शनिवार, 30 नवंबर 2019

अमेरिका के बाद जापान से टू प्लस टू वार्ता

नई दिल्ली। भारत और जापान के बीच पहली रक्षा और विदेश मंत्री स्तर 2+2 वार्ता शनिवार को नई दिल्ली में होगी। यह वार्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बीच होने वाली वार्ता से पहले अहम है, जिसमें कई रणनीतिक सहयोग परियोजनाओं पर चर्चा होगी। विदेश मंत्रालय के मुताबिक यह बैठक अक्टूबर 2018 में जापान में आयोजित 13वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री आबे के बीच बनी रजमांदी की कड़ी है। द्विपक्षीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग को अधिक गहरा बनाने के लिए दो मंत्री स्तर की यह संवाद प्रक्रिया स्थापित की जा रही है।


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर इस 2+2 वार्ता के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे, जबकि जापानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी और रक्षा मंत्री ताओ कोनो करेंगे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक इस बैठक में दोनों पक्षों के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा होगी ताकि भारत-जापान विशेष सामरिक और वैश्विक भागीदारी को अधिक गहराई दी जा सके। साथ ही दोनों देश भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और जापान के फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक विजन के तहत अपनी नीतियों का तालमेल बनाने का प्रयास करेंगे।


अमेरिका के बाद जापान दूसरा ऐसा देश है जिसके साथ भारत 2+2 वार्ता में साझेदार बना है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस वार्ता में भारत और जापान के बीच नई रणनीतिक परियोजनाओं और साझेदारी की संभावनाएं तलाशने पर जोर होगा। खास तौर पर एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत और जापान की संयुक्त सहयोग परियोजनाओं पर भी बात चीत होगी।


शानदार एक्ट्रेस ड्रेस इसका क्या होता है

मुंबई। फिल्में समाज का आइना होती हैं लेकिन कई बार सिनेमा रियलिटी से दूर जाने का तरीका भी होता है। यही कारण है कि एक्टर्स कई फिल्मों में ऐसे शानदार परिधानों में दिखते हैं जिन्हें आम जिंदगी में कोई पहनने के बारे में शायद ही सोचता होगा। इनमें से ज्यादातर परिधान पीरियड फिल्मों के होते हैं लेकिन कई कमर्शियल फिल्मों में भी अजीबोगरीब फैशन सेंस होता है। वहीं, कई परिधान ऐसे भी होते हैं जिन्हें पहनने की चाह हर कोई रखता है लेकिन फिल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद स्टार्स की इन ड्रेसेस के साथ आखिर होता क्या है?


यशराज फिल्म्स की स्टायलिस्ट आयशा खन्ना ने मिड डे के साथ बातचीत में बताया था कि इनमें से ज्यादातर कपड़ों को संभाल कर रख दिया जाता है और उन पर फिल्म के नाम का लेबल लगाया दिया जाता है. इसके बाद इन कपड़ों को मिक्स मैच करने के बाद जूनियर आर्टिस्ट्स के लिए इस्तेमाल भी किया जाता है और उसी प्रोडक्शन हाउस की दूसरी फिल्मों में इनका इस्तेमाल होता है। हालांकि इस दौरान इन कपड़ों पर सतर्कता से काम होता है ताकि दर्शकों को ये आभास ना हो कि इस ड्रेस को किसी और फिल्म में पहना गया है। हालांकि सभी कपड़ों के साथ ऐसा नहीं होता है और कई खास वेशभूषाओं को स्टार्स भी फिल्म से जुड़ी एक यादगार मेमोरी के लिए अपने पास रख लेते हैं। बॉलीवुड के कई स्टार्स हैं जो किसी फिल्म से खास लगाव होने के चलते फिल्म से जुड़े ड्रेस अपने पास रख लेते हैं।


हाइड्रोफोबिया के बावजूद अंडर वाटर एक्शन

मुंबई। बॉलीवुड अभिनेत्री रानी मुखर्जी इन दिनों आपनी आने वाली फिल्म 'मर्दानी 2' में बिजी हैं। इस फिल्म के लिए रानी ने अपने हाइड्रोफोबिया का मर्दानी अंदाज में सामना किया है। बहुत कम लोग यहां तक की रानी मुखर्जी के फैंस भी नहीं जानते होंगे कि रानी मुखर्जी को हाइड्रोफोबिया (पानी से डर) है। इसके बावजूद इस फिल्म के लिए रानी ने अंडरवाटर एक्शन दृश्यों की शूटिंग की। इसके लिए उन्हें अपने डर पर काबू पाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। इस बारे में रानी ने कहा, “फिल्म में एक ऐसा दृश्य था, जिसके लिए मुझे पानी के अंदर एक्शन सीक्वेंस शूट करना था। गोपी ने स्क्रिप्ट पढ़ने के दौरान मुझे जब इसके बारे में पहली बार बताया तो मैं काफी घबरा गई थी, क्योंकि ईमानदारी से कहूं तो मुझे पानी से बहुत डर लगता है, क्योंकि मुझे तैरना नहीं आती है। बचपन से ही मैं पूल में उतरने से डरती हूं।”


अभिनेत्री ने आगे कहा, “मैंने अपनी जिंदगी में कई बार तैराकी सीखने की कोशिश की, लेकिन दुर्भाग्यवश मैं इसमें सफल नहीं रही। स्क्रिप्ट खत्म होने के बाद मैंने गोपी से पहली बार पूछा था कि अंडरवाटर सीक्वेंस कितना महत्वपूर्ण है, क्या यह फिल्म के लिए अनिवार्य है, या हम इसके बिना भी फिल्म कर सकते हैं। मुझे झटका देते हुए गोपी ने कहा कि इसे बदला नहीं जा सकता है और मैं इसे अंडरवाटर ही शूट करना चाहूंगा।” अपने इस डर पर जीत हासिल करने के अनुभव के बारे में रानी ने बताया, “मुझे मेरे स्वीमिंग कोच (अनीस अदेनवाला) ने बहुत अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया, जो काफी शानदार था। उन्होंने पानी के प्रति मेरे डर को कम किया और मुझे अहसास हुआ कि अगर इस वक्त मैं हाइड्रोफोबिया से उबर नहीं पाई तो जीवन में कभी इससे बाहर नहीं आ पाऊंगी, और इस फिल्म ने मुझे अपने सबसे बड़े डर पर जीत हासिल कराने में मदद की।” आपको बता दें कि ये फिल्म 13 दिसंबर को रिलीज होने वाली है। फिल्म का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है जिसे सोशल मीडिया पर दर्शकों का काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है।


अंतरराष्ट्रीय एड्स दिवस पर राष्ट्रीय समीक्षा

नई दिल्ली। सरकार के 2030 तक एड्स उन्मूलन के वादे को पूरा करने की दिशा में सराहनीय प्रगति तो हुई है। परन्तु नए एचआईवी संक्रमण दर में वांछित गिरावट नहीं आई है। जिससे कि आगामी 133 माह में एड्स उन्मूलन का स्वप्न साकार हो सके। इटरनेशनल एड्स सोसाइटी की संचालन समिति में एशिया पैसिफ़िक क्षेत्र के प्रतिनिधि और एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ ईश्वर गिलाडा ने कहा कि "2020 तक, विश्व में नए एचआईवी संक्रमण दर और एड्स मृत्यु दर को 5 लाख से कम करने के लक्ष्य से हम अभी दूर हैं। 2018 में नए 17 लाख लोग एचआईवी संक्रमित हुए और 7.7 लाख लोग एड्स से मृत। दुनिया में 3.79 करोड़ लोग एचआईवी के साथ जीवित हैं। भारत में अनुमानित है कि 21.4 लाख लोग एचआईवी के साथ जीवित हैं, जिनमें से 13.45 लाख लोगों को जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवायरल दवा प्राप्त हो रही है। एक साल में 88,000 नए लोग एचआईवी से संक्रमित हुए और 69,000 लोग एड्स से मृत।"


चेन्नई के वोलंटरी हेल्थ सर्विसेज़ अस्पताल के संक्रामक रोग केंद्र के निदेशक और एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के महासचिव डॉ एन कुमारसामी ने कहा कि "भारत सरकार की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 और संयुक्त राष्ट्र के एड्स कार्यक्रम (UNAIDS) दोनों के अनुसार, 2020 तक एचआईवी का 90-90-90 का लक्ष्य पूरा करना है: 2020 तक 90% एचआईवी पॉजिटिव लोगों को यह पता हो कि वे एचआईवी पॉजिटिव हैं; जो लोग एचआईवी पॉजिटिव चिन्हित हुए हैं उनमें से कम-से-कम  90% को एंटीरेट्रोवायरल दवा (एआरटी) मिल रही हो; और जिन लोगों को एआरटी दवा मिल रही है उनमें से कम-से-कम 90% लोगों में 'वायरल लोड' नगण्य हो. वायरल लोड नगण्य रहेगा तो एचआईवी संक्रमण के फैलने का खतरा भी नगण्य रहेगा, और व्यक्ति स्वस्थ रहेगा।"
डॉ गिलाडा ने बताया कि विश्व में 79% एचआईवी पॉजिटिव लोगों को एचआईवी टेस्ट सेवा मिली, जिनमें से 62% को एंटीरेट्रोवायरल दवा मिल रही है और 53% लोगों में 'वायरल लोड' नगण्य है। भारत में 79% एचआईवी पॉजिटिव लोगों को टेस्ट सेवा मिली, जिनमें से 71% लोगों को एंटीरेट्रोवायरल दवा भी मिल रही है। 90-90-90 के लक्ष्य की ओर प्रगति अधिक रफ़्तार से होनी चाहिए क्योंकि सिर्फ 13 माह शेष हैं।
डॉ गिलाडा ने कहा कि आज एचआईवी संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित अनेक नीति और कार्यक्रम हमें ज्ञात हैं। हमें यह भी पता है कि कैसे एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति भी एक स्वस्थ और सामान्य जीवन जी सकते हैं। परन्तु जमीनी हकीकत भिन्न है। यदि हम प्रमाणित नीतियों और कार्यक्रमों को कार्यसाधकता के साथ लागू नहीं करेंगे तो 2030 तक एड्स-मुक्त कैसे होंगे?


एचआईवी पॉजिटिव लोगों में सबसे बड़ा मृत्यु का कारण क्यों हैं टीबी?
टीबी से बचाव मुमकिन है और इलाज भी संभव है। तब क्यों एचआईवी पॉजिटिव लोगों में टीबी सबसे बड़ा मृत्यु का कारण बना हुआ है?सीएनएस निदेशिका शोभा शुक्ला ने बताया कि 2018 में 15 लाख लोग टीबी से मृत हुए जिनमें से 2.5 लाख लोग एचआईवी से भी संक्रमित थे (2017 में 16 लाख लोग टीबी से मृत हुए जिनमें से 3 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित थे)।


हर नया टीबी रोगी, पूर्व में लेटेंट टीबी से संक्रमित हुआ होता है। और हर नया लेटेंट टीबी से संक्रमित रोगी इस बात की पुष्टि करता है कि संक्रमण नियंत्रण निष्फल था जिसके कारणवश एक टीबी रोगी से टीबी बैक्टीरिया एक असंक्रमित व्यक्ति तक फैले। लेटेंट टीबी, यानि कि, व्यक्ति में टीबी बैकटीरिया तो है पर रोग नहीं उत्पन्न कर रहा है। इन लेटेंट टीबी से संक्रमित लोगों में से कुछ को टीबी रोग होने का ख़तरा रहता है। जिन लोगों को लेटेंट टीबी के साथ-साथ एचआईवी, मधुमेह, तम्बाकू धूम्रपान का नशा, या अन्य ख़तरा बढ़ाने वाले कारण भी होते हैं, उन लोगों में लेटेंट टीबी के टीबी रोग में परिवर्तित होने का ख़तरा बढ़ जाता है।


दुनिया की एक-चौथाई आबादी को लेटेंट टीबी है। पिछले 60 साल से अधिक समय से लेटेंट टीबी के सफ़ल उपचार हमें ज्ञात है पर यह सभी संक्रमित लोगों को मुहैया नहीं करवाया गया है।
 विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2018 मार्गनिर्देशिका के अनुसार, लेटेन्ट टीबी उपचार हर एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को मिले, फेफड़े के टीबी रोगी, जिसकी पक्की जांच हुई है, उनके हर परिवार सदस्य को मिले, और डायलिसिस आदि करवा रहे लोगों को भी दिया जाए।
संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय बैठक में सरकारों द्वारा पारित लेटेन्ट टीबी लक्ष्य इस प्रकार हैं: 2018-2022 तक 3 करोड़ को लेटेन्ट टीबी इलाज मिले (इनमें 60 लाख एचआईवी संक्रमित लोग हैं, और 2.4 करोड़ फेफड़े के टीबी रोगी - जिनकी पक्की जांच हुई है – के परिवार सदस्य (40 लाख 5 साल से कम उम्र के बच्चे और 2 करोड़ अन्य परिवार जन)।
2018 में 65 देशों में लेटेन्ट टीबी इलाज 18 लाख एचआईवी से संक्रमित लोगों को प्रदान किया गया (2017 में 10 लाख एचआईवी से संक्रमित लोगों को लेटेन्ट टीबी इलाज मिला था)। परन्तु वैश्विक लेटेन्ट टीबी इलाज का 61% तो सिर्फ एक ही देश - दक्षिण अफ्रीका - में प्रदान किया गया।
भारत में 2018 में, नए एचआईवी संक्रमित चिन्हित हुए लोगों (1.75 लाख) में से, सिर्फ 17% को लेटेन्ट टीबी इलाज मिल पाया (29,214)।
सीएनएस निदेशिका शोभा शुक्ला ने कहा कि "यह अत्यंत आवश्यक है कि एचआईवी से संक्रमित सभी लोगों को उनके संक्रमण के बारे में जानकारी हो, उन्हें एआरटी दवाएं मिल रही हों, और उनका वायरल लोड नगण्य रहे तथा वह टीबी से बचें, अन्यथा एचआईवी रोकधाम में जो प्रगति हुई है वो पलट सकती है, जो नि:संदेह अवांछनीय होगा।"


खाना बनाते समय फटा सिलेंडर, 4 की मौत

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के रामबन में खाना बनाते वक्त गैस सिलेंडर ब्लास्ट होने से मां व उसकी तीन बेटियों की मौत हो गई जबकि दो बच्चों समेत तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। घायलों की गंभीर हालत को देखते हुए इलाज के लिए कमांड अस्पताल उधमपुर भेजा गया है। ये 3 लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच लड़ रहे हैं। वहीं घटना की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने मामला दर्ज कर घटना के कारणों का पता लगाने का काम शुरू कर दिया है।


पुलिस द्वारा बताया गया कि एलजीपी गैस सिलेंडर में आग लगने से विस्फोट हो गया, जिसमें एक ही परिवार के 6 सदस्य और उनके रिश्तेदार चपेट में आ गए। इस हादसे में बलोट निवासी दर्शना देवी और उसकी तीन बेटियों की गंभीर रूप से जलने से मौत हो गई। हादसे में गंभीर रूप से झुलसे तीन लोगों को जम्मू के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायल होने वाले लोगों में मृतक महिला के 2 बेटे और एक रिश्तेदार शामिल है। परिवार का सिर्फ एक सदस्य यानी महिला का पति इस हादसे में बच गया क्योंकि वो घटना स्थल पर मौजूद नहीं था। बताया गया कि वह उसमय किसी शादी समारोह में शामिल होने गया था और वह घर पर नहीं था।


आतंक के खिलाफ, भारत-श्रीलंका प्रतिबद्ध

आतंक के खिलाफ भारत-श्रीलंका एक
नई दिल्ली। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने भारत दौरे पर पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने साझा प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में भारत का श्रीलंका को अटल समर्थन है। पीएम मोदी ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि हम एक-दूसरे की सुरक्षा और चिंताओं को लेकर संवेदनशील रहें। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा आतंकवाद का विरोध किया है। इसके लिए हमेशा अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई की अपेक्षा की है। इस साल ईस्टर के मौके पर आतंकियों ने पूरी मानवता पर बर्बर हमला किया। आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत का सहयोग व्यक्त करने के लिए मैं श्रीलंका गया था। इसके साथ ही पीएम मोदी ने तमिल समुदाय का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उम्मीद है कि गोटबाया तमिलों के सशक्तीकरण के लिए भी काम करेंगे।
भारत देगा 2865 करोड़ रुपए का कर्ज
श्रीलंका के राष्ट्रपति गौतबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय बैठक की। प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त बयान में कहा कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए 2865 करोड़ रुपए (400 मिलियन डालर) के कर्ज की सुविधा (लाइन ऑफ क्रेडिट) दी जाएगी। वहीं, पीएम मोदी ने कहा कि हम श्रीलंका को आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए 358 करोड़ रुपए (50 मिलियन डालर) की मदद देंगे।


जर्मनी से शरण मांग रहे,उइगुर की तादाद दोगुनी

जर्मन! चीन में प्रताड़ना झेल रहे उइगुर बड़ी संख्या में जर्मनी से शरण मांग रहे हैं! पिछले साल के मुकाबले इस साल दोगुने से भी अधिक आवेदन किए गए हैं! जर्मनी में शरण के लिए आवेदन देने वाले चीन के उइगुर मुसलमानों की संख्या 2016 से ही लगातार बढ़ रही है! जर्मनी के सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि 2019 में पहले 10 महीनों में 149 उइगुरों ने शरण मांगी है! जबकि इसके पहले पूरे साल 2018 में इसके आधे से भी कम उइगुरों ने आवेदन किया था!


जर्मन सरकार का प्रवासी मामलों का मंत्रालय बीएएमएफ आवेदन करने वालों को यह तय करने देता है कि वे अपनी जाति आधारित जानकारी फॉर्म में भरना चाहते हैं या नहीं! इसलिए यह आंकड़ा केवल उन लोगों से जुड़ा है जिन्होंने इस बारे में स्पष्ट जानकारी भरी है और खुद को उइगुर बताया है!


जर्मनी में इस साल अक्टूबर तक कुल 803 चीनी नागरिकों ने शरण के लिए प्राथमिक आवेदन किया! जिन उइगुर लोगों ने जर्मनी में शरण मांगी थी उनमें से करीब 96 फीसदी लोगों का आवेदन स्वीकार भी कर लिया गया और सुरक्षा प्रदान की गई! किसी भी समुदाय विशेष से तुलना की जाए तो उइगुरों को शरण पाने में कहीं ज्यादा सफलता मिली! हाल ही में "चाइना केबल्स" कहे गए कुछ डॉक्यूमेंट लीक हुए थे जिनसे पता चला कि चीनी सरकार शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुसलमानों समेत कई जातीय अल्पसंख्यकों को कैंपों में रख रही है! इन कैंपों में 10 लाख से ज्यादा लोगों को रखा गया है और इनमें ज्यादातर मुसलमान हैं! लीक हुए दस्तावेजों के मुताबिक लोगों को यहां जबरन वैचारिक और व्यावहारिक ज्ञान दिया जा रहा है! इन कैंपों का सारा कामकाज बहुत गोपनीय तरीके से चलता है!


चीन सरकार पर यह आरोप लग रहे हैं कि वह अल्पसंख्यक मुसलमानों को चीन के रंग ढंग में ढालने के लिए अभियान चला रही है! वहीं चीनी सरकार का कहना है कि ये कैंप दरअसल "वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर" हैं और देश से आतंकवाद एवं अलगाववाद को उखाड़ फेंकने के लिए बेहद जरूरी हैं!


चीन में करीब एक करोड़ उइगुर लोगों के रहने का अनुमान है! इनमें से ज्यादातर चीन के शिनजियांग प्रांत में ही बसे हैं! वे जातीय और सांस्कृतिक रूप से चीनी लोगों से ज्यादा तुर्की के मुसलमानों से जुड़े हैं! उइगुर समुदाय के कई लोग समय समय पर चीन के बहुसंख्यक हान मुसलमानों द्वारा सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से दबाए जाने की शिकायत करते रहे हैं!


प्राणों की आहुति देने वालों को श्रद्धांजलि

अब्दुल सत्तार


भगवानपुर! देश उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू आज रुड़की पहुंचकर शहीद राजा विजय सिंह को श्रद्धांजलि दी! उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू भारतीय वायुसेना के विशेष विमान से देहरादून पहुंचे। उनका सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक,उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत और मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने स्वागत किया।


इसके बाद उपराष्ट्रपति वहां से भगवानपुर के कुंजा बहादुरपुर गांव पहुंचे जहां उन्होंने प्रथम क्रांति में प्राणों की आहुति देने वाले राजा विजय सिंह और उनके सेनापति कल्याण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।इसी दौरान उनके साथ सीएम त्रिवेंद्र रावत,राज्यपाल बेबी रानी मौर्य समेत कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।


इस दौरान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि इस गांव के शहीदों को नमन करते हुए आशा करता हूं कि भावी पीढ़ी यहां से प्रेरणा लेगी।देश का नागरिक होने के नाते यहां का इतिहास सुनकर यहां आने के भाव जागे।उन्होंने कहा कि आज उन्हें यहां आने का अवसर मिला है।इसके लिए वे अपने को सौभाग्यशाली मानते हैं।


स्वतंत्रता संग्राम से तीन दशक पहले ही यहां के नागरिकों ने विजय सिंह के नेतृत्व में आजादी के लिए बलिदान दिया। उस समय एक हजार लोगों की सेना तैयार करना आसान नहीं था। अंग्रेजों ने जब यहां आक्रमण किया तो उस युद्ध में 40 ब्रिटिश और सैकड़ों यहां के सैनिक मारे गए राजा विजय सिंह को उपराष्ट्रपति ने श्रद्धांजलि दी और कहा यहां के सैनिकों और लोगों को नमन करना चाहता हूं। अंग्रेजों ने राजा विजय सिंह और सेनापति कल्याण सिंह को फांसी दी।आज जो हमें मानवाधिकारों का पाठ पढ़ा रहे हैं उनका इतिहास क्रूर रहा है।उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुंजा बहादरपुर जैसे क्षेत्रों के जिक्र के बिना हमारा इतिहास अधूरा है।उन्होंने कहा कि वे यहां के इतिहास को नमन करते हैं और यहां की वीरगाथाएं इतिहास में होना जरूरी है।जिसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।ताकि भावी पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके।इसी दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा कि बाहरवीं कक्षा तक पाठ्यक्रम अपनी मातृ भाषा में होना जरूरी है।


इस मौके पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत,रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा,भगवानपुर विधायक ममता राकेश,खानपुर विधायक कुँवर प्रणव सिंह चेम्पियन आदि मौजूद रहे।


महिला जज को धमकी,12 वकीलों पर मामला

तिरुवंतपुरम! एक आरोपी की जमानत खारिज करने वाली एक महिला जज को यहां एक अदालत में कथित तौर पर धमकाने और उनका रास्ता बाधित करने के आरोपी 12 वकीलों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। राज्य न्यायिक अधिकारी संघ इस मामले को केरल उच्च न्यायालय ले गया था, जहां उसने अदालत से तुरंत दखल देने और अधिकारियों के लिए निडर होकर काम करने का माहौल सुनिश्चित करने का अनुरोध किया।


पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि मजिस्ट्रेट की शिकायत पर त्रिवेंद्रम बार संघ के अध्यक्ष और सचिव समेत 12 वकीलों के खिलाफ लोक सेवक को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल प्रयोग समेत कई आरोपों में मामला दर्ज किया गया है। प्रथम श्रेणी की न्यायिक मजिस्ट्रेट दीपा मोहन ने कुछ वकीलों के 'उपद्रवी' बर्ताव के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को लिखित में शिकायत दी।


इस शिकायत को पुलिस के पास भेजा गया। इस बीच, न्यायिक अधिकारी संघ ने घटना के बारे में केरल उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को शिकायत भेजी। इसमें कहा गया कि तिरुवनंतपुरम बार संघ के कुछ सदस्यों ने मजिस्ट्रेट को अपमानित किया जो गैरकानूनी तरीके से कैद में रखने, आपराधिक धमकी देने तथा सरकारी ड्यूटी निभाने में बाधा डालने के बराबर है। तिरुवनंतपुरम बार संघ अपने सदस्यों के खिलाफ शिकायत के विरोध में शुक्रवार को जिला अदालतों का बहिष्कार कर रहा है।


'मातोश्री' से ही प्रदेश की सत्ता चलाएंगे

मुंबई! महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपने घर 'मातोश्री' से ही प्रदेश की सत्ता चलाएंगे। ठाकरे परिवार का पांच दशक से ज्यादा पुराना घर सत्ता का केंद्र रहेगा। उद्धव अपने परिवार और सामान के साथ मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास मालाबार हिल्स स्थित 'वर्षा' नहीं शिफ्ट होंगे। हालांकि वह प्रमुख मीटिंग्स के लिए वहां आते-जाते रहेंगे।


60 के दशक में शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे अपने परिवार के साथ बांद्रा ईस्ट के कालानगर स्थित एक प्लॉट में शिफ्ट हुए थे। शिवसेना का जन्म 1966 में ठाकरे के दादर स्थित घर पर हुआ था, मगर बाद में बांद्रा स्थित यही प्लॉट आने वाले सालों में ताकत का केंद्र साबित हुआ।


बता दें कि 60 के दशक में कांग्रेस के मुख्यमंत्री वीपी नाईक ने अपने कार्यकाल के दौरान मीठी नदी के किनारे बांद्रा ईस्ट में कलाकारों और लेखकों की एक कॉलोनी बसाई थी। बाल ठाकरे को भी इस कॉलोनी में मार्मिक वीकली के संपादक के तौर पर एक प्लॉट मिला था। बाद में यहां तैयार हुए बंगले को बाल ठाकरे ने मातोश्री नाम दिया। शुरुआत में यह बंगला सिर्फ एक मंजिला था, बाद में इसमें दो मंजिलें और बनीं।


उद्धव ने औपचारिक तौर पर संभाला मुख्यमंत्री का कार्यभार
बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को औपचारिक रूप से अपना कार्यभार संभाल लिया है। शिवसेना अध्यक्ष ठाकरे ने गुरुवार की शाम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने रात में पहली कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की। ठाकरे शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन 'महा विकास आघाड़ी' की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। ठाकरे के अलावा छह अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली, जिनमें शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के दो-दो नेता शामिल हैं।


राजनीति के अखाड़े मे असली दांव बाकी

सचिन विशौरिया


गाजियाबाद! उत्तर-प्रदेश की राजनीति में जिला गाजियाबाद एक बार फिर सुर्खियों में है! जहां जिला गाजियाबाद पहले ही अति संवेदनशील स्थान के रूप में अपनी पहचान बना चुका है! जिस पर एक फिल्म "जिला गाजियाबाद" प्रदर्शित हो चुकी है! वहीं राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर चहल-कदमी देखने को मिल रही है! किस प्रकार से लोग पद के लालच में आदमी को खिलौना समझ, उसका लाभ उठाने का काम कर रहे हैं! किस प्रकार से जिला अध्यक्ष पद के लिए गाजियाबाद की सीट को होल्ड पर डालकर नंदकिशोर गुर्जर के ऊपर मुकदमा दर्ज कराया गया! क्योंकि नंदकिशोर गुर्जर ही वह कड़ी है, जो पिछली बार बसंत त्यागी के राह का रोड़ा साबित हुई थी! क्योंकि चुनाव प्रक्रिया के दौरान सबसे ज्यादा वोट नंदकिशोर गुर्जर को मिली थी! लेकिन फिर भी अपने संबंधों के चलते बड़े अधिकारियों से सांठगांठ कर सीट को पिछली बार भी होल्ड पर डलवा कर, यही खेल खेला गया था जो इस बार भी होना तय हैं! वर्तमान में जनपद की राजनीति में उत्पन्न विक्षोभ से राजनीति के अखाड़े में अभी भी आखरी दांव लगना बाकी है!


जिला अध्यक्ष पद होल्ड पर होना और विधायक पर मुकदमा दर्ज होना कहीं एक ही षड्यंत्र तो नहीं


जिला गाजियाबाद में जिला अध्यक्ष पद के लिए नामांकन के बाद क्षेत्रीय राजनीति अपने अपने राजनीतिक आकाओं के सामने सर झुकाने व हर तरह से सांठगांठ के चलते पद को पाने की चाह लिए सभी नेता लखनऊ के चक्कर काट चुके हैं वही इस खेमे में गुर्जर समाज के कई नेता ऐसे हैं जिन्हें विधायक नंदकिशोर गुर्जर का संरक्षण माना जाता है वहीं विधायक प्रतिनिधि का नामांकन करना भी इस बार सुर्खियों में रहा है!


क्यों विधायक नंदकिशोर गुर्जर जाना चाहते हैं जबरन जेल


मुकदमा पंजीकृत होने के बाद विधायक नंदकिशोर गुर्जर क्यों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर जेल भेज देने की बात कह रहे हैं! जबकि प्रशासन जांच कर कार्रवाई की बात को बार-बार कह रहा है! लेकिन नंदकिशोर गुर्जर क्यों जेल जाना चाहते हैं? यह बात अभी क्षेत्रीय जनता की समझ से बाहर है! लेकिन राजनीतिज्ञों की अगर मानें तो नंदकिशोर गुर्जर की जान को बाहर खतरा बताया जा रहा है! जिस कारण वह अपने आप को जेल में ही सुरक्षित मान रहे हैं! क्योंकि शतरंज की बिसात पर पहली बाजी संगठन की ओर से नेता चल चुके हैं! ऐसे में "जिला अध्यक्ष" की कुर्सी को लेकर नंदकिशोर गुर्जर अपनी जान को खतरा बता रहे हैं! यह खतरा किससे है, यह बात तो वही जाने! लेकिन इतना तय है कि अगर क्षेत्रीय विधायक इतना बड़ा बयान दे रहे हैं, तो इसमें कहीं ना कहीं, कोई न कोई सच्चाई होगी! क्योंकि यह पहला वाक्य नहीं है,जब नन्द किशोर गुर्जर पर किसी भी प्रकार का खतरा मंडरा रहा हो, पहले भी उन पर राजनीतिक जानलेवा हमले हो चुके हैं!


विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने किस से बताया अपनी जान का खतरा


वैसे तो विधायक नंदकिशोर गुर्जर पर पहले भी जानलेवा हमले हो चुके हैं! लेकिन उन्होंने कभी इन बातों को इतनी गंभीरता नहीं लिया और ना ही इस प्रकार से बयान बाजी की! जाने क्यों इस बार विधायक अपनी जान को ज्यादा ही खतरा महसूस कर रहे हैं? वह भी अपनी पार्टी के नेताओं से! अगर नंदकिशोर गुर्जर की बातों को सच माना जाए, तो बसंत त्यागी व संगठन का एक नेता समेत जाट नेता से अपनी जान को खतरा बता रहे हैं! इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा!


क्यों पार्टी के जिलाध्यक्ष रच रहे हैं नंदकिशोर गुर्जर के खिलाफ षड्यंत्र


लगातार कई सालों तक जिला गाजियाबाद में एक मुस्त राज करने के बाद जिला अध्यक्ष "बसंत त्यागी" को जब अपनी कुर्सी जाती हुई दिखी, तो उन्हें अपनी राह का सबसे बड़ा रोड़ा नंदकिशोर के खिलाफ षड्यंत्र रच, उनको जेल भिजवाने व नामांकन कर चुके है! प्रतिनिधि ललित शर्मा को भी इस षड्यंत्र में लेकर उनकी छवि को खराब करने में जेल भिजवाने के षड्यंत्र को जिला अध्यक्ष बसंत त्यागी रच रहे हैं! ऐसा विधायक नंदकिशोर गुर्जर का मानना है, क्योंकि पिछले चुनाव में भी षड्यंत्र के तहत बसंत त्यागी जिलाध्यक्ष पद के लिए सांठगांठ कर चुके हैं!


क्या जिलाध्यक्ष बनते ही बसंत त्यागी लेंगे नंदकिशोर से बदला?


संगठन लगभग 1 या 2 दिन में जिला अध्यक्ष पद कि, जिलों में अध्यक्षों की घोषणा करने ही वाला है! ऐसे में जिला गाजियाबाद के लोनी विधानसभा क्षेत्र मे चल रहा विवाद आगे क्या रंग लाएगा? यह तो समय ही बताएगा! लेकिन जिला अध्यक्ष बसंत त्यागी पर लगे, यह आरोप क्या संगठन में तूल पकड़ पाएंगे? यह तो राजनीतिक लोग ही जाने! परंतु यह एक बड़ा सवाल है कि क्या बसंत त्यागी जिला अध्यक्ष बनते ही नंदकिशोर से बदला लेंगे!


किस संगठन के बड़े नेता से है नंदकिशोर को खतरा?


राजनीतिक लोग यूं ही अपनी 'छवि को दागदार' नहीं करना चाहते! जब तक कोई बड़ा कारण सामने ना हो! विधायक नंदकिशोर गुर्जर के द्वारा संगठन के बड़े नेता सुनील बंसल का नाम बीच में लाकर, क्यों इस मामले को तूल देकर, अपनी राजनीति को खतरे में लाना चाहेंगे! जबकि कहीं ना कहीं अगर विधायक इस नाम का उपयोग कर रहे हैं, तो इसमें सच्चाई होगी कि सुनील बंसल ने विधानसभा चुनाव के दौरान किसी और से लोनी के टिकट के लिए नजराना ले लिया था! जिसको वापस करने के बाद वह लगातार नंदकिशोर गुर्जर से राजनीतिक द्वेष रखते हैं! इसलिए नंदकिशोर गुर्जर लगातार उनसे अपनी जान को खतरा बता रहे हैं! बताया जा रहा है कि इस मुकदमे को दर्ज कराने में भी सुनिल बंसल का ही नाम सामने आ रहा था!


वकीलों, व्यापारियों, सभासदों व किसान यूनियन क्यों है विधायक के समर्थन में


खाद्य अधिकारी आशुतोष सिंह द्वारा विधायक नंदकिशोर गुर्जर केे विरुद्ध पंजीकृत मुकदमा के बाद 'लोनी बार एसोसिएशन', लोनी व्यापार मंडल, भारतीय किसान यूनियन और नगर पालिका सभासद संगठन समेत ऐसे कई प्रतिनिधि मंडल विधायक नंदकिशोर गुर्जर के पक्ष में आए हैं! जिनका मानना यह है कि विधायक इस प्रकार का कोई कार्य नहीं करा सकते! लोनी व्यापार मंडल के अध्यक्ष रतन भाटी ने बताया कि आशुतोष सिंह खुद "भ्रष्ट अधिकारी" हैं! भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित रहे हैं, ऐसे अधिकारी की बात को महत्व नहीं दिया जा सकता! क्योंकि वह लोनी के व्यापारियों को लगातार परेशान करने का कार्य कर रहे है, जिसकी शिकायत कई बार विधायक नंदकिशोर गुर्जर से की गई! इसलिए उनको बुला कर समझाया था, लेकिन एक अधिकारी अपनी ताकत का इस तरह से दुरुपयोग करेगा इस बात का अंदाजा उन्हें नहीं था!


इस पूरे वाक्य पर क्या कहते हैं नंदकिशोर गुर्जर


क्षेत्रीय विधायक नंदकिशोर गुर्जर से इस पूरे प्रकरण में चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि वह जब विधायक बने भी नहीं थे! तभी से जनता की सेवा व भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने की उनकी आदत ने, आज इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है कि उनके पार्टी के नेता ही उनके खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं! क्षेत्रीय जनता इस बात से बेहद खुश है कि भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक नेता उनके हक की लड़ाई लड़ रहा है! विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने यह भी बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा तत्पर जनता के लिए खड़े रहेंगे, "चाहे इसके लिए उनको जेल क्यों ना जाना पड़े"! वह मुकदमे में जेल जाने से डरते नहीं है, जनता की आवाज उठाने का हक उन्हें जनता ने दिया है! जो वह पूरा करने के लिए कटिबद्ध है, अधिकारी उन्हें जेल भेज दें! लेकिन वह लोनी की जनता को लूटने नहीं देंगे!


जानिए क्यों  उठा है जिला अध्यक्ष पद के लिए इतना बडा कदम


जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि जिलाध्यक्ष पर पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके हैं! जिसमें कई खुलासे भी हुए हैं! लेकिन भाजपा कार्यकर्ता भगवती तोमर ने जो उनके ऊपर मुकदमा दर्ज कराया है! वह मामला जांच में अभी तक खोला नहीं गया है! क्योंकि बसंत त्यागी सत्ताधारी पार्टी के जिलाध्यक्ष हैं! जैसे ही बसंत त्यागी इस पद पर से हटते हैं, तो उनके ऊपर जेल जाने की तलवार लटक जाएगी! सत्ता के दबाव में पुलिस सही कार्रवाई नहीं कर पा रही है! जिस कारण बसंत त्यागी हर दांव खेलकर अपनी कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं! शायद भगवती तोमर मामले में जेल जाने का डर उन्हें सता रहा है!


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