खर्च हो सकता है।           


अमेरिका के अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे

कोरोना दुनिया में:अमेरिका के अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे, यहां मरने वालों का आंकड़ा अब 2.56 लाख से ज्यादा


न्यूयॉर्क। दुनियाभर में अब तक 5.65 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 3.93 करोड़ लोग ठीक हो चुके हैं। जबकि 13.53 लाख लोगों की जान जा चुकी है। अब 1.58 करोड़ मरीज ऐसे हैं। जिनका इलाज चल रहा है। यानी एक्टिव केस। ये आंकड़े www.worldometers.info/coronavirus के मुताबिक हैं। अमेरिका में हालात बद से बदतर होने लगे हैं। यहां के अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे हैं। मरने वालों का आंकड़ा भी 2.56 लाख हो चुका है।
कार पार्किंग में हॉस्पिटल वॉर्ड
‘द गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के कुछ राज्यों में हालात अब काबू से बाहर होते जा रहे हैं। संक्रमितों का आंकड़ा तो बढ़ ही रहा है। साथ ही मरने वालों की संख्या भी अब काबू से बाहर होती दिख रही है। बुधवार तक यहां कुल मिलाकार 2.56 लाख लोगों की मौत हो चुकी थी। रिपोर्ट के मुताबिक 77 हजार हजार लोग इस वक्त हॉस्पिटल में हैं। नेवादा और मिशिगन जैसे राज्यों में तो स्थिती और भी खराब है। नेवादा के रेनो शहर के अस्पताल में मरीज इतने बढ़ गए कि कार पार्किंग में वॉर्ड बनाना पड़ा। यहां स्टाफ इतने मरीजों को संभाल भी नहीं पा रहा है।
टेनेसी के डायरेक्टर ऑफ क्रिटिकल केयर डॉक्टर एलिसन जॉनसन ने कहा- सही कहूं तो अब हम अवसाद में हैं। और नाउम्मीद होते जा रहे हैं। हम नहीं कह सकते कि कब हालात सुधरेंगे। इसकी फिलहाल कोई उम्मीद भी नजर नहीं आती। मैंने अपने कॅरियर में कभी नहीं सोचा कि इस तरह के हालात से सामना होगा। इदाहो में डॉक्टरों ने साफ कर दिया है। कि सभी मरीजों को बेड दे पाना मुश्किल हो सकता है।
बुधवार को एक न्यूयॉर्क के वेलहेला हॉस्पिटल से एक गंभीर मरीज को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया। यहां के मेडिकल स्टाफ ने इसे हाथ हिलाकर विदा किया।
ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन नाकाम
अमेरिका में मरने वालों का आंकड़ा 2.56 लाख के पार हो गया है। लेकिन ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन अब भी वायरस को गंभीरता से लेने तैयार नहीं है। देश में महज एक हफ्ते में 15 लाख से ज्यादा नए केस सामने आए हैं। ट्रम्प की आलोचना पहले से ज्यादा हो रही है। पिछले दिनों जो बाइडेन ने कहा था। अमेरिका में मरने वालों का आंकड़ा पहले से ज्यादा हो सकता है। हमें सख्त और कठोर फैसले लेने होंगे। अमेरिका में संक्रमितों और मरने वालों का आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा है। करीब दो हफ्ते से हर दिन औसतन एक लाख केस सामने आ रहे हैं।
बुधवार को न्यूयॉर्क सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने संकेत दिए कि यहां लॉकडाउन लगाया जा सकता है। स्कूल होटल, रेस्टोरेंट्स और बार बंद किए जा चुके हैं। मिनेसोटा में भी आज लॉकडाउन का ऐलान किया जा सकता है। यहां भी कुछ पाबंदियां लागू कर दी गई हैं।                              


दिल्ली के बाद गुजरात सरकार एक्शन में आईं

अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। भारत में दोबारा बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकारों ने एहतियात बढ़ा दी है। दिल्ली के बाद अब गुजरात सरकार भी एक्शन मोड में आ गई है। जानकारी के मुताबिक, अहमदाबाद में कल से रात्रि कर्फ्यू लगाए जाने की घोषणा की गई है। यह कर्फ्यू रात 9 से सुबह 6 बजे तक लागू रहेगा। वहीं, राज्य में मरीजों के लिए 900 और बिस्तरों के इंतजाम किए गए हैं।                                       


गाजियाबादः यातायात प्रबंधन के लिए विशेष प्रबंध

अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। हर साल की तरह इस साल भी गाज़ियाबाद पुलिस ने छठ पर्व पर यातायात को नियंत्रित करने के लिए विशेष प्रबंध किए हैं। इस बार भी गाज़ियाबाद जिले में छठ पर्व पर मुख्य आयोजन अर्थला हिंडन बैराज, खोड़ा, वैशाली सेक्टर 3-4 और छिजारसी में तैयार किए गए छठ घाटों पर किया जाएगा। इसके लिए पुलिस ने जो ट्रैफिक डायवर्जन लागू किए हैं वे इस प्रकार हैं।                                                    


दिल्ली में मास्क नहीं पहना तो लगेगा जुर्माना

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में बिना फेस मास्क के सार्वजनिक जगहों पर घूमने वालों के पर अब ₹ 500 की जगह ₹ 2,000 रुपए जुर्माना लगेगा। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद यह आदेश जारी किए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने आज सुबह ही दिल्ली सरकार को कोरोना के बढ़ते मामलों पर फटकार लगाई थी। अदालत ने साथ ही यह टिप्पणी भी की है कि दिल्ली में लगातार कोरोना के मामले में बढ़ रहे हैं और जब हमने राज्य सरकार से सवाल किया तब वो हरकत में आई है।                                       


गाजियाबादः नंबर प्लेट के नाम पर खुली लूट जारी

अश्वनी उपाध्याय


गाज़ियाबाद। जनपद में हाई सिक्यूरिटी नंबर प्लेट्स के नाम पर खुली लूट जारी है। करोड़ों रुपए के इस खेल के बारे में अधिकारियों को जानकारी होने के बावजूद संबन्धित विभाग और जिलाधिकारी कार्यालय इस ओर से आंखे बंद किए बैठा है। हालांकि वाहन मालिकों को राहत देने के लिए अभी इस मामले में चालान काटने के बारे में उतनी सख्ती नहीं की जा रही है फिर भी परेशान उपभोक्ता दोगुनी कीमत देने के मजबूर हैं। इनमें उन वाहन मालिकों की संख्या ज्यादा है जिन्हें हर दिन काम-काज के सिलसिले में दिल्ली या नोएडा जाना होता है। वहीं परिवहन विभाग के अफसरों का कहना है कि आनलाइन पोर्टल पर जाकर अधिकृत निर्माता से ही एचएसआरपी बुक करें। ज्यादा रकम वसूलने के मामले में शिकायत मिलने पर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।                                   


सीएम ने जनसभा कर, मतदाताओं से संवाद किया

सीएम ने जनसभा कर, मतदाताओं से संवाद किया  संदीप मिश्र  बरेली। बरेली के आंवला में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को सुभाष इंटर कॉलेज ग्...