सोमवार, 25 नवंबर 2019

बच्चों के फेफड़े गुलाबी नहीं: डब्ल्यूएचओ

आने वाली पीढ़ी के भविष्य पर सबसे बड़ा खतरा है क्लाइमेट चेंज का जिसकी वजह से आने वाला समय कुछ अलग होगा बढ़ती बीमारियां ही इसका कारण बनेगी ।वैज्ञानिक बताते हैं कि दुनिया भर में क्लाइमेट चेंज की वजह से बच्चों के स्वास्थ्य पर ग्लोबल टेंपरेचर कम होने का खतरा मंडरा रहा है जिसकी वजह से अकेले भारत की बात करें तो बच्चों को फेफड़े अब गुलाबी नहीं बल्कि काले हो चुके हैं एक मैगजीन में हेल्थ और क्लाइमेट चेंज पर छपी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि दुनिया भर के 35 इंस्टीट्यूशंस ने इसको कंपाइल किया है जिसमें वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन और वर्ल्ड बैंक भी शामिल है, कहते हैं कि अगर ग्लोबल टेंपरेचर कम नहीं रखा गया तो यह पूरी दुनिया में आने वाली पीढ़ी के भविष्य के लिए खतरा बनेगा।
5 साल की उम्र के बच्चों के लिए यह ज्यादा घातक है भारत में दो तिहाई से ज्यादा बच्चों को बच्चों की मौत के लिए कुपोषण ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार है । वहीं 2017 में चार लाख तीन सौ पचास हजार से ज्यादा की जान अकेले मलेरिया से जा चुकी है अगर डेंगू की बात की जाए तो मच्छर से होने वाली इस बीमारी से दुनिया की आधी आबादी को आने वाले समय में डेंगू का खतरा है इसके लिए जन्म लेने वाले बच्चे के इस दर्द को कम करने के लिए दुनिया को सबसे पहले डीकार्बोंनाइज़्ड किया जाना ज्यादा आवश्यक है। अगर साइंसदानों की बात माने तो इसके लिए कुछ हद तक हम खुद ही इसके लिए जिम्मेदार हैं। वैज्ञानिक बताते हैं कि यदि ग्लोबल टेंपरेचर को कम नहीं रखा गया तो कुपोषण ओर संक्रामक रोग तेजी से मौसम के साथ एयर पोल्युशन के माध्यम से जानलेवा बनेंगे।


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