शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

चीन, अमेरिका का हक छीनना चाहता हैं: जो

वाशिंगटन डीसी। अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के 22 दिन बाद जो बाइडेन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बातचीत की। बाइडेन के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच लगातार दो घंटे बातचीत हुई। इस दौरान कई मुद्दों पर बातचीत हुई। बाइडेन ने कहा- हम चीन की पॉलिसी पर नहीं चल सकते। वो हमारा लंच खाना चाहते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान के मायने ये हैं, कि चीन अब अमेरिका का हक छीनना चाहता है। अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत के दौरान बाइडेन का रवैया सख्त था। इस दौरान ऐसे कई मुद्दे उठे जिनसे चीन को परेशानी होती है। अमेरिका और चीन के बीच लंबे वक्त से कई मुद्दों पर विवाद चल रहे हैं। 2011 में जब बाइडेन वाइस प्रेसिडेंट थे, तब वे चीन के दौरे पर गए थे। तब उन्होंने बीजिंग में ही कहा था- चीन को अमेरिकी हितों का ध्यान रखना होगा। हम अच्छे दोस्त तभी हो सकते हैं, जब एक दूसरे के हितों का ध्यान रखें। अब बाइडेन राष्ट्रपति हैं। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- आमतौर पर अमेरिकी प्रेसिडेंट्स किसी दूसरे नेता से आमने-सामने भी एक घंटे से ज्यादा वक्त तक मुलाकात नहीं करते। ऐसे में जिनपिंग से फोन पर दो घंटे बातचीत के मायने ये हैं कि दोनों देशों के बीच गंभीर मुद्दे हैं। यह कर्टसी कॉल से कुछ ज्यादा था। क्लाईमेट चेंज, इकोनॉमी, हॉन्गकॉन्ग, उईगर मुस्लिम और ट्रेड वॉर- ये तमाम मुद्दे हैं, जिन पर बाइडेन और जिनपिंग की बातचीत हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाइडेन ने तल्ख लहजे में साफ कर दिया कि चीन अपने हिसाब से दुनिया को नहीं चला सकता। उसे नियमों के हिसाब से चलना होगा। वो पड़ोसियों या छोटे देशों को धमका नहीं सकता और न ही उन पर कार्रवाई कर सकता। बाइडेन ने कैम्पेन के दौरान ही साफ कर दिया था कि चीन पर लगाम लगाई जाएगी और इस पर तेजी से काम होगा। एक बात यह भी है कि बाइडेन ने चीन से ज्यादा तवज्जो भारत को दी। उन्होंने जिनपिंग से पहले मोदी से बातचीत की। बाइडेन ने सरकार में आने के बाद दो ही स्पेशल टास्क फोर्स बनाईं हैं। पहली- कोरोनावायरस पर, दूसरी- चीन पर। इसमें भी खास बात यह है कि चीन पर बनाई गई टास्क फोर्स में सिर्फ रक्षा विभाग पेंटागन के अफसर हैं। इसके सीधे मायने ये हैं, कि बाइडेन अब चीन को किसी भी इलाके में ताकत या धौंस दिखाने का मौका नहीं देने वाले। बाइडेन के इरादों की झलक उनके फैसलों से भी मिल जाती है। पिछले हफ्ते बाइडेन ने दक्षिण चीन सागर में अमेरिका का सबसे खतरनाक वॉरशिप और एयरक्राफ्ट कैरियर थियोडोर रूजवेल्ट तैनात कर दिया। यहां चीन ताइवान और फिलीपीन्स को धमकाने की कोशिश कर रहा था। व्हाइट हाउस ने भी कहा था कि अमेरिका अब किसी भी सूरत में चीन की चालों को बर्दाश्त नहीं करेगा। इसके लिए तमाम जरूरी तैयारियां की जा रही हैं।

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