बुधवार, 9 दिसंबर 2020

सरकार लिखित आश्वासन देने को तैयार

हरिओम उपाध्याय


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हो रही कैबिनेट की बैठक से किसान आंदोलन से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। सरकार किसानों के आंदोलन के आगे झुकती नजर आ रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार किसानों को भेजे जाने वाले प्रस्ताव में एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने को तैयार हो गई है। विवाद के निपटारे के लिए भी एसडीएम के अलावा कोर्ट जाने की इजाजत भी लिखित में देने को तैयार है।


इसके साथ ही एपीएमसी क़ानून के तहत आने वाली मंडियों को और सशक्त करने पर सरकार तैयार है। किसान चाहते हैं कि जिन व्यापारियों को प्राइवेट मंडियों में व्यापार करने की इजाज़त मिले उनका रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। जबकि क़ानून में केवल पैन कार्ड होना अनिवार्य बनाया गया है। सरकार किसानों की यह मांग भी मांगने को तैयार नजर आ रही है।


सरकार के प्रस्ताव के बाद आगे की रणनीति बताएंगे किसान
सरकार की ओर से लिखित प्रस्तताव मिलने के बाद दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं की बैठक होगी। किसान नेता हनन मुल्ला ने कहा है कि कृषि कानूनों को निरस्त करना होगा और बीच का कोई रास्ता नहीं है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा- केंद्र की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे। आज होने वाली छठे दौर की वार्ता रद्द हो गई है। ड्राफ्ट पर चर्चा होगी और आगे फैसला तय किया जाएगा। हमें उम्मीद है कि शाम चार पांच बजे तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।


अमित शाह से रात में बैठक, कोई हल नहीं निकला
मंगलवार देर रात 13 किसान नेताओं की गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात बेनतीजा रही। अचानक हुई बैठक में किसी हल की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन किसान नेता अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार ने भी अपनी मंशा साफ कर दी है कि कानून वापस नहीं होंगे। सरकार किसानों की मांग को देखते हुए कानून में संशोधन करने को तैयार है।


किसानों के प्रदर्शन का 14वां दिन
राजधानी दिल्ली में हजारों की संख्या में हरियाणा-पंजाब और देश के अन्य राज्यों से आए किसानों का आज 14वां दिन हैं। सरकार और किसानों के बीच अब कुल छह दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन इन बैठकों में दोनों पक्षों के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान डटे हुए हैं। हालांकि, सरकार की तरफ से लगातार आंदोलन को खत्म करने कोशिश की जा रही है। लेकिन किसान संगठन अपनी जिद पर अड़े हुए है कि सरकार इन तीनों ही कानूनों को वापस ले।


क्या है विरोध
गौरतलब है कि सितंबर महीने में मॉनसून सत्र के दौरान केन्द्र सरकार की तरफ से पास कराए गए तीन नए कानून- 1. मूल्य उत्पादन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020, 2. आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 और 3. किसानों के उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 का किसानों की तरफ से विरोध किया जा रहा है। किसानों को डर है कि इससे एमसीपी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और सरकार उन्हें प्राइवेट कॉर्पोरेट के आगे छोड़ देगाी। हालांकि, सरकार की तरफ से लगातार ये कहा जा रहा है कि देश में मंडी व्यवस्था बनी रहेगी। लेकिन, किसान अपनी जिद पर अड़े हुए हैं।                                


किसानों के बाद डॉक्टर भी करेंगे हड़ताल

पालूराम


नई दिल्ली। निजी एलोपैथी डॉक्टरों ने सर्जरी के लिए आयुर्वेद डॉक्टरों की अनुमति का विरोध किया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 8 दिसंबर को सांकेतिक विरोध और 11 दिसंबर को निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद करने की घोषणा की है।


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने गैर-आवश्यक गैर-Covid सेवाओं को छोड़कर, 11 दिसंबर को सुबह 6 से शाम 6 बजे तक सार्वजनिक प्रदर्शन की घोषणा की है, हालांकि इस अवधि के दौरान आपातकालीन सेवाओं को जारी रखने का निर्णय लिया गया है। इस दौरान ओपीडी सेवाएं उपलब्ध नहीं होंगी और ऐच्छिक सर्जरी भी पोस्ट नहीं की जाएगी।


इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आयुष डॉक्टरों को सर्जरी का अधिकार दिए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई है। एलोपैथ चिकित्सकों ने आयुष मंत्रालय के फैसले के खिलाफ 11 दिसंबर को हड़ताल का आह्वान किया है।


इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार आयुष डॉक्टरों को दी गई सर्जरी का अधिकार वापस नहीं लेती है, तो विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। दूसरी ओर, आयुर्वेद के डॉक्टरों के विभिन्न संगठन सर्जरी के अधिकार का समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि सर्जरी आयुर्वेद का हिस्सा है। आधुनिक चिकित्सा डॉक्टर देश भर में 10 हजार से अधिक सार्वजनिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।                              


आरबीआई ने बैंक का लाइसेंस रद्द किया

हरिओम उपाध्याय


नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को महाराष्ट्र के कराड में संकटग्रस्‍त ‘कराड जनता सहकारी बैंक’ का लाइसेंस रद्द कर दिया है। आरबीआई ने पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावना नहीं होने के कारण यह कार्रवाई की है। बता दें कि इससे पहले नवंबर 2017 से ही कराड जनता सहकारी बैंक पर रिजर्व बैंक ने कुछ पाबंदियां लगाई हुई थीं। आरबीआई ने कहा कि लाइसेंस रद्द होने के बाद अब बैंक पूरी तरह से बंद हो जाएगा।


इस नियम के तहत रद्द किया गया बैंक का लाइसेंस
रिजर्व बैंक ने बैंक का लिक्विडेटर नियुक्त करने का आदेश भी दिया था। आरबीआई के मुताबिक, सेक्शन-22 के नियमों के मुताबिक बैंक के पास अब पूंजी और कमाई की कोई गुंजाइश नहीं है। कराड बैंक बैंकिंग रेगुलेशन, 1949 के सेक्शन-56 के पैमानों पर खरा नहीं उतरा। अब बैंक को चालू रखना जमाकर्ताओं के हित में नहीं है। मौजूदा स्थिति में बैंक अपने डिपॉजिटर्स को पूरा पैसा नहीं दे पाएगा। इसी वजह से उसका लाइसेंस रद्द किया गया है। साथ ही केंद्रीय बैंक ने साफ कर दिया है कि लाइसेंस रद्द होने के बाद भी 99 फीसदी जमाकर्ताओं को उनकी पूंजी वापस मिल जाएगी।


डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट, 1961 (DICGC Act 1961) के तहत डिपॉजिटर्स को बैंक के लिक्विडेशन पर 5 लाख तक की रकम वापस मिल जाएगी। इसलिए 99 फीसदी डिपॉजिटर्स को बैंक में जमा अपनी पूरी पूंजी वापस मिल जाएगी। आरबीआई ने कहा है कि बैंक के लाइसेंस को रद्द करने और लिक्विडेशन की कार्यवाही शुरू करने के साथ ही जमाकर्ताओं को पैसे लौटाने का काम शुरू हो जाएगा। बता दें कि लाइसेंस रद्द करने का फैसला 7 दिसंबर के कामकाज के बाद प्रभावी हो गया है। इसके प्रभावी होने के साथ बैंक अब बैंकिंग से जुड़ी कोई गतिविधि नहीं कर सकता है।                               


नशे में धुत्त पति ने पत्नी की जुबान काटी

लखनऊ। लखनऊ में एक शख्स ने पति-पत्नी के रिश्ते को तार-तार कर दिया।  पति जब शराब के नशे में घर पहुंचा तो पत्नी से उसकी बहस हो गई। इसके बाद आरोपी ने पहले तो गला दबाकर पत्नी की हत्या करने की कोशिश लेकिन जब इसमें सफल नहीं हुआ तो उसकी जुबान ही काट दी। रिपोर्ट के मुताबिक लखनऊ की तहसील के भट्टा गांव में रचित रावत नाम का व्यक्ति नशे की हालत में घर पहुंचा तो पत्नी से बहस होने के बाद उसे जमकर पीटा और गला दबाने की कोशिश करने लगा। गला दबाने के बाद जब पत्नी की जुबान मुंह से बाहर निकली तो उसे अपनी दांतों से काटकर अलग कर दिया।               


फोर्ब्सः दुनिया की ताकतवर महिलाएं

वाशिंगटन डीसी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, अमेरिका की नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ और एचसीएल एंटरप्राइजेज की सीईओ रोशनी नडार मल्होत्रा दुनिया की सर्वाधिक 100 शक्तिशाली महिलाओं की फोर्ब्स की सूची में शुमार की गई हैं। इस सूची में लगातार दसवें साल जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल शीर्ष पर हैं। कमला हैरिस इस सूची में तीसरे स्थान पर और निर्मला सीतारमण इस सूची में 41वें स्थान पर हैं। 17वीं वार्षिक 'फोर्ब्स पावर लिस्ट' में 30 देशों की महिलाएं शामिल हैं।           


मस्जिद तोड़ कर मूर्ति स्थापना की मांग

मुकेश लहरी


नई दिल्ली। दिल्ली के कुतुब मीनार परिसर में स्थित कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद हिंदुओं और जैनों के 27 मंदिरों को तोड़कर बनाए जाने का आरोप लगाते हुए, वहां देवताओं की पुनर्स्थापना और पूजा-अर्चना का अधिकार मांगा गया है। दिल्ली के साकेत कोर्ट में भगवान विष्णु और भगवान ऋषभदेव की ओर से मुकदमा दाखिल कर भग्नावस्था में पड़ी देवताओं की मूर्तियों की पुनर्स्थापना और पूजा-प्रबंधन का इंतजाम किए जाने की मांग की गई है। इस मुकदमे को विचारार्थ स्वीकार करने के मुद्दे पर मंगलवार को साकेत कोर्ट में सिविल जज नेहा शर्मा की अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हुई। मामले पर अगली सुनवाई 24 दिसंबर को होगी।


इस मुकदमे में कुल पांच याची हैं। पहले याचिकाकर्ता तीर्थकर भगवान ऋषभदेव हैं, जिनकी तरफ से हरिशंकर जैन ने निकट मित्र बनकर मुकदमा किया है। दूसरे याचिकाकर्ता भगवान विष्णु हैं, जिनकी ओर से रंजना अग्निहोत्री ने मुकदमा किया है। मामले में भारत सरकार और भारत पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के कुतुब परिसर में स्थित कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद को हिंदू और जैनों के 27 मंदिरों को तोड़कर उनके मलबे से बनाया गया है।


आक्रमणकारी मुहम्मद गोरी के कमांडर कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसका निर्माण कराया था। वहां देवी-देवताओं की सैकड़ों खंडित मूर्तियां आज भी हैं। कहा गया है कि यह मुकदमा संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 में मिले धार्मिक आजादी के अधिकारों के तहत तोड़े गए मंदिरों की पुनर्स्थापना के लिए दाखिल किया गया है। मंगलवार को याचिकाकर्ता की हैसियत से स्वयं बहस करते हुए हरिशंकर जैन ने कहा कि इस मामले में ऐतिहासिक और एएसआइ के साक्ष्य हैं। इनसे साबित होता है कि इस्लाम की ताकत प्रदर्शित करने के लिए कुतुबुद्दीन ऐबक ने मंदिरों को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम के तहत 1914 में अधिसूचना जारी कर इस पूरे परिसर का मालिकाना हक और प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया था। ऐसा करने से पहले सरकार ने हिंदू और जैन समुदाय को सुनवाई का मौका नहीं दिया।


याचिका में पिछले वर्ष के अयोध्या मामले के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है कि उसमें कोर्ट ने कहा था कि पूजा करने वाले अनुयायियों को देवता की संपत्ति संरक्षित करने के लिए मुकदमा दाखिल करने का अधिकार है। सरकार का कानूनी दायित्व है कि वह ऐतिहासिक स्मारक को संरक्षित करे। लेकिन इसके साथ ही कानून में प्रावधान है कि उस संरक्षित इमारत की धार्मिक प्रकृति के मुताबिक पूजा की अनुमति दी जा सकती है। वहां जरूरत के अनुसार, मरम्मत का काम हो सकता है और शर्तों का पालन करने पर लोगों को अंदर जाने का अधिकार है।


कोर्ट से मांग की गई है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह एक ट्रस्ट का गठन करे, जो वहां देवताओं की पुनर्स्थापना करके उनकी पूजा-अर्चना का प्रबंधन और प्रशासन देखे। इसके अलावा सरकार और एएसआइ को वहां पूजा-अर्चना तथा मरम्मत व निर्माण में किसी तरह का दखल देने से रोका जाए।                            


झटकाः कृषि बिल वापस नहीं लेगी सरकार

किसानों को लगा बड़ा झटका, सरकार नहीं लेगी कृषि कानून


अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। गृह मंत्री से पहले किसान नेताओं की सरकार के साथ अब तक पांच राउंड की बैठक हो चुकी है। पांचों ही वार्ता बेनतीजा रही।  इन बातचीत में सरकार और किसान अपने-अपने रुख पर अड़े रहे। सरकार जहां कृषि कानून को वापस लेने से इनकार कर रही है तो वहीं, किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। गौरतलब है कि सरकार किसानों के सामने संशोधन का प्रस्ताव भी दी थी, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया था. पांचवें दौर की बैठक के दौरान ही किसान नेताओं ने कहा था कि हमें फैसला चाहिए।


हम हां या ना में जवाब चाहते हैं। चर्चा बहुत हो चुकी है। बतादें कि दिल्ली स्थित I CAR के गेस्ट हाउस में गृह मंत्री अमित शाह और 13 किसान नेताओं की बातचीत दो घंटे चली। बैठक से पहले किसान नेता रुदरु सिंह मानसा ने कहा कि बीच का समाधान नहीं है। हम गृह मंत्री से सिर्फ हां या ना की मांग करेंगे। बता दें कि रुदरु सिंह मानसा भी उन किसान नेताओं में हैं जिनकी मुलाकात अमित शाह से हुई।
दरअसल गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक में किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी, हनन मुला, शिव कुमार कक्का जी, बलवीर सिंह राजेवाल, रुलदू सिंह मानसा, मंजीत सिंह राय,बूटा सिंह, हरिंदर सिंह लखोवाल, दर्शन पाल, कुलवंत सिंह संधू, बोध सिंह मानसा और जगजीत सिंह ढलेवाल शामिल थे। बतादें कि कृषि कानूनों को लेकर मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह और 13 किसान नेताओं की बातचीत हुई। बुधवार को सरकार और किसानों की होने वाली वार्ता से पहले इस बैठक को अहम माना जा रहा था, लेकिन ये भी बेनतीजा रही।


एक ओर जहां किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं तो वहीं गृह मंत्री ने कृषि से जुड़े तीनों कानूनों को वापस लेने से इनकार कर दिया। अमित शाह और 13 किसान नेताओं की मुलाकात 2 घंटे चली। बैठक के बाद किसान नेता हनन मुल्ला ने कहा कि सरकार बुधवार को लिखित में प्रस्ताव देगी। किसान सरकार के प्रस्ताव पर दोपहर 12 बजे सिंधु बॉर्डर पर बैठक करेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार के साथ बुधवार को होने वाली छठे दौर की वार्ता भी स्थगित कर दी गई है। हनन मुल्ला ने कहा कि सरकार कानून वापस नहीं लेगी।                             


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