शनिवार, 25 जून 2022

इंसेफलाइटिस से प्रभावित जिलों को आदेश दिया

इंसेफलाइटिस से प्रभावित जिलों को आदेश दिया
संदीप मिश्र 
गुरखपुर/बस्ती। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने उच्‍चस्‍तरीय बैठक में अधिकारियों को इंसेफेलाइटिस से प्रभावित हाईरिस्क वाले 18 जिलों में मानिटरिंग के आदेश दिए हैं। उन्होंने सरकारी प्रयास के साथ-साथ जनसहभागिता को भी बढ़ावा देने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश के बस्ती-गोरखपुर मंडल के 38 जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस का प्रभावी रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि बीते पांच वर्ष में जेई से असमय मृत्यु पर 95 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। इसके बावजूद निरंतर सतर्क व सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि इन जिलों में ब्लॉक स्तर पर इंसेफेलाइटिस केयर सेंटर, पीकू बेड्स, चिकित्साकर्मी हैं। पीडियाट्रिक आईसीयू के सफल संचालन के लिए जिलों में डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ, स्टाफ नर्सेज व एईएस और जेई प्रयोगशालाओं में टेक्नीशियन की संख्‍या पर्याप्‍त हो और उनके प्रशिक्षण की व्‍यवस्‍था सुनिश्चित की जाए।
उच्चाधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में बीते पांच सालों में इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों में 95 फीसदी की गई है। यूपी में बीमारियों के उन्‍मूलन के लि‍ए चलाए जा रहे विशेष अभियानों की सफलता का परिणाम है कि प्रदेश में प्रति 1,000 की जनसंख्या पर एक से भी कम लोगों में मलेरिया से ग्रसित पाए गए, जबकि कालाजार रोग 22 चिन्हित ब्लॉक में हर 10,000 की आबादी में एक से कम लोगों में ही संक्रमण की पुष्टि हुई। यूपी जल्‍द ही कालाजार मुक्त हो जाएगा और मलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण करने के लक्ष्‍य के बेहद करीब है।

श्रम कानून, काम और समय का कैलकुलेशन होगा

श्रम कानून, काम और समय का कैलकुलेशन होगा
अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। 1 जुलाई के बाद इस नए कोड की सिफारिशें लागू होंगी तो आपके काम करने के वक्त से लेकर सैलरी की कैलकुलेशन में भी चेंज आ जाएगा।
अगले महीने से आपकी इन हैंड सैलरी कम हो सकती है। यानी जो पैसा महीने के एंड में सैलरी के रूप में आपके एकाउंट में गिरता है। उसमें कमी आ सकती है। इसके पीछे की वजह है कि अगले महीने से केंद्र सरकार न्यू वेज कोड यानी नए श्रम कानून को लागू कर सकती है। 1 जुलाई के बाद इस नए कोड की सिफारिशें लागू होंगी तो आपके काम करने के वक्त से लेकर सैलरी की कैलकुलेशन में भी चेंज आ जाएगा। ऐसे में सवाल ये है कि काम करने के वक्त और वेतन को लेकर ये नया वेज कोड आखिर कहता क्या है।
मोदी सरकार का वेज कोड 
साल 2019 में मोदी सरकार ने नया वेज कोड पास किया था। जिसे न्यू वेज कोड कहा जाता है। संसद के दोनों सदनों ने श्रम कानून की इन चार संहिताओं को पारित कर दिया है। केंद्र के अलावा राज्य सरकारों को भी इन संहिताओं, नियमों को अधिसूचित करना जरूरी है। इसके बाद ही ये नियम राज्यों में लागू हो पाएंगे। ये नियम 1 अप्रैल 2021 से लागू होने थे, लेकिन राज्यों की तैयारी पूरी नहीं होने के कारण इन्हें टाल दिया गया।
अब इसके लागू होने के बाद से एक प्राइवेज कंपनी की इंप्लॉई की टेक होम सैलरी कम हो सकती है। कंपनियों को ज्यादा पीएफ का बोझ उठाना होगा। नए ड्राफ्ट कोड के मुताबिक मूल वेतन कुल वेतन का 50 फीसदी या ज्यादा होना चाहिए। इससे ज्यादातर कर्मचारियों की सैलरी का स्ट्रक्चर बदल जाएगा। बेसिक सैलरी बढ़ने से पीएफ और ग्रेच्युटी के लिए कटने वाला पैसा बढ़ जाएगा। इसमें जमा होने वाली रकम बेसिक सैलरी के अनुपात में होता है। अगर ऐसा होता है तो आपकी टेक होम सैलरी कम हो जाएगी। वहीं रिटायरमेंट पर मिलने वाला पीएफ ग्रैच्युटी का पैसा बढ़ जाएगा।
सरकार यह भी सरल बनाना चाहती है कि एक कर्मचारी अपने रोजगार के दौरान कितना अवकाश ले सकता है, साथ ही साथ कितने अवकाश को अगले वर्ष तक ले जाया जा सकता है और नौकरी के दौरान कितना अवकाश भुनाया जा सकता है। केंद्र सरकार नए श्रम कानूनों के तहत छुट्टी योजनाओं को युक्तिसंगत बनाने की योजना बना रही है। एक वर्ष में छुट्टियों की मात्रा समान रहेगी, कर्मचारी अब 45 के बजाय हर 20 दिनों के काम के लिए छुट्टी अर्जित करेंगे। इसी तरह, कैरी फॉरवर्ड को आगे ले जाने की सीमा में कोई संशोधन करने की अनुशंसा नहीं की गई है,
जो कि 30 दिनों पर बनी हुई है। इसके अलावा, नए कर्मचारी 240 दिनों के बजाय 180 दिनों की ड्यूटी के बाद छुट्टी अर्जित करने के पात्र होंगे। केंद्र सरकार ने वर्क फ्रॉम होम को मान्यता दी है, जो कि सेवा उद्योग पर लागू होने वाले ड्राफ्ट मॉडल स्टैंडिंग ऑर्डर में, विशेष रूप से कोविड -19 महामारी के आगमन के बाद, सभी क्षेत्रों में आम प्रचलन होता जा रहा है।
काम करने के पुराने नियम क्या है।
पुराने नियम के अनुसार आप हफ्ते में यदि 5 दिन काम करते हैं तो आपको रोजाना 9 घंटे का काम करना होता है और हफ्ते में 2 दिन की छुट्टी होती है और यदि आप हफ्ते में 6 दिन काम करते हैं तब आपको रोजाना 8 घंटे का काम करना होता है और 1 दिन की छुट्टी मिलती है यह है पुराने काम करने के नियम।
नए लेबर कोड में नियमों में ये विकल्प भी रखा गया है कि जिस कंपनी और कर्मचारी आपसी सहमति से फैसला ले सकते हैं। नए नियमों के तहत सरकार ने काम के घंटों को बढ़ाकर 12 तक करने को शामिल किया है। काम करने के घंटों की हफ्तों में अधिकतम सीमा 48 घंटे है, ऐसे में कामकाजी दिनों का दायरा पांच से घट सकता है। कोड के ड्राफ्ट रूल्‍स में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है। मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम योग्य नहीं माना जाता है। ड्राफ्ट नियमों में किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम कराने की मनाही है। कर्मचारियों को हर 5 घंटे के काम के बाद आधा घंटे का आराम देना होगा।
रिपोर्टों से पता चलता है कि अब तक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, पंजाब, मणिपुर, बिहार, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों सहित 23 राज्यों ने नए श्रम कानूनों के तहत नियम बनाए हैं। इन राज्यों ने मजदूरी 2019 पर नए कोड और औद्योगिक संबंध कोड 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति कोड 2020 के आधार पर राज्य श्रम कोड और नियम तैयार किए हैं, जो सभी द्वारा पारित किए गए हैं।

द्रोपदी ने चुनाव से पहले कईं दलों से समर्थन मांगा

द्रोपदी ने चुनाव से पहले कईं दलों से समर्थन मांगा
इकबाल अंसारी  
रांची। राजग की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता व झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात की और उनसे राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन करने की अपील की। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मुर्मू ने सोरेन से व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया और उनसे उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने का अनुरोध किया। मुर्मू ने 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी संपर्क किया था।
सूत्रों ने बताया कि तीनों नेताओं ने उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी। इस बीच, आदिवासी पार्टी कही जाने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने आगामी राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा करने के लिए शनिवार को अपने सांसदों और विधायकों की बैठक बुलाई है। झामुमो कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) का घटक है और गठबंधन के तहत ही झारखंड की सत्ता पर काबिज है। मुर्मू ने शुक्रवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पीठासीन अधिकारी पी.सी.मोदी को अपना नामांकन पत्र सौंपा।
इस मौके पर उनके साथ अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी सहित कई केंद्रीय मंत्री और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद थे। मुर्मू के नामांकन के वक्त योगी आदित्यनाथ, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, जयराम ठाकुर, पुष्कटर सिंह धामी सहित कई भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहे। उनके नामांकन के वक्त राजग का समर्थन कर रहे वाईएसआर कांग्रेस, बीजद और अन्नाद्रमुक के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

कब्रिस्तान: 1428 गांव, जमीन तलाशने का आदेश

कब्रिस्तान: 1428 गांव, जमीन तलाशने का आदेश
इकबाल अंसारी  
बेंगलुरू। कर्नाटक सरकार के राजस्व विभाग ने उच्च न्यायालय के प्रकोप से बचने के लिए अधिकारियों को राज्य के 1,428 गांवों में कब्रिस्तान के लिए जमीन तलाशने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने चेतावनी दी है कि जमीन उपलब्ध कराने में विफल रहने पर विभाग के प्रधान सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
इस संबंध में बेंगलुरु निवासी मोहम्मद इकबाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति बी. वीरप्पा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मुद्दे पर कड़ी चेतावनी जारी की है। राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 29,076 गांव हैं। इनमें से 27,648 गांवों और 299 कस्बों में कब्रिस्तान की जमीन आवंटित की गई है।
शिवमोग्गा जिले के 1,428 गांवों और एक कस्बे में जमीन दी जानी है। विभाग का दावा है कि सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं है और निजी मालिक अपनी जमीन बेचने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। प्रत्येक गांव में, स्थानीय लोगों द्वारा प्रचलित रीति-रिवाज, परंपराएं हैं और दफन के लिए भूमि खोजना बहुत कठिन हो गया है।
हालांकि सरकार ने इन सभी कारणों को बताकर और दो साल का समय मांगकर अदालत को समझाने की कोशिश की, लेकिन अदालत ने इनमें से किसी भी कारण पर ध्यान नहीं दिया। कोर्ट ने गौर किया है कि सिंगल जज बेंच ने तीन साल पहले आदेश दिया था। पीठ ने 20 अगस्त 2019 को यह भी चेतावनी दी थी कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के बाद प्रधान सचिव को जेल भेजा जाएगा। खंडपीठ ने नौ जून को कब्रिस्तान के लिए जमीन आवंटित करने का निर्देश दिया था, जिसका विभाग ने उल्लंघन किया।

हमारा दायित्व सुरक्षा-आश्रय प्रदान करना: हिमंत

हमारा दायित्व सुरक्षा-आश्रय प्रदान करना: हिमंत
इकबाल अंसारी  
गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि उन्हें खुशी है कि शिवसेना की राजनीतिक खींचतान असम तक पहुंच गई है और पूर्वोत्तर राज्य में बाढ़ की स्थिति को उजागर करने में मददगार साबित हुई है। सरमा ने पूरे प्रकरण में असम भारतीय जनता पार्टी की किसी भी तरह की संलिप्तता से स्पष्ट रूप से इनकार किया है। उन्होंने कहा, “ हमारा दायित्व बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को सुरक्षा और आरामदायक आश्रय प्रदान करना है। कल, भले ही कांग्रेस आए, मैं वैसा ही स्वागत करूंगा। मैं आभारी हूं कि शिवसेना आई, इसकी वजह से असम की बाढ़ को उजागर किया गया।
इस साल अप्रैल से अब तक असम के 35 में से 28 जिलों में 33 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। अप्रैल से अब तक बाढ़ और भूस्खलन में 117 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के दूसरे सबसे बड़े शहर सिल्चर का करीब 80 फीसदी हिस्सा पानी में डूब गया है जबकि लोग भोजन और पानी की आपूर्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बाढ़ की गंभीर स्थिति ने निवासियों को भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाने के लिए प्रेरित किया है। गुवाहाटी में, कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मांग की कि महाराष्ट्र के विधायकों को वापस भेजा जाए और सरकार बाढ़ के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करे।

21 जून से ठाकरे के खिलाफ बगावत का नेतृत्व

21 जून से ठाकरे के खिलाफ बगावत का नेतृत्व 
कविता गर्ग  
पुणे। महाराष्ट्र के सातारा जिले से शिवसेना के बागी विधायक महेश शिंदे ने शनिवार को आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ महा विकास आघाडी (एमवीए) के तीन घटकों में से एक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने उनकी पार्टी को धोखा दिया और उन्होंने तथा अन्य ने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के समक्ष उठाया था, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। कोरेगांव सीट से विधायक महेश शिंदे वर्तमान में एकनाथ शिंदे के साथ गुवाहाटी में हैं, जो 21 जून से ठाकरे के खिलाफ बगावत का नेतृत्व कर रहे हैं।
एकनाथ शिंदे खेमे की मुख्य मांग यह है कि शिवसेना एमवीए से हट जाए, जिसमें राकांपा और कांग्रेस भी शामिल हैं। महेश शिंदे ने एक रिकॉर्डेड संदेश में उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर विकास निधि आवंटन में शिवसेना विधायकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया। महेश ने संदेश में कहा, ‘‘कुछ अधिकारियों की उपस्थिति में वर्षा बंगले में मुख्यमंत्री के साथ बैठक के दौरान हमने अपने निर्वाचन क्षेत्रों को आवंटित धन के बारे में विवरण मांगा।
अधिकारियों ने कोष के बारे में गलत जानकारी दी। जब हमने उन्हें असली आंकड़ों के बारे में बताया तो मुख्यमंत्री हैरान रह गए।’’ महेश शिंदे ने आरोप लगाया, ‘‘मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि उन्होंने और राकांपा नेताओं ने पार्टी को धोखा दिया है। लेकिन इसके बावजूद बाद में कोई बदलाव नहीं दिखा। शिवसेना के विधायकों को जहां उनके निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 50 से 55 करोड़ रुपये की धनराशि दी गई, वहीं राकांपा के विधायकों को 700 करोड़ रुपये से 800 करोड़ रुपये मिले।
’’ शिंदे ने कहा कि राकांपा विधायकों, जिन्हें पहले शिवसेना नेताओं ने हराया था, को अधिक धन दिया गया और उद्धव के नेतृत्व वाली पार्टी के कई विधायकों को आधिकारिक कार्यक्रमों के लिए आमंत्रित नहीं किया गया। शिंदे ने दावा किया, ‘‘हमने मुख्यमंत्री के साथ तीन बैठकें कीं, जिन्होंने हमें आश्वासन दिया कि (धन के आवंटन में) सुधार होगा। उन्होंने कई चीजों पर रोक लगा दी थी लेकिन उपमुख्यमंत्री ने इस तरह के आदेशों को स्वीकार नहीं किया।
इसके विपरीत मुख्यमंत्री के रोक के आदेश को कूड़ेदान में फेंक दिया गया और हमारे प्रतिद्वंद्वियों के विकास कार्यों को प्राथमिकता दी गई।’’ शिंदे ने कहा कि राकांपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल शिवसेना के विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करते और खुले तौर पर दावा करते थे कि क्षेत्र का भावी विधायक उनकी पार्टी का होगा न कि शिवसेना का।
शिंदे ने कहा, ‘‘हम ऐसे मुद्दों पर मुख्यमंत्री को अवगत करा रहे थे और उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि ये चीजें नहीं होंगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। ऐसे में हमारे लिए काम करना मुश्किल हो गया था। राकांपा एमवीए के एकजुट रहने की बात करते हुए असल में शिवसेना की पीठ में चाकू घोंप रही थी।’’ कोरेगांव के विधायक ने कहा कि राकांपा की भूमिका पर आक्रोश के कारण असंतुष्ट विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में एकत्र हुए।

देश में तनाव और हिंसा का माहौल बनाया: सीएम

देश में तनाव और हिंसा का माहौल बनाया: सीएम
नरेश राघानी 
जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को कहा कि देश में तनाव और हिंसा का माहौल है। उन्होंने यह भी कहा कि तनाव की राजनीति देश और प्रदेश के हित में नहीं है। गहलोत शनिवार को कोठ्यारी, लक्ष्मणगढ़ (सीकर) में पूर्व विधायक सांवरमल मोर की मूर्ति के अनावरण एवं श्रद्धा शिक्षा भवन (बालिका महाविद्यालय) के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “हम बार-बार कहते हैं कि देश और प्रदेश में तनाव की राजनीति उचित नहीं है, क्योंकि जिस परिवार में तनाव होता है, वह आगे नहीं बढ़ता और बर्बाद हो जाता है। यही बात गांव, देश और प्रदेश पर भी लागू होती है।
” गहलोत ने कहा, “आज देश में तनाव, अविश्वास और हिंसा का माहौल है…। कुछ लोग खुश हो सकते हैं कि बुलडोजर चल रहे हैं। पर मत भूलें कि यह बुलडोजर कभी आपके यहां भी आ सकता है।” उन्होंने कहा कि बिना कानून के आप किसी को अपराधी नहीं ठहरा सकते और जब तक दोष सिद्ध न हो, तब तक आप दोषी को भी दोषी नहीं कह सकते। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर गहलोत ने केंद्र की भाजपा सरकार व केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर निशाना साधा।
साल 2020 में अपनी सरकार पर आए राजनीतिक संकट को लेकर शेखावत के एक बयान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “वह कहते हैं कि अगर राजस्थान में सरकार बदल जाती और सचिन पायलट चूकते नहीं तो राज्य में पानी आ जाता। क्या कोई केंद्रीय मंत्री ऐसी भाषा बोल सकता है? इससे अधिक शर्म की बात क्या हो सकती है कि सरकार बदलो तो पानी मैं भेज दूंगा?” उल्लेखनीय है कि गहलोत ईआरसीपी को लगातार केंद्रीय परियोजना का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं।
37,000 करोड़ रुपये से अधिक की यह परियोजना राज्य के 13 जिलों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकेगी। कार्यक्रम को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और अन्य नेताओं ने भी संबोधित किया।

लोगों के लिए 'पेयजल आपूर्ति' सुनिश्चित की जाएं

लोगों के लिए 'पेयजल आपूर्ति' सुनिश्चित की जाएं  इकबाल अंसारी  चेन्नई। तमिलनाडु में गर्मी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए मु...