रविवार, 30 मई 2021

जल्ल़ाद: सनकी पति ने पत्नी-बच्चों को जिंदा जलाया

अविनाश श्रीवास्तव                  
पटना। बिहार के बेगूसराय जिले के गढपुरा थाना क्षेत्र के गढहाडा में एक सनकी पति ने पत्नी और बच्चों को जिंदा जला दिया। इसमें दो की घटनास्थल पर मौत हो गई। जबकि तीन की हालत नाजुक बनी हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस घटना में 17 वर्षीय पुत्री आसमां खातून और 60 वर्षीय पत्नी सलेखा खातून की मौत हो गई। तीन की हालत नाजुक बनी हुई है। घायलों की पहचान सालेखा खातून की 45 वर्षीय पुत्री सनीमा खातून, सनीमा खातून की 15 वर्षीय पुत्री यासमीन सहित 8 वर्षीय पुत्र मोहम्मद फारुख के रूप में की गई है। मो. मुख्तार ने इस घटना को अंजाम दिया है। घायल पीड़िता ने बताया कि पिछले 4 साल से घर में विवाद चल रहा था। विवाद के बाद पूरे परिवार को लेकर अपने मायके में रहकर गुजर-बसर कर रही थी। शनिवार की शाम भी पिता ने मोबाइल पर जान से मारने की धमकी दी थी। इस धमकी को उसके पिता ने हकीकत में बदल दिया। अपने भाई और भतीजा के साथ उसके पिता घर आए और दरवाजे को बाहर से बंद कर तेल छिडककर आग लगा दी। घर में बंद सभी चीखते-चिल्लाते रहे और इस दौरान मां और बहन की आग में झुलसकर मौत हो गई। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है। गढहरा थाने के पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शवों को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बेगूसराय सदर अस्पताल भेज दिया है।

युवाओं की बदहाली, 7 साल करार दिया: हुंकार

दुष्यंत टीकम                
रायपुर। केंद्र की मोदी सरकार के सात वर्ष पूर्ण होने पर छत्तीसगढ़ प्रदेश युवा कांग्रेस ने इन सात सालों को युवाओं की बदहाली के सात साल करार दिया है। देश को गर्त में पहुंचा देने वाला बताया है। छत्तीसगढ़ युवा कांग्रेस अध्यक्ष पूर्णचंद (कोको) पाढ़ी ने कहा है कि युवाओं को बड़े-बड़े सपने दिखाकर 2014 में सत्तानशी होने वाली मोदी सरकार ने सबसे अधिक छल इस देश के युवाओं से ही किया। गांव-गांव जाकर मोदी सरकार की उपलब्धियों का प्रचार करने की बात करने वाली भाजपा क्या यह बता सकती है कि 1. 19 अप्रैल को 18 प्लस वैक्सीनेशन की घोषणा के बाद भी सरकार ने कोई तैयारियां क्यों नहीं की ? बजट में वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपयों के प्रावधान के बावजूद हुई इस अव्यवस्था की जिम्मेदारी किसकी है ? छत्तीसगढ़ में 18 प्लस युवाओं के लिए 2 करोड़ 60 लाख वैक्सीनों की आवश्यकता है। लेकिन केंद्र सरकार वैक्सीन उपलब्ध करवाने के बजाए वैक्सीन कंपनियों पर दबाव बना कर राज्य की खरीदी क्यों प्रभावित कर रही है?
2. आज भारत मे बेरोजगारी दर 45 वर्षों में सर्वोच्च क्यों है? प्रतिवर्ष 2 करोड़ योग्यतानुसार रोजगार देने के वादे के उलट देश में लगभग 12 करोड़ से अधिक नौकरीपेशा लोगों की नौकरी क्यों छीन ली गई?
3. भाजपा का घोषणापत्र उच्च शिक्षा को बढ़ावा देते हुए सबके लिए शिक्षा की बात कहता है लेकिन आईआईटी,आईआईएम जैसे संस्थानों की फीस तिगुने से अधिक बढ़ाकर सभी के लिए समान अवसर कैसे उत्पन्न होगा, निम्न और मध्यमवर्गीय परिवार यह आर्थिक भार कैसे वहन करेगा?
4. यूपीए कार्यालय में  जो जीडीपी 7 फीसदी के करीब हुआ करती थी,वह मोदी सरकार में फार्मूला बदलने के बाद भी आज बदहाल स्थिति में क्यों है ?
5. बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार का नारा लेकर सत्ता पर काबिज होने वाली मोदी सरकार का आज महंगाई पर काबू क्यों नहीं है,खाने के तेल से लेकर गाड़ियों का पेट्रोल सब कुछ महंगा होता जा रहा है, इसका जिम्मेदार कौन है ?
6. कोरोना के कारण एमएसएमई सेक्टर पर जमकर मार पड़ी,जिसके लिए मोदी सरकार ने 20,000 करोड़ का राहत पैकेज जारी किया, मोदी सरकार का यह जुमला पैकेज आखिर कहा गया?
7. अपने 7 सालों में मोदी सरकार ने एक भी पीएसयू खड़े नहीं किए ,उल्टे इन्हें बेचने में लगी हुई है, आखिर यह मेक इन इंडिया की पॉलिसी सेलिंग इंडिया में कैसे और किनके दबाव में बदल गई?

योगी ने यूपी में अनलॉक की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया

हरिओम उपाध्याय              
लखनऊ। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लगाए गए कोरोना कर्फ्यू को खत्म करते हुए उत्तर प्रदेश को अनलॉक की तरफ आगे बढ़ा दिया गया है। सरकार की ओर से जारी की गई नई गाइडलाइन के मुताबिक, 1 जून से प्रदेश के 20 जनपदों को छोड़कर अन्य सभी जिलों में सवेरे 7.00 बजे से लेकर शाम 7.00 बजे तक कोरोना कर्फ्यू में कुछ शर्तों के साथ ढील दी जाएगी। इस दौरान शनिवार और रविवार की साप्ताहिक बंदी पहले की तरह जारी रहेगी। 600 से अधिक कोरोना संक्रमित केसों वाले जनपदों को फिलहाल अभी कोरोना कर्फ्यू की छूट से बाहर रखा गया है। रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई गाइडलाइन में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान से जुड़े फ्रंटलाइन सरकारी विभागों में कर्मचारियों की पूरी उपस्थिति रहेगी और अन्य से सरकारी कार्यालय अधिकतम 50 प्रतिशत कर्मचारियों की उपस्थिति के साथ खुलेंगे। इसमें 50 प्रतिशत कर्मचारी ही रहेंगे। निजी कंपनियों के कार्यालय भी मास्क लगाने की अनिवार्यता के साथ खोले जा सकेंगे। इस दौरान औद्योगिक संस्थान खुले रहेंगे और सब्जी मंडिया भी पहले की तरह खुली रहेंगी। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक स्कूल, कालेज, तथा अन्य शिक्षण संस्थान शिक्षण कार्य के लिए बंद रहेंगे। रेस्टोरेंट में केवल होम डिलीवरी की अनुमति होगी। सेंट जॉन को छोड़कर शेष धर्म स्थलों के अंदर एक बार में केवल पांच ही श्रद्धालु जा सकेंगे। अंडे, मांस और मीट मछली की दुकानों को पर्याप्त साफ-सफाई और सैनिटाइजर का ध्यान रखते हुए बंद स्थान अथवा ढके स्थान पर खोलने की अनुमति होगी। इस दौरान प्रदेश में गेहूं क्रय केंद्र एवं राशन की दुकानें खुली रहेंगी। प्रदेश में कोचिंग संस्थान, सिनेमा, जिम, स्विमिंग पूल, क्लब और शॉपिंग मॉल अभी पूर्णतया बंद रहेंगे। कोरोना कफ्र्यू से फिलहाल प्रदेश के मेरठ, लखनऊ, सहारनपुर, वाराणसी, गाजियाबाद, गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, बरेली, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, झांसी, प्रयागराज, लखीमपुर खीरी, सोनभद्र, जौनपुर, बागपत, मुरादाबाद, गाजीपुर ,बिजनौर और देवरिया जनपद में फिलहाल कोई छूट नहीं दी गई है।

चीन पर कोविड-19 वायरस उत्पत्ति का आरोप तय

लंदन। ब्रिटेन के खुफिया एजेंटों ने चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से कोविड-19 वायरस की उत्पत्ति को संभाव्य बताया है। द संडे टाइम्स की रिपोर्ट में रविवार को इस आशय की जानकारी दी गयी है। इससे पहले डेली मेल ने शनिवार को बताया था कि ब्रिटेन के प्रोफेसर एंगस डाल्गलिश और नॉर्वे के वैज्ञानिक बिर्गर सोरेंसन ने एक अध्ययन किया था। जिसमें दावा किया गया था कि कोविड-19 वायरस प्रयोगशाला से उत्पन्न हुआ था।

अध्ययन में कहा गया है कि चीनी वैज्ञानिकों ने वुहान प्रयोगशाला में कोविड-19 वायरस विकसित किया, जिसके बाद उन्होंने चमगादड़ से प्रसारित वायरस को प्राकृतिक दिखाने के लिए 'जानबूझकर विनाश, डेटा को छिपाने या दूषित करने' का प्रयास किया। चीन ने हालांकि बार-बार इस तरह के आरोपों से इंकार किया है।जनवरी में, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने वुहान की यात्रा की, जहां उन्होंने कोविड-19 की उत्पत्ति के सुराग के लिए प्रयोगशाला, अस्पतालों और बाजारों की जांच की, जो वायरस कोविड-19 फैलने का कारण बनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ मिशन ने तब एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें कहा गया था कि वुहान की एक प्रयोगशाला से नए कोरोना वायरस के लीक होने की संभावना बहुत कम है। मार्च में जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि नए वायरस के सबसे अधिक संभावना एक मध्यस्थ जरिये के माध्यम से चमगादड़ों से मनुष्यों में फैलती है।

ऑनलाइन क्लास आयोजित करने पर लगा प्रतिबंध

अकांशु उपाध्याय              

नई दिल्ली। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच सरकार द्वारा ऑफलाइन क्लास पूरी तरह बंद कर दी गई थी। कुछ दिनों तक ऑनलाइन क्लास चलती रही मगर 4 मई को राज्य सरकार ने 5 मई से लेकर 31 मई तक राज्य में सभी शिक्षण संस्थाओं में गर्मी की छुट्टी की घोषणा की थी। इस दौरान कोई भी ऑनलाइन क्लास या परीक्षा आयोजित करने पर प्रतिबंध लगा दिया।

अब कोरोना संक्रमण के रफ्तार धीरे-धीरे कम पड़ने लगी है और आम नागरिकों को राहत भी मिलने लगी है। इसी बीच ओडिशा सरकार ने यह फैसला लिया है। राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थान आगामी 1 जून से ऑनलाइन क्लास शुरू कर सकेगी। राज्य के सभी स्कूल कॉलेज और यूनिवर्सिटी में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो सकेगी। बात अगर लॉकडाउन की स्थिति की की करें तो कुछ राज्यों ने अपने यहां लॉकडाउन में धीरे-धीरे दिल ढील देना भी शुरू कर दिया है। अगर सब कुछ अच्छा रहा तो आने वाले समय में आम जन जीवन पहले की तरह चालू हो जाएगा।

पीएम के 7 साल पूरे होने पर गृहमंत्री ने बधाईं दी

अकांशु उपाध्याय                 
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी सरकार के सात साल पूरे होने के अवसर पर बधाई देते हुए कहा कि इस अवधि में देश ने सुरक्षा, जन कल्याण और सुधार के क्षेत्र में ‘अभूतपूर्व उपलब्धि’ हासिल की है। शाह ने कई ट्वीट कर मोदी को गरीबों, किसानों और वंचितों का जीवन स्तर सुधारने और उन्हें मुख्य धारा में लाने का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि उनके मजबूत नेतृत्व में समग्र और कल्याणकारी नीतियां अपनाई गई है और भारत शक्तिशाली राष्ट्र बन रहा है। शाह ने ट्वीट किया, ”प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के अभूतपूर्व उपलब्धियों से परिपूर्ण सात वर्ष पूरे होने पर मोदी जी का अभिनंदन करता हूं। मोदी सरकार ने विकास, सुरक्षा, जनकल्याण और ऐतिहासिक सुधारों के समांतर समन्वय का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।”

ओवल टेस्ट ने मेरे लिए सब कुछ बदल दिया: जडेजा

हरिओम उपाध्याय   

नई दिल्ली। टीम इंडिया इन दिनों इंग्लैंड दौरे की तैयारियों में जुटी है। ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा को भी इस अहम दौरे के लिए टीम में जगह मिली है। जडेजा कोहनी की चोट की वजह से इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज से बाहर रहे थे। इसी बीच जडेजा ने अपने करियर के बुरे वक्त को याद किया है। 2018 के इंग्लैंड दौरे से पहले जडेजा काफी समय तक भारतीय टेस्ट और वनडे टीम से बाहर थे। लेकिन उस दौरे ने जडेजा की किस्मत बदल कर रख दी।

इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में रवींद्र जडेजा ने कहा, 'सच कहूं तो वो डेढ़ साल रातों की नींद हराम कर गए। उस दौर में, मुझे याद है कि मैं सुबह 4-5 बजे उठ जाता था। मैं सोचता था कि क्या करूं, मैं वापसी करूं? मैं लेटा रहता था, लेकिन जगा ही रहता। मैं टेस्ट स्क्वॉड में था लेकिन नहीं खेल रहा था। मैं वनडे भी नहीं खेल रहा था। भारतीय टीम के साथ यात्रा करने के चलते मैं डोमेस्टिक क्रिकेट भी नहीं खेलता था। मुझे खुद को साबित करने का कोई मौका नहीं मिल रहा था। मैं सोचता रहता कि मैं वापस कैसे आऊंगा।
'32 साल के जडेजा ने आगे कहा, 'ओवल टेस्ट ने मेरे लिए सब कुछ बदल दिया। मेरा प्रदर्शन, मेरा आत्मविश्वास, सब कुछ। जब आप बेस्ट गेंदबाजी यूनिट के खिलाफ इंग्लिश परिस्थितियों में स्कोर करते हैं, तो आपका आत्मविश्वास बढ़ता है। यह आपको महसूस कराता है कि आपकी तकनीक दुनिया में कहीं भी रन‌ बनाने लिए काफी अच्छी है। बाद में हार्दिक पंड्या चोटिल हो गए और मैंने वनडे में वापसी की। तब से मेरा खेल अच्छा चल रहा है। मुझे याद है कि जब मैं ओवल टेस्ट में बैटिंग के लिए गया था, तो पहले से मेरी कोई योजना नहीं थी। मैंने अपना समय लिया था और डेब्यू कर रहे हनुमा विहारी को भी ऐसा करने को कहा।
'आईपीएल के बारे में जडेजा ने कहा, 'मैंने अपने प्रैक्टिस के तरीकों में सुधार किया, क्योंकि मुझे अहसास हुआ कि टी20 में टाइमिंग के अलावा पावर हिटिंग की भी जरूरत है। जब आप टेस्ट मैचों की तरह रन बनाने की जल्दी में नहीं होते, तो टाइमिंग आपके काम आती है। मैंने सीजन से पहले अपना ट्रेनिंग सत्र बढ़ाया था। साथ ही शरीर के ऊपरी हिस्से और कंधे पर बहुत काम किया। आईपीएल 2020 से पहले मैंने डेढ़ महीने का अभ्यास किया था, मैंने एक भी दिन इसे मिस नहीं किया।
गौरतलब है कि रवींद्र जडेजा ने 2018 में ओवल टेस्ट में 86 रनों की पारी खेलकर टेस्ट टीम में शानदार वापसी की थी। उस टेस्ट की पहली पारी में भारत का स्कोर एक समय 160/6 रन था, लेकिन जडेजा ने 86 रन बनाकर भारत को 292 रनों तक पहुंचाया था। इसके बाद से जडेजा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और शानदार प्रदर्शन कर टीम इंडिया की अहम कड़ी बन गए। जडेजा अभी उन चुनिंदा भारतीय खिलाड़ियों में शामिल हैं, जो तीनों फॉर्मेट खेला करते हैं।

भाजपा सांसद का काफिला रोका, काले झंडे दिखाए

साहब राम 
दादरी। तीन कृषि कानूनों के विरोध में अब किसानों के प्रदर्शन तेज होते जा रहे हैं। आज पूर्व खिलाड़ी और भाजपा नेत्री बबीता फौगाट को जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा है। किसानों ने बबीता फौगाट को काले झंडे दिखाए और उनके काफिले को रोक लिया, इस दौरान पुलिस ने बड़ी मुश्किल से रास्ता खुलवाया ।भाजपा नेत्री और चेयरमैन बबीता फौगाट का आज दादरी के बिरही कलां गांव में विरोध किया गया। बबीता फौगाट किसी काम से जा रही थी कि रास्ते में किसानों ने बबीता को रोक लिया। इस दौरान किसानों ने काले झंडे दिखाए और विरोध किया। पुलिस ने इस दौरान किसानों को हटाने की भी खूब कोशिश की।

जून में 12 करोड़ टीके की खुराक उपलब्ध होगी

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को बताया कि देश में कोविड-19 टीकाकरण के लिए जून के महीने में करीब 12 करोड़ खुराक उपलब्ध होंगी। इससे पहले मई के महीने में टीके की 7.94 करोड़ खुराक उपलब्ध थीं। मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा कि विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को टीके की खुराकों का आवंटन वहां होने वाली खपत, उसकी जनसंख्या और टीके की बर्बादी के आधार पर किया जाता है।

वक्तव्य के मुताबिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस बात की स्पष्ट तौर पर जानकारी दे दी गयी है कि जून 2021 में उन्हें टीके की कितनी खुराकों की आपूर्ति की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ” भारत सरकार की ओर से जून के महीने में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनके वहां मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों, अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मचारियों के अलावा 45 अथवा उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों के लिए टीके की 6.09 करोड़ खुराक निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।”इसके अतिरिक्त विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के अलावा निजी अस्पतालों द्वारा सीधी खरीद के लिए टीके की 5,86,10,000 खुराक उपलब्ध होंगी, अर्थात जून 2021 में राष्ट्रीय कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के तहत टीके की करीब 12 करोड़ (11,95,70,000) खुराक उपलब्ध होंगी।

मंत्रालय ने कहा कि टीके के आवंटन का कार्यक्रम राज्यों के साथ तय समय पर साझा किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे टीकाकरण कार्यक्रम से जुड़े संबंधित अधिकारियों को टीके की आवंटित खुराकों का सही तरीके से उपयोग सुनिश्चित करने और टीके की बर्बादी को कम करने का निर्देश दें।

मंत्रालय ने कहा कि टीके की खुराकों के आवंटन के बारे में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को पहले जानकारी इसलिए दी जा रही है ताकि वे टीके की आपूर्ति और प्रबंधन को लेकर बेहतर योजना बना सकें। मंत्रालय के मुताबिक मई में केन्द्र की ओर से राज्यों को टीके की 4,03,49,830 खुराक उपलब्ध कराई गयीं। इसके अतिरिक्त राज्यों और निजी अस्पतालों द्वारा सीधी खरीद के लिए टीके की 3,90,55,370 खुराक उपलब्ध थीं। इस प्रकार मई में राष्ट्रीय कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के लिए कुल मिलाकर टीके की 7,94,05,200 खुराक उपलब्ध थीं।

स्कूल में दफन किये गये 215 बच्चों के ​शव मिले

कनाडा। प्रसिद्ध व ऐतिहासिक कैमलूप्स इंडियन रेजिडेंटीयल स्कूल में दफन किये गये 215 बच्चों के ​शव मिले हैं। सम्भावना जताई जा रही है कि शवों की संख्या इससे भी कही अधिक होती है। दफन लाशों में बहुत से की आयु 2 से 6 साल के बीच आंकी जा रही है। यह घटना कनाडा के इतिहास में मासूम बच्चों के साथ हुई भयानक बर्बरता का सबूत दुनिया के सामने पेश कर रही है। कनाडा के प्रधानमंत्री ने इसके लिए अफसोस जताते हुए इसे कनाडा के इतिहास का सबसे शर्मनाक अध्याय बताया है।

बताया जा रहा है कि बच्चों की यह मौतें वर्ष 1890 से 1969 के मध्य हुई हैं। स्कूल के एक अधिकारी रोजैन केसिमीर ने इस घटना से पर्दा उठाते हुए एक ऐसी ऐतिहासिक घटना का जिक्र किया, जो शायद इससे पहले कभी दुनिया के सामने खुल नही पाई। उन्होंने बताया कि “19वीं सदी की शुरुआत से लेकर 1970 तक क्रिश्चियन स्कूलों में देशभर से 1.50 लाख से ज्यादा बच्चों को लाया गया था। उनके ऊपर क्रिश्चियन में कन्वर्ट करने का दबाव डाला जाता था और उन्हें अपनी मातृभाषा तक बोलने नहीं दी जाती थी। कइयों को पीटा गया। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान करीब 6 हजार बच्चे मारे गए थे।”आपको बता दें कि कनाडा का यह स्कूल एक वक्त में कनाडा का सबसे बड़ा बोर्डिंग स्कूल माना जाता था। यह ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में स्थित कैमलूप्स स्कूल 1978 में बंद हो गया था। कैमलूप्स स्कूल 1890 से 1969 तक चलाया गया था। इसके बाद सरकार ने कैथोलिक चर्च से इसका नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। इस स्कूल को 1978 में बंद कर दिया गया।

ज्ञात रहे कि बच्चों की मौत को लेकर वर्ष 2008 में कनाडा की तत्कालीन सरकार ने संसद में माफी भी मांगी थी और माना था कि उस वक्त क्रिश्चियन स्कूलों में बच्चों के साथ शारीरिक और यौन शोषण भी होता था।पांच वर्ष पूर्व ट्रूथ एंड रिकॉन्सिलिएशन कमिशन की एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दुर्व्यवहार और लापरवाही के कारण कम से कम 3,200 बच्चों की मौत हुई थी। जबकि, 1915 से 1963 के बीच कैमलूप्स स्कूल में 51 बच्चों की मारे जाने की रिपोर्ट दर्ज की गई थी।

इधर इस घटना पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूड्यू ने भी दु:ख जताया है। उन्होंने कहा, “स्कूल में शव मिलने की खबर दिल दु:खाती है। ये हमारे देश के इतिहास के काले और शर्मनाक अध्याय की दर्दनाक याद है। मैं उन सभी लोगों के बारे में सोच रहा हूं जो इस दुखद खबर से प्रभावित हुए हैं। हम आपके लिए यहां हैं।”

पीएम पद का सम्मान नहीं करती है ममता: भाजपा

मीनाक्षी लोधी   
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने रविवार को ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि वह प्रधानमंत्री पद का सम्मान नहीं करतीं और दावा किया कि उन्होंने राजनीतिक कारणों से चक्रवात से मची तबाही पर बुलाई गई समीक्षा बैठक में शिरकत नहीं की। घोष ने खगड़पुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है, और ” अब हर कोई जान गया है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के लिए किस तरह की भाषा और शब्दों का इस्तेमाल करती हैं।”भाजपा नेता ने दावा किया, “उन्होंने (बनर्जी ने) तब भी राजनीति की जब राज्य के लोग चक्रवात और कोविड-19 महामारी के कारण संकट से जूझ रहे हैं। 
हम जानते हैं कि वह बैठक कक्ष में कैसे पहुंचीं, जहां प्रधानमंत्री मौजूद थे, उन्होंने कैसे बात की, और फिर मुख्य सचिव के साथ चली गईं।” घोष की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तापस रॉय ने कहा, “घोष द्वारा लगाए गए आरोपों पर पलटवार करने की कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है। अब उनकी पार्टी में कोई अहमियत नहीं है।”उन्होंने कहा, “चूंकि उन्होंने कुछ टिप्पणियां की हैं, मैं कहना चाहूंगा कि यह भाजपा ही है जो चक्रवात की तबाही और कोविड स्थिति का राजनीतिकरण कर रही है।” उनके सुर में सुर मिलाते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि चुनाव में हार के बाद भाजपा ममता बनर्जी सरकार को बदनाम करने के तरीके खोज रही है।

मुख्मयमंत्री ने शनिवार को कहा था कि भाजपा नीत केंद्र सरकार ‘बदले की राजनीति’ कर रही है और मोदी तथा शाह हर कदम पर उनकी सरकार के लिए परेशानी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने विधानसभा चुनाव में अबतक भाजपा की हार नहीं मानी है। उन्होंने पूछा कि चक्रवात से मची तबाही को लेकर प्रधानमंत्री के साथ उनकी समीक्षा बैठक में विपक्षी भाजपा के नेताओं को क्यों आमंत्रित किया गया? बनर्जी ने यह भी कहा था कि उन्हें इससे अपमानजनक महसूस हुआ है।

नए डिजिटल नियमों के साथ ब्योरा साझा किया

अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। गूगल और फेसबुक जैसी बड़ी डिजिटल कंपनियों ने भारत के नए सोशल मीडिया नियमों के हिसाब से शिकायत अधिकारी की नियुक्ति समेत अन्य जानकारी सार्वजनिक करने के उद्देश्य से अपनी वेबसाइट अद्यतन (अपडेट) करने शुरू कर दिए हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार गूगल, फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसी बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों ने नए डिजिटल नियमों के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय के साथ ब्योरा साझा किये हैं।
हालांकि ट्विटर अभी भी नियमों का अनुपालन नहीं कर रही। नए नियमों के तहत प्रमुख सोशल मीडिया मध्यस्थों को शिकायत निपटान अधिकारी, नोडल अधिकारी और मुख्य परिचालन अधिकारी नियुक्त करने की आवश्यकता है। इन अधिकारियों के लिये जरूरी है कि उनकी नियुक्ति भारत में हो और वे यहां रहे। प्रमुख सोशल मीडिया मध्यस्थों की श्रेणी में वे सोशल मीडिया मंच आते हैं जिनके उपयोगकर्ताओं की संख्या 50 लाख से अधिक है।
उद्योग सूत्रों ने कहा कि फेसबुक और व्हाट्सऐप पहले ही अनुपालन रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के साथ साझा कर चुकी हैं। नये शिकायत अधिकारियों की नियुक्ति के बारे में जानकारी इन मंचों पर अद्यतन की जा रही है। गूगल ने ‘कांटेक्ट अस’ पृष्ठ पर जो ग्रियर का नाम दिया है। उनका पता माउंटेन व्यू अमेरिका का है। इस पृष्ठ पर यूट्यूब के लिये शिकायत निपटान व्यवस्था के बारे में भी जानकारी दी गयी है।

नियमों के अनुसार सभी सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी-अपनी वेबसाइट, ऐप या दोनों पर शिकायत निपटान अधिकारी और उनके पते के बारे में जानकारी देनी है। साथ ही शिकायत के तरीके को बताना है जिसके जरिये उपयोगकर्ता या पीड़ित अपनी शिकायत कर सके। शिकायत अधिकारी को 24 घंटे के भीतर दर्ज की गयी शिकायत प्राप्त करने के बारे में सूचना देनी होगी। साथ ही ऐसे शिकायतों का निपटान प्राप्ति की तारीख से 15 दिन की अवधि में करना होगा।

सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि ट्विटर नियमों का पालन नहीं कर रही। कंपनी ने मंत्रालय को मुख्य अनुपालन अधिकार के नाम के बारे में जानकारी मंत्रालय को नहीं भेजी। उसने विधि कंपनी में काम करने वाले एक वकील का नाम बतौर संपर्क अधिकरी और शिकायत अधिकारी के रूप में दिया है। सूत्रों के अनुसार जबकि आईटी नियमों में साफ कहा गया है कि सोशल मीडिया मंचों के मनोनीत अधिकारियों के कंपनी का कर्मचारी होना और उसका भारत में निवासी होना जरूरी है।

इस बारे में ट्विटर ने ई-मेल के जरिये पूछे गये सवालों का जवाब नहीं दिया। कंपनी की वेबसाइट पर भारत के लिये शिकायत अधिकारी (अंतरिम) के तौर पर धर्मेन्द्र चतुर का नाम दिया गय है। गूगल, फेसबुक और व्हाट्सऐप ने भी नये आईटी नियमों के तहत जरूरी नियुक्तियों के बारे में ई-मेल के जरिये पूछे गये विस्तृत सवालों के जवाब नहीं दिये। सूत्रों ने पूर्व में कहा था कि नये नियमों के प्रावधानों को लागू करने के संदर्भ में गूगल, फेसबुक और व्हाट्सऐप के अलावा कू, सर्चचैट, टेलीग्राम और लिंक्डइन जैसे महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थों ने मंत्रालय के साथ ब्योरा साझा किये हैं।


लोगों के लिए 'पेयजल आपूर्ति' सुनिश्चित की जाएं

लोगों के लिए 'पेयजल आपूर्ति' सुनिश्चित की जाएं  इकबाल अंसारी  चेन्नई। तमिलनाडु में गर्मी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए मु...