शनिवार, 20 मार्च 2021

कितनी पीढ़ियों तक आरक्षण जारी रहेगा: एससी

 अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा कोटा मामले की सुनवाई के दौरान शुक्रवार को जानना चाहा, कि कितनी पीढ़ियों तक आरक्षण जारी रहेगा। शीर्ष न्यायालय ने 50 प्रतिशत की सीमा हटाए जाने की स्थिति में पैदा होने वाली असमानता को लेकर भी चिंता प्रकट की। महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ से कहा कि कोटा की सीमा तय करने पर मंडल मामले में (शीर्ष न्यायालय के) फैसले पर बदली हुई परिस्थितियों में पुनर्विचार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि न्यायालयों को बदली हुई परिस्थितियों के मद्देनजर आरक्षण कोटा तय करने की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ देनी चाहिए और मंडल मामले से संबंधित फैसला 1931 की जनगणना पर आधारित था। मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने वाले महाराष्ट्र के कानून के पक्ष में दलील देते हुए रोहतगी ने मंडल मामले में फैसले के विभिन्न पहलुओं का हवाला दिया। इस फैसले को इंदिरा साहनी मामला के रूप में भी जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों (ईब्ल्यूएस) को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का केंद्र सरकार का फैसला भी 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन करता है। इस पर पीठ ने टिप्पणी की, ‘यदि 50 प्रतिशत की सीमा या कोई सीमा नहीं रहती है। जैसा कि आपने सुझाया है। तब समानता की क्या अवधारणा रह जाएगी। आखिरकार, हमें इससे निपटना होगा। इस पर आपका क्या कहना है।इससे पैदा होने वाली असमानता के बारे में क्या कहना चाहेंगे। आप कितनी पीढ़ियों तक इसे जारी रखेंगे।
पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति रविंद्र भट शामिल हैं। रोहतगी ने कहा कि मंडल फैसले पर पुनर्विचार करने की कई वजह है। जो 1931 की जनगणना पर आधारित था। साथ ही, आबादी कई गुना बढ़ा कर 135 करोड़ पहुंच गई है।
पीठ ने कहा कि देश की आजादी के 70 साल गुजर चुके हैं। और राज्य सरकारें कई सारी कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं। तथा क्या हम स्वीकार कर सकते हैं कि कोई विकास नहीं हुआ है। कोई पिछड़ी जाति आगे नहीं बढ़ी है। न्यायालय ने यह भी कहा कि मंडल से जुड़े फैसले की समीक्षा करने का यह उद्देश्य भी है। कि पिछड़ेपन से जो बाहर निकल चुके हैं। उन्हें अवश्य ही आरक्षण के दायरे से बाहर किया जाना चाहिए।
इस पर रोहतगी ने दलील दी, ‘हां, हम आगे बढ़े हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। कि पिछड़े वर्ग की संख्या 50 प्रतिशत से घट कर 20 प्रतिशत हो गई है। देश में हम अब भी भूख से मर रहे हैं। मैं यह नहीं कहने की कोशिश कर रहा हूं कि इंदिरा साहनी मामले में फैसला पूरी तरह से गलत था। और इसे कूड़ेदान में फेंक दिया जाए। मैं यह मुद्दा उठा रहा हूं कि 30 साल हुए हैं। कानून बदल गया है। आबादी बढ़ गई है। पिछड़े लोगों की संख्या भी बढ़ गई है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में जब कई राज्यों में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक है। तब यह नहीं कहा जा सकता कि यह ”ज्वलंत मुद्दा नहीं है।और 30 साल बाद इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत नहीं है। मामले में बहस बेनतीजा रही और सोमवार को भी दलील पेश की जाएगी। गौरतलब है। कि शीर्ष न्यायालय बंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। जिसमें राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने को कायम रखा गया था।

सीएम ने पूजन कर सर्व कल्याण की कामना की

 पंकज कपूर 
हरिद्वार। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को हरकी पैड़ी पहुंचकर मां गंगा की पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत शनिवार को देहरादून से चलकर हरकी पैड़ी पहुंचे। यहां पर उनका विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द्र अग्रवाल, राज्यमंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, रानीपुर विधायक आदेश चौहान, ज्वालापुर विधायक सुरेश राठौर, भाजपा जिलाध्यक्ष जयपाल सिंह चौहान, जिला महामंत्री विकास तिवारी, मेला अधिष्ठान के अधिकारियों और श्री गंगा सभा के सभापति कृष्ण कुमार शर्मा, अध्यक्ष प्रदीप झा, महामंत्री तन्मय वशिष्ठ, स्वागत मंत्री सिद्धार्थ चक्रपाणी, उज्ज्वल पंडित सहित अन्य लोगों ने स्वागत किया। इसके बाद श्रीगंगा सभा के आचार्य अमित शास्त्री ने मंत्रोउच्चारण के साथ मुख्यमंत्री श्री रावत से मां गंगा की पूजा-अर्चना ओर आरती कराई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने मां गंगा से कुम्भ की सफलता और सभी के कल्याण की कामना की। इसके बाद श्रीगंगा सभा कार्यालय में पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को गंगाजलि, प्रसाद भेंट किया। इसके बाद मुख्यमंत्री नीलधारा टापू स्थित मीडिया सेंटर पहुंचे। जहां उन्होंने कुम्भ के लिए कराए गए 12023.50 लाख रूपये की लागत से 36 कार्यों का लोकार्पण किया। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, मेलाधिकारी दीपक रावत, जिलाधिकारी सी रविशंकर, आईजी कुम्भ संजय गुंज्याल, अपर मेलाधिकारी डाॅ. ललित नारायण मिश्र, हरबीर सिंह, रामजी शरण शर्मा सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

लक्ष्मी स्टेशन होगा, झांसी रेलवे स्टेशन का नाम

 अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के एक और रेलवे स्टेशन का नाम बदलने वाला है। झांसी रेलवे स्टेशन का नाम वीरांगना लक्ष्मी बाई रेलवे स्टेशन होगा। इससे पहले भी यूपी के कई रेलवे स्टेशनों के नाम बदले जा चुके हैं।
बता दें कि सबसे पहले यूपी के वाराणसी जंक्शन से 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुगलसराय स्टेशन का नाम बदल कर पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन किया गया था।
ये स्टेशन यूपी के चंदौली जिले के शहर मुगलसराय में आता है। इसके बाद वाराणसी के मंडुआडीह स्टेशन का नाम बदलकर बनारस स्टेशन रखा गया है। इलाहाबाद जंक्शन का नाम भी बदल कर प्रयागराज जंक्शन कर दिया गया। इसके अलावा पिछले साल ही नौगढ़ रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर सिद्धार्थनगर हो गया है।

होली-बैसाखी के सहारे आंदोलन का भविष्य

 अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का केंद्र सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। 26 मार्च को भारत बंद के बाद होली और वैसाखी पर भी किसानों ने देशव्यापी प्रदर्शन करने की घोषणा की है। होली पर किसान संगठन होलिका दहन की जगह कृषि कानून की प्रतियां जलाएंगे।
वहीं वैसाखी पर हजारों किसान बॉर्डर पर जुटेंगे। हालांकि दिल्ली की सीमाओं पर कम होती भीड़ से भी किसान संगठन चिंतित नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि अभी भीड़ जरूर कम हो रही है। लेकिन आगामी त्यौहार के सहारे आंदोलन को फिर से खड़ा करने की कोशिश करेंगे।
किसान नेताओं ने अमर उजाला को बताया कि 23 मार्च को हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों से किसानों के जत्थे 23 मार्च को भगत सिंह के शहीदी दिवस पर दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर पहुंचेंगे।
होली के त्योहार को लेकर संगठन की तैयारी हो चुकी है। होली पर गांवों से हजारों किसान दिल्ली की बॉर्डर जुटेंगे। सभी मिलकर यहां शांतिपूर्ण तरीके से होली का त्योहार मनाएंगे।
इसके अलावा बैसाखी पर भी किसान बॉर्डर पर जुटेंगे। हर गांव से कम से कम दस किसानों को आंदेालन में शामिल होने का आह्वान किया जा रहा है। सभी बॉर्डर से कम होती भीड़ किसान संगठनों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। हर प्रदर्शन स्थल पर गिने चुने ही लंगर चल रहे हैं। इसके अलावा अधिकांश जत्थे भी खाली हो गए हैं। दिल्ली में बढ़ती गर्मी के कारण भी किसानों की संख्या कम हो रही है।
इधर, किसानों का सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी है। भारत बंद के लिए किसान संगठनों ने लोगों से समर्थन मांगना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है, कि ये बंद शांतिपूर्ण तरीके से होगा। इस दौरान अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की परेशानी खड़ी करेगा तो उसे सीधे पुलिस संगठन के पास सौंप दिया जाएगा।

कोविड प्रोटोकॉल के कड़ाई से पालन के निर्देश

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रशासन को निर्देश दिए हैं, कि नवा रायपुर के शहीद वीर नारायण अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में रोड सेफ्टी टी 20 वर्ल्ड क्रिकेट सीरीज के खेले जा रहे मैचों के दौरान दर्शकों की संख्या स्टेडियम की क्षमता के 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो। खेल के दौरान स्टेडियम के अंदर और बाहर कोविड प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए हैं कि मैच के दौरान दर्शक मास्क लगाए रहें। यदि दर्शक मास्क नहीं लगाए पाए जाते हैं तो उन पर अर्थदण्ड अधिरोपित करने के साथ कड़ी कार्रवाई की जाए।

दिल्ली पुलिस ने किया हाईटेक गैंग का पर्दाफाश

 अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने सरकारी नौकरी के लिए होने वाली प्रतियोगी परीक्षा में पेपर लीक कराने वाले हाई टेक मुन्ना भाई गैंग का पर्दाफाश करते हुए एक युवती समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का दावा है कि इस गैंग की सरगना युवती है। जो खुद को आईपीएस बताती थी। लोगों को प्रभाव में लेने के लिए युवती अपने भाई और ब्वॉयफ्रेंड को सब इंस्पेक्टर व हेड कांस्टेबल की नकली वर्दी पहनाकर साथ चलती थी। आरोपियों की पहचान वैशाली, भाई लव कुमार, रोहित और हिमांशू के तौर पर की गई है। इस गैंग का खुलासा उस समय हुआ था, जब पिछले दिनों नारायणा के एक सेंटर पर रोहित नामक एक युवक को नकल करते हुए पकड़ा गया था। उसी से हुई पूछताछ के बाद इस गैंग का पर्दाफाश हुआ है।
वेस्ट डिस्ट्रिक्ट की डीसीपी उर्विजा गोयल ने बताया कि पुलिस ऑनलाइन एग्जाम में चीटिंग करने वालों पर नजर रख रही है। पिछले दिनों नारायणा इलाके में स्थित ॐ एंड चंद्र एसोसिएट नामक एग्जामिनेशन सेंटर पर नकल करते हुए एक युवक को पकड़ा गया था। सोनीपत जवाहर नगर निवासी रोहित को मोबाइल फोन से चीटिंग करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। इसके खिलाफ 4 मार्च को केस दर्ज कर लिया गया था। पूछताछ में रोहित ने इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया। रोहित के पास से मोबाइल फोन बरामद किया गया था। मोबाइल फोन का डाटा रिकवर करने के दौरान कॉल डिटेल्स आदि की जांच में हुई। जिसके बाद तीन लोगों के बारे में जानकारी मिली। जिनके नाम वैशाली, लव कुमार और हिमांशू थे. इन्हें दिल्ली और हरियाणा में अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया गया।

यूके: गुरु के चरणों में ध्यान से मिलती है खुशी

 पंकज कपूर   
देहरादून। संत राजिन्दर सिंह महाराज ने कहा, कि सृष्टि के शुरूआत से ही इंसान की यही कोशिश रही है, कि वो अपनी ज़िंदगी को खुशियों से जिये और इसके लिए वह उन कार्यों करने की कोशिश करता है। जिनसे उसे लगता है कि उसे खुशी मिलेगी। महाराज ने कहा, कि हममें से बहुत से लोग यह सोचते हैं, कि जब हमारा शरीर तंदुरुस्त होगा, हमारे पास बहुत सारा पैसा होगा। हमारे रिश्ते-नाते बेहतर होंगे। एक बहुत बड़ा घर होगा या एक सफल कैरियर होगा तो हमें खुशी मिलेगी। इसके लिए हम यही कोशिश करते हैं कि दुनिया में कुछ बन जाएं।अपने शरीर को स्वस्थ रखें। अपने लिए कुछ नाम कमाएं। कुछ धन-दौलत कमाएं। अपने परिवार व रिश्ते-नातों को अच्छी तरह निभायें और इन सब बाहरी खुशियों को पाने के लिए हम अपना बेशकीमती समय उन कार्यों में ही लगा देते हैं। महाराज जी ने बताया कि हममें से अधिकतर लोग अपने आपको शरीर और मन मानते हैं। हम अपना सारा समय अपनी शारीरिक जरूरतों (भोजन, आवास, कपड़ा) की पूर्ति और इसे आराम देने के लिए विभिन्न प्रकार के आनंद की प्राप्ति में ही लगा देते हैं। इसके साथ-साथ हम अपने बौद्धिक विकास के लिए अपना अधिकतर समय एक अच्छी शिक्षा की प्राप्ति में लगाते हैं। जिससे कि हम एक सुनहरा उज्जवल भविष्य बनाकर इस दुनिया में नाम-शौहरत और दौलत कमा सकें। उन्होंने कहा कि अगर हम ध्यान से देखें तो हम पाते हैं कि इस दुनिया की शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक खुशियाँ प्राप्त करने पर हमें इनके खो जाने का डर हमेशा बना रहता है। इनमें से कोई भी खुशी स्थायी नहीं है। क्योंकि इस दुनिया की हर चीज़ नाशवान है। ऐसे में हम सोचते हैं कि क्या कोई ऐसी खुशी है। जो सदा-सदा के लिए हमारे साथ रहती है? तब हमारा ध्यान अपने धर्मग्रंथों व संतों-महापुरुषों की शिक्षाओं की ओर जाता है। महापुरुष समझाते हैं कि अगर हमें सच्ची खुशी पानी हैं तो वह इस बाहर की दुनिया में नहीं बल्कि हमारे भीतर ही हमें मिलेगी, जिसके लिए हमें अपने ध्यान को इन बाहरी दुनिया के आकर्षणों से हटाकर अपनी आत्मा की ओर लगाना होगा। जिसके लिए हमें वक्त के किसी पूर्ण गुरु के चरण-कमलों में पहुँचकर उनसे ध्यान-अभ्यास की विधि सीखनी होगी और जैसे-जैसे हम ध्यान-अभ्यास में नियमित रूप से समय देते हैं तो हम अपने अंतर में प्रभु की ज्योति और श्रुति के साथ जुड़कर सच्ची खुशी का अनुभव करते हैं, जिससे कि हमारा इस जीवन को देखने का नज़रिया ही बदल जाता है। ध्यान-अभ्यास के ज़रिये हमारा मिलाप प्रभु से हो जाता है और हम हमेशा-हमेशा की खुशी को पा लेते हैं। ध्यान-अभ्यास की यह विधि प्रत्येक इंसान कर सकता है चाहे वह बच्चा हो या बुजुर्ग। हमें चाहिये कि हम छोटी उम्र से ही ध्यान एकाग्र करना सीखें जिससे कि बड़े होने पर यह हमारी एक आदत बन जाए। जो लोग ध्यान एकाग्र करना सीख लेते हैं वह अपना ध्यान संसार की चिंताओं से हटाकर स्वयं को अंतर के आनंद से जोड़ना सीख लेते हैं और अपने अंतर में सदा-सदा की खुशी का अनुभव करते हैं। जब हम अपनी दैनिक जीवन की जिम्मेदारियाँ निभा रहे होंगे, तब भी यह खुशी हमारे साथ रहेगी। जब हम काम पर जाएंगे, चाहे ट्रैफिक में गाड़ी चला रहे हों या शॉपिंग करते समय या बच्चों का पालन-पोषण करते समय दिन-रात, हर समय, हर पल यह खुशी हमारे साथ रहती है। ध्यान-अभ्यास करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जब हमने अंतर प्रभु की दिव्य-ज्योति और श्रुति के साथ जुड़ते हैं तो हमें यह अनुभव हो जाता है कि प्रभु की यह शक्ति न सिर्फ इंसानों को बल्कि सृष्टि के सभी जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों आदि को भी जान दे रही है। तब हमारे अंदर सभी के प्रति प्रेम, अहिंसा और करूणा का भाव उत्पन्न होता है।

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