शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

नीतीश के गृह जिले की खुली पोल

पटना। ठीक पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर हो रहे हैं। तेजस्वी ने पिछले 24 घंटे के दौरान वीडियो के साथ दो ट्वीट भी किया है। इसमें पहला वीडियो पटना के  NMCH में दिख रही लापरवाही का है तो दूसरा वीडियो खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से जुड़ा है, जिसमें कु्छ लोग एक गर्भवती महिला को खटिया पर लेकर हॉस्पिटल जा रहे हैं। 

इस विडियों को पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्विटर पर tweet करते हुए लिखा है कि 15 वर्षो के कथित विकास के साक्षात कहानी सुनिए और देखिए। गर्भवती महिला को एंबुलेंस और सड़क व्यवस्था नहीं होने के कारण खटिया पर  हॉस्पिटल ले जाया जा रहा है। यह video 15 वर्षीय  मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार जी के गृह जिला नालंदा का है। जहां 15 वर्षों से इनके विधायक और सांसद है, विज्ञापन सरकार अब कुछ कहे।              

आयु का नियम, शक्ति से लागू नहीं होगा

-दो-चार साल ऊपर होने पर भी मिल सकती है अहम जिम्मेदारी
-रायशुमारी का काम पूरा, पर्यवेक्षकों ने सोंपी प्रदेश नेतृत्व को सूची

हीरेन्द्र सिंह राठौड़


नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में मंडल, जिलों और प्रदेश संगठन के गठन का दौर जारी है। इस दौरान पार्टी में मंडल व जिला अध्यक्षों के लिए आयु सीमा तय होने की वजह से परेशान लोगों के लिए अच्छी खबर है। पार्टी मंडल व जिला अध्यक्षों के मामले में आयु सीमा के नियम को ज्यादा सख्ती से लागू नहीं करेगी। दो-चार साल ऊपर-नीचे वालों को पार्टी में अहम जिम्मेदारियां सोंपी जा सकती है।


बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने एटूजैड न्यूज को बताया कि आयु सीमा को लेकर पार्टी नेतृत्व का उद्देश्य बीजेपी में ज्यादा से ज्यादा युवाओं को नेतृत्व में भागीदारी देने का है। यदि कोई व्यक्ति आयु के मामले में थोड़ा-बहुत ऊपर-नीचे भी है तो भी मजबूत और काम करने वाले नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी। पार्टी के नता मिल-बैठकर तय करेंगे कि किसको क्या जिम्मेदारी दी जा सकती है।


बता दें कि प्रदेश बीजेपी के कोर ग्रुप की बैठक में फैसला किया गया था कि मंडल अध्यक्ष के लिए 45 साल और जिला अध्यक्ष के लिए 55 साल की उम्र वाले व्यक्तियों के नामों पर ही विचार किया जाएगा। लेकिन अब पार्टी नेताओं के सुझावों के आने के बाद प्रदेश नेतृत्व इस मामले में कुछ ढील देने पर विचार कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि इस उम्र के मामले में ज्यादा छूट नहीं दी जाएगी। ताकि संगठन में ज्यादा से ज्यादा सक्रियता बनी रहे।
खुद को रिटायर समझ रहे ज्यादा उम्र वाले
दिल्ली बीजेपी में मंडल व जिला अध्यक्षों के लिए आयु सीमा निर्धारित किए जाने के बाद पार्टी में ज्यादा उम्र वाले नेता खुद को रिटायर मानने लगे थे। पार्टी के जूनियर कार्यकर्ताओं ने भी अपने सीनियर कार्यकर्ताओं को पूछना बंद कर दिया है। बताया जा रहा है कि जूनियर कार्यकर्ताओं के मन में यह बात आ गई है कि जो व्यक्ति उम्र ज्यादा होने की वजह से पार्टी में खुद कुछ नहीं बन सकता, वह उन्हें क्या बनवा सकता है? ऐसे में दिल्ली बीजेपी में वर्षों से काम में जुटे नेता अपने आप को अलग थलग मानने लगे हैं।
गुटबाजी में भी निकल जाता समय
हर राजनीतिक संगठन की तरह दिल्ली बीजेपी में कई गुट हैं। एक गुट के वरिष्ठ नेता को बड़ी जिम्मेदारी में कई बार कई साल लग जाते हैं। ऐसे में पार्टी में यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि एक गुट के हावी होने के बाद दूसरे गुट के नेताओं को पार्टी-संगठन में स्थान नहीं मिल पाएगा। दिल्ली बीजेपी के एक पदाधिकारी ने कहा कि राजनीतिक दलों में उम्र की सीमा तय करना गलत है। यदि उम्र सीमा ही तय करनी है तो वह सभी के लिए होनी चाहिए। फिर चाहे वह सांसद हो, विधायक हो या फिर राष्ट्रीय संगठन हो अथवा प्रदेश का संगठन।
पूरे संगठन की आयु सीमा तय होने का संदेश
प्रदेश बीजेपी में पूरे संगठन की आयु सीमा तय होने का संदेश गया है। मंडलों में चर्चा है कि जब मंडल अध्यक्ष ही 45 साल का होगा तो उसके साथ 45 से कम आयु वालों को ही रखा जाना तय है। लेकिन इसका असर मंडल के दूसरे लोगों पर पड़ना भी तय है। इसी तरह जिलों में जब अध्यक्ष की उम्र ही 55 साल तय होगी तो बाकी पदाधिकारियों और सदस्यों का इससे कम आयु का रखना भी तय माना जा रहा है। इससे बहुत से नेता अपने आपको अलग थलग पा रहे हैं।
कई मंडलों में नहीं मिल पाए ढंग के नाम!
दिल्ली बीजेपी में चर्चा है कि रायशुमारी के दौरान कई मंडलों में तो 45 साल की आयु सीमा तय किये जाने की वजह से ढंग के नाम ही नहीं मिल पाए। ऐसे मंडलों में वर्तमान अध्यक्षों को ही रिपीट किए जाने की बात कही गई है। वहीं कुछ मंडलों में 50 से 55 साल तक के लोगों के नाम भी सुझाए गए हैं। ऐसे में पार्टी नेतृत्व का आयु सीमा के मामले ढिलाई बरते जाने की पूरी संभावना है।             


एशिया के बड़े सोलर प्लांट का उद्घाटन

रीवा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मध्यप्रदेश के रीवा स्थित एशिया के सबसे बड़े सौर प्लांट का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इसकी शुरुआत की। राज्य में दोबारा शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार में प्रधानमंत्री मोदी पहली बार किसी बड़ी योजना की शुरुआत कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के रीवा में 750 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना शुरू की जा रही है। इसके बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने खुद जानकारी दी थी। उन्होंने ट्वीट कर कहा था, '10 जुलाई को सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मध्यप्रदेश के रीवा में बने 750 मेगावाट की सौर परियोजना का उद्घाटन करूंगा। यह सौर परियोजना 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता को गति प्रदान करती है।' रीवा की इस परियोजना में 250-250 मेगावाट की तीन सौर उत्पादन इकाइयां शामिल हैं। इससे लगभग 15 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर कार्बन उत्सर्जन की संभावना है।            

 

26506 संक्रमित, आंकड़ा 8 लाख पार

नई दिल्ली। देश में तेजी से फैल रहा कोरोना अब भयावह आंकड़ों की ओर बढ़ चला है, देश में इस समय कोरोना संक्रमितों की संख्या लगभग आठ लाख के करीब पहुंच चुकी है, यही नहीं बीते 24 घंटों में सबसे बड़ी रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है, पिछले 24 घंटों में 26506 नए मरीज मिले हैं, यदि स्थिति यही रही, तो भारत संक्रमितों के मामले में नंबर-1 पर पहुंच जाएगा, इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को अभी सख्त लॉकडाउन लागू करने की जरूरत है, वरना आगे स्थिति भयावह हो सकती है | केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 26 हजार 506 नए मामले सामने आए हैं, जबकि 475 लोगों की मौत हुई है, यह अब तक एक दिन में सबसे अधिक आंकड़ा है, इसके बाद देशभर में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 7 लाख 93 हजार 802 हो गई है, जिनमें से 2 लाख 76 हजार 685 सक्रिय मामले हैं, इस महामारी से 4 लाख 95 हजार 513 लोग ठीक हो चुके हैं. देश में अब तक 21 हजार 604 लोगों की मौत हो चुकी है |                


'अमरनाथ यात्रा' पर रोक के लिए याचिका


  • अमरनाथ यात्रा शुरू होने से कोरोना वायरस फैलने का खतरा

  • श्रद्धालुओं के लिए लाइव दर्शन के इंतजाम करने की मांग

  • अमरनाथ बर्फानी लंगर संगठन ने SC में लगाई है याचिका


नई दिल्ली। कोरोना संकटकाल में इस साल होने वाली अमरनाथ यात्रा पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका अमरनाथ बर्फानी लंगर संगठन ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि अमरनाथ यात्रा में सालाना 10 लाख से ज्यादा भक्त आते हैं। इतनी संख्या में लोगों के आने से कोरोना फैलने का खतरा बना रहेगा।


याचिका में मांग की गई कि अमरनाथ यात्रा पर रोक लगाने के साथ ही सरकार इंटरनेट और टीवी चैनलों के जरिए अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के लाइव दर्शन का इंतजाम कराए, ताकि कोरोना काल में भी करोड़ों भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकें।


अमरनाथ बर्फानी लंगर संगठन ने याचिका में कहा कि अमरनाथ यात्रा पर रोक लगाना श्रद्धालुओं के हित में भी है। याचिका में सलाह दी गई कि मौजूदा हालात को देखते हुए श्रद्धालुओं और प्रशासन दोनों के लिए अमरनाथ यात्रा शुरू करना सही नहीं है।


अमरनाथ यात्रा के दौरान पुलिस, सुरक्षा बल, श्रमिकों, घोड़े वालों, सामान ढोने वालों और दुकानदारों का एक जगह इकट्ठा होना कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर सही नहीं होगा। इसीलिए अमरनाथ यात्रा इस बार आयोजित ही नहीं होनी चाहिए।


आपको बता दें कि अमरनाथ यात्रा शुरू करने को लेकर जोरशोर से तैयारियां चल रही हैं। इसके मद्देनजर सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जा रहे हैं। इस बार सिर्फ बालटाल रूट से अमरनाथ यात्रा कराने की योजना बनाई जा रही है। हेलीकॉप्टर से यात्रा पर भी विचार किया जा रहा है, लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है।


इनके साथ क्या रवैया अपनाएगी सरकार

अनिल मिश्रा


लखनऊ। राजनीति और अपराध जगत का आत्मीय संबंध भी सुर्खियों में आ जाता है। उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन पर कई ऐसे नेता उपजे हैं। जिन्होंने इस सूबे की राजनीति को प्रभावित किया है। ऐसे ही यूपी का पूर्वांचल ऐसे ही प्रभावी नेताओं का गढ़ माना जाता है । अपराधियों को नेताओं का समर्थन हो या नेताओं की अपराधियों को कानून के शिकंजे से बचाने की कोशिश, आखिर दलों पर अपराधियों का ये कैसा असर है। छह दशक के भारतीय लोकतंत्र में अपराधी इतने महत्वपूर्ण हो गए हैं कि कोई भी राजनीतिक दल उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं कर पा रहा। पार्टियां उन्हें नहीं चुनती बल्कि वे चुनते हैं कि उन्हें किस पार्टी से लड़ना है। उनके इसी बल को देखकर उन्हें बाहुबली का नाम मिला है


अतीक अहमद देश की सियासत में कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने जुर्म की दुनिया से निकलकर राजनीति की गलियों में कदम रखा और वे राजनीति में आकर भी अपनी माफिया वाली छवि से बाहर नहीं निकल पाए। उनके कारनामों ने हमेशा उन लोगों को सुर्खियों में बनाए रखा। यूपी की सियासत का एक ऐसा ही नाम है अतीक अहमद। इलाहाबाद के रहने वाले अतीक अहमद को एक खतरनाक बाहुबली नेता के तौर पर जाने जाते हैं। अतीक अहमद फूलपुर से सांसद रह चुके हैं। इस लोकसभा सीट से कभी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सांसद चुने गए थे। अतीक के 2014 के चुनाव में अपने हलफनामे के अनुसार उनके खिलाफ 42 मामले लंबित हैं। जिसमें हत्या की कोशिश, 6 अपहरण, 4 हत्या का आरोप हैं। इसमें सबसे सनसनीखेज मामला बसपा विधायक राजू पाल का है।


राजनीति में पहला कदम अपराध की दुनिया में नाम कमा चुके अतीक अहमद को समझ आ चुका था कि सत्ता की ताकत कितनी अहम होती है। इसके बाद अतीक ने राजनीति का रुख कर लिया। वर्ष 1989 में पहली बार इलाहाबाद (पश्चिमी) विधानसभा सीट से विधायक बने अतीक अहमद ने 1991 और 1993 का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा और विधायक भी बने। 1996 में इसी सीट पर अतीक को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया और वह फिर से विधायक चुने गए।


बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का आरोप 2004 के आम चुनाव में फूलपुर से सपा के टिकट पर अतीक अहमद सांसद बन गए थे। इसके बाद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट खाली हो गई थी। इस सीट पर उपचुनाव हुआ। सपा ने अतीक के छोटे भाई अशरफ को टिकट दिया था। मगर बसपा ने उसके सामने राजू पाल को खड़ा किया और राजू ने अशरफ को हरा दिया। उपचुनाव में जीत दर्ज कर पहली बार विधायक बने राजू पाल की कुछ महीने बाद 25 जनवरी, 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में सीधे तौर पर सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ को आरोपी बनाया गया था।


मुख्तार अंसारी पूर्वांचल से यू तो कई नेता आए लेकिन एक ऐसा भी नेता इस क्षेत्र से आया जो अपराध की दुनिया से राजनीति में आकर पूर्वांचल का रॉबिनहुड बन गया। उस बाहुबली नेता का नाम है मुख्तार अंसारी। प्रदेश के माफिया नेताओं में मुख्तार अंसारी का नाम पहले पायदान पर माना जाता है। मुख्तार अंसारी भी पूर्वांचल में बाहुबली नेता के तौर पर जाने जाते हैं। मऊ विधानसभा क्षेत्र में एक रिकॉर्ड चार बार से विधानसभा के एक सदस्य के रूप में निर्वाचित हो रहे हैं। उनके ऊपर बीजेपी के बाहुबली नेता कृष्णानंद राय की हत्या करवाने का आरोप है। हालांकि इस मामले में दोष सिद्ध नहीं हो सका है। कभी माफिया बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी के बीच शुरू हुई दुश्मनी से पूर्वांचल की धरती लाल हो गई थी। हालांकि दोनों गुटों के बीच हुए एक मुठभेड़ में बृजेश सिंह की मौत की खबर आई। लेकिन कई सालों के बाद बृजेश सिंह को नाटकीय अंदाज में जिंदा पकड़ लिया गया। अंसारी का कब्जा अब ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप, शराब, रेलवे ठेकेदारी में है। जिसके दम उसने बहुत बड़ा व्यवसाय खड़ा कर लिया है। अब वह पूरी तरह राजनीति में सक्रिय है। 2014 के लोकसभा चुनाव में उसकी हर चाल ने प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी और और पूरी टीम को परेशान करके रख दिया था।


अपराध की दुनिया में कदम1988 में पहली बार हत्या के एक मामले में उनका नाम आया था। हालांकि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पुलिस नहीं जुटा पाई थी। लेकिन इस बात को लेकर वह चर्चाओं में आ गए थे। 1990 का दशक मुख्तार अंसारी के लिए बड़ा अहम था। छात्र राजनीति के बाद जमीनी कारोबार और ठेकों की वजह से वह अपराध की दुनिया में कदम रख चुके थे। पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उनके नाम का सिक्का चलने लगा था।


राजनीति में पहला कदम और गैंगवार1995 में मुख्तार अंसारी ने राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा। 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार विधान सभा के लिए चुने गए। उसके बाद से ही उन्होंने ब्रजेश सिंह की सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया। 2002 आते आते इन दोनों के गैंग ही पूर्वांचल के सबसे बड़े गिरोह बन गए। इसी दौरान एक दिन ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया। दोनों तरफ से गोलीबारी हुई इस हमले में मुख्तार के तीन लोग मारे गए। ब्रजेश सिंह इस हमले में घायल हो गया था. उसके मारे जाने की अफवाह थी। इसके बाद बाहुबली मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में अकेले गैंग लीडर बनकर उभरे. मुख्तार चौथी बार विधायक हैं।


उत्तरप्रदेश की योगी सरकार क्या अब इन अपराधियो के साथ भी विकास दुबे जैसा व्यवहार करेगी।क्या इन बड़े माफियाओं की संपत्ति को भी जप्त या नष्ट करने का कार्य होगा।आम जनता को योगी सरकार से काफी अपेक्षा है।अपराध जगत से संलिप्त माफियाओं का सफाया होना ही चाहिए।ये अपराधी राजनीति में आकर अपने आपको सुरक्षित करना चाहते है।ऐसे अपराधियो का राजनीति में आना पूरी तरह से बंद होना चाहिए। इस विषय पर देश के सभी राजनितिक दलो को मनन करना चाहिए।जब तक अतीक अहमद और अंसारी जैसे अपराधियो को राजनीति में आना बंद नही होगा तब तक हम स्वस्थ समाज के साथ स्वस्थ राजनीती की अपेक्षा नही रख सकते है। अब इनके जैसे सभी अपराधियो के साथ विकास दुबे जैसा ही रवैया अपनाने का समय है।तब ही ये गंदगी दूर होगी।           


कार नहीं पलटती तो सरकार पलट जाती

अकाशुं उपाध्याय


कानपुर। विकास दुबे के एनकाउंटर के यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ट्वीट कर पुलिस और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने अपने ट्वीट में उस वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर सवाल उठाए हैं, जिसमें विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाया गया था।


पूर्व मुख्यमंत्री  अखिलेश यादव ने अपने एक ट्वीट में लिखा, दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई है। अखिलेश यादव समेत तमाम राजनेताओं ने पहले ही इस बात का शक जताया था कि विकास दुबे के पीछे यूपी सरकार के तमाम रसूखदार लोगों का संरक्षण प्राप्त था।


पूर्व मुख्यमंत्री  अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में भी इसी तरह की बात का संकेत दिया है। अखिलेश ने ट्वीट में कहा है कि कार पलटने और विकास दुबे के मरने से सरकार के कई राज खुलने से बच गए हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस के आठ जवानों की बर्बर हत्‍या का मुख्‍य आरोपी विकास दुबे फिल्‍मी अंदाज में मारा गया है। यूपी एसटीएफ की गाड़ी विकास को लेकर कानपुर आ रही थी। स्‍पीड तेज थी। पुलिस के मुताबिक, बर्रा के पास अचानक रास्‍ते में गाड़ी पलट गई। इस हादसे में विकास दुबे और एक सिपाही को भी चोटें आईं। इसके बावजूद विकास की नजरें पुलिस के चंगुल से बचकर भागने पर थी।


पुलिस का कहना है कि उसने मौका पाकर एसटीएफ के एक अधिकारी की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। इसी के बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। एसटीएफ ने विकास से हथियार रखकर सरेंडर करने को कहा। वह इसके बावजूद नहीं माना तो पुलिस को मजबूरन एनकाउंटर करना पड़ा।            


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