शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

गडकरी के खिलाफ भाजपा सरकार

जब गडकरी का महाराष्ट्र ही नहीं मान रहा तो फिर नया मोटर व्हीकल एक्ट संसद में मंजूर क्यों करवाया? क्या इस एक्ट को लेकर गडकरी और सरकार में मतभेद हैं?

केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी कई बार ऐसे बयान देते हैं जिससे नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार के सामने संकट खड़ा होता है। ताजा संकट नए मोटर व्हीकल एक्ट में जुर्माना राशि को लेकर है। वैसे तो गडकरी सड़क मंत्री हैं, लेकिन अब गड़करी का कहना है कि नए एक्ट को लागू करने की उनकी अकेले की जिम्मेदारी नहीं है। गडकरी के इस बयन से साफ जाहिर है कि उनकी अपनी ही सरकार के प्रति नाराजगी है। सब जानते हैं कि गडकरी के मंत्रालय में प्रधानमंत्री भी हस्तक्षेप नहीं करते हैं। इसका एक कारण यह भी कि खुद गडकरी बहुत मेहनत के साथ अपना काम करते हैं। पिछले पांच वर्षों में जिस तेजी से नेशनल हाइवे बने उतने साठ सालों मेेें नहीं बने। गडकरी के कामकाज की प्रधानमंत्री भी प्रशंसा कर चुके हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि नए मोटर व्हीकल एक्ट में जुर्माने की राशि को लेकर गडकरी अकेले पड़ गए हैं। कांग्रेस शासित राज्यों ने तो पहले ही एक्ट को मानने से इंकार कर दिया था, लेकिन गडकरी को तब धक्का लगा जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाजपा शासित राज्य गुजरात ने भी एक्ट के जुर्माने में संशोधन कर दिया। अब गडकरी के अपने राज्य महाराष्ट्र ने भी संशोधन की बात कही है। चुनाव को देखते हुए दिल्ली से सटे हरियाणा ने भी जुर्माना राशि को ज्यादा बताया है। सवाल उठता है कि गडकरी ने नया एक्ट बनाते समय राज्यों से संवाद नहीं किया? यह माना कि संविधान के मुताबिक मोटर व्हीकल एक्ट देशभर में एक समान होता है और इसके प्रावधान राज्यों को भी लागू करने पड़ते हैं। लेकिन जुर्माना राशि को कम करने का अधिकार राज्यों को है। जबकि गडकरी का तर्क है कि दुर्घटना को रोकने के लिए जुर्माना राशि अधिक रखी गई है। अब जब राज्य अपने स्तर पर जुर्माना राशि को कम कर रहे हैंं तो फिर गडकरी के तर्क का क्या होगा? नए मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर विरोध के जो हालात हैं उसमें आने वाले दिनों में गडकरी कह सकते हैं कि जब राज्य अपने लोगों को ही मारना चाहते हैं तो वे क्या कर सकते हैं? सब जानते हैं कि गडकरी अपने स्वभाव की वजह से नए एक्ट पर पुनर्विचार नहीं करेंगे। ऐसे में आने वाले दिनों में पता चलेगा कि नए एक्ट का क्या होता है? फिलहाल देशहित में गडकमरी का स्वस्थ रहना जरूरी है। 
एस.पी.मित्तल


खनन माफियाओं के सामने पस्‍त प्रशासन

जिले में बालू के अवैध खनन को न तो सरकार की हनक रोक पा रही है न ही जिलाधिकारी औरंगाबाद की सख्ती।


रबिश कुमार


औरंगाबाद। पुलिस व बालू माफिया की गठजोड़ से जिले में बालू का अवैध कारोबार औरंगाबाद में आराम से चल रहा है। फर्क बस इतना है कि पहले यह धंधा रात के अंधेरे में होता था अब दिन के उजाले में भी हो रहा है। खनन व राजस्व विभाग का भी आशीर्वाद होने से धंधेबाज मस्त हैं और  पब्लिक परेशान है।उसकी कोई सुनने वाला नहीं है। स्थिति यह है कि करोड़ों रुपये प्रति माह सरकारी राजस्व को हानि पहुंचाने वाले इस अवैध धंधे के खिलाफ उठने वाली आवाज को पुलिस अपने शान में गुस्ताखी मानती है और बालू माफिया के बचाव में कोई भी कदम उठाने गुरेज नहीं कर रही है। लाइव ख़बर और बिहार टुडे के पास मौजूद वीडिओ इस बात को तस्दीक करते हैं।ग्रामीण और ड्राइवर नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि ओबरा थानाध्यक्ष दस से पंद्रह हजार रुपये मासिक लेते हैं।इस बाबत थानाध्यक्ष ने से संवाददाता ने पूछा तो अपनी कड़क आवाज़ से नकारा और कारवाई की बात कही।
मालूम रहे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश में अवैध खनन को सख्ती से रोकने का आदेश भी दिया है साथ ही बिहार के नए डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय लगातार पुलिसिंग और कार्यपद्धति बदलने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।पुलिस महानिदेशक के सख्त चेतावनी के बावजूद भी ओबरा थाना पर कोई असर नही दिख रहा है।ओबरा थाना क्षेत्र से गुजर रहे सोन नदी के पास आधा दर्जन गाँवों में अवैध बालू खनन धड़ल्ले से चल रहा है।इस अवैध खनन से राज्य सरकार को राजस्व की भारी क्षति हो रही है तो दूसरी तरफ अवैध बालू लदे ट्रैक्टर अक्सर अनियंत्रित गति में चलते रहते हैं। जिससे दुर्घटना की भी व्यापक आशंका बनी हुई है। पंचायत के ग्रामीणों ने कई बार इस अवैध खनन की शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने से ये लोग भी चुपी साध ली। नौनेर और अधौरा के समीप नदी से खनन हो रहा है। दर्जनों ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाए।क्षेत्र के ग्रामीण राधेश्याम सिंह,विनोद सिंह यादव,युगल किशोर यादव,अर्जुन यादव,नरेंद्र सिंह, विकास सिंह, अवधेश सिंह यादव, सूबेदार पासवान,मंटू सिंह, पप्पू सिंह सहित दर्जनों  ग्रामीणों ने डीहरा लख पे दाउदनगर-बारुण मुख्य पथ पर प्रशासन का विरोध किया और उनके रवैये पर प्रश्नचिन्ह उठाये।बताया कि इस क्षेत्र के ही कुछ लोगों द्वारा यह कारोबार चलाया जा रहा है। प्रत्येक दिन दो सौ से भी अधिक ट्रैक्टर नदी से अवैध बालू लेकर औरंगाबाद, रोहतास,कैमूर और बक्सर के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचकर ऊंचे दामों पर बेचते हैं। इस कारोबार से ट्रैक्टर मालिक के साथ -साथ अवैध खनन करा रहे दबंग भी मालोमाल हो रहे हैं।इससे नुकसान तो सिर्फ सरकार का हो रहा है।इस ओर संबंधित पदाधिकारी का कोई ध्यान नहीं पहुंच रहा है।क्षेत्र के कई ग्रामीण इलाकों में भी अवैध बालू खनन हो रहा है । जिसे रोकने में प्रशासन विफल है।
इससे इतर हैरान करने वाली बात यह है कि शाम तो शाम सुबह में भी बीच सड़क पर बालू लदे ट्रैक्टर और ट्रक बारुण और दाउदनगर की ओर कूच करते हैं। पुलिस वाले की मंशा अगर साफ हो तो बिना कहीं गए सभी मुख्य सड़को को सील कर चेकनाका लगा दिया जाए तो बालू माफिया पर लगाम लगाई जा सकती है। इधर लाइव ख़बर प्रतिनिधि के अनुसार थाना क्षेत्र के तकरीबन आधा दर्जन घाट पर बालू का उठाव धड़ल्ले से जारी है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में ट्रैक्टर से बालू का उठाव किया जा रहा है व सक्रिय माफियाओं द्वारा इसका व्यापक पैमाने पर संग्रह किए जाने का कार्य भी हो रहा है। 


सब से हैरान करने वाली बात यह है कि अवैध बालू के उठाव का खेल प्रशासन के नजरों के सामने हो रहा है। जानकारी के अनुसार ओबरा थाना क्षेत्र के नौनेर एवं अधौरा घाट के इलाके में सोन नदी से हर दिन सैकड़ों ट्रैक्टर से बालू का उठाव बदस्तूर जारी है। इस बाबत पुलिस उपाधीक्षक ने कहा कि पुलिस लगातार करवाई कर रही है साथ ही सूचना मिली है तो इस पर संज्ञान लिया जाएगा। रोक के बावजूद भी अगर बालू माफियाओं द्वारा बालू का उठाव करवाया जा रहा है तो विभागीय स्तर से बालू माफियाओं को चिन्हित कर उन पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।


जनता से संवाद बनाए,समस्या सुने:नायडू

नई दिल्‍ली। कल भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2017 बैच के अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए श्री नायडू ने सभी स्‍तरों पर जनता के हित में पारदर्शी और प्रभावी शासन प्रदान करने का आह्वान किया। उन्‍होंने अनावश्‍यक नियम और विनियमों को समाप्‍त करने और प्रक्रियाओं को सरल बनाने की आवश्‍यकता पर भी बल दिया। उन्‍होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अपना ज्‍यादा समय लोगों से नियमित रूप से संवाद बनाए रखने और उनकी समस्‍याएं सुनने में बिताएं। उन्‍होंने कहा कि बाहर निकलने पर ही असली चीजों का पता लगता है। उपराष्‍ट्रपति ने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि वे स्‍वराज्‍य को सुराज्‍य में बदलने में अग्रणी भूमिका निभाएं और एक भ्रष्‍टाचार मुक्‍त, जनहित केंद्रित तथा कारोबार अनुकूल शासन सुनिश्चित करें ताकि विकास का फायदा लोगों के जीवन में सुधार  के रूप में दिख सके।


श्री नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में भारत सरकार ने कई ऐतिहासिक प्रशासनिक सुधारों की पहल की है। उन्‍होंने अधिकारियों को इन सुधारों को प्रभावी तरीके से लागू करने का सुझाव दिया। उपराष्‍ट्रपति ने उनसे सूचना प्रौद्योगिकी का पूरा इस्‍तेमाल सरकारी योजनाओं को लाभार्थियों को सही तरीके तक पहुंचाने के लिए करने को कहा। उपराष्‍ट्रपति ने प्रशासनिक सेवा अधिकारियों को देश के आर्थिक, धार्मिक, भाषाई और सामाजिक विभिन्‍नताओं को आपस में जोड़ने का सशक्‍त माध्‍यम बताते हुए कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा श्री सरदार पटेल के सोच की उपज थी जो सक्षम प्रशासनिक अधिकारियों की जरूरत को समझते थे। इस बारे में उन्‍होंने सरदार पटेल को उद्धृत करते हुए कहा 'आप एक संगठित भारत की तब तक कल्‍पना नहीं कर सकते जब तक आपके पास एक ऐसी बेहतर अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा नहीं हो जो स्‍वतंत्र रूप से अपनी बात रख सके। '


उपराष्‍ट्रपति ने अधिका‍रियों से अधिक सशक्‍त उत्‍तरदायी और समावेशी और समग्र दृष्टिकोण अपनाने तथा आम लोगों की समस्‍याओं को समझने और उसका समाधान निकालने को कहा। उपराष्‍ट्रपति ने अधिकारियों से पारदर्शी और जवाबदेही को अपना सिद्धांत बनाने  तथा सभी का साथ सबका विकास और सबका विश्‍वास सिद्धांत की भावना के साथ समाज में सभी वर्गों की सेवा करने का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि एक समावेशी और तीव्र आर्थिक विकास देश की कई समस्‍याओं का निराकरण कर सकता है। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आतंकवाद, सांप्रदायिक हिंसा, उग्रवाद और माओवादी अतिवाद देश के सामाजिक और आर्थिक विकास की प्रक्रिया को पटरी से न उतरने दे।


उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि किसानों का जीवन बेहतर बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों की स्थिति में सुधार लाना प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्‍होंने अधिकारियों से कहा कि वे स्‍वच्‍छ भारत, बेटी बचाओं और बेटी पढ़ाओं, फिट इंडिया और ऐसे ही अन्‍य अभियानों को जन आंदोलन का रूप दें। उन्‍होंने अधिकारियों से कृषि और ग्रणमी क्षेत्रों पर विशेष ध्‍यान देने को कहा। इस अवसर पर डीओपीटी के सचिव डॉ.सी चंद्रमौली , अपर सचिव श्री के.श्रीनिवास और कई अन्‍य अधिका‍री उपस्थित थे।


आर्थिक मंदी के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी आंदोलन

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी देश की गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर आंदोलन करने जा रही है। 15 से 25 अक्टूबर तक देशभर में कांग्रेस बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करेगी।अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये जानकारी दी है कि कांग्रेंस पार्टी 28, 29 और 30 सितंबर को आर्थिक मंदी के मुद्दे पर राज्य स्तर पर कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधियों की बैठक भी करेगी। जिसमें प्रदर्शन पर रणनीति बनाई जाएगी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये जानकारी दी है।


गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस दफ्तर में पार्टी के महासचिव, राज्यों के प्रभारी, कांग्रेस विधायक दल के नेता और सभी राज्यों के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों की बैठक हुई है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालाने के बाद सोनिया गांधी की अध्यक्षता में यह पहली बैठक है। बैठक के बाद कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर आंदोलन का ऐलान किया है। वहीं इस बैठक में राहुल गांधी नहीं पहुंचे। कांग्रेस की ओर से बताया गया है कि क्योंकि ये सिर्फ पदाधिकारियों की बैठक थी। राहुल के पास फिलहाल कांग्रेस में कोई पद नहीं है। इसी वजह से राहुल को बैठक का न्योता नहीं था।बैठक के दौरान भी सोनिया गांधी ने आर्थिक स्थिति की हालत पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि स्थिति गंभीर है। वहीं सरकार प्रतिशोध की राजनीति में लगी हुई है। सोनिया ने 2007 और 2009 के बीच आर्थिक मंदी से निपटने को यूपीए शासन की उपलब्धियों बताते हुए कहा कि हमारी सरकार ने आर्थिक मंदी के दौरान अर्थव्यवस्था को मंदी से निकाला था।


बैठक में सोनिया के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी, अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा केसी वेणुगोपाल, एके एंटनी और कई सीनियर नेता के अलावा पार्टी के कई महासचिव-प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता शामिल रहे।


आंदोलनकारी एजेंडे पर चलने की जरूरत: सोनिया
कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश की अर्थव्यवस्था के मुश्किल हालात पर चिंता जताई और कहा कि मौजूदा समय में पार्टी को आंदोलनकारी एजेंडे की जरूरत है।उन्होंने पार्टी महासचिवों, प्रदेश अध्यक्षों, पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं कई अन्य वरिष्ठ नेताओं की बैठक में यह टिप्पणी की। सोनिया ने कहा कि कांग्रेस को आंदोलनकारी एजेंडे पर चलने की जरूरत है। हमारे संकल्प और संयम की परीक्षा ली जा रही है।'सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंता जताई। इस बैठक में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से जुड़े आयोजनों, सदस्यता अभियान, पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम के साथ विभिन्न राजनीतिक मुद्दों पर मंथन होगा। माना जा रहा है कि इस बैठक में महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनाव के बारे में भी चर्चा होगी। सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद उनकी अगुवाई में यह पहली बैठक है।


400 रेलवे स्टेशन पर प्रयोग होगा कुल्लड़

नई दिल्‍ली। रेल यात्रियों को जल्दी ही 400 रेलवे स्टेशनों पर चाय, लस्सी और खाने- पीने का सामान मिट्टी से बने कुल्हड़, गिलास और दूसरे बर्तनों में मिलने लगेगा।


खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने गुरुवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि रेल मंत्रालय ने 400 रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को खाने-पीने का सामान मिट्टी से बने बर्तनों में उपलब्ध कराने का निर्णय किया है। इस कदम से जहां एक तरफ स्थानीय और पर्यावरण अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, प्लास्टिक के उपयोग पर अंकुश लगेगा वहीं दूसरी तरफ कुम्हारों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि रेलवे की इस पहल से उत्साहित आयोग कुम्हारों के बीच 30,000 इलेक्ट्रिक चाक का वितरण करने का फैसला किया है। साथ ही मिट्टी के बने सामानों को पुनर्चक्रमण और नष्ट करने के लिये मशीन (ग्राइंडिंग मशीन) भी उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि हम इस साल 30,000 इलेक्ट्रिक चाक दे रहे हैं। इससे रोजाना 2 करोड़ कुल्हड़ और मिट्टी के सामान बनाये जा सकते हैं। प्रक्रिया अगले 15 दिनों में शुरू हो जानी चाहिए।केवीआईसी के बयान के अनुसार केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले महीने इस बारे में रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ जैसे मिट्टी के बर्तन के उपयोग को लेकर संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का आग्रह किया था। उसके बाद केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने भी इस संदर्भ में रेल मंत्री से मुलाकात की थी।


उल्लेखनीय है कि रेलवे प्रयोग के तौर पर उत्तर प्रदेश के वाराणसी और रायबरेली रेलवे स्टेशनों पर इस साल जनवरी से मिट्टी के बने बर्तनों का उपयोग कर रहा था। इन दोनों स्टेशनों पर इस पहल से प्लास्टिक की समस्या से निपटने में मदद मिली है। केवीआईसी के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए रेलवे ने विभिन्न रेल मंडलों के सभी प्रधान मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधकों और आईआरसीटीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) को पत्र लिखकर स्थानीय रूप से उत्पादित पर्यावरण अनुकूल मिट्टी से बने कुल्हड़, गिलास और प्लेट के उपयोग करने का निर्देश दिया है। इन सामानों का उपयोग देश के 400 रेलवे स्टेशनों पर किया जाएगा। खादी एवं ग्रमोद्योग आयोग कुम्हारों को सशक्त बनाने के लिये कुम्हार सशक्तिकरण योजना चला रहा है। इसके तहत 31 मार्च 2019 तक 10,620 बिजली से चलने वाले चाक उपलब्ध कराये गये हैं। केवीआईसी के अनुसार बिजली से चलने वाले चाक के कारण कुम्हारों की उत्पादन क्षमता काफी बढ़ी है।


एसडीएम और सीओ ने शुरू कराई कुश्ती

सीओ व एसडीएम ने हाथ मिलवा कर प्रथम कुश्ती की कराई शुरुआत


जमाने के पुराने पहलवान व कुश्ती लड़ाकू रहे है सदर सीओ
कौशांबी। पश्चिमशरीरा थाना क्षेत्र के पश्चिमशरीरा में अर्से से चले आ रहे ऐतिहासिक दंगल के इस बार साक्षी बने सदर एसडीएम सतीश चंद व सदर सीओ एसएन पाठक।पूर्व प्रधान व प्रधान पति पवन कुमार मिश्र के संरक्षण व आयोजन में संपन्न हो रहे इस ऐतिहासिक दंगल में जनपद ही नहीं बल्कि गैर जनपद व गैर प्रांत से आए हुए पहलवान जोर आजमाइश करते हैं ।पूर्व की भांति इस बार भी मेले में गैर प्रांत व गैर जनपदों के साथ ही क्षेत्रीय पहलवानो ने दंगल में भाग लिया। क्षेत्रीय लोगों की मानें तो इस वर्ष प्रधान पति पवन कुमार मिश्र की अगुवाई में संपन्न हो रहे इस दंगल में कुछ विशेषताएं विशेष रूप से नजर आयी। प्रधान पति पवन कुमार मिश्र द्वारा इस बार मेले की चाक-चौबंद व्यवस्था वह सजावट करने में किसी भी प्रकार की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई। वहीं जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर हर प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही मुहैया करा दी गई थी। बृहस्पतिवार को शुरू हुए इस दंगल में सदर सीओ एसएन पाठक ने प्रथम कुश्ती जोड़े के पहलवानों का हाथ मिलवा कर कुश्ती का शुभारम्भ किया।वही सदर सीओ ने मेला क्षेत्र में  घूमकर सुरक्षा का जायजा लिया।तथा मातहतों को आवश्यक निर्देश जारी किया। वही पश्चिमशरीरा थानाध्यक्ष योगेश तिवारी के नेतृत्व में पूरे मेला प्रांगण व दंगल प्रांगण में पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था देखने को मिली। थानाध्यक्ष योगेश तिवारी मय पुलिस बल के साथ मेला क्षेत्र में पसीना बहाते नजर आए ।कहीं से कोई दंगल में अप्रिय घटना ना घटे इस बात को ध्यान रखते हुए या पुलिस अधीक्षक के निर्देशों का पालन करते हुए थानाध्यक्ष पश्चिमशरीरा चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल के साथ नजर गड़ाए देखे गए।
ज्ञात हो एसओ योगेश तिवारी की मेहनत व उच्चाधिकारियों के निर्देश पर क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण मोहर्रम सकुशल सम्यन्न हो पाया है।जिस पर अच्छी पुलिसिंग की क्षेत्रीय लोगों ने खूब सराहना किया था।तीन दिवसीय दंगल में भी सुरक्षा के बेहतरीन इंतजाम मुकर्रर किये गए है।


विधुत:विपक्ष और संस्थाओ ने किया विरोध

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मे पहले बीटेक सिविल, एल एल बी के बाद मन्त्री जी खिसके आपातकालीन गेट से
वाराणसी। उप्र पावर कार्पोरेशन के बड़के बाबुओ की गलत नीतियो से हो रहे बड़े घाटे इंजीनियर, कर्मचारियो के उत्पीड़न और बिजली की कीमतो की बढ़ोत्तरी के साथ ही निजीकरन के विरोध मे जहाँ विपक्ष मे बैठे राजनैतिक दल विरोध मे सड़क पर उतर रहे है। वही दूसरी ओर विद्युत विभाग के सयुक्त संघर्ष समिति के नेताओ ने भी UPPCL और उ प्र सरकार से सीधे तौर पर आर पार की लड़ाई के मूड मे नजर आ रही है। इसी क्रम मे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मे पूर्व घोषित संघर्स समिति की एक ओर सभा चल रही थी। दूसरी ओर प्रदेश के ऊर्जा राज्यमंत्री रमाशंकर पटेल की डिस्काम के मीटिंग हाल मे बगैर एजेण्डे वाली बैठक कर रहे थे। जैसा कि एक दिन पूर्व के लेख मे आशंका जताई थी कि 12 सितम्बर का दिन डिस्काम का माहौल को गरमा सकता है। हुआ भी ठीक वैसा ही क्योकि विगत दिनो UPPCL के बड़केबाबुओ के आगमन मे पूर्वांचल के अभियंताओ ने पहली बार अपनी मांग को ले कर प्रबन्धन से आँख में आँख मिला कर विरोध प्रदर्शन किया था। जिससे प्रबन्धन को झटका लगा था पर अफसोस पूर्वांचल की पूरी ताकत को लखनऊ मे अभियंता संघ के नेताओ ने प्रबन्धन का लालीपाप खा कर समझौता कर लिया था पर आज एक बार फिर पूर्वांचल डिस्काम मे एक विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति अपनी मांगों को ले कर सभा का आयोजन किया वही दूसरी ओर डिस्काम मे ऊर्जा राज्यमंत्री की बैठक फिर क्या अपनी पीड़ा से त्रस्त कर्मचारियो ने बैठक के दौरान डिस्काम परिसर मे घुस कर जम के सरकार विरोधी नारे बाजी की जो कि राज्यमन्त्री जी एवं उनकी मौजूद फ़ौज के कानो को भेदती भी रही बैठक के दौरान स्वास्थ ठीक न होने के कारण प्रबंधनिदेशक मौजूद नही रहे पर बैठक मे ऊर्जा मन्त्री के साथ जमनिया की विधायिका जी  के अलावा विभाग के सभी डायरेक्टर एवं वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे बैठक समाप्ति के पूर्व मन्त्री जी पत्रकार प्रतिनिनिधियो से मुलाकात की और कहा कि यह एक विभागीय औपचारिक बैठक रही जिसमे उ प्र के मुख्यमंत्री जी की योजना के अनुसार गाँव को 20 घण्टे औऱ शहरी क्षेत्र को 24 घण्टे विद्युत अपूर्ति करने एवं जले ट्रासफार्मर को तत्काल बदलने जैसे कार्यो की प्रगति पर चर्चा हुई  एक वरिष्ठ पत्रकार बन्धु ने अपने सवाल मे स्मार्टमीटर से उपभोक्ताओं के अधिक विद्युत बिल की चर्चा की तो विभागीय अधिकारी पैतरा बदलते नजर आये बलिया मे अपने ही दल के विधायक द्वारा एक अधीक्षण अभियंता को धमकी और गाली देने के सवाल पर राज्यमन्त्री महोदय ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए सवालो से कन्नी काट ली पर बैठक समाप्त कर जब मन्त्री महोदय निकले तो सारे काफिले के साथ डिस्काम के प्रबंधनिदेशक के आवास पर उनके स्वास्थ का हाल लेने रवाना हुए वही रास्ते मे चल रहे सयुक्त संघर्ष समिति के नेताओ और कर्मचारियो ने मन्त्री का काफिला आते देख आक्रोशित हो कर जम कर सरकार विरोधी नारे लगाने लगे कुछ समय के लिये पूरे डिस्काम परिसर मे सरकार विरोधी नारो से गूँजता रहा सुरक्षा कर्मी अपनी मुस्तैदी मुद्रा मे हाफ्ते देखे गये और मौके की नजाकत को भांपते हुए ऊर्जा राज्यमन्त्री के काफिले को गेस्टहाऊस की ओर हमेशा बन्द रहने वाले दरवाजे से बाहर निकाला गया यानी मन्त्री जी घुसे बड़े गेट से और निकलना पड़ा छोटे गेट से और मजे की बात यह है कि विरोध जताने वाले वही ठेकेदार अभियन्ता और अधिकारी थेे। जिन्होंने सुबह बडे ही प्यार व सम्मान के साथ मंत्री जी को गुलदस्ते भेट किये थे और वही लोग मात्र थोडी सी देर मे इनकी गलत नीतियो के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थेे। पूर्व मे भी बीटेक सिविल यानि कि बडका बाबू आलोक कुमार और इनकी सहयोगी एलएलबी डिग्रीधारी अपर्णा यू को भी यहाँ भारी विरोध का  सामना करना पड़ा था। इस बात से यह तो सिद्ध हो रही है कि आने वाले समय मे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अधिकार और अभियन्ता ही इस आन्दोलन की दिशा और दशा तय करेंगे। वैसे मंत्री जी ने यह बताया कि 20 घण्टे ग्रामीण और 24 घण्टे शहर मे विद्युत आपूर्ति की जायेगी क्या यह वाकई सच है। तब तो इस पर सरकार / ब्यूरोक्रेटस ने तो कोई ना कोई योजना बनाई गई होगी। परन्तु  नातो सरकार के पास कोई योजना बनाई गई थी और ना ही सरकार द्वारा तैनात ब्यूरोक्रेटस के पास ही कोई उपाय है परन्तु प्रदेश की जनता को अधेरे मे रखने की पूरी तैयारी कर ली गयी है जैसे कि LC खोलने का निर्णय जिसमें डिस्कॉमो को अग्रिम धन बैक के खाते मे जमा कराना पडता है जब घाटे मे जा रहे डिस्कॉमो के पास धन नहीं होगा तो वह उसे अग्रिम धनराशि कहाँ से जमा करायेंगे और विद्युत की आपूर्ति कैसे होगी इस यक्ष प्रश्न का उत्तर किसके पास है नेताओं के या बडका बाबू जी लोगों के? खैर।              
         अविजित आनंद


सीएम ने जनसभा कर, मतदाताओं से संवाद किया

सीएम ने जनसभा कर, मतदाताओं से संवाद किया  संदीप मिश्र  बरेली। बरेली के आंवला में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को सुभाष इंटर कॉलेज ग्...