सोमवार, 15 जून 2020

कुछ हजार लगाने से बिजनेस की शुरुआत

अगर आप भी उनमें से हैं जिनके पास ज्यादा पूंजी नहीं है और आप इस बात से परेशान हैं कि आपको बिजनेस शुरू करना है लेकिन इस बात से चिंतित हैं कि उसके लिए लाखों रुपए की आवश्यकता पड़ती है तो हम आपके लिए इस परेशानी का समाधान लेकर आए हैं।


जी हां, दरअसल कुछ बिजनेस ऐसे भी हैं जिसमें लाखों लगाने की जरूरत नहीं है बल्कि कुछ हजार लगाने से ही उन बिजनेस की शुरुआत हो जाती है।


जी हां, दरअसल आज हम आपको कुछ ऐसे बिजनेस आईडियाज के के बारे में बताएंगे जो मात्र 5 से लेकर 10 हज़ार तक शुरू किए जा सकते हैं और इसमें रेगुलर इनकम या रेगुलर प्रॉफिट होता रहता प्रॉफिट होता रहता है।


मोबाइल रिचार्ज और सिम कार्ड शॉप


इस बिजनेस में आपको सिर्फ 3 से 5 हजार का शुरुआती निवेश करना होगा। बता दें कि यह बिजनेस हमेशा डिमांड में रहता है और इस बिजनेस के लिए आपको किसी बड़ी जगह की आवश्यकता भी नहीं है। आप एक छोटी से छोटी दुकान में भी इस बिजनेस को सेट अप कर सकते हैं।


रिचार्ज और सिम कार्ड का उपयोग तो कभी खत्म हो नहीं सकता इसलिए इस बिजनेस का फ्यूचर भी ब्राइट रहता रहता है।


प्रिंटर अौर फोटो कॉपी बिजनेस


यह बिजनेस 4 से 5 हजार रुपए में शुरू हो सकता है। इसके लिए आपको बस एक चीज ध्यान में रखनी होगी क्योंकि अगर आप इस चीज का ध्यान नहीं रखेंगे तो आपको इस बिजनेस में मुनाफा ना के बराबर होगा क्योंकि इस बिजनेस के लिए यह फैक्टर बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।


शू वॉश लॉन्ड्री


अब तक सिर्फ कपड़ों की ही लॉन्ड्री शॉप हुआ करती थी, लेकिन अब ऐसी मशीनें आ गई हैं जिनसे जूतों की भी धुलाई और सफाई होती है। इस काम को शुरू करने में आपको सिर्फ 4 से 5 हजार रुपए लगाने होंगे और मात्र इतने ही रुपए में आपका बिजनेस सेट हो जाएगा और आपकी गाड़ी चल पड़ेगी।


ब्रेकफास्ट शॉप


चाहे कितनी भी मंदी हो या महंगाई हो जाए, लोग खाना खाना नहीं छोड़ते। ऐसे में यह बिजनेस सदाबहार है। अक्सर लोग सुबह दफ्तर के लिए जल्दी निकलने के चक्कर में नाश्ता नहीं कर पाते हैं। खासतौर से वे लोग जो अकेले रहते हैँ। ऐसे में आप ब्रेकफास्ट शॉप शुरू करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। जैसा कि कहा कि एक सदाबहार बिजनेस है है लोग चाहे गरीब हो या अमीर खाएंगे तो शुरू तो इसलिए इस बिज़नेस बिज़नेस बिज़नेस का फ्यूचर भी काफी प्राइवेट होता है और इन्वेस्टमेंट काफी कम।


मिनरल वॉटर सप्लायर


लोगों के बीच मिनरल वॉटर की डिमांड बढ़ रही है। गर्मियों में तो पानी की डिमांड और भी ज्यादा रहती है। ऐसे में आपके लिए यह बिजनेस का अच्छा ऑप्शन हो सकता है। इसे शुरू करने में आपको महज 10 हजार रुपए की पूंजी लगानी होगी। प्रदूषण भी एक बहुत बड़ी वजह है। पानी साफ आ नहीं रहा इसलिए लोग मिनरल वाटर की ओर अग्रसर हो रहे हैं। खासतौर पर जब कोई शादी ब्याह या बड़ा फंक्शन होता है वहां पर मिनरल वाटर की आवश्यकता बहुत बढ़ जाती है ऐसे में आपको काम की कभी कमी नहीं होगी।


गारर्मेंट टेलर


अगर आपको सिलाई-कढ़ाई आती है तो आप अपने हुनर को कमाई का जरिया बना सकते हैं। महज 10 हजार रुपए में आप यह व्यापार शुरू कर सकते हैं। इस काम के लिए आपका हुनर जितना अच्छा होगा उतनी ही इस काम में आपके फ्यूचर ब्राइट होने की संभावनाएं हैं।


कोल्ड ड्रिंक और स्नैक्स


लोगों के बीच फास्ट फूड काफी लोकप्रिय है। ऐसे में आप 8 से 10 हजार रुपए में यह बिजनेस शुरू कर सकते हैं। इस बिज़नस में भी लोकेशन काफी महत्वपूर्ण है।


प्लांट नर्सरी


अपने घरों की बालकनी में पौधे लगाना लोगों को पसंद होता है। अब तो इनडोर प्लांट्स का चलन भी काफी बढ़ गया है। ऐसे में प्लांट नर्सरी एक अच्छा बिजनेस हो सकता है। इस बिजनेस को 10 हजार रुपए में आराम से शुरू कर सकते हैं।


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  • एडवोकेट प्रताप सिंह सुवाणा


व्यवस्था के लिए विशेष ट्रेन चलाई गई

नई दिल्ली। लॉकडाउन में फंसे प्रवासियों को घर लौटने के लिए काफी नुकसान उठाना पड़ा। सरकारों द्वारा व्यवस्था की गई थी। बस और श्रमिक विशेष ट्रेनें भी चलाई गईं। अब एक वॉलंटियर ग्रुप सर्वे ऑफ स्ट्रेस्ड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क (स्वान) ने खुलासा किया है कि घर जाने वाले 85% श्रमिकों को अपना किराया देना पड़ता था।

यह सर्वेक्षण सरकारों के उस दावे को खोलता है, जिसमें कहा गया था कि बस और ट्रेन का किराया श्रमिकों से नहीं लिया जा रहा है। सभी राज्य सरकारों ने दावा किया था कि उन्होंने स्वयं से प्रवासी मजदूरों के किराए का भुगतान किया था।


सर्वेक्षण के अनुसार, 28 मई का सुप्रीम कोर्ट का आदेश बहुत देरी से आया, जिससे सरकारों को प्रवासियों का खर्च वहन करने को कहा गया। जानकारी के मुताबिक, मई की शुरुआत तक कई प्रवासी अपने घर चले गए थे। स्वचालित फ़ोन सर्वेक्षण ने 1963 प्रवासियों से बात की। इसमें से केवल 33% लोग अपने घर जाने में सक्षम थे, शेष 67% लोग मजबूरी में शहर में रहे। जो लोग गए, उनमें से 85% ने अपनी जेब से घर के किराए का भुगतान किया।


'टू लीव या नॉट टू लीव: लॉकडाउन, माइग्रेंट वर्कर्स एंड देयर जर्नी होम' शीर्षक वाली यह रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की गई। सर्वेक्षण मई के अंतिम सप्ताह और जून के पहले सप्ताह में आयोजित किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, घर जाने वाले 62% लोगों ने 1500 रुपये से अधिक का किराया दिया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ज्यादातर प्रवासी नौकरी या काम की कमी के कारण पलायन करने लगे। घर लौटने या अकेले रहने की इच्छा ही प्रवास का कारण है। यह कहा गया है कि अभी भी फंसे हुए 75% लोगों को काम नहीं मिलने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वे अभी भी काम पूरा करने से पीछे हट रहे हैं। स्वान में शोधकर्ता अनिंदिता अधिकारी ने कहा, “हमें पता चला कि लोग बीमारी के डर से या परिवार के साथ घर नहीं चला रहे हैं। शहर में बेरोजगारी, कमाई के साधनों की कमी, भोजन समाप्त होने और शहर में कोई काम न होने के कारण लोग अपने घरों में जाने लगे। 'सर्वेक्षण के अनुसार, जो लोग घर गए, उनमें से 44% लोगों ने बस पकड़ी और 39% लोगों को श्रमजीवी स्पेशल ट्रेन में जगह मिली। लगभग 11% लोगों को ट्रक, लॉरी और अन्य साधनों से उनके घर तक पहुँचाया गया। 6% लोग ऐसे भी थे जो पैदल ही अपने गाँव लौट आए। रिपोर्ट के अनुसार, शहरों में फंसे 55% लोग किसी भी परिस्थिति में अपने घर जाना चाहते हैं।SWAN रिपोर्ट में 5,911 प्रवासी मजदूरों की बात भी शामिल है जिन्होंने 15 मई और 1 जून के बीच अपनी समस्याओं की सूचना दी थी। इसमें से 80% ऐसे लोग हैं, जिन्हें सरकारी राशन या खाद्य पदार्थ नहीं मिल रहे हैं। 63% लोग ऐसे भी थे जिनके पास मुश्किल से 100 रुपये बचे हैं। 57% लोगों ने भी फोन किया और बताया कि अब उनके पास न तो पैसे हैं और न ही खाने की चीजें। कुछ ऐसे भी थे जो अब भी नहीं खा पा रहे हैं।


केले की खेती से कैसे कमाता है ₹लाखों ?

केले की खेती से कैसे कमाता है लाखों रुपये?


श्रीनारद मीडिया 


इंसान के अंदर जोश और जज्बा हो तो वह न सिर्फ अपनी मंजिल हासिल करता है, बल्कि औरों के लिए प्रेरणा का श्रोत बन जाता है। ऐसे ही प्रेरणा के श्रोत बने हैं यूपी में बरेली के दो किसान जो आपस में चाचा-भतीजे हैं। एमएससी की पढ़ाई करने के बाद खेती का ऐसा जुनून सवार हुआ कि लीक से हटकर वे केले की खेती-किसानी में उतरे और लाखों की कमाई करके युवाओं के लिए प्रेरणा श्रोत बन गए। उनका दावा है कि केले का उनका फार्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा है।
मूल रूप से शीशगढ़ इलाके के गांव कजियापुर सहोड़ा निवासी अरविंद गंगवार व उनके चाचा धमेंद्र सहाय कई साल पहले महाराष्ट्र गए थे। वहां केले की खेती देखकर मन में नौकरी-चाकरी या पारंपरिक खेती की बजाय केले की खेती करेंगे। आज खेती उनका पैशन है। वे आस-पास के करीब 150 लोगों को इसके माध्यम से रोजगार भी दे रहे हैं।


रिश्ता और व्यापार की कहानी
अरविंद का कहना है कि वह और उनके चाचा धर्मेंद्र सहाय हम उम्र हैं। महाराष्ट्र में जब केले की खेती करने वाले किसानों की समृद्धि देखी तो उनका विचार ही बदल गया। वापस आकर गांव में 27 एकड़ जमीन में केले का बाग लगाया।


योग्यता आ रही खेती में काम 
धर्मेंद्र सहाय ने इन्वायरमेंट साइंस में तो उनके भतीजे अरविंद गंगवार ने एनिमल साइंस विषय से एमएससी किया। इसके बाद नौकरी की दौड़ शुरू होती कि खेती की ओर उनका रुझान हो गया। आज उनकी योग्यता खेती के काम आ रही है और आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं।


 विदेशों से फोन करके लोग ले रहे खेती के टिप्स
धर्मेंद्र और अरविंद से खेती के टिप्स लेने के लिए देश-दुनिया से फोन आने लगे हैं। धर्मेंद्र का कहना है कि उनके पास कई बार विदेशों और देश के उत्तराखंड, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि राज्यों से फोन आए। कई बड़े किसान विजिट और प्रशिक्षण को भी आ चुके हैं।


एक पेड़ में आता है दो मीटर लंबा केले का गुच्छा 
केला की खेती में पानी की अधिक आवश्यकता होती है। एक फीट केले का पौधा लगाया जाता है। 4 से 5 महीने में पौधा करीब 15 फीट ऊंचा हो जाता है। फूल आने के बाद दो महीने में दो मीटर लंबा तक केले का गुच्छा निकलता है। जुलाई से फसल तुड़ाई शुरू होगी।


सुरक्षा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी

सीतापुर। जहाँ एक तरफ सरकार हर प्रकार के वन्य प्राणियों को सम्पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।वहीं दूसरी ओर दबंग किस्म के लोग एक साथ सैकडों वन्य प्राणियों की जान लेने में जरा भी संकोच या भय नहीं करते हैं।आखिर कौन देता है इन दबंगों को संरक्षण। आखिर किसके सहारे दबंगो ने ली सैकड़ों कौवों की जान। रमेश मिश्र ने थानाध्यक्ष से किया कार्यवाही की माँग दवा मिलाते देख नाबालिग लड़के ने दिया ग्रामीणों को जानकार आइए आपको ले चलते हैं। पूरे प्रकरण की ओर-आपको बताते चलें कि सीतापुर जनपद में तम्बौर थाना क्षेत्र के अन्तर्गत सिसैया दरियाना गाँव में राजकुमार पुत्र भगौती के बाग में आम की फसल को तंबौर निवासी सिराज, रवीकुमार व हनीफ पुत्र रऊफ ने मिलकर खरीदा था । दिनाँक 8 जून 2020 को बाग के क्रेताओं द्वारा खिचड़ी में जहरीली दवा मिलाकर डाल दी गयी जिससे लगभग 200 कौवों की मौत हो गयी ।मौत का यह तमसा जब गाँव के रमेश मिश्र पुत्र  समयदीन से सहन नहीं हुआ तो उन्होंने तत्काल थाना प्रभारी तंबौर को प्रार्थना पत्र देकर वन्य जीवों की जान लेने वालों पर कार्यवाही करने की माँग की थी जब दिनाँक 14 जून 2020 तक अपराधियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो रमेश फिर थाने गया जिससे पुनः मौके पर पहुँचे उप निरीक्षकों ने अपराधियों पर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है ।अब देखना है कि ऐसा अक्षम्य अपराध करने वालों पर प्रशासन क्या कार्यवाही करता है ।

 


  • प्रदीप अवस्थी


नहर में बहता मिला युवती का शव

कुशीनगर। उत्तर प्रदेश में अपराधिक गतिविधियों में दिन-प्रतिदिन इजाफा हो रहा है। चारों तरफ अपराधी बेखौफ वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। हत्या, लूट, चोरी की वारदातों में इतनी तेजी से बढ़ोतरी होना प्रदेश की जनता के लिए उचित नहीं है। जिस पर अंकुश लगाने में पुलिस बेबस नजर आती है। जिसका प्रमाण नहर में मिली युवती की लाश है। नहर में बहती मिली 18 वर्षीय युवती का शव अपराध की गंभीरता को बयान करता है। युवती घर से किसी बात पर नाराज होकर निकली थी। आज सुबह रिसाल पट्टी के समीप मुख्य पश्चिमी गंडक नहर में दिखा शव, सूचना पर मौके पर पहुँची पुलिस विशुनपुरा ने शव को कब्जे में ले लिया। थाना क्षेत्र के बाँसगांव टोला नैनहा गाँव की घटना है।



कोरोना को लेकर दुनिया में हंगामा मचा

कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में हंगामा मचा हुआ है। इस बीच एक नया दावा सामने आया है कि अगले हफ्ते 21 जून को दुनिया खत्म हो जाएगी।


ये थ्यूरी प्राचीन माया कलेंडर पर आधारित है। हालांकि अब दुनिया में ज्यादातर लोगों द्वारा ग्रेगोरियन कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन ये कैलेंडर 1582 में अस्तित्व में आया और इससे पहले कि लोग कई तरह के कैलेंडर का उपयोग करते थे। सबसे लोकप्रिय कैलेंडर में माया कैलेंडर और जूलियन कैलेंडर थे। विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रेगोरियन कैलेंडर को पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में लगने वाले समय को बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए पेश किया गया था. लेकिन कई लोगों का यह मानना ​​है कि उस साल से 11 दिन खत्म हो चुके थे, जो कभी जूलियन कैलेंडर द्वारा निर्धारित किया गया था. 


वहीं समय के साथ इन खोए हुए दिनों में इजाफा हुआ है और अब एक साजिश के सिद्धांत का विकास हुआ है, जो दावा करता है कि हमें वास्तव में वर्ष 2012 में होना चाहिए, न कि 2020 में। वैज्ञानिक पाउलो टागालोगयून ने हालही में एक ट्वीट किया, जिसे बाद में उन्होंने डिलीट कर दिया. इसमें उन्होंने कहा था, 'जूलियन कलेंडर के मुताबिक हम टेक्निकली 2012 में हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर में बदलाव के कारण एक वर्ष में खो जाने वाले दिनों की संख्या 11 दिन है. 268 सालों से ग्रेगोरियन कलेंडर के तहत (1752-2020) का 11 दिन = 2,948 दिन. 2948 दिन/ 365 दिन (प्रति वर्ष)= 8 साल.'


इस सिद्धांत के बाद, 21 जून, 2020 वास्तव में 21 दिसंबर, 2012 होगा. गौरतलब है कि इससे पहले 2012 को दुनिया के अंत के रूप में दर्शाया गया था।


नासा ने कहा, 'कहानी यह दावा करने के साथ शुरू हुई कि सुमेरियों द्वारा खोजे गए ग्रह निबिरू का झुकाव पृथ्वी की ओर है. इस तबाही की शुरुआत मई 2003 के लिए की गई थी, लेकिन जब कुछ भी नहीं हुआ तो कयामत की तारीख दिसंबर 2012 को आगे बढ़ा दी गई और 2012 में प्राचीन माया कैलेंडर से इसे लिंक किया गया. इसलिए भविष्यवाणी की प्रलय का दिन 21 दिसंबर, 2012.'


इससे पहले अंतरिक्ष एजेंसी ने पहले बताया था, '2012 में आपदा या नाटकीय परिवर्तनों के किसी भी दावे के लिए, विज्ञान कहां है? सबूत कहां है? कोई भी नहीं है, और सभी काल्पनिक दावे के लिए, चाहे वे पुस्तकों, फिल्मों, वृत्तचित्रों में किए गए हों या इंटरनेट पर, हम तथ्य को नहीं बदल सकते.  दिसंबर 2012 में होने वाली असामान्य घटनाओं के समर्थन में किए गए किसी भी दावे के लिए कोई विश्वसनीय सबूत नहीं है।


संक्रमण के चलते, शासन के सख्त आदेश

रिपोर्ट-लखन लाल मिश्रा

 

लखनऊ। जहाँ एक तरफ कोरोना संक्रमण के चलते उत्तर प्रदेश शासन के तरफ से सख्त आदेश है कि कहीं भी अधिक भीड़ इकट्ठा न होने पाये, वहीं दूसरी तरफ परसपुर पुलिस व स्टेट बैंक ऑफ इन्डिया की लापरवाही साफ-साफ नजर आ रही है। बताते चलें कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया परसपुर में रोजाना लगभग तीस,चालीस चप्पल सामाजिक दूरी का पालन करते हुए नजर आते हैं। तथा बैंक में रुपया निकालने वाले सभी ग्राहक भीड़ इकट्ठा कर राम कहानी गाते नजर आते हैं।

अगर बैंक के कर्मचारियों से पूंछा जाता है। तो कहते हैं कि हम लोगों के कहने पर कोई नहीं मानता है। तथा पुलिस प्रशासन ने कभी समझाने के बारे में सोचा भी नहीं। बैंक के कर्मचारियों ने कहा कि अगर प्रशासन चाहे तो इस भीड़ की दूरी बनवाने में दिक्कत नहीं होगी।

कोरोना के केसों मे भारत तीसरे स्थान पर

कोरोना के बढ़ते मामलों में भारत तीसरे स्थान पर, रोज आ रहे 10 हजार से ज्यादा केस.


श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क


वाशिंगटन। अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत तीसरा देश है जहां रोजाना 10 हजार से ज्यादा मामले आ रहे हैं। रविवार को तो 12 हजार केस दर्ज हुए जो सर्वाधिक है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो इस माह भारत में रोज करीब दस हजार केस आए। वहीं, अमेरिका में 22322 और ब्राजील में यह आंकड़ा 25800 रहा। नए मामलों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।


न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी अमेरिका के सबसे प्रभावित शहर थे। अप्रैल और मई में यहां लाखों मामले सामने आए। न्यूयॉर्क में 30,874 जबकि न्यूजर्सी में 12,696 लोगों की कोरोना की वजह से मौत हो गई। इन दो महीनों में हालात इतने खराब थे कि अस्पतालों में जगह नहीं थी, घरों में रखकर लोगों का इलाज तक करना पड़ा था।


ठीक होने वालों की दर दिल्ली-मुंबई में ज्यादा


हालांकि, तेजी से फैलते संक्रमण के बीच एक राहत की भी बात है। दिल्ली-मुंबई में ठीक होने वालों की दर दुनिया में कई शहरों से आज भी सबसे ज्यादा है। न्यूयॉर्क में सिर्फ 21.23 फीसदी जबकि न्यूजर्सी में 18.88 फीसदी ही महामारी से उबर पाए हैं जबकि वहां कई महीनों से लोग बीमारी से पीड़ित हैं। वहीं, मुंबई में 45.65 फीसदी जबकि दिल्ली में 38.36 फीसदी लोग ठीक हुए।


न्यूयॉर्क से ज्यादा दिल्ली- मुंबई में आ रहे मामले


राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई में कोरोना संक्रमण का ग्राफ कई अमेरिकी शहरों को भी पीछे छोड़ रहा है। एक समय दुनिया के सर्वाधिक प्रभावित शहर रहे न्यूयॉर्क व न्यूजर्सी में जहां इन दिनों सिर्फ 500-600 मामले रोजाना आ रहे हैं तो वहीं, दिल्ली में यह आंकड़ा 2100 और मुंबई में करीब 1500 दर्ज किया जा रहा है।


कैसे थामा कहर? 


 प्रशासन ने तकनीक के जरिए कांटेक्ट ट्रेसिंग को रणनीतिक तौर पर लागू किया। कैंप लगाकर लोगों की जांच की गई और घर-घर जाकर भी छानबीन की
 – जोन बनाकर रेड जोन में टेस्टिंग बढ़ाई गई, न्यूयॉर्क में प्रति दस लाख पर 140,290 जबकि न्यूजर्सी में 116,052 लोगों की टेस्टिंग की जा चुकी है
  – पुलिसिंग तेज की गई ताकि लोग घरों से बाहर तभी निकलें जब उन्हें निकलना बेहद जरूरी था। सरकार ने जरूरी वस्तुओं को घर तक पहुंचाने में मदद की
 – स्टे एट होम के तहत सख्त नियम लागू हुए, मेयर खुद सड़कों पर उतरकर लोगों को घर से बाहर न निकलने के लिए प्रेरित करते रहे।


जनपद में फिर फूटा 'कोरोना बम'

विवेक कुमार यादव


जनपद में फिर फूटा कोरोना बम


एक साथ मिले 13 नए कोरोना पॉजिटिव केस


कोरोना संक्रमित की संख्या बढ़कर हुई 56


 


हमीरपुर जनपद। कोरोना का कहर बराबर जारी है, रविवार को कोरोना कोई नया मामला सामने ना आने पर जिला प्रशासन और स्वास्थ विभाग ने राहत की सांस ली थी, लेकिन सोमवार को आई जांच रिपोर्ट में एक साथ 13 पॉजिटिव केस निकलने से स्वास्थ विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया है, सीएमओ हमीरपुर डॉ आरके  सचान ने बताया कि सोमवार को 30 लोगों की जांच रिपोर्ट आई है, जिनमें 13 पॉजिटिव केस पाए गए हैं, बताया पांच केस कुरारा में, सरीला के इंद्रपुरा मैं 2 व 6 संक्रमित मरीज राठ के नौरंगा में पाए गए हैं, जनपद में अब कोरोना संक्रमितओं की संख्या 56 पहुंच चुकी है, लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों को लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सकते में हैं, बता दें कि संक्रमित पाए गए मरीजों में राठ निवासी महिला की मौत हो चुकी है, जबकि 12 लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं, 45 केस इस समय एक्टिव हैं!


आईआरएस अधिकारी ने की आत्महत्या

नई दिल्ली। दिल्ली में कोरोना का संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी में अब कोरोना के डर आत्महत्या करने का भी एक मामला सामने आया है। द्वारका इलाके में कोरोना संक्रमण के डर से आईआरएस अधिकारी शिवराज सिंह ने एसिड जैसा पदार्थ पीकर आत्महत्या कर ली। जब परिजनों को इस बात का पता चला तो वो उन्हें लेकर अस्पताल पहुंचे। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई वह आयकर विभाग में एडिशनल डायरेक्टर के पद पर तैनात थे।


बता दें कि करीब 3 दिन पहले ही उनका कोरोना टेस्ट हुआ था, जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। इसके बावजूद उन्हें लगता था कि कोरोना होने पर बच्चे व परिवार के अन्य लोग परेशान हो जाएंगे। उनकी उम्र 56 साल थी उनके घर से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ जिसमें उन्होंने लिखा है कि वो कोरोना के शक के चलते आत्महत्या कर रहे हैं। द्वारका जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2006 के आईआरएस अधिकारी शिवराज सिंह द्वारका के सेक्टर- 6 स्थित सन्मति अपार्टमेंट में रहते थे। उनकी ड्यूटी आरके पुरम स्थित आयकर विभाग के कार्यालय में थी। सुसाइड नोट में उन्होंन बच्चों को परेशान नहीं करने की बात कही है। साथ ही ऑफिस से भी परेशान नहीं करने की बात कही है। फिलहाल द्वारका पुलिस मामले की जांच कर रही है बता दें कि कुछ दिन पहले ही चाणक्यपुरी इलाके में भी वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी केशव सक्सेना ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।


राज्यसभा की 19 सीटों पर 19 को चुनाव

राज्यसभा की 19 सीटों पर 19 जून को चुनाव


बीजेपी ने झारखंड में कांग्रेस का गणित बिगाड़ा


कांग्रेस-BJP को गुजरात में 1 वोट की जरूरत


नई दिल्ली। देश के 8 राज्यों की 19 राज्यसभा सीटों पर 19 जून को होने वाला चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच राज्यसभा चुनाव में शह-मात का खेल जारी है। हालांकि, बीजेपी ने मध्य प्रदेश और गुजरात के बाद अब कांग्रेस को राजस्थान में भी उलझा कर रख दिया है। झारखंड का समीकरण भी बीजेपी ने अपने पक्ष में कर लिया और कांग्रेस दिल्ली में बैठकर रणनीति बनाती रही. इस तरह से बीजेपी ने कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव गणित को बिगाड़ कर रख दिया है।

गुजरात का राज्यसभा चुनाव दिलचस्पः गुजरात की चार राज्यसभा सीटों पर पांच उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से चुनावी मुकाबला दिलचस्प मोड़ पर है। बीजेपी की ओर से राज्यसभा के लिए अभय भारद्वाज और रमीवा बेन बारा के साथ तीसरे कैंडिडेट के तौर पर नरहरि अमीन मैदान में हैं तो कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के लिए शक्ति सिंह गोहिल और भरत सिंह सोलंकी किस्मत आजमा रहे हैं।

गुजरात में बीजेपी के पास 103 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 65 विधायक बचे हैं। वहीं, 2 बीटीपी, एक एनसीपी और एक निर्दलीय विधायक हैं। राज्यसभा के एक सदस्य को जीतने के लिए 35 वोटों की जरूरत है। ऐसे में कांग्रेस अगर बीटीपी, एनसीपी और एक निर्दलीय विधायक जिग्नेश मवानी का समर्थन हासिल करने में कामयाब रहती है तो उसे दोनों सीटें जीतने के लिए एक विधायक के समर्थन की दरकार होगी। वहीं, कांग्रेस ने शक्ति सिंह गोहिल को प्रथम कैंडिडेट बनाकर उनकी राह को आसान कर दिया है, लेकिन भरत सिंह सोलंकी को अपनी सीट जीतने में कड़ी मशक्कत करनी होगी।

 

झारखंड में कांग्रेस का बिगड़ा खेलः झारखंड की 2 राज्यसभा सीटों पर 3 उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। जेएमएम से शिबू सोरेन राज्यसभा के लिए मैदान में उतरे हैं तो बीजेपी से झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश मैदान में है। वहीं, कांग्रेस से शहजादा अनवर किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह व पर्यवेक्षक पीएल पुनिया दिल्ली में बैठकर रणनीति बनाते रहे और भाजपा ने समीकरण पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिया। झारखंड के मौजूदा विधायकों के आंकड़े के लिहाज से जेएमएम के शिबु सोरेन की एक सीट पक्की है और दूसरी सीट के लिए कांग्रेस और बीजेपी के पास अपने दम पर जीतने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं। ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच विधायकों के जोड़-तोड़ की कवायद तेज हो गई है। बीजेपी ने निर्दलीय विधायक सरयू राय का समर्थन जुटा लिया है।

 

राज्यसभा की एक सीट के लिए 27 वोट चाहिए. बीजेपी के पास विधायकों की संख्या 25 है। बाबूलाल मरांडी के शामिल होने के बाद यह संख्या बढ़कर 26 हो गई और सरयू राय का साथ मिलने के बाद यह आकंड़ा 27 पहुंच गया है। साथ ही बीजेपी को अपने पुराने सहयोगी आजसू व निर्दलीय विधायक अमित यादव का समर्थन मिल जाता है यह संख्या 30 पहुंच जाएगी। वहीं, राजेंद्र सिंह के निधन व प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के शामिल होने के बाद कांग्रेस का आंकड़ा फिलहाल 17 का है। इसके बावजूद कांग्रेस अगर जेएमएम के दो, माले, आरजेडी और एनसीपी के एक-एक वोट मिलने पर विधायकों की संख्या 22 पर ही है। इसके बावजूद कांग्रेस को जीत के लिए पांच विधायकों की जरूरत पड़ेगी।

मध्य प्रदेश में सियासी घमासानः मध्य प्रदेश में तीन राज्यसभा सीटों पर चार प्रत्याशी के मैदान में उतरने से मुकाबला काफी रोचक हो गया है। बीजेपी से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी तो कांग्रेस से दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। कांग्रेस ने फर्स्ट प्रायोरिटी दिग्विजय और सेकेंड पर बरैया को रखा है जबकि, बीजेपी ने फर्स्ट पर सिंधिया और दूसरी पर सोलंकी को रखा है। कांग्रेस विधायकों से बगावत के बाद राज्यसभा का गणित बिगड़ गया है।

विधानसभा में बीजेपी के पास 107 विधायक हैं, कांग्रेस के विधायकों की संख्या 92 है। बसपा के 2 विधायक हैं, 1 विधायक सपा से है और 4 विधायक निर्दलीय हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा में 24 सीटें फिलहाल खाली हैं। बसपा, सपा और निर्दलीयों के वोटों की कुल जमा तादाद 7 होती है। मौजूदा परिस्थिति में दो सीटें बीजेपी के पाले में साफ जाती नजर आ रही हैं। हालांकि, एक सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता में 52 मतों की जरूरत है, जो बीजेपी के पास अपने बलबूते मौजूद है। कांग्रेस का दूसरा उम्मीदवार तभी जीत सकता है, जब उसे चारों निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायक के साथ पांच बीजेपी विधायकों के मत मिलें, जो फिलहाल तो दूर की कौड़ी ही नजर आता है।

राजस्थान में कांग्रेस परेशानः राजस्थान की तीन राज्यसभा सीटों पर चार प्रत्याशियों चुनावी मैदान में होने के चलते काफी रोचक मुकाबला बन गया है। कांग्रेस की ओर से केसी। वेणुगोपाल के अलावा दूसरे उम्मीदवार नीरज डांगी हैं। वहीं, बीजेपी ने राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत को मैदान में उतार कर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है। हालांकि विधायकों के आंकड़ो के लिहाज से कांग्रेस की दो सीटें पक्की है, लेकिन क्रॉस वोटिंग का डर भी सता रहा है। राजस्थान के विधानसभा में मौजूदा समय में कांग्रेस के 107 विधायक हैं, इसमें पिछले साल बीएसपी से टूटकर कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायक शामिल हैं। कांग्रेस को 12 निर्दलीयों का समर्थन भी हासिल है। दूसरी ओर, बीजेपी के 72 विधायक हैं, हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के तीन विधायकों का समर्थन मिलाकर यह आंकड़ा 75 पहुंचता है। एक राज्यसभा सीट के लिए 51 प्रथम वरीयता वाले विधायकों के वोटों की आवश्यकता होती है, ऐसे में कांग्रेस की राह आसान लग रही है। बीजेपी के दूसरे उम्‍मीदवार के जीतने की संभावना उसी स्थिति में बन सकती है, यदि पर्याप्‍त संख्‍या में कांग्रेस के विधायक क्रॉस वोटिंग करें और निर्दलीय विधायक भी बीजेपी के पक्ष में पाला बदल लें। इसीलिए कांग्रेस को बीजेपी से अपने विधायकों की सेंधमारी से बचाने के लिए मशक्कत करना पड़ रहा है।

आंध्र प्रदेश में वाईएसआर का पलड़ा भारी

आंध्र प्रदेश की 4 राज्यसभा सीटों पर पांच प्रत्याशी मैदान में हैं. वाईएसआर कांग्रेस की ओर से पिल्ली सुभाष चंद्रबोस, मोपीदेवी वेंकटरमणास आल्ला अयोध्या रामीरेड्डी और परिमल नत्वानी मैदान में है। वहीं, टीडीपी की ओर से वर्ला रामय्या मैदान में हैं। हालांकि, वाईएसआर की ओर से चौथी सीट के लिए परिमल नत्वानी मैदान में हैं, जिन्हें जगन मोहन रेड्डी ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के अनुरोध पर टिकट दिया है।नत्वानी दो टर्म झारखंड से राज्यसभा सदस्य रहे हैं। परिमल नत्वानी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की शीर्ष कोर टीम में शामिल हैं। पूर्वोत्तर में भी कड़ा मुकाबलाः पूर्वोत्तर के मणिपुर, मेघालय औक मिजोरम की एक-एक राज्यसभा सीटों पर भी चुनाव हो रहे हैं। मेघालय में कांग्रेस के कनेडी कोमेलियस के खिलाफ मेघालय डेमोक्रेटिक गठबंधन से उतरे वंसुख सीम के बीच मुकाबला है। वहीं, मणिपुर की एक राज्यसभा सीट के लिए तीन प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें बीजेपी से तितुलर किंग महाराजा संजाओबा लिसीम्बा, कांग्रेस से पूर्व मंत्री टोंगब्रम मंगिबाबू और नगा पीपुल्स फ्रंट होनरीकुई काशुंग के बीच मुकाबला है।

मिजोरम की एक राज्यसभा सीट पर सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) युवा शाखा के पूर्व अध्यक्ष के वनलालवेना मैदान में हैं, जबकि मुख्य विपक्षी दल जेडपीएम ने अपने महासचिव बी लालछानजोवा पर भरोसा जताया है. कांग्रेस ने अपने प्रवक्ता और मीडिया विभाग के अध्यक्ष लल्लियानछुंगा पर दांव लगाया है।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


 जून 16, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-308 (साल-01)
2. मंगलवार, जूूून 16, 2020
3. शक-1943, अषाढ़, कृष्ण-पक्ष, तिथि-दसवीं, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:36,सूर्यास्त 07:28।


5. न्‍यूनतम तापमान 24+ डी.सै.,अधिकतम-41+ डी.सै.।


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रविवार, 14 जून 2020

आगराः जहरीली गैस से तीन की मौत

आगरा। ताजनगरी आगरा में कोरोना वायरस के कहर के बीच में रविवार को जहरीली गैस तीन लोगों के लिए जानलेवा बन गई। यहां कुंआ में जहरीली गैस ने तीन युवकों की जान ले ली। तीनों कुआं का कचरा साफ करने उतरे थे। जहां जहरीली गैस की चपेट में आकर उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद दमकल कर्मियों ने रेस्क्यू कर शवों को बाहर निकाला। इसके बाद स्वजनों ने उनके शव हाईवे पर रखकर जाम लगा दिया। यहां पर आगरा-ग्वालियर हाई-वे पर तीन घंटे तक जाम से हाईवे पर वाहनों की लंबी लाइनें लगी हैं। आगरा के सैंया के सौरा गांव में हाकिम सिंह का कुंआ है। इसके पानी का इस्तेमाल खेतों की सिंचाई में होता था। कुछ वर्षों से यह बंद था। रविवार को सुबह हाकिम का बेटा 20 वर्षीय भोलू, गांव के 18 वर्षीय पप्पू और 19 वर्षीय लखन इस कुंआ की सफाई करने गए थे। करीब एक घंटे बाद परिवार के लोग वहां पहुंचे तो तीनों वहां नहीं दिखे। कुएं में झांककर देखा तो नीचे पड़े हुए थे। इसके बाद वहां पुलिस और दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे। करीब डेढ़ से दो घंटे बाद उनको बाहर निकाला जा सका। तब तक तीनों की मौत हो चुकी थी।
इससे गुस्साए गांव के लोगों ने तीनों ते शव को सैंया चौराहा के पास रखकर आगरा-ग्वालियर हाईवे जाम कर दिया। एसपी पश्चिम रवि कुमार, सीओ खेरागढ़ प्रदीप कुमार फोर्स के साथ वहां पहुंचे। ग्रामीणों को समझाया, लेकिन जाम नहीं खुला। इनके परिवार के लोगों का आरोप है कि गांव में बीस दिन पहले त्यागी समाज के लोगों ने नाली का पानी निकलने से रोका था। इसको लेकर विवाद हुआ था। रविवार को तीनों युवक घर से कुंआ की सफाई को निकले थे। मगर, त्यागी समाज के युवकों ने उनसे मारपीट की। उनसे बचने को भागते समय कुएं में पैर फिसलकर उनकी मौत हुई है। वे त्यागी समाज के लोगों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। वहीं पुलिस इनके आरोपों को खारिज कर रही है। सीओ खेरागढ़ का कहना है कि तीनों युवक एक-एक करके कुएं में गए हैं। जहरीली गैस की चपेट में आकर मौत की आ शंका है। अब स्वजन अलग कहानी बना रहे हैं। फिर भी उनके आरोपों की जांच की जा रही है।


सब मजदूरो को रोजगार का संकल्प

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कामगारों और श्रमिकों को सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार कार्ययोजना तैयार करेगी। योगी ने रविवार को अनलाक व्यवस्था की समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि सरकार सभी कामगारों एवं श्रमिकों को रोजगार देने के लिए संकल्पित है।


इसी मकसद से इनकी स्किल मैपिंग कराई गई है। उन्होंने कामगाराें और श्रमिकों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए इनके राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिये ग्रामीण आजीविका मिशन से जोड़ा जाए। इसके लिए अगरबत्ती, धूपबत्ती बनाने जैसी गतिविधियों के तहत उन्हें रोजगार मुहैया कराया जा सकता है।

इसके अलावा अचार, मुरब्बा, पापड़, सिलाई आदि गतिविधियों के तहत रोजगार की काफी सम्भावनाएं मौजूद हैं। महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के लिए तैयार किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी कोविड एवं नाॅन कोविड अस्पतालों में डाॅक्टर्स, नर्स तथा अन्य पैरामेडिक स्टाफ राउण्ड लें। वे मरीज के घरवालों से संवाद भी स्थापित करें। उन्हाेंने पैरामेडिक स्टाफ की लगातार माॅनिटरिंग करने के निर्देश दिए।


उन्होंने कहा कि सभी अस्पतालों की साफ-सफाई सुनिश्चित करते हुए इनका लगातार सेनिटाइजेशन कराया जाए। रोज बेडशीट बदली जाए। मरीजों को पीने के लिए गुनगुना पानी दिया जाए। साथ ही, उन्हें गर्म व ताजा भोजन उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि निगरानी समितियों को लगातार सक्रिय रखा जाए। इन्हें सक्रिय रखकर ही कोरोना के प्रसार को रोका जा सकता है। उन्होंने फोर्स मेें इन्फेक्शन को रोकने के सभी उपाय करने के निर्देश दिए। श्री योगी ने कहा कि महिलाओं, एससी/एसटी, गो-हत्या तथा गो-तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त अपराधियों के खिलाफ सख्त और त्वरित कार्रवाई की जाए। माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, बेसिक शिक्षा, समाज कल्याण तथा कस्तूरबा गांधी विद्यालय में नियुक्त शिक्षकों के डाक्युमेंट की जांच के लिए एक डेडिकेटेड टीम बनाई जाए। उन्होंने कहा कि डिफाॅल्टर्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।


बदहाली के लिए कांग्रेश है जिम्मेदार

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देश की जनता की बदहाली के लिए कांग्रेस की पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने गरीबी हटाने की बात की, मगर जनता की गरीबी नहीं गई, बल्कि पार्टी नेताओं और चमचों की गरीबी दूर हुई।


केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को गुजरात की वर्चुअल रैली में कहा, कांग्रेस ने 70 साल से गरीबी हटाओ का नारा दिया, लेकिन देश के गरीब, किसान, मजदूर की गरीबी नहीं दूर हुई, बल्कि कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं और चमचों की गरीबी जरूर दूर हुई।


गडकरी ने कहा कि “1947 से लेकर 2020 के बीच कांग्रेस को 55 से 60 साल देश चलाने का मौका मिला। केंद्र से राज्यों और निगमों तक में कांग्रेस की सरकारें रहीं। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने देश के विकास के लिए रूस का सोशलिस्ट-कम्युनिस्ट मॉडल चुना। नेहरू जी चले गए और फिर इंदिरा गांधी आईं। उन्होंने गरीबी हटाओ का नारा दिया लेकिन गरीबी नहीं हटी। मुहर लगाते-लगाते पीढ़ियां गुजर गईं मगर बदलाव की कोई तस्वीर सामने नहीं आई। काम करने वाले गरीब की गरीबी दूर नहीं हुई। लेकिन कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और चमचों की गरीबी जरूर दूर हुई।”गडकरी ने कहा, मोदी सरकार ने पिछले 5 साल में जो कार्य किया है, उसकी अगर कांग्रेस के 55 साल से तुलना की जाए तो मैं दावे के साथ कह सकता हू कि जो काम 5 साल में हुआ, वह कांग्रेस के 55 साल के शासनकाल में नहीं हो पाया।नितिन गडकरी ने अपने मंत्रालय की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा, मैं 60 हजार करोड़ से रोड का निर्माण कर रहा हूं। लेह और लद्दाख को आठ हजार करोड़ रुपये की सड़क से जोड़ा जा रहा है। लगातार मोदी सरकार विकास के कार्य कर रही है।गडकरी ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि वह कभी आमने-सामने की लड़ाई नहीं जीत सकता, इसलिए वह आतंकियों के सहारे छद्म युद्ध लड़ता है। उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर आतंकियों से सहानुभूति रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब मैं भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष था तो एक शहीद के पिता ने मुझसे पूछा था कि कांग्रेस के नेता आतंकियों के मारे जाने पर उनके घर तो श्रद्धांजलि देने के लिए जाते हैं, मगर शहीद हुए मेरे बेटे के घर क्यों नहीं आए। गडकरी ने कहा कि तब उनके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था।


वायरस की सटीक दवा नहीं बन सकींं

दुनिया में कोरोना का कहर जारी है। कोरोना महामारी को खत्म करने के लिए दुनिया भर के कई देशों में वैक्सीन बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। ब्रिटेन में वैक्सीन का ट्रायल थर्ड फेज में हैं। लेकिन अब तक कोई सटीक दवा नहीं बन सकी है। भारत में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि, भारत के लिए अच्छी खबर है कि एक्टिव केसों से ज्यादा ठीक होने वाले मरीजों की संख्या है। ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि बिना किसी ठोस दवा या वैक्सीन के ये मरीज ठीक कैसे हो रहे हैं। आइए जानते हैं कि भारत में कोरोना वायरस के मरीजों का किन दवाओं और थेरेपी से इलाज किया जा रहा है…


रेमडेसिवीर
ये एक एंटीवायरल दवा है, जिसे सबसे पहले 2014 में इबोला के इलाज में इस्तेमाल किया गया था। WHO के ट्रायल में इस दवा को Covid-19 के कारगर इलाजों  में से एक माना गया है।  यह शरीर में वायरस रेप्लिकेशन को रोकता है। पिछले महीने, अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजीज ने शुरुआती ट्रायल के आधार पर बताया था कि रेमडेसिवीर देने वाले कोरोना के मरीजों में 11 से 15 दिनों तक में सुधार हुआ है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 1 जून को रेमडेसिवीर के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी। गंभीर रूप से बीमार कोरोना के मरीजों को अब डॉक्टरों की तरफ से ये दवा दी जा रही है।


फेवीपिरवीर
ये एक एंटीवायरल है जो वायरस रेप्लिकेशन को रोकने के लिए दी जाती है। इसे एंटी-इन्फ्लूएंजा दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस दवा को सबसे पहले जापान की फ्यूजीफिल्म टोयामा केमिकल लिमिटेड ने विकसित किया था। भारत में ये दवा ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स और स्ट्राइड्स फार्मा को बनाने की मंजूरी मिली है। ये दवा कोरोना के गंभीर रूप से बीमार मरीजों से लेकर हल्के लक्षण वाले मरीजों को दी जा रही है। कोरोना के मरीजों पर दवा के तीसरे चरण के परीक्षण के लिए दस अस्पतालों को शॉर्टलिस्ट किया गया है।


टोसिलीज़ुमाब
यह एक  इम्यूनो सप्रेसेंट दवा है जिसे आमतौर पर गठिया के इलाज में दी जाती है। मुंबई में, कोरोना वायरस के 100 से अधिक गंभीर मरीजों का इलाज इस दवा से किया गया है। सरकारी अस्पतालों में ये दवा मुफ्त में दी जा रही है। पहली बार ये दवा लीलावती अस्पताल में 52 साल के एक मरीज को दी गई थी, जिसकी हालत बहुत गंभीर हो चुकी थी। इस दवा से कोरोना के कई मरीजों की हालत में सुधार देखा गया है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इस पर कोई भी डेटा देना अभी जल्दबाजी होगी।


इटोलीजुमैब
यह दवा आमतौर पर त्वचा के रोगों जैसे सोरायसिस, रुमेटॉयड आर्थराइटिस, मल्टीपल स्केलेरोसिस और ऑटोइम्‍यून रोग में किया जाता है। भारत में, बायोकॉन कंपनी ने इसे 2013 में लॉन्च किया था। दिल्ली और मुंबई में कोरोना के मामूली से लेकर गंभीर मामलों में ये दवा ट्रायल के तौर पर दी जा रही है, जिसके शुरुआती नतीजे जुलाई तक आएंगे।


हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन
कोरोना वायरस पर इस एंटी मलेरिया ड्रग के प्रभाव को लेकर पूरी दुनिया में बहस जारी है। द लैंसेट में छपी एक स्टडी के बाद WHO ने इसका सॉलिडैरिटी ट्रायल रोक दिया था। हालांकि स्टडी के लेखकों द्वारा इसे वापस लेने के बाद ट्रायल को फिर से बहाल कर दिया गया है। भारत इस दवा का सबसे बड़ा उत्पादक है। कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों जैसे सिर दर्द, बुखार, बदन दर्द से लेकर गंभीर मरीजों को डॉक्टर ये दवा दे रहे हैं। ICMR के दिशानिर्देशों के अनुसार नौ दिनों तक इसकी कम खुराक दी जा सकती है।


डॉक्सीसाइक्लिन+आइवरमेक्टिन
डॉक्सीसाइकलीन एक एंडीबायोटिक दवा है, जिसका उपयोग यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, आंखों और श्वसन तंत्र संक्रमण के इलाज में किया जाता है।  वहीं आइवरमेक्टिन शरीर में मौजूद कीड़ों को मारने की दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इस दवा का इस्तेमाल जुएं मारने के लिए भी किया जाता है। इन दोनों दवाओं के मिश्रण से कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज किया जा रहा है।


रिटोनावीर+लोपिनावीर
ये एंटीवायरल आमतौर पर एचआईवी के मरीजों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। सॉलिडैरिटी ट्रायल में इनकी जांच की जा रही है। कुछ स्टडीज से पता चला है कि ये दवाएं कोरोना के मरीजों के मृत्यु दर को कम करती हैं जबकि कुछ स्टडीज का दावा है कि मरीजों पर इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिलता है। भारत में एक दर्जन से अधिक दवा निर्माता इन दोनों दवाओं की आपूर्ति करते हैं। कोरोना के गंभीर मरीजों को डॉक्टर कभी-कभी इन दवाओं का मिश्रण देते हैं।


प्लाज्मा थेरेपी
प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के शरीर से लिए गए प्लाज्मा को कोरोना के एक्टिव मरीजों के शरीर में डाला जाता है जिससे, उस मरीज के शरीर में कोरोना से लड़ने की एंटीबॉडी बन जाती है। दिल्ली के कई अस्पतालों में प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल जारी है। अस्पतालों नें अपने ट्रायल में इस थेरेपी को मरीजों पर काफी असरदार बताया है।


यूरोप में महामारी ने मची है तबाही

दुनियाभर में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ा है। यूरोपियन देश इटली में कुछ ही हफ्तों पहले संक्रमण से मारामारी मची हुई थी। हालांकि तब भी इसका एक हिस्सा ऐसा था, जहां अब तक कोई भी कोरोना केस नहीं आया। इटली के कैलेब्रिया इलाके में बसे इस गांव Cinquefrondi में अब घरों की बिक्री हो रही है और इसकी कीमत है सिर्फ 85 रुपए. इतनी कम कीमत पर घरों को बेचने की सबसे खास वजह है कि गांववाले अपने इलाके में आबादी बढ़ाना चाहते हैं।


बीते ही साल इंटरनेशनल मीडिया में एक खबर सुर्खियों में थी।वहां एक शहर में बसने के बदले सरकार मुफ्त में पैसे और घर दे रही थी। शर्त एक ही थी कि परिवार बसा-बसाया हो, यानी उसमें पति-पत्नी और कम से कम एक बच्चा जरूर हो। इसके पीछे इटली के स्थानीय प्रशासन का इरादा था कि इलाके में बसाहट शुरू हो सके, जो कि माइग्रेशन की वजह से रुक गई थी। अब इसी तर्ज पर इटली से ही दोबारा एक गांव की बात आ रही है। यहां 100 रुपयों से भी कम कीमत पर बिक्री के लिए घर उपलब्ध हैं। इस शहर के भी सुनसान होने की यही वजह रही कि यहां से युवा पीढ़ी पढ़ाई और फिर नौकरी के लिए शहर बाहर जाती गई. इस तरह से शहर खाली होता गया. इटली के दक्षिणी हिस्से में बसा ये शहर प्राकृतिक तौर पर काफी खूबसूरत है और यहां से सिर्फ 15 मिनट की दूरी पर समुद्र तट है, जहां कार से या फिर पैदल भी जाया जा सकता है। शहर के मेयर माइकल कोनिया के मुताबिक घरों की कीमत एक यूरो (85 रुपए) है। इसके साथ ही इंश्योरेंस पॉलिसी के लगभग 19 हजार रुपए भरने होंगे. लोगों और खासकर युवा परिवारों को बसाने की इस योजना को मेयर ने Operation Beauty नाम दिया है. इसके तहत शहर के सारे हिस्सों में बसाहट की योजना बनाई जी रही है. माना जा रहा है कि यहां वही लोग प्रॉपर्टी ले सकेंगे, जिनकी लंबे वक्त तक यहीं रहने की योजना हो. इतनी कम कीमत पर प्रॉपर्टी लेने के बाद बस मालिक को घर की हालत सुधारने के लिए थोड़े पैसे लगाने होंगे क्योंकि ज्यादातर घर खस्ताहाल हैं और काफी समय से खाली पड़े हैं.


वैसे इटली में गांव या शहर छोड़कर जा चुके लोगों के बाद इलाकों को दोबारा बसाने के लिए न्यूनतम कीमत पर घर बेचने का ट्रेंड काफी चल रहा है. इससे साथ ही इटली के दक्षिणी शहरों में भी एक यूरो में घर बेचने की स्कीम चल रही है. इटली के सिसली इलाके के मुसोमेली में एक यूरो के विला बिकाऊ हैं। बस उनकी दो शर्तें हैं। एक तो यहां लंबे समय तक रहना होगा और दूसरा इन घरों की मरम्मत खुद करानी होगी। इसी तरह से स्वीडन में एक पूरा का पूरा गांव बिकने के लिए रखा गया है, वो भी सिर्फ 1 करोड़ डॉलर यानी 75 करोड़ 55 लाख रुपयों में Sätra Brunn नाम के इस गांव की सबसे बड़ी खूबी ये है कि यह देश की राजधानी स्टॉकहोम से केवल डेढ़ घंटे की दूरी पर है। यानी अगर कोई गांव खरीदेगा तो वो गांव में रहते हुए राजधानी से भी जुड़ा रह सकेगा। वैसे इस गांव का इतिहास काफी दिलचस्प है। ये अपने हेल्थ रिजॉर्ट के लिए मशहूर रह चुका है। आज से 320 सालों पहले से ही यहां पर स्पा सेंटर चलाए जा रहे हैं, जहां दुनियाभर के सैलानी स्पा लेने आया करते हैं। गांव खुद 62 एकड़ में फैला हुआ है लेकिन इसके साथ ही अतिरिक्त 84 एकड़ भी हैं। ये एक्सट्रा जमीन खेती-किसानी और बागवानी के लिए रखी गई है। माना जा रहा है कि साढ़े तीन सौ साल पुराने इस गांव को सहेजने के लिए तैयार होने पर स्वीडन की सरकार खरीददार को काफी चीजों में रियायत भी दे सकती है।


मंडी सचिव ने उपलब्ध नहीं कराया टीनशेड

कोलारस खरीदी केंद्र पर रखा चना बारिश में भीगा
- खरीदी केंद्र की सोसाइटी को मंडी सचिव ने उपलब्ध नहीं कराया टीनशेड


शिवपुरी। शिवपुरी जिले में समर्थन मूल्य पर चना खरीदी का काम विवादों में है। रविवार को अचानक मौसम बदलने से बारिश के बाद कोलारस खरीदी केंद्र मंडी में समर्थन मूल्य पर किसानों से लिया गया हजारों क्विंटल चना भीग गया। यहां पर रविवार को तेज बारिश के बाद मंडी में बनाए गए केंद्र पर खुले में खरीदी जा रहा कई क्विंटल चना भीग गया। मंडी में स्थिति यह रही कि यहां पर एक से दो फिट बारिश का पानी जमीन पर था और खुले में रखा गया सैंकड़ों क्विंटल चना बारिश में भीग गया। खरीदी कार्य से जुड़े अधिकारियों की यहां पर लापरवाही साफ तौर पर देखी गई। अधिकारियों को जब पता है कि इस समय प्रदेश में मानसून की आमद हो चुकी है और कभी भी बारिश हो सकती है इस दौरान यहां पर बारिश से बचाव को लेकर आवश्यक इंतजाम होने चाहिए थे लेकिन लापरवाही की हदें पार करते हुए प्रबंधन ने इस पर कोई गौर नहीं किया। इससे कई क्विंटल चना भीग गया।


जर्मन पुलिस ने गैंग का भंडाफोड़ किया

बर्लिन। जर्मन पुलिस ने हाल ही में बच्चों का यौन शोषण करने और उनकी अश्लील फिल्म बनाने वाले एक गैंग का भंडाफोड़ किया है। जर्मनी के मुंस्टर शहर में पुलिस ने एक घर से चाइल्ड एब्यूज की इतनी फिल्में और फोटोज बरामद की हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें देख पाने में 30 साल का समय लग जाएगा। इस भयानक घटना को एक घर में अंजाम दिया जा रहा था और वहां चाइल्ड एब्यूज की फिल्में बनाने के लिए एक एयरकंडीशन्ड रूम में कम्प्यूटर इक्विपमेंट लगाए गए थे। करीब 600 टेराबाइट का वीडियो बरामद किया गया है। बताया जा रहा है कि इस चाइल्ड सेक्स एब्यूज रैकेट में 11 लोग शामिल थे, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। घर में एक एयरकंडीशन्ड सर्वर रूम बनाया गया था। चाइल्ड पोर्न के सारे वीडियो कम्प्यूटर में स्टोर कर के रखे जाते थे। यह घर इस गिरोह के संचालक एड्रियन वीज का बताया जा रहा है।


जर्मन पुलिस का कहना है कि कम्प्यूटर में मौजूद चाइल्ड पोर्न फिल्में इतनी ज्यादा हैं कि सभी को देख पाना संभव नहीं है। इसमें 30 साल लग जाएंगे। जर्मन पुलिस अब इस डाटा को एनालाइज करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेने के बारे में सोच रही है। वहीं, प्रोफेसर क्रिश्चियन मैटडॉर्फ का कहना है कि इतना ज्यादा डाटा को एनालाइज कर पाना फोरेंसिक टेक्वनीशियन के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेना जरूरी होगा। इससे जांच का काम तेजी से हो सकेगा। डिटेक्टिव्स को शक है कि बच्चों के यौन उत्पीड़न का काम इसी घर में हुआ है। इस घर में हर जगह सिक्युरिटी कैमरे लगे हुए पाए गए, जिनका इस्तेमाल चाइल्ड एब्यूज को रिकॉर्ड करने में किया जाता होगा। देखें इस खौफनाक वारदात से संबंधित तस्वीरें और जानें दूसरी डिटेल्स।


इस चाइल्ड सेक्स एब्यूज रैकेट का सरगना एड्रियन वी 27 साल का एक आईटी स्पेशलिस्ट है। चाइल्ड एब्यूज की ज्यादातर फिल्में उसके घर में बनाई गईं, वहीं कुछ फिल्में उसकी मां के घर में भी बनाई गई हैं। कैरिना वी एक 45 साल की किंडरगार्टन टीचर हैं। इस महिला को भी चाइल्ड एब्यूज के मामले में अरेस्ट किया गया है, वैसे अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि क्या वह अपने स्कूल के बच्चों को भी चाइल्ड एब्यूज का शिकार बनाती थी। चाइल्ड एब्यूज की फिल्में बनाने के लिए इस कमरें में तकनीकी इंतजाम किए गए थे।


रोगियों की सेवा करना 'डॉक्टर का कर्तव्य'

छतरपुर। जिला चिकित्सालय में आइसोलेशन वार्ड में रोगियों की देखभाल कर रही डॉ नीलम अहिरवार मूल रूप से छतरपुर की रहने वाली हैं। वह शिवपुरी जिले में जिला अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रही हैं। नीलम का मानना है की रोगियों की सेवा करना ही एक डॉक्टर का कर्तव्य है। और अभी कोरोना वायरस महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है। ऐसे में एक चिकित्सक होने के नाते पूरी जिम्मेदारी से अपना काम करना बहुत जरूरी है। उनका कहना है कि इसी के लिए शिक्षा ग्रहण की है कि रोगियों का इलाज करें।


डॉ नीलम आइसोलेशन वार्ड में रोगियों की देखभाल के साथ-साथ उनकी मेंटल हेल्थ का भी ध्यान रखती हैं। आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी से पहले उन्हें टेलीमेडिसिन सेंटर में जिम्मेदारी दी गई थी। जहाँ उनकी कार्यशैली को देखते हुए उन्हें आइसोलेशन वार्ड में लगाया गया। उसे भी उन्होंने पूरी लगन से पूरा किया। जिले में अभी तक 23 कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीज़ मिले हैं। इनमें से 12 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर पहुंच गए हैं। इसमें जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में मरीजों की देखभाल कर रहे चिकित्सकों का भी योगदान है। उनमें से डॉ नीलम भी हैं। इस प्रकार वह कोविड-19 की इस जंग को जीतने में कोरोना योद्धा की भूमिका निभा रही हैं।


कालका-पिंजौर भी कोरोना से अछूता नहीं

पुनीत भास्कर


कालका-पिंजौर। कोरोना वाइरस अपने पैर पसारने लगा है जिसका असर अब दिखने लगा है व कालका-पिंजौर भी अब इस वायरस से अछूता नही रहा। कोरोना काल मे आज कालका में कोरोना के 2 केस पॉजिटिव आने की पुष्टि हुई है जिसमे एक केस टिपरा से है जिसकी ट्रेवल हिस्ट्री दिल्ली की है व दूसरा केस वसंत विहार हाउसिंग बोर्ड कालका का है जिसकी ट्रेवल हिस्ट्री फ़रीदाबाद की है। स्वास्थ्य विभाग कर रहा आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट करने की तैयारी। यह जानकारी एस डी एच कालका के एसएमओ इंचार्ज डॉ. धर्मेन्द्र ने दी।


सीएम ने जनसभा कर, मतदाताओं से संवाद किया

सीएम ने जनसभा कर, मतदाताओं से संवाद किया  संदीप मिश्र  बरेली। बरेली के आंवला में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को सुभाष इंटर कॉलेज ग्...