मंगलवार, 8 सितंबर 2020

पकड़े गए आतंकियों ने किया बड़ा खुलासा

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार किए गए बब्बर खालसा इंटरनेशनल के दोनों संदिग्ध आतंकी उत्तर भारत में हमले की साजिश रच रहे थे। इस हमले के लिए वह दिल्ली में हथियार लेने आए थे। स्पेशल सेल को यह भी पता चला है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से इनके लिंक थे। फिलहाल इनकी पूरी साजिश के बारे में पूछताछ चल रही है।


मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डीसीपी संजीव यादव के अनुसार, स्पेशल सेल की टीम को सूचना मिली थी कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल के 2 सदस्य उत्तर भारत में आतंकी हमले को अंजाम देना चाहते हैं। इनके नाम भूपेंद्र उर्फ़ दिलावर सिंह और कुलवंत सिंह बताए गए थे। यह भी पता चला कि वह वारदात को अंजाम देने के लिए राजधानी में हथियार लेने आएंगे। इस जानकारी पर बुराड़ी के पास पुलिस टीम ने रात को ट्रैप लगाया।


कुछ देर बाद यहां कार सवार दोनों बदमाश आए जिन्हें पुलिस टीम ने आत्मसमर्पण के लिए कहा, लेकिन उन्होंने पुलिस टीम पर गोली चला दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस की तरफ से भी गोली चलाई गई और दोनों को काबू कर लिया गया। आईएसआई के इशारे पर चल रहे खालिस्तानी समर्थक पकड़े गए भूपेंद्र सिंह और कुलवंत सिंह लुधियाना के रहने वाले हैं। तलाशी में इनके पास से 6 पिस्तौल और 40 जिंदा कारतूस बरामद हुए। पूछताछ में आरोपियों ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल के साथ ही केसीएफ नेताओं से भी अपने संपर्क होने की बात कबूल की। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर खालिस्तानी आतंकी काम कर रहे हैं। गिरफ्तार किया गया भूपेंद्र 2005 में मजदूरी करने दुबई गया था। वहां से 2007 में वह वापस आ गया। इसके बाद वे 2009 में मस्कट गया और 2011 में वापस आया। 2016 में भी वह सऊदी अरेबिया गया था। फेसबुक के जरिये बना खालिस्तान समर्थकों से संपर्क सेल के अनुसार, सऊदी में वहां 8 महीने रहने के बाद भूपेंद्र वापस लौटा। इसी दौरान वह फेसबुक के जरिए कई खालिस्तानी आतंकियों के संपर्क में आया। हरविंदर सिंह, अमृतपाल कौर, रणदीप सिंह, जरनैल सिंह आदि के संपर्क में वह था जिन्हें 2017 में पुलिस ने गिरफ्तार किया।


यह सभी बब्बर खालसा इंटरनेशनल के सदस्य हैं। उन्होंने खालिस्तान जिंदाबाद नाम से एक ग्रुप बना रखा है और इसके जरिए वह एक आतंकी संगठन जत्था वीर खालसा बना रहे हैं। 1984 सिख दंगों में शामिल वरिष्ठ नेताओं की हत्या के लिए भी वह साजिश रच रहे थे,, पूछताछ के दौरान उसने पुलिस को बताया कि उसका नाम भूपेंद्र सिंह है। वह बब्बर खालसा के दिलावर सिंह से काफी प्रभावित था जिसने बेअंत सिंह की हत्या की थी। इसलिए उसने अपना नाम दिलावर सिंह भी रख लिया था। सिख धर्म और गुरुओं के खिलाफ बोलने वाले 3 लोगों की उसने पहचान कर ली थी।


इनकी हत्या वह करना चाहता था। भूपेंद्र के साथ थामी आतंक की राह दूसरा आरोपी कुलवंत सिंह लुधियाना का रहने वाला है। लगभग 5 साल पहले उसकी मुलाकात भूपेंद्र सिंह से राजकोट में हुई थी। भूपेंद्र सऊदी अरब गया तो वह उसके संपर्क में रहता था। भूपेंद्र जब जेल से बाहर आया तो वह कुलवंत से मिला और सिख धर्म के बारे में अपशब्द कहने वाले की हत्या की साजिश रची। खालिस्तान मूवमेंट को लेकर उसकी काफी सहानुभूति थी और वह पाकिस्तान जिंदाबाद खालिस्तान जिंदाबाद ग्रुप में शामिल हो गया। इस ग्रुप को पाकिस्तान का रहने वाला परवेज अख्तर चलाता है। वह पाकिस्तान के कुछ लोगों से भी व्हाट्सएप पर संपर्क में था। हाल ही में उसने भूपेंद्र सिंह के साथ मिलकर राजकोट स्थित तहसील के दफ्तर पर खालिस्तानी झंडा फहराया था। इस मौके पर गिरफ्तार भी किया गया था।               


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