शनिवार, 4 जुलाई 2020

धोखाः 30 रुपए में कोरोना की दवाई

गाजीपुर। एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ाई के लिए वैक्सीन बनाने की तरकीबें खोज रही है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस आपका दे वक्त में भी अवसर तलाश रहे हैं। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में कुछ ऐसे लोग भी मिले हैं जो समाज में भ्रामक प्रचार-प्रसार के जरिए कोरोना का इलाज 30 रुपये से 50 रुपये में कर रहे हैं। इनका दावा है कि इस दवा के उपयोग से कोरोना नहीं होगा और जिनको संक्रमण हैं वह भी स्वस्थ हो जाएगा। हालांकि मामला खुलने के बाद प्रशासन कार्रवाई की बात कह रहा है।
जानकारी के मुताबिक, गाजीपुर जिले के बिरनो थाना क्षेत्र के बद्धुपुर गांव में ‘आन शोध संस्थान’ ने कोरोना से बचाव के लिए लोगों को दवा बेचा और दावा किया कि यह दवा होम्योपैथिक की आर्सेनिक एल्बम-30 नाम की दवा है जो कि कोरोना महामारी के लिए कारगर साबित हो रही है। ग्रामीणों के बीच इस दवा को 30 रुपए से 50 रुपए लेकर बेचा गया।


यूं खुला भेद
गांव के लोगों ने जब एनजीओ के कर्मचारियों से कोरोना की दवा के बारे जानकारी लेते हुए यह पूछा कि क्या कोरोना दवा बेचने के लिए संस्था के पास स्वास्थ विभाग या आयुष मंत्रालय का आदेश है, तो एनजीओ के कर्मचारी टाल-मटोल करने लगे। तब तक एनजीओ के कर्मचारी गांव के कई एक लोगों को कोरोना की कथित दवा दे चुके थे। ग्रामीणों ने कोरोना की कथित दवा बांटने वाले एनजीओ के खिलाफ जिला प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है।


एनजीओ ने कहा- पूरे प्रदेश में बांट रहे दवा
हैरान करने वाली बात तो यह है कि जब इस मामले में दवा बांटने वाली संस्था के प्रतिनिधि आसिफ खान से बात की गई तो उन्होंने बताया कि संस्था कोरोना महामारी से बचाव के लिए सिर्फ गाजीपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश के सभी जिलों में अपने कार्यकर्ताओं के जरिए दवा वितरण का कार्यक्रम संचालित कर रही है। आसिफ ने आगे बताया कि इस महामारी को देखते हुए लोगों में खासा भय व्याप्त है। इस दवा को लेकर लोगों की मिली जुली प्रतिक्रिया है। बताया जा रहा है कि यह एनजीओ का मुख्यालय लखनऊ है और वहीं से यह प्रदेश के सभी जनपदों में दवा वितरण का कार्यक्रम संचालित कर रही है। एनजीओ के प्रतिनिधि लाइसेंस होने की बात पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए ।


जिलाधिकारी ने कही जांच की बात
जब इस बारे में जिला अधिकारी ओमप्रकाश आर्य ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात कर संबंधित एनजीओ से आख्या लेने की बात कही है और अगर इस तरह का कोई मामला है जो कानून सम्मत नहीं है, तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी


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