सोमवार, 11 अप्रैल 2022

पीएम व राष्ट्रपति बाइडन ने ऑनलाइन बैठक की

पीएम व राष्ट्रपति बाइडन ने ऑनलाइन बैठक की   

अखिलेश पांडेय           
नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन, दोनों नेताओं के बीच यह ऑनलाइन बैठक सोमवार को वाशिंगटन में भारत और अमेरिका के बीच 'टू प्लस टू' मंत्रिस्तरीय वार्ता के चौथे सत्र से पहले हुईं।
कार की गति को नियंत्रित करने से पहले अपने दिमाग की गति को नियंत्रित करना सबसे जरूरी है।
छत्तीसगढ़ के शिवरी नारायण का मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से गहरा नाता है। इसे पांचवां धाम और गुप्त तीर्थ भी माना जाता है। यह वही स्थान है, जहां वनवास के दौरान राम ने शबरी के हाथों से जूठे बेर खबर थे।
रूस यूक्रेन जंग, श्रीलंका में आर्थिक संकट और पाकिस्तान में सियासी उठापटक के बीच सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बैठक की। दोनों नेताओं के बीच ये बैठक वर्चुअल हुईं। माना जा रहा है कि ये बैठक कल शाम 7:30 से 8 बजे के बीच हो सकती है। दोनों नेताओं ने इस दौरान मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करने के साथ ही दक्षिण एशिया, हिंद-प्रशांत के हालिया घटनाक्रम और पारस्परिक हित के वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
दोनों नेताओं के बीच यह ऑनलाइन बैठक सोमवार को वाशिंगटन में भारत और अमेरिका के बीच 'टू प्लस टू' मंत्रिस्तरीय वार्ता के चौथे सत्र से पहले होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ 11 अप्रैल को वाशिंगटन में इस वार्ता के चौथे सत्र के तहत बातचीत करेंगे।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ''प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडन बैठक के दौरान मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करने के साथ ही दक्षिण एशिया, हिंद-प्रशांत के हालिया घटनाक्रम और पारस्परिक हित के वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। ऑनलाइन बैठक दोनों पक्षों को द्विपक्षीय व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के उद्देश्य से अपने नियमित और उच्च स्तरीय संपर्क को जारी रखने में सक्षम बनाएगी।
खबर के अनुसार, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा, ''राष्ट्रपति बाइडन हमारी सरकारों, अर्थव्यवस्थाओं और हमारे लोगों के बीच संबंधों को और गहरा करने के लिए सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी के साथ ऑनलाइन बैठक करेंगे।
उन्होंने कहा कि बाइडन और मोदी इस दौरान कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिनमें कोविड-19 महामारी को समाप्त करना, जलवायु संकट का मुकाबला करना, वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और सुरक्षा को मजबूत करने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा, लोकतंत्र और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाये रखना शामिल हैं।
साकी ने कहा कि दोनों नेता हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे के विकास और उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे के बारे में जारी बातचीत को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा, ''दोनों पक्ष यूक्रेन के खिलाफ रूस के क्रूर युद्ध के परिणामों और ऊर्जा एवं खाद्य सामग्री की बढ़ती कीमतों जैसे मुद्दों से निपटने के लिए करीबी समन्वय जारी रखेंगे।
बाइडन ने इससे पहले मार्च में क्वॉड के अन्य नेताओं के साथ मोदी से बातचीत की थी।

'नेशनल हेराल्ड भ्रष्टाचार' के मामलें में कसा शिकंजा

'नेशनल हेराल्ड भ्रष्टाचार' के मामलें में कसा शिकंजा   

अखिलेश पांडेय          
इस्लामाबाद। नेशनल हेराल्ड भ्रष्टाचार के मामलें में अब प्रवर्तन निदेशालय ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
शाहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तानी आवाम की दुआएं अल्लाह ने कबूल कीं‌, वह पाकिस्तान के अगले व 23वें प्रधानमंत्री होंगे।
समाचार एजेंसी ने जानकारी दी है कि मल्लिकार्जुन खड़गे से नेशनल हेराल्ड भ्रष्टाचार मामले में प्रवर्तन निदेशालय लंबी पूछताछ कर रही है। मल्लिकार्जुन खड़गे को आज ईडी के सामने पेश होने के लिए तलब किया गया।
गौरतलब है कि नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन 1938 में शुरू किया गया था। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस अखबार का इस्तेमाल आज़ादी की लड़ाई में किया। नेहरू ने 1937 में एसोसिएटेड जर्नल बनाया था, जिसके तहत 3 अखबारों का प्रकाशन किया जा रहा था। हिंदी में नवजीवन, उर्दू में कौमी आवाज़ और अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड। लेकिन 2008 तक एसोसिएटेड जर्नल ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। इसके बाद यह भी जानकारी सामने आई कि एसोसिएटेड जर्नल पर 90 करोड़ रुपए का कर्ज भी चढ़ चुका है।
नेशनल हेराल्ड मामले में बड़े घोटाले का खुलासा वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने साल 2012 में किया था। सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस पार्टी ने अपने पार्टी के पैसे से सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया को 90 करोड़ रुपए उधार दिए और इसके बाद उसी पैसे राहुल सोनिया की कंपनी यंग इंडिया ने नेशनल हेराल्ड अखबार निकालने वाली कंपनी एसोसिएट जनरल को खरीद लिया। ऐसे में कंपनी की करीब 5 हजार करोड़ की संपत्ति गांधी परिवार के पास चली गई। इस मामले में सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने सोनिया और राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव दिवंगत ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और यंग इंडिया से 12 अप्रैल तक स्वामी की याचिका पर जवाब देने को कहा है।

पूर्व विधायक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई

पूर्व विधायक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई    

अमित शर्मा       
चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पूर्व विधायक सुरजीत सिंह धीमान के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए पार्टी ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है। सुरजीत सिंह धीमान मालवा क्षेत्र के प्रमुख नेता हैं। पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी ने पार्टी की इस कार्रवाई का पत्र जारी कर जानकारी दी। आदेश में कहा गया है कि पूर्व विधायक सुरजीत सिंह धीमान को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया जाता है।
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दरअसल पूर्व विधायक सुरजीत सिंह धीमान ने नवजोत सिंह सिद्धू के समर्थन में कांग्रेस हाईकमान के फैसले पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने पंजाब प्रदेश अध्यक्ष के पद पर अमरिंदर सिंह बराड़ (राजा वडिंग) की घोषणा के बाद बयान दिया था कि राजा वडिंग वही इंसान हैं, जिनका नाम ड्रग मामले व पैसों के लेनदेन में आने के बाद वे बादल परिवार के सामने झुक गए थे। वह मौकापरस्त और भ्रष्टाचारी हैं। धीमान के इस बयान के कुछ घंटे बाद ही उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। माना जा रहा है कि यह कार्रवाई सीधे राजा वडिंग ने की है। हैरानी की बात यह है कि निष्कासन से पहले सुरजीत सिंह धीमान को पार्टी की ओर से कोई नोटिस तक नहीं दिया गया।
सुरजीत सिंह धीमान ने 2002 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी और उसके बाद दो बार विधानसभा के चुनाव उन्होंने जीते। 2007 में संगरूर जिले के दिर्बा विधानसभा क्षेत्र से वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े। परिसीमन प्रक्रिया में जब दिर्बा को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया, तो धीमान को 2012 में संगरूर जिले के अमरगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भी मैदान में उतारा गया, लेकिन वह उस समय अकाली दल के उम्मीदवार से चुनाव हार गए थे। फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर से अमरगढ़ से चुनाव लड़कर धीमान ने जीत हासिल की थी।

सरकारी नौकरी की तलाश, अभ्यर्थियों के लिए मौका

सरकारी नौकरी की तलाश, अभ्यर्थियों के लिए मौका 

अकांशु उपाध्याय          
नई दिल्ली। सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे अभ्यर्थियों के लिए सुनहरा मौका है। आयकर विभाग में स्पोर्ट्स कोटे के तहत कुल 24 पदों पर भर्तियां की जा रही हैं। इच्छुक और योग्य अभ्यर्थी 18 अप्रैल, 2022 तक ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। के मुताबिक आयकर विभाग की तरफ से भर्ती के जरिए टैक्स असिस्टेंट सहित मल्टी टास्किंग स्टाफ व अन्य के पदों पर भर्तियां की जाएंगी। इसके लिए अभ्यर्थी आवेदन फॉर्म आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर डाउनलोड कर सकते हैं।
इनकम टैक्स इंस्पेक्टर- किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएट होना चाहिए।
टैक्स असिस्टेंट- किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएशन की डिग्री के साथ 8000 की डिप्रेशन प्रति घंटे की दर से डाटा एंट्री स्पीड।
मल्टी टास्किंग स्टाफ- 10वीं पास होना चाहिए।
अभ्यर्थियों को किसी भी खेल की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल हुआ होनाा चाहिए। साथ ही एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज या इंटर यूनिवर्सिटी स्पोर्ट्स बोर्ड द्वारा आयोजित इंटर यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट में शामिल हुआ होना चाहिए। इसके अलावा ऑल इंडिया स्कूल गेम्स फेडरेशन द्वारा आयोजित नेशनल टूर्नामेंट में स्टेट स्कूल टीम की ओर से खेला होना चाहिए।

कीटनाशकों के आयात के दरवाजे खोलने की साजिश

कीटनाशकों के आयात के दरवाजे खोलने की साजिश 

अकांशु उपाध्याय    
नई दिल्ली। देश के जाने माने कृषि विशेषज्ञ एवं भारत कृषक समाज के अध्यक्ष डॉ. कृष्णवीर चौधरी ने आरोप लगाया है कि कृषि मंत्रालय की नौकरशाही देश में बनने वाली असरदार एवं सस्ती कीटनाशक दवाओं का उत्पादन बंद करने और निजी फायदे के लिए विदेशी कीटनाशकों के आयात के दरवाजे खोलने की साजिश रच रही है।
डॉ. कृष्णवीर चौधरी ने हाल ही में आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में मिर्च की फसल की बरबादी का हवाला देते हुए देश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को पत्र लिख कर आगाह किया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नाक के नीचे नौकरशाही दुस्साहस पूर्ण ढंग से कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020 में ऐसे प्रावधान लाने की कोशिश में है। जिससे देश में बनने वाली प्रभावी कीटनाशक दवाओं का उत्पादन बंद हो जाये जिनका निर्यात तेजी से बढ़ रहा है और विदेशी कीटनाशकों का आयात फिर से शुरू हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार बदल गयी लेकिन भ्रष्ट व्यवस्था अभी तक बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि श्रीलंका के आर्थिक संकट में कृषि उत्पादन में कमी का प्रभाव सर्वगोचर है और इसी प्रकार से अंतरराष्ट्रीय ताकतें कुछ भ्रष्ट अधिकारियों, दलाल स्वैच्छिक संगठनों की मदद से भारतीय कृषि व्यवस्था को बिगाड़ने का षड्यंत्र रच रही हैं। उन्होंने कृषि मंत्री को दिये पत्र में कहा है कि आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में मिर्च उगाने वाले किसानों से वह स्वयं मिल कर आये हैं और इन किसानों में कई के परिवार बरबाद हो गये हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि मिर्च की फसल में कीड़े लगने के कारण 4000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है लेकिन किसानों का कहना है कि नुकसान अनुमान से कहीं अधिक है।
डॉ. चौधरी ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि मिर्च की फसल में लगी बीमारियों की रोकथाम के लिए कोई भी दवा कारगर नहीं थी। कुछ किसानों ने बताया की दशकों पहले कोई दवा बाजार में मिलती थी जो मिर्च में लगी थ्रिप्स सम्बन्धी बीमारी पर बहुत कारगर थी लेकिन केंद्र सरकार ने उस पर रोक लगा दी है जिससे वह दवाई बाजार में मिलना बंद हो गई है। उन्होंने मांग की कि कृषि मंत्रालय के उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए जो विकल्प की उपलब्धता बताकर कारगर दवाओं पर प्रतिबन्ध लगाते अथवा लगवाते हैं।
किसान नेता ने पत्र में कृषि मंत्री से कहा, “आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि आपके मंत्रालय ने 27 कारगर एवं प्रचलित दवाओं के बंद करने की प्रक्रिया आरम्भ की है। ये दवाएं अनेकों फसलों की अनेकों बीमारियों एवं कीट पतंगों के नियंत्रण में कारगर है एवं किसान कई दशकों से इन दवाओं का उपयोग सफलतापूर्वक कर रहे हैं और विश्व के तमाम विकसित देशों में इन कीटनाशक दवाओं का प्रयोग विभिन्न फसलों पर किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, ये कीटनाशक दवाएं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के अनुरूप है जिनका निर्यात लगातार बढ़ता जा रहा है और देश में हजारों करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की आय हो रही है। उन्होंने कहा कि इन 27 दवाओं की हिस्सेदारी भारतीय बाजार में लगभग 40 फीसदी से अधिक है। इनके बंद होने पर भारतीय कृषि एवं किसानों पर आंध्र प्रदेश की मिर्च की खेती के समान प्रभाव पड़ना तय है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय कीटनाशक दवाओं पर रोक लगाने के बाद देश के किसान कई गुना महंगी विदेशी कीटनाशक दवाएं खरीदने के लिए विवश होंगे। इससे किसानों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ बढ़ेगा और देश में अनावश्यक रूप से कीटनाशकों का आयात बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि लगातार वर्ष दर वर्ष भयंकर कीट पतंगों एवं बीमारियों से प्रभावित हो रही है इनमे लोकस्ट, सफ़ेद सुंडी, फॉल आर्मी वार्म, आदि प्रमुख हैं। ऐसे में किसानों के बीच प्रचलित दवाओं पर प्रतिबन्ध लगाना किसानों की आय एवं कृषि उत्पादन दोनों को प्रभावित करेगा। यह सब आयातक लॉबी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अधिकारियों से मिलीभगत की साज़िश है।
श्री चौधरी ने कहा कि आज अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारतीय कंपनियों की अलग पहचान है जो कि निर्यात के आंकड़ों से साबित होता है। वर्ष 2019-20 का निर्यात 23 हजार 700 करोड़ रूपए था जो बढ़कर 2020-21 में 26 हजार 500 करोड़ रूपए से ज़्यादा गया हो गया। भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता और कम कीमतों की वजह से विश्व के विकसित देशों में भारी मांग बढ़ रही है एवं भारत से निर्यात में वर्ष दर वर्ष निरंतर वृद्धि हो रही है। यही वजह है कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार की ताकतें भारतीय कंपनियों के कृषि रसायनों की विश्व बाज़ार में बढ़ती हिस्सेदारी से दुखी हैं और भारत काे बाज़ार से बाहर करने के लिए पिछले कुछ वर्षों से तरह तरह के हथकण्डे अपना रही हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों की वैश्विक बाज़ार में हिस्सेदारी को प्रभावित करने के लिए भारत के कुछ स्वैच्छिक संगठनों को विदेशी फंडिंग की जा रही है जिससे भारतीय कंपनियों के द्वारा बनाये हुए जेनेरिक मोलेक्युल्स को बदनाम करके बंद करवाने के प्रयासों में लगे रहते हैं। दूसरी ओर भारत के किसानों को आयातित कृषि रसायनों पर निर्भर बनाने की साजिशें की जा रही हैं। यह स्वैच्छिक संगठन अपने विदेशी दान प्रदाताओं के इशारों पर नाचते हैं और उन्ही के इशारों पर काम करते हैं। यही नहीं बल्कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने कुछ भारतीय कंपनियों को अपना प्रवक्ता नियुक्त कर रखा है जो यह आभास दिलाते हैं की उनके द्वारा उठाये गए सभी मुद्दे भारतीय कंपनियों के मुद्दे हैं।
डॉ. चौधरी ने कीटनाशक प्रबंधन विधेयक को लेकर पिछले वर्ष कृषि संबंधी संसदीय स्थायी समिति में कुछ सुझाव दिये थे जिन्हें काफी हद तक समिति ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार भी किया है। उन्होंने समिति को बताया था कि इस विधेयक में आयातित फार्मूलेशन के पंजीकरण से पहले, उसमे उपयुक्त होने वाले सक्रिय तत्त्व (टेक्निकल) के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने के संबंध में कोई प्रावधान नहीं किया है और ना ही टेक्निकल के स्त्रोत का कोई सत्यापन किया जाता है। जबकि भारतीय कंपनियों को अपने उत्पादों के पंजीकरण के लिए विस्तृत नमूने एवं टेक्निकल के स्त्रोत की जरुरत होती है। इससे विदेशी कंपनियों को लाभ मिलता है। यह ‘मेक इन इंडिया’ की निति के विरुद्ध है। उन्होंने सुझाव दिया था कि विधेयक में आयातित फार्मूलेशन के पंजीकरण के लिए टेक्निकल का पंजीकरण अनिवार्य करने का प्रावधान होना चाहिए। क्योंकि दुनिया के सभी विकसित देशों में बिना टेक्निकल रजिस्टर किये, फार्मूलेशन रजिस्टर नहीं किया जाता। फार्मास्युटिकल्स और ड्रग्स इंडस्ट्री में भी यही किया जाता है।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से यह विधेयक भारत में उन कीटनाशकों (पेस्टीसाइड) के निर्यात की अनुमति को बाधित करता है जिन्हे किन्हीं कारणवश भारत में उपयोग करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है लेकिन उनका उपयोग अन्य विकसित देशों में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसका भारत से होने वाले निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा एवं देश को निर्यात से होने वाली विदेशी मुद्रा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और भारतीय कंपनियों के द्वारा विश्व में बनाये हुए बाजार पर चीन का कब्ज़ा हो जायगा। इसे रोकने के लिए उन कीटनाशकों (पेस्टीसाइड) के उत्पादन की अनुमति जारी रखने का प्रावधान किया जाना चाहिए जिनके उपयोग को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है एवं अन्य देशों में अभी भी जारी है। इसी प्रकार से ‘वितरण' की परिभाषा में से ‘अंतरराष्ट्रीय बाज़ार’ शब्द हटा दिया जाना चाहिए।
डॉ. चौधरी ने कृषि मंत्री से मांग की है कि कीटनाशक विधेयक को लेकर संसदीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार करके शामिल करना चाहिए ताकि देश की कृषि व्यवस्था पर संकट नहीं आये। उन्होंने यह मांग भी कि इसे लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक की अगुवाई में एक समीक्षा समिति बनायी जानी चाहिए जिसमें मंत्रालय के अधिकारी नहीं हों।

किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन

किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन  

अकांशु उपाध्याय         
नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को कहा कि देश के किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए एक बड़े किसान आंदोलन की जरुरत है। जिसकी सफलता के लिए विपक्षी दलों की एकजुटता जरुरी है।
टिकैत ने तेलंगाना के किसानों से फसलों की खरीद को लेकर तेलंगाना भवन पर जन प्रतिनिधियों के चल रहे धरना को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानाें के आन्दोलन के लिए स्थान और तिथि की घोषणा जल्दी ही की जायेगी। उन्होंने कहा कि देश के किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक की जानी चाहिए और ठोस निर्णय लिया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि सत्तारुढ दल का मुकाबला करने के लिए विपक्ष के मदद की जरूरत है और इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए ।
किसान नेता ने कहा कि तेरह माह के आन्दोलन के बाद किसानों की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के निर्धारण के लिए केन्द्र सरकार ने एक समिति गठित करने की घोषणा की और बाद में संयुक्त किसान मोर्चा से इसके लिए दो तीन नाम मांगे गए। मोर्चा की ओर से सरकार को पत्र भेजा गया और और पूछा गया कि समिति में कितने लोग होंगे और उसकी शक्ति क्या होगी , इसका जवाब अब तक नहीं दिया गया है ।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मनमाने ढंग से समिति का गठन करना चाहती है और उसके निर्णय को किसानों पर थोपना चाहती है जिसे किसान कभी सफल नहीं होने देंगे। किसानों को एमएसपी गारंटी कानून चाहिए और इससे कम कुछ उसे मंजूर नहीं है।

महानायक ने निमरत के अभिनय की तारीफ की

महानायक ने निमरत के अभिनय की तारीफ की   

कविता गर्ग             
मुंबई। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने फिल्म दसवीं में निमरत कौर के अभिनय की तारीफ की है और उन्होंने अपने हाथ से लिखा लेटर और फूलों का गुलदस्ता भेजा है।
अमिताभ को फिल्म दसवीं में निमरत कौर की परफॉर्मेंस बेहद पसंद आई, जिसके बाद उन्होंने निमरत कौर के लिए एप्रिसिएशन लेटर लिखा। इस बात की जानकारी निमरत कौर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक इमोशनल पोस्ट के जरिए दी।
निमरत कौर ने लिखा, "जब मैंने 18 साल पहले मुंबई शहर में कदम रखा था। तब यह कल्पना ही जेहन में थी कि एक दिन अमिताभ बच्चन मुझे मेरे नाम से मुझे जानें। एक टेलीविजन ऐड में उन्होंने मेरी सराहना की और आज सालों बाद एक नोट और फूल भेजे हैं। अमिताभ बच्चन सर आपको मेरा सहप्रेम, अनंत धन्यवाद। आज अल्फाज और भावनाएं, दोनों कम पड़ रही हैं। आपका यह स्नेहपूर्वक पत्र आजीवन मुझे प्रेरित करता रहेगा और आपके इस अमूल्य गुलदस्ता रूपी आशीर्वाद की महक मेरी जिंदगी के हर कदम पर बनी रहेगी। आपसे मिली इस शाबाशी से एक चुप्पी महसूस हो रही है…जैसे किसी विशाल पर्वत या प्राचीन मंदिर के सामने होती है। आपकी श्रद्धापूर्वक, सदैव आभारी, निमरत।
गौरतलब है कि फिल्म दसवीं में अभिषेक बच्चन, निमरत कौर और यामी गौतम ने मुख्य भूमिका निभायी है।

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