गुरुवार, 11 जून 2020
ट्रक ने मारी टक्कर, दो बच्चों की मौत
करोड़ों की कमाई करने वाला गुनहगार
राज्यसभा चुनाव से पहले खरीद-फरोख्त
नई दिल्ली। राजस्थान में राज्यसभा चुनाव से पहले खरीद फरोख्त का खेल शुरु हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीजेपी पर समर्थन के बदले कुछ विधायकों को 25 करोड़ रूपए प्रलोभन देने का आरोप लगाया है। गहलोत ने कहा कि खरीद फरोख्त के लिए जयपुर में करोड़ों-अरबों रुपए ट्रांसफर हो रहे हैं। ये पैसे कौन भेज रहा है। विधायकों को एडवांस देने की बातें हो रही हैं. यहां पर खुला खेल हो रहा है। इसीलिए महेश जोशी ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में रिपोर्ट दर्ज कराई है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमारे विधायक बहुत समझदार हैं, वे समझ गए। उन्हें खूब लोभ लालच देने की कोशिश की गई, लेकिन यह हिंदुस्तान का एकमात्र राज्य है, जहां एक पैसे का सौदा नहीं होता। यह इतिहास में कहीं नहीं मिलेगा। मुझे गर्व है कि मैं ऐसी धरती का मुख्यमंत्री हूं, जिसके लाल बिना सौदे के बिना लोभ लालच के सरकार का साथ देते हैं। महेश जोशी ने एसीबी के महानिदेशक को भेजी शिकायत में कहा है कि अति विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि कर्नाटक, मध्य प्रदेश और गुजरात की तर्ज पर राजस्थान में भी हमारे विधायकों व हमारा समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायकों को भारी प्रलोभन देकर राज्य की लोकतांत्रिक तौर से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। बता दें कि राजस्थान में राज्यसभा चुनाव की तीन सीटों पर चुनाव होना है।
एसीबी के महानिदेशक आलोक त्रिपाठी ने कहा कि शिकायत पर उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिकायत मिली है और इसकी जांच होगी।
चिंताः संक्रमण के मुंह में धकेली दिल्ली
अनिल अनूप
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली परमाणु बम पर बैठी है, जो कभी भी फट सकता है। दिल्ली में 31 जुलाई तक कोरोना के 5.5 लाख संक्रमित मरीज हो सकते हैं। 15 जुलाई तक 2.25 लाख संक्रमित होने का आकलन है। यह खुलासा दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तब किया, जब वह उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली आपदा प्रबंधन बैठक में शिरकत के बाद सार्वजनिक हुए थे। उपराज्यपाल के साथ उनके कुछ संवादों का ब्योरा भी उन्होंने दिया। कमोबेश इस स्तर पर संवैधानिक शख्सियत झूठ नहीं बोल सकती, क्योंकि पलट कार्रवाई के लिए संविधान उपस्थित है। उपराज्यपाल ने अस्पतालों पर केजरीवाल सरकार के फैसले को ‘संविधान-विरोधी’ करार देते हुए उसे खारिज कर दिया, लेकिन कोई वैकल्पिक आकलन नहीं दिया कि यदि दिल्ली में संक्रमण की विस्फोटक स्थितियां पैदा होती हैं, जिनके आसार अब पूरे लगते हैं, तो दिल्ली सरकार क्या करेगी? कोई भी उपराज्यपाल या मुख्यमंत्री देश और उसके नागरिकों से बड़ा और महत्त्वपूर्ण नहीं हो सकता। पदेन सुविधाएं और गरिमा संविधान के कारण नसीब होती हैं। उसी संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 आम नागरिक के मौलिक अधिकारों की व्याख्या करते हैं। कोई उपराज्यपाल या मुख्यमंत्री उसे लांघ नहीं सकता। यदि उप मुख्यमंत्री के एक सवाल पर, कोरोना वायरस की संभावित भयावह स्थितियों के संदर्भ में, उपराज्यपाल जवाब देते हैं-‘देखते हैं’, तो फिर कहा जा सकता है कि व्यवस्था के संचालकों और सूत्रधारों ने देश की राजधानी तक को ‘रामभरोसे’ छोड़ दिया है। दूसरी ओर, विश्व स्वास्थ्य संगठन का ताजा आकलन है कि कोरोना महामारी ‘बदतर’ होती जा रही है। दिल्ली में ही कोरोना के मरीज 31,000 को पार कर चुके हैं और मौतें भी 900 से अधिक हो चुकी हैं। विश्लेषण ऐसे भी सामने आए हैं कि यदि कोरोना संक्रमण की गति और उसका विस्तार यही रहे, तो देश में 26 जून तक पांच लाख, 11 जुलाई तक 10 लाख और 28 जुलाई तक 20 लाख संक्रमित मरीज होंगे। क्या उन्हें संभालने और उचित इलाज मुहैया कराने के बंदोबस्त किए गए हैं? देश के औसत आदमी को डराने की मंशा हमारी नहीं है, लेकिन विस्फोटक हालात के प्रति आगाह जरूर कर रहे हैं। आश्चर्य है कि ऐसे चेतावनीपूर्ण हालात के बावजूद केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और कोरोना महामारी से संबद्ध अधिकारी ‘सामुदायिक संक्रमण’ की हकीकत मानने को सहमत नहीं हैं, लिहाजा उपराज्यपाल वाली आपदा प्रबंधन की बैठक में इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा की ही नहीं गई। अजीब विरोधाभासी समीकरण हैं कि दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने ‘सामुदायिक संक्रमण’ की बात कही है, लेकिन उपराज्यपाल और केंद्र सरकार इसे नकार रहे हैं। आखिर केंद्र इसे स्वीकार कैसे सकता है? मोदी सरकार की फजीहत होगी और लगातार सवाल पूछे जाएंगे कि इतने लंबे लॉकडाउन के बावजूद संक्रमण इस हद तक कैसे फैल गया कि संभावित आंकड़े दहशत पैदा कर रहे हैं और सामुदायिक संक्रमण की बहस छिड़ गई है? यह भी बेनकाब हो जाएगा कि 24 मार्च के बाद क्या किया गया। मुद्दों से भटकाने के लिए दूसरे कौन से मुद्दे पैदा किए गए। अब देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर भी चर्चा छिड़ सकती है। हम जीडीपी का मात्र दो फीसदी भी स्वास्थ्य पर खर्च नहीं कर पाते हैं। कितनी आबादी पर कितने अस्पताल हैं, कितने डॉक्टर और दूसरे कर्मी हैं, यह आंकड़ा भी बेहद शर्मनाक है। अब चर्चा यहां तक सुगबुगाने लगी है कि स्वास्थ्य सेवाओं का ‘राष्ट्रीयकरण’ किया जाए। एक छोटा-सा देश क्यूबा इसका उदाहरण माना जा रहा है, जहां एक भी निजी अस्पताल नहीं है। स्वास्थ्य सेवाओं के संदर्भ में भारत विश्व में 145वें स्थान पर है। बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और म्यांमार सरीखे पड़ोसी देशों की स्थितियां हमसे बेहतर हैं। बहरहाल कोरोना बार-बार करवट बदल रहा है। वह बहुत तेजी से फैलने वाला वायरस है। गर्मी, सर्दी, गीलापन, सूखा और मरुस्थल सरीखी जलवायु और मौसम का इस पर प्रभाव नहीं दिखा है, लिहाजा यह विकराल रूप धारण करता जा रहा है। मुंबई के आंकड़े चीन के वुहान शहर को पार कर 51,000 से अधिक हो गए हैं। क्या अब यह ‘कोरोना राजधानी’ होगी? भारत में कोरोना का कहर कुछ शहरों तक ज्यादा सिमटा है। अब जून के अंत और जुलाई में क्या होगा, वह यथार्थ भी स्पष्ट हो जाएगा। उसके बाद ही हम कह सकेंगे कि भारत में कोरोना वायरस का समापन किस कदर होगा?
दिल्ली के सैकड़ों अध्यापक हुए संक्रमित
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में शिक्षक भी कोरोना संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। दिल्ली नगर निगम द्वारा जारी डाटा के अनुसार अब तक नगर निगम के 100 से ज्यादा सरकारी शिक्षक कोरोना के शिकार हो चुके हैं। इसके अलावा 50 और शिक्षक भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. ये वैसे शिक्षक हैं, जिनकी ड्यूटी इस वक्त स्कूलों में राशन बांटने या फिर दूसरे प्रशासनिक कार्यों में लगी थी।
4 शिक्षकों की मौत
दुखद बात यह है कि अब तक 4 शिक्षक कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना से मौत का शिकार बने शिक्षकों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने का ऐलान भी किया था। गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव अजयवीर यादव ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक के बाद एक शिक्षक कोरोना के शिकार होते जा रहे हैं और हमारे कई साथी अब तक मौत के मुंह में समा चुके हैं।
एक करोड़ मुआवजे की मांग
एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि जिन शिक्षकों की कोरोना के कारण मौत हुई है उन्हें 1 करोड़ रुपये का मुआवजा फौरन ही दिया जाए। इसके अतिरिक्त बाकी शिक्षकों की ड्यूटी कुछ इस प्रकार की जाए जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा कम से कम हो और उनके बचाव के लिए पीपीई किट, मास्क और अन्य साधन उपलब्ध कराए जाएं।बता दें कि दिल्ली में इस वक्त हजारों शिक्षक करुणा से बचाव की ड्यूटी में काम कर रहे हैं। इनमें से कई शिक्षक राशन बांटने की ड्यूटी में है तो कई शेल्टर होम और आइसोलेशन सेंटर पर भी ड्यूटी कर रहे हैं।
दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने आज तक से बात करते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार में शिक्षकों की जान जोखिम में है। एक के बाद एक शिक्षक संक्रमित हो रहे हैं और कई शिक्षकों की जान जा चुकी है। ऐसे में सरकार को तुरंत ही सख्त कदम उठाना चाहिए नहीं तो हमारे देश के भविष्य निर्माता खुद संकट में पड़ जाएंगे। आदेश गुप्ता ने फौरन ही मृतक शिक्षकों के परिवार वालों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग केजरीवाल सरकार से की है।
8 दिन बाद अस्पताल से ही मिला शव
8 दिन से लापता कोरोना मरीज की लाश अस्पताल के बाथरूम में पड़ी थी, किसी को खबर तक नहींं
कविता गर्ग
जलगांव। देश में एक ओर जहां कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है, वहीं कई जगहों पर अस्पतालों की लापरवाही का मामला भी सामने आ रहा है। ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र के जलगांव सिविल अस्पताल में देखने को मिला है. पिछले 8 दिनों से जिस कोरोना पॉजिटिव मरीज के अस्पताल से लापता होने की बात कही जा रही थी उसका शव आज उसी अस्पताल के एक बाथरूम से बरामद किया गया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी अविनाश डांगे ने जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
जानकारी के मुताबिक 80 साल की बुजुर्ग को कुछ दिन पहले भुसावल रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां बुजुर्ग की हालत बिगड़ने पर 1 जून को उन्हें जलगांव के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया. जांच में पाया गया कि बुजुर्ग को कोरोना है. इस घटना के दूसरे ही दिन यानी 2 जून को बुजुर्ग महिला अस्पताल से कहीं गायब हो गईं. काफी ढूंढने के बाद भी जब बुजुर्ग का कुछ भी पता नहीं चला तो थाने में महिला की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
बताया जाता है कि आज सुबह किसी ने जानकारी दी कि एक बुजुर्ग महिला का शव अस्पताल के बाथरूम में पड़ा है। बुजुर्ग को देखने से पता चला कि जिसके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी वह महिला पिछले 8 दिनों से बाथरूम में पड़ी थी और किसी को इसकी खबर तक नहीं थी। जिलाधिकारी अविनाश डांगे ने कहा कि यह अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही है। अस्पताल के बाथरूम को हर दिन साफ किया जाता है। ऐसे में किसी की भी नजर पिछले 8 दिनों से बुजुर्ग पर नहीं पड़ी। जिलाधिकारी ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की बात कही है।
फॉरेस्ट रेंजर, गार्ड के पदों पर भर्ती
रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने फॉरेस्ट रेंजर और असिस्टेंट फॉरेस्ट गार्ड के पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। छत्तीसगढ़ वन विभाग भर्ती 2020 (CG फॉरेस्ट गार्ड भर्ती 2020) के तहत 178 फॉरेस्ट रेंजर और असिस्टेंट फॉरेस्ट गार्ड के पदों पर नियुक्ति की जाएगी। अगर आप भी वन विभाग में नौकरी करने के इच्छुक हैं तो आवेदन कर सकते हैं।
पदों की संख्या
फॉरेस्ट रेंजर- 157 पद
असिस्टेंट फॉरेस्ट गार्ड – 21 पद
शैक्षिक योग्यता
इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवार को 12वीं यानी इंटरमीडिएट परीक्षा PCB यानी साइंस स्ट्रीम में पास होना चाहिए और कृषि, वनस्पति विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, भूविज्ञान आदि किसी भी विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए. बता दें कि चयनित उम्मीदवारों की पोस्टिंग छत्तीसगढ़ में ही होगी।
आयु सीमा
इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवार की उम्र 21 से 30 वर्ष (अन्य राज्य) और 21 से 40 वर्ष (छत्तीसगढ़) निर्धारित है. बता दें कि आयु की गणना 01.01.2020 के आधार पर की जाएगी।
आवेदन शुल्क
छत्तीसगढ़ के एससी/ एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए 300 रुपये आवेदन शुल्क निर्धारित है जबकि अन्य सभी उम्मीदवारों को 400 रुपये आवेदन शुल्क देना होगा।
कैसे होगा चयन?
फॉरेस्ट रेंजर और असिस्टेंट फॉरेस्ट गार्ड के पदों पर उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर किया जाएगा।
आवेदन और परीक्षा की तिथि
ऑनलाइन आवेदन शुरू होने की तिथि- 16 जून 2020
आवेदन की अंतिम तिथि- 15 जुलाई 2020
ऑनलाइन सुधार की तिथि- 18 से 24 जुलाई 2020
लिखित परीक्षा की तिथि- 20 सितंबर 2020
कितनी मिलेगी सैलरी?
फॉरेस्ट रेंजर के 157 पदों पर चयनित उम्मीदवारों को 38100 रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा जबकि असिस्टेंट फॉरेस्ट गार्ड के 21 पदों पर चयनित उम्मीदवारों को 56100 रुपये प्रति माह वेतन मिलेगा। अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करके आधिकारिक नोटिफिकेशन देख सकते हैं।
चिकित्सकों ने इस्तीफे की धमकी दी
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली के दो हॉस्पिटल के डॉक्टर और हेल्थ वर्कर सैलरी न मिलने से काफी नाराज हैं। इन्होंने इसका तत्काल भुगतान न होने पर इस्तीफे की धमकी भी दी है। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने ‘नो पे नो वर्क’ की मांग के साथ चिट्ठी लिखी है। साथ ही अपनी समस्या बताते हुए इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। आरडीए का कहना है कि उनकी मांग न मानने की स्थिति में वो इस्तीफा भी दे सकते हैं। इस तरह की मांग दिल्ली के दरियागंज इलाके में स्थित कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल और हिन्दू राव हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने की है। बता दें कि यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब दिल्ली कोरोना संक्रमण से बुरी तरह से जूझ रहा है।
3 महीने से नहीं हुआ सैलरी का भुगतान
कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल के आरडीए ने एडिशनल एमएस को लिखी अपनी चिट्ठी में रेजिडेंट डॉक्टर के बकाए वेतन के मामले में ध्यान आकर्षित कराया है। साथ ही एक साथ इस्तीफा देनो या ‘नो पे नो वर्क’ की भी बात कही है। इसमें लिखा है कि रेजिडेंट डॉक्टर को पिछले 3 महीनों से सैलरी का भुगतान नहीं हुआ है। वे कोरोना महामारी के संकट के दौरान अपने और अपने परिवार की जिंदगी को दांव पर लगाकर काम कर रहे हैं। सैलरी न मिलने के कारण उन्हें अपने घर का किराया देने, ट्रैवलिंग में होने वाले खर्च और जरूरत के सामान खरीदने तक में समस्या हो रही है।
आरडीए का कहना है कि हम पैसों के बिना काम नहीं कर सकते हैं। उन्होंने बकाए सैलरी के जल्द भुगतान की मांग की है। साथ ही कहा है कि अगर सैलरी का भुगतान 16 जून तक नहीं होगा तो उन्हें सामूहिक इस्तीफा देना पड़ सकता है।
डॉक्टरों ने मांगी 4 महीने की बकाया सैलरी
राजधानी के मलकागंज में स्थित हिन्दू राव हॉस्पिटल और एनडीएमएमसी के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोशिसशन ने 4 महीनों की सैलरी के भुगतान की मांग की है। हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट को 30 मई को लिखी चिट्ठी में बकाए सैलरी के भुगतान के संबंध में ध्यान आकर्षित कराया गया है।
इस संबंध में आरडीए का कहना है कि वेतन न मिलने के कारण उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। आरडीए ने यह भी कहा है कि हमें लग रहा है कि हमारी बातें अनसुनी कर दी जा रही हैं। आरडीए ने 18 जून तक के बकाए सैलरी के भुगतान की मांग की है। इस चिट्ठी में आरडीए की तरफ से लिखा गया है कि हम आपको असहाय होकर यह सूचना दे रहे हैं कि रेजिडेंट ‘नो पे नो वर्क’ के नियम पर काम करने का निर्णय ले रहे हैं। साथ ही वेतन भुगतान न होने की स्थिति में सामूहिक इस्तीफे की बात भी कही गई है।
आठवीं पास के लिए राजस्थान में भर्ती
जयपुर। लॉकडाउन के बीच प्रदेश के बेरोजगार युवक-युवतियों के लिए राजस्थान पुलिस ने होमगार्ड की नौकरी के लिए वैकेंसी निकाली है। इसके लिए आधिकारिक तौर पर नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। 8वीं पास उम्मीदवार इस नौकरी के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसके चयन के दौरान किसी भी तरह की लिखित परीक्षा नहीं होगी। इसके लिए पात्र आवेदक 10 जून से लेकर 9 जुलाई तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस बार 2500 पोस्ट के लिए ये आवेदन निकाला गया है। गौरतलब है कि इस भर्ती के लिए आवेदन पहले भी आए थे। लेकिन इसकी प्रक्रिया दोबारा शुरू की गई है।
आयु सीमा
इन पदों के लिए अप्लाई करने वाले आवेदक की उम्र 18 साल से लेकर 35 साल तक होनी चाहिए. राजस्थान होम गार्ड भर्ती के अंतर्गत चयनितों को हर दिन 693/- रुपए वेतन दिया जाएगा। इसके लिए जनरल और ओबीसी कैटेगरी में आने वाले आवेदकों को एप्लीकेशन फीस के तौर पर 200 रुपए का भुगतान करना पड़ेगा। जबकि एससी, एसटी, ईडब्लूएस और एमबीसी वर्ग में आने वाले उम्मीदवारों को 175 रुपए का भुगतान करना होगा। कैंडिडेट के सेलेक्शन का आधार केवल फिजिकल टेस्ट होगा।
जो भी उम्मीदवार इसके लिए अप्लाई करना चाहते हैं उन्हें ऑफिशियल वेबसाइट http://home.rajasthan.gov.in/ पर लॉगइन कर आवेदन प्रक्रिया को पूरा करना होगा. आवेदन 10 जून से 9 जुलाई, 2020 के बीच की जा सकती है.
साल 1946 में हुई थी भारत में शुरुआत
भारत में होम गार्डस स्वैच्छिक बल के तौर पर जाना जाता है. इसकी पहली बार दिसंबर 1946 में शुरुआत हुई थी. ताकि पुलिस को वे अशांति और सांप्रदायिक दंगों को नियंत्रित करने में मदद कर सके. इसके बाद इसको देश के कई राज्यों ने अपनाया. आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, प्रदेश में कुल संख्या 30, 714 है. इनमें से 21,770 शहरी होम गार्ड हैं. जबकि 6280 ग्रामीण होम गार्ड हैं। इसके लिए 2,664 जवान बॉर्डर होम गार्ड के तौर पर तैनात हैं। वेबसाइट के अनुसार, संगठन राज्य के योग्य युवाओं की भर्ती करता है और साथ ही उनमें राष्ट्रीय सुरक्षा, अनुशासन और निस्वार्थ सेवा की भावना पैदा करने की कोशिश करता है।
रंगपुरी 'कहानी'
ट्रस्ट के सदस्यों का पीएम को निमन्त्रण
बेरोजगारी भयावह समस्या बनीः अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में आज बेरोजगारी एक भयावह समस्या बन गई है। कोरोना के सच को झुठलाकर भाजपा चुनाव में व्यस्त हो गई है। वह बेकारी और भुखमरी को समस्या ही नहीं मान रही है तो समाधान क्या करेगी? बिहार में चुनाव आते ही कुछ दिनों बाद तो प्रदेश के स्टार प्रचारक भी उड़ जाएंगे।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बुधवार को अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं से वीडियो कॉलिंग कर उनके क्षेत्र की समस्याओं को समझ रहे थे। उन्होंने कहा कि महामारी के समय अन्य असाध्य बीमारियों के इलाज के लिए विधायक निधि से कम से कम 50 लाख रुपये देने की व्यवस्था होनी चाहिए। हृदय रोग, किडनी, लिवर तथा कैंसर के इलाज के लिए समाजवादी सरकार में मुफ्त चिकित्सा व्यवस्था थी। साथ ही विधायक निधि से 25 लाख रुपये देने की व्यवस्था थी। भाजपा सरकार ने इसे बंद कर दिया है।
मीटिंग में सपा जिला अध्यक्ष की घोषणा
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भाई चंद्रशेखर आजाद के आदेशानुसार राष्ट्रीय कोर कमेटी की मिटिंग मे बुलन्दशहर जिले के जिला अध्यक्ष की घोषणा
'अखिलेश' पर पार्टी ने भरोसा जताया
अब्दुल अज़ीज़
बहराइच। समाजवादी पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में हुए परिवर्तन के फलस्वरूप जिले के पूर्व सपा अध्यक्ष राम हर्ष यादव पर पार्टी ने भरोसा जताया है। प्रदेश मुख्यालय से जारी की गई सूची में राम हर्ष यादव को बहराइच का पुनः जिलाध्यक्ष बनाये जाने की घोषणा की गई है।श्री यादव इससे पूर्व भी जिले की पार्टी कमान संभाल चुके हैं।सूत्रों की माने तो बहराइच में चल रही गुटबन्दी में राम हर्ष यादव स्वर्गीय डॉक्टर वकार साहब के खेमे से माने जाते रहे है वही पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण यादव ने भी सर्वगीय डॉक्टर साहब और पूर्व मंत्री यासर शाह का दिल जीतने में कामियाब रहे थे लेकिन उनकी कार्यकर्ताओं पर ढीली पड़ रही पकड़ ने शायद उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।रामहर्ष यादव को पुनः जिलाध्यक्ष बनाये जाने पर कार्यकर्ताओं ने हर्ष व्यक्त किया है इस अवसर पर सपा के कर्मठ नेता व पूर्व कोषाध्यक्ष अब्दुल मन्नान ने नव नियुक्त जिलाध्यक्ष को मिठाई खिला कर उनको बधाई दी वही रामहर्ष यादव ने भी उनके घर जाकर आशिर्वाद ग्रहण किया।वही उन्होंने पूर्व कैबिनेट मंत्री व विधायक यासर शाह के घर पहुंच कर भी उनसे मुलाकात की और आशिर्वाद लिया।यासर शाह ने वन नियुक्त जिलाध्यक्ष को बधाई देते हुये उम्मीद जताई कि रामहर्ष यादव सभी वर्ग के लोगो और समस्त कार्यकर्ताओं को एकजुट करके पार्टी को मजबूत बनाने तथा उसकी खोई हुई छवि को पुनः वापस लाने में सफल रहेंगे। इस मौके पर भारी संख्या में वहाँ कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
झील का पानी, लाल रंग में बदला
मुंबई। महाराष्ट्र के बुलढाना जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। यहां की मशहूर लोनार झील का पानी अचानक लाल रंग में बदल गया है। पहली बार हुए इस बदलाव को देखकर आम लोग और वैज्ञानिक हैरान हैं। बुलढाना जिले के तहसीलदार सैफन नदाफ ने बताया कि पिछले 2-3 दिन से लोनार झील का पानी लाल रंग में बदल गया है। हमने वन विभाग को पानी के सैंपल लेकर जांच कर कारण पता करने को कहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि लोनार झील में हैलोबैक्टीरिया और ड्यूनोनिला सलीना नाम के कवक (फंगस) की वजह से पानी का रंग लाल हुआ है। निसर्ग तूफ़ान की वजह से बारिश हुई जिस कारण हैलोबैक्टीरिया और ड्यूनोनिला सलीना कवक झील की तलहट में बैठ गए और पानी का रंग लाल हो गया. हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना यह भी है कि लोनार झील का पानी लाल होने के पीछे और भी कई कारण हो सकते हैं। जिसकी जांच होना अभी बाकी है.वहीं, लोनार झील के पानी का रंग लाल होने के बाद आसपास के इलाकों से बड़ी तादाद में लोग झील देखने के लिए आ रहे हैं। कुछ लोग तो इसे चमत्कार मान रहे हैं तो वहीं कई अफवाहों ने जोर पकड़ लिया है। मालूम हो कि लोनार झील बेहद रहस्यमयी है। नासा से लेकर दुनिया भर की तमाम एजेंसियां इस झील के रहस्यों को जानने में बरसों से जुटी हुई है। लोनार झील का आकार गोल है। इसका ऊपरी व्यास करीब 7 किलोमीटर है। जबकि यह झील करीब 150 मीटर गहरी है। अनुमान है कि पृथ्वी से जो उल्का पिंड टकराया होगा, वह करीब 10 लाख टन का रहा होगा जिसकी वजह से झील बनी थीं।
गुड़गांव में कोरोना केस लगातार बढ़ते
नई दिल्ली। गुरुग्राम यानी गुड़गांव में कोरोना वायरस के केसों में लगातार हो रही वृद्धि के बीच हरियाणा सरकार ने बड़ी कार्यवाही की है। गुरुग्राम के चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMO) जसवंत सिंह पूनिया का तबादल कर दिया गया है, उनके स्थान पर नूंह के सीएमओ वीरेंद्र यादव को गुरुग्राम की जिम्मेदारी सौंपी गई है। डाक्टर जसवंत अब वीरेंद्र यादव की जगह नूंह की जिम्मेदारी संभालेंगे।
षड्यंत्र के तहत रची गई, दिल्ली 'हिंसा'
'वायरस' से बचाव के साथ जीना होगा
वैक्सीन विकसित होने तक कोविड से बचाव के साथ जीना होगा’
लखीमपुर खीरी। मंडलायुक्त मुकेश कुमार मेश्राम एवं आईजी रेंज लक्ष्मी सिंह ने बुधवार को अचानक जनपद का दौरा किया। दोनों अफसरों ने पुलिस लाइंस सभागार में जिले के सभी प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और कोविड संक्रमण से निपटने के लिए की गई तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की। मंडलायुक्त ने कहा कि बेहतर कार्ययोजना से कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी। इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं रहनी चाहिए। मंडलायुक्त मेश्राम ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में हम सभी की जिम्मेदारी चौगुनी हो गई है। जब तक कोई वैक्सीन विकसित नहीं होती, तब तक सावधानियां और बचाव के साथ ही हम सबको कोविड के साथ जीना सीखना होगा। कोविड से निपटने के लिए वृहद स्तर पर प्रशासनिक तैयारियां, फेस मास्क, सामाजिक दूरी, हैंड सैनिटाइजिंग को दिनचर्या में शामिल करना होगा। साथ ही वृद्ध एवं बच्चों को घर से अनावश्यक बाहर न निकलने के लेकर बड़े स्तर पर जनजागरूकता चलानी होगी। उन्होंने कहा कि जागरूकता अभियान उच्च स्तर से रूट लेवल तक चलाया जाए। उन्होंने कहा कि इस जागरूकता अभियान में युवक मंगल दल, ग्राम चौकीदार, स्वच्छताग्राही, स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं सहित ऐसे एनजीओ जिसकी समय-समय पर सरकार से फंडिंग भी की जाती है उनकी मदद ली जाए। उन्होंने जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं एवं फैसेलिटी बढ़ाने पर चर्चा करते हुए सीएमओ को निर्देश दिए कि वह कोविड के संक्रमण के दृष्टिगत मरीजों के लिए बड़ी संख्या में बेड बढ़ाने पर काम करें। शौचालयों की समुचित व्यवस्था के साथ ही उनकी साफ-सफाई पर विशेष बल दिया। शौचालयों की स्वच्छता में सोडियम हाइपोक्लोराइट, साबुन के घोल से उन स्थानों पर छिड़काव के निर्देश दिए। उन्होंने जिले में पर्याप्त मात्रा में औषधियों की उपलब्धता, ट्रेंड मेडिकल टीमें एवं सर्विलांस बढ़ाने पर जोर दिया। कोविड से निपटने के लिए बड़े स्तर पर तैयारी करने के लिए कहा है। कोविड डिजास्टर प्लान विभागवार तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि निगरानी समितियों एवं ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति को एक्टीवेट करें, जिससे वह अधिक सक्रियता के साथ फील्ड में काम करें। भूमि विवाद एवं आपसी द्वन्द्व के मामले बढ़ने की आशंका जताते हुए एक कार्ययोजना एवं मैकेनिज्म बनाकर ग्राम वाद विवाद रजिस्टर तैयार करवाने के निर्देश दिए। बैठक में डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह ने कोविड से निपटने हेतु तैयारियों के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया। एसपी पूनम ने आश्वस्त किया कि बैठक में जो भी दिशा निर्देश एवं मार्गदर्शन मिला है उसका अक्षरश: अनुपालन कराया जाएगा। बैठक में सीडीओ अरविंद सिंह, एडीएम अरुण कुमार सिंह समेत सभी एसडीएम और सीओ मौजूद रहे।
कम्यूनिटी किचेन और कोविड अस्पताल का लिया जायजा
लखीमपुर खीरी मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम ने बैैठक के बाद शहर में स्थापित कम्यूनिटी किचेन का निरीक्षण किया, जहां स्वच्छता का पालन कराने पर जोर दिया। इसके बाद उन्होंने कोविड 19 अस्पताल मेहता मिलेनियम चिकित्सालय का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। चिकित्सालय में उपकरणों की उपलब्धता सहित अन्य व्यवस्थाओं के संबंध में जानकारी ली। इसके बाद मंडलायुक्त ने ग्राम निगरानी समिति रामापुर का स्थलीय सत्यापन किया।
कश्मीर में आतंकियों ने पोस्टर लगाए
श्रीनगर। सुरक्षाबलों के लगातार जारी ऑपरेशनों और घटते जन समर्थन से हताश आतंकी संगठनों ने अब कश्मीर के लोगों को धमकियां दे रहे हैं कि वे गैर कश्मीरियों को मकान और जमीन नहीं बेचें। आतंकी संगठन तहरीक-उल-मुजाहिदीन ने धमकी भरे पोस्टर जारी किए हैं। पुलिस ने पोस्टरों को जब्त करके जांच शुरू कर दी है। बीते दो दिनों के दौरान श्रीनगर के विभिन्न हिस्सों में तहरीक उल मुजाहिदीन के पोस्टर पाए गए हैं। इन पोस्टरों के जरिए धमकी दी गई है कि कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन, मकान या दुकान किसी गैर कश्मीरी को न बेचे।
यही नहीं आतंकियों ने कश्मीरियों को अपने कारोबार में बाहरी राज्य के लोगों को शामिल नहीं करने के लिए भी चेताया है। आतंकियों ने बाहर के लोगों को धमकी दी है कि वह कश्मीर में हिंदुस्तान और आरएसएस के एजेंडे के तहत प्रवेश नहीं करें। बता दें कि आतंकी संगठन तहरीक-उल-मुजाहिदीन के कैडर वादी में नाममात्र ही हैं। हालांकि, इसी संगठन से जुड़े आतंकियों ने बीते तीन सालों के दौरान इस्लामिक स्टेट ऑफ जम्मू कश्मीर और अंसार गजवातुल हिंद जैसे आतंकी संगठनों का भी हिस्सा बने हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटा दिया था। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने के बाद से प्रदेश में अब डोमिसाइल के आधार पर वह लोग भी अपने लिए जमीन, मकान, दुकान खरीद सकते हैं जो पुश्तैनी तौर पर प्रदेश के निवासी नहीं हैं लेकिन बीते कई सालों से जम्मू कश्मीर में ही बसे हुए हैं। इससे आतंकी और अलगाववादी बौखला गए हैं। पाकिस्तान में बैठे आतंकियों में भी भारी बौखलाहट है। यही वजह है कि आतंकी संगठन अब लोगों को धमकी देने पर उतर आए हैं।बीते दिनों आतंकियों ने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस वारदात को कश्मीर में आतंक का नया पर्याय बने जिहादी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने अंजाम दिया था। कल मंगलवार को सेना की 15वीं कोर का नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने कहा था कि लोगों ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान खत्म किए जाने के फैसले को सकारात्मक तरीके से लिया है। हमने लंबे समय बाद शांति देखी है। उन्होंने कहा था कि इसी शांति से बौखलाया पाकिस्तान घाटी को अस्थिर करने की कोशिशें कर रहा है।
बैंक में रखेंगे मंदिर का 1200 किलो सोना
- प्राचीन महत्व के आभूषण और रोज उपयोग होने वाले बर्तनों को इस योजना से अलग रखा जाएगा
- बैंक में रखे सोने से 13 करोड़ रुपए सालाना से ज्यादा की आय होगी
- अकेले सबरीमाला मंदिर को लॉकडाइन के दौरान 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ
त्रिवेंद्रम। केरल के 1248 मंदिरों का प्रबंधन देखने वाले त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड अपनी आय बढ़ाने के लिए मंदिरों के लगभग 1200 किलो सोने को आरबीआई के पास रखने की तैयारी कर रहा है। इससे बोर्ड को हर साल करीब 13.5 करोड़ की आय होगी। ये सोना फिलहाल मंदिरों में आभूषण और बर्तनों के रूप में है। बोर्ड इन्हें गलाकर ठोस सोने में बदलेगा। अनुमान है कि ये सोना 1200 किलो से भी ज्यादा का हो सकता है, जिसकी कीमत करीब 540 करोड़ रुपए है। त्रावणकोर बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में पद्मनाभम् स्वामी, सबरीमाला और गुरुवायुर जैसे बड़े मंदिर आते हैं।
दान में मिले सोने के गहनों और बर्तनों को गलाया जाएगा
केरल के इन मंदिरों के पास काफी पुराने और ऐतिहासिक आभूषण भी हैं, बोर्ड इन प्राचीन महत्व के आभूषणों को वैसे ही रहने देगा। इनकी कीमत भी करोड़ों में है और, ये प्राचीन गहने उत्सवों में उपयोग में आने वाले हैं। इस योजना में केवल उन गहनों और बर्तनों का उपयोग होगा, जो पिछले कुछ सालों में मंदिरों को दान में मिले हैं। इसके साथ ही बोर्ड 28 प्रमुख मंदिरों में ऑनलाइन दर्शन और सेवा की व्यवस्था भी कर रहा है, इससे भी मंदिरों की आय में इजाफा होगा।
सैंकड़ों टन तांबे के बर्तनों की नालामी होगी
इससे पहले त्रावणकोर बोर्ड ने अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए मंदिर में रखे सैंकड़ों टन तांबे के दीपक और बर्तनों की नीलामी का फैसला किया था, हालांकि इस पर बाद में विवाद उठा और लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने इस फैसले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इस मामले में केरल हाईकोर्ट ने भी बोर्ड से जवाब मांगा है। लोगों ने अपील की थी कि बोर्ड मंदिर की संपत्तियों की इस तरह नीलामी नहीं कर सकता।
कोरोना के कारण मंदिरों में दान कम आया
कोरोनावायरस और लॉकडाउन के चलते ज्यादातर मंदिरों में दान की कमी हो गई है। ऐसे में मंदिरों को अपने रोजमर्रा के खर्च पुजारियों की सैलेरी का खर्च निकालने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, अब स्थितियां सुधार की ओर हैं। कई जगह मंदिर खुलने से चीजें सामान्य होने की दिशा में है। लेकिन, मंदिरों में पहले जैसा दान और आय होने में अभी काफी समय लग सकता है। अकेले सबरीमाला मंदिर को लॉकडाइन के दौरान 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।
लॉकडाउन में पद्मनाभम् मंदिर में 7.5 लाख रु. दान आया
पद्मनाभम् मंदिर में 3 से 5 करोड़ रुपए मासिक दान आता था, जो लॉकडाइन में मात्र 7.5 लाख रुपए पर आ गया। इसी तरह गुरुवायुर मंदिर में भी मासिक 5 करोड़ के मुकाबले 5-7 लाख की ही आय हुई है। त्रावणकोर बोर्ड में करीब 6500 कर्मचारी हैं, जिनमें मंदिरों में नियुक्त पुजारी भी शामिल हैं। बोर्ड को मंदिरों के रखरखाव के साथ स्टॉफ मैनेजमेंट के लिए भी हर माह बड़ी धनराशि की जरूरत होती है।
बोर्ड की मीटिंग में होगा फैसला
बोर्ड के अध्यक्ष एन. वासु ने मीडिया को बताया कि मंदिरों में रखे सोने की मात्रा का हिसाब लगाया जा रहा है। ये 1200 किलो से ज्यादा ही है। इससे 2.5 प्रतिशत रिटर्न के हिसाब से बोर्ड को 13 करोड़ रुपए सालाना से ज्यादा पैसा मिल सकता है। जल्दी ही बोर्ड की मीटिंग में इस प्रस्ताव को रखकर फैसला लिया जाएगा। इस महीने के अंत तक सोने का पूरा वैल्यूएशन निकाल लिया जाएगा।
गुरुवायुर मंदिर का 700 किलो सोना बैंक में
एक रिपोर्ट के मुताबिक त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के अंतर्गत आने वाले गुरुवायुर मंदिर का करीब 700 किलो सोना 2019 में बैंक में रखा गया है। इसके अलावा भी मंदिर के करीब 1500 करोड़ रुपए बैंक में जमा है। इससे 10 करोड़ रुपए मासिक आय मंदिर को होती है, जिससे मंदिर की सारी व्यवस्थाएं संचालित होती हैं।
28 प्रमुख मंदिरों में ऑनलाइन पूजा और दर्शन
केरल के 28 प्रमुख मंदिरों में ऑनलाइन और पूजा शुरू करने की तैयारी है। त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड ने सबरीमाला मंदिर से इसकी प्रायोगिक शुरुआत की थी। जिसमें मंदिर को तीन लाख रुपए की आय हुई थी। फिलहाल, लोग मंदिर नहीं आ पाएंगे और मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग के कारण बड़े उत्सव आदि भी आयोजित नहीं हो सकते हैं।
इसे देखते हुए बोर्ड ने अपने 28 बड़े मंदिरों में वर्चुअल पूजा और सेवाएं शुरू करने का फैसला लिया है। इससे मंदिर नहीं आ पाने वाले भक्त ऑनलाइन दर्शन और सेवाएं कर पाएंगे। मंदिरों की आय भी बढ़ेगी।
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
यूनिवर्सल एक्सप्रेस (हिंदी-दैनिक)
जून 12, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254
1. अंक-304 (साल-01)
2. शुक्रवार, जूूून 12, 2020
3. शक-1943, अषाढ़, कृष्ण-पक्ष, तिथि- सप्तमी, विक्रमी संवत 2077।
4. सूर्योदय प्रातः 05:39,सूर्यास्त 07:24।
5. न्यूनतम तापमान 29+ डी.सै.,अधिकतम-42+ डी.सै.।
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