गुरुवार, 2 जुलाई 2020

पशुपालन लाभकारी सहायक कृषि कार्य

कृषि कार्यों के साथ-साथ पशुपालन एक लाभकारी सहायक कृषि कार्य


रतन सिंह चौहान
होडल पलवल । पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग पलवल की उप-निदेशक डा. नीलम आर्य ने बताया कि कृषि कार्यों के साथ-साथ पशुपालन एक लाभकारी सहायक कृषि कार्य है। सीमांत किसानों, बेरोजगार युवाओं को भी पशुपालन का व्यवसाय अपनाना चाहिए। सभी पशु चिकित्सकों की सलाह से पशुपालन करें। पशु पालन एवं डेयरिंग विभाग की योजनाओं का लाभ उठाएं। पशु चिकित्सकों की सलाह पर अपने पशुओं में रोगों की रोकथाम के लिए समय-समय पर टीकाकरण अवश्य करवाएं। देसी गायों की मिनी डेयरी योजना के तहत गाय की देशी नस्लों के संरक्षण एव विकास तथा राज्य में गौ वंश संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए गायों की डेरी इकाई लगाने वाले पशुपालकों को 50 प्रतिशत अनुदान गायों के खरीद मूल्य पर दिया जा रहा है।
उप-निदेशक डा. नीलम आर्य ने विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि जिला में पशुपालन का कार्य सुचारू रूप से करने के लिए समय-समय पर किसानों को जागरूक किया जाता है। उन्होने बताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान पलवल जिला क्षेत्र में कुल 29061 दुधारू पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया गया। जिनमें कुल 21782 भैंस व कुल 7279 गाय शामिल हैं। जिला क्षेत्र में 1 लाख 99 हजार 442 पशुओं को मुहखुर तथा कुल 250 पशुओं को इन्टीरो टॉक्सिनिया वैक्सिनेशन के टीके लगाए गए। पशुओं के बांझपन के ईलाज के लिए चालू वित्त वर्ष के दौरान कुल 02 शिविर लगाए गए हैं।               


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