गुरुवार, 11 जून 2020

वांछित अभियुक्त को किया गिरफ्तार

चोरी के वांछित अभियुक्त को पुलिस ने किया गिरफ्तार

सुनील पुरी

बिंदकी फतेहपुर। पुलिस ने गश्त के दौरान चोरी के वांछित अभियुक्त को गिरफ्तार किया है। जिसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है। पुलिस अधीक्षक के निर्देशन पर जोनिहा चौकी इंचार्ज राजेंद्र कुमार त्रिपाठी गस्त में थे तभी जोनिहा के समीप उन्हें एक संदिग्ध युवक दिखाई दिया। चौकी इंचार्ज ने आरोपी युवक को गिरफ्तार किया पूछताछ में उसने अपना नाम देवराज निषाद पुत्र रामेश्वर निषाद निवासी रूरा थाना चांदपुर बताया इस संबंध में चौकी इंचार्ज ने बताया कि पकड़ा गया आरोपी चोरी का वांछित अभियुक्त है। जिस को पकड़ कर कानूनी कार्रवाई की गई।

ट्रक ने मारी टक्कर, दो बच्चों की मौत

बाइक को ट्रक ने मारी टक्कर दो बच्चो की मौके पर मौत

हादसे में पति पत्नी सहित दो बच्चे गम्भीर घायल

टेवा क्षेत्र के पेट्रोल पंप के पास तेज गति ट्रक चालक ने दिया घटना को अंजाम

कौशाम्बी। मंझनपुर कोतवाली क्षेत्र के टेवा पेट्रोल पम्प के पास बाइक सवार एक परिवार को तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी है। जिससे बाइक में सवार दो छोटे बच्चे सड़क पर गिर गए हैं और दोनों बच्चो को ट्रक ने कुचल दिया है। जिससे दोनों बच्चों की मौके पर मौत हो गई है सूचना पाकर मौके पर ग्रामीणों का मजमा लग गया है और इस मौके पर जानकारी मिलते ही पुलिस भी पहुंची है और घायलों को पुलिस ने इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा है। वही हादसे के शिकार दोनों बच्चों की मौत के बाद लाश को कब्जे में लेकर पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

 

घटनाक्रम के मुताबिक बरैसा थाना पश्चिम सरीरा निवासी हरिश्चन्द्र पुत्र शिवप्रसाद दिवाकर अपनी पत्नी व चार बच्चों के साथ क्रमशः कृष्णा अनुज ,मधु,अंश  के साथ बाइक से मंझनपुर जा रहे थे जैसे ही बाइक सवार

टेवां पेट्रोल पंप के पास पहुँचे कि तेज गति ट्रक का धक्का बाइक में लगते ही बाइक में सवार दो बच्चे सड़क पर गिर गए जिन्हें ट्रक ने कुचल दिया।  इससे दोनों बच्चों कृष्णा उम्र 10 वर्ष और अनुज  उम्र 08 वर्ष की मौके पर मौत हो गई। ट्रक के धक्के से दो बच्चे सड़क के बाहर पटरी में गिरे थे। जिससे उनको भी गम्भीर चोटें आई  है। हरिश्चंद्र व उनकी पत्नी सविता व दो बच्चे गंभीर रूप से घायल है और चारो घायलों को जिला  चिकित्सालय उपचार के लिए भेज दिया गया।

दो बालकों की मौके पर ही मौत हो गई दोनों का शव पीएम के लिए पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया।

सुशील केसरवानी

करोड़ों की कमाई करने वाला गुनहगार

दो वर्ष की तैनाती में ढाई करोड़ की जमीन खरीदने वाला गुनाहगार कौन

कौशाम्बी। पुलिस कार्यालय का वह कौन है गुनाहगार है जो कम पगार पाने पर भी अपनी काली कमाई से प्रदेश मुख्यालय लखनऊ में ढाई करोड़ कीमत की जमीन खरीद चुका है। इस गुनाहगार के कारनामों की चर्चा इन दिनों पुलिस कार्यालय में तेजी से है और यदि काली कमाई से ढाई करोड़ की जमीन खरीदने के मामले की पुलिस आला अधिकारियों ने इस गुनाहगार की जांच कराई तो काली कमाई के बेताज बादशाह पुलिस कार्यालय के उक्त कर्मी पर गाज गिरना तय है।

 

कौशांबी जिले में दो वर्षों की नौकरी के बीच ढाई करोड़ की जमीन प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कैसे खरीद लिया गया है यह बड़ा जांच का विषय है। पुलिस महकमे में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि यमुना घाट के बालू माफियाओं के साथ-साथ भू माफियाओं से भी उस गुनाहगार के तार जुड़े हैं। जो बालू की खदान में हीरे की तलाश कर रहा है। काली कमाई का बेताज बादशाह उक्त कर्मचारी की दो वर्षों की तैनाती में लखनऊ जैसे महानगरों में ढाई करोड़ की जमीन खरीद लिया जाना अपने आप में आश्चर्य का विषय है कि, कहीं बालू माफियाओं और भूमि माफियाओं के संपर्क में रहकर इसी कमाई से उसने लखनऊ में जमीन तो नहीं खरीदी है।यह बेहद आश्चर्य की बात है कि उक्त कर्मचारी का एक वर्ष का वेतन पांच लाख रुपये के लगभग होगा और दो वर्ष में उस कर्मचारी ने दस लाख रुपए का वेतन सरकार से लिया होगा।

लेकिन दो वर्ष के दौरान ढाई करोड़ की जमीन उक्त कर्मचारी द्वारा खरीद लिया जाना इन दिनों पुलिस महकमे में चर्चा का विषय है और यह बड़ा जांच का विषय है पुलिस महकमे के उक्त कर्मी के काली कमाई के मामले में यदि आला अधिकारियों ने जांच कराई तो ढाई करोड़ कीमत की लखनऊ शहर में जमीन खरीदने के मामले में उक्त गुनाहगार को कठोर दंड मिल सकता है।

सुशील केसरवानी

राज्यसभा चुनाव से पहले खरीद-फरोख्त

नई दिल्ली। राजस्थान में राज्यसभा चुनाव से पहले खरीद फरोख्त का खेल शुरु हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीजेपी पर समर्थन के बदले कुछ विधायकों को 25 करोड़ रूपए प्रलोभन देने का आरोप लगाया है। गहलोत ने कहा कि खरीद फरोख्त के लिए जयपुर में करोड़ों-अरबों रुपए ट्रांसफर हो रहे हैं। ये पैसे कौन भेज रहा है। विधायकों को एडवांस देने की बातें हो रही हैं. यहां पर खुला खेल हो रहा है। इसीलिए महेश जोशी ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में रिपोर्ट दर्ज कराई है।



मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमारे विधायक बहुत समझदार हैं, वे समझ गए। उन्हें खूब लोभ लालच देने की कोशिश की गई, लेकिन यह हिंदुस्तान का एकमात्र राज्य है, जहां एक पैसे का सौदा नहीं होता। यह इतिहास में कहीं नहीं मिलेगा। मुझे गर्व है कि मैं ऐसी धरती का मुख्यमंत्री हूं, जिसके लाल बिना सौदे के बिना लोभ लालच के सरकार का साथ देते हैं। महेश जोशी ने एसीबी के महानिदेशक को भेजी शिकायत में कहा है कि अति विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि कर्नाटक, मध्य प्रदेश और गुजरात की तर्ज पर राजस्थान में भी हमारे विधायकों व हमारा समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायकों को भारी प्रलोभन देकर राज्य की लोकतांत्रिक तौर से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। बता दें कि राजस्थान में राज्यसभा चुनाव की तीन सीटों पर चुनाव होना है।



एसीबी के महानिदेशक आलोक त्रिपाठी ने कहा कि शिकायत पर उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिकायत मिली है और इसकी जांच होगी।


चिंताः संक्रमण के मुंह में धकेली दिल्ली

अनिल अनूप


नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली परमाणु बम पर बैठी है, जो कभी भी फट सकता है। दिल्ली में 31 जुलाई तक कोरोना के 5.5 लाख संक्रमित मरीज हो सकते हैं। 15 जुलाई तक 2.25 लाख संक्रमित होने का आकलन है। यह खुलासा दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तब किया, जब वह उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली आपदा प्रबंधन बैठक में शिरकत के बाद सार्वजनिक हुए थे। उपराज्यपाल के साथ उनके कुछ संवादों का ब्योरा भी उन्होंने दिया। कमोबेश इस स्तर पर संवैधानिक शख्सियत झूठ नहीं बोल सकती, क्योंकि पलट कार्रवाई के लिए संविधान उपस्थित है। उपराज्यपाल ने अस्पतालों पर केजरीवाल सरकार के फैसले को ‘संविधान-विरोधी’ करार देते हुए उसे खारिज कर दिया, लेकिन कोई वैकल्पिक आकलन नहीं दिया कि यदि दिल्ली में संक्रमण की विस्फोटक स्थितियां पैदा होती हैं, जिनके आसार अब पूरे लगते हैं, तो दिल्ली सरकार क्या करेगी? कोई भी उपराज्यपाल या मुख्यमंत्री देश और उसके नागरिकों से बड़ा और महत्त्वपूर्ण नहीं हो सकता। पदेन सुविधाएं और गरिमा संविधान के कारण नसीब होती हैं। उसी संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 आम नागरिक के मौलिक अधिकारों की व्याख्या करते हैं। कोई उपराज्यपाल या मुख्यमंत्री उसे लांघ नहीं सकता। यदि उप मुख्यमंत्री के एक सवाल पर, कोरोना वायरस की संभावित भयावह स्थितियों के संदर्भ में, उपराज्यपाल जवाब देते हैं-‘देखते हैं’, तो फिर कहा जा सकता है कि व्यवस्था के संचालकों और सूत्रधारों ने देश की राजधानी तक को ‘रामभरोसे’ छोड़ दिया है। दूसरी ओर, विश्व स्वास्थ्य संगठन का ताजा आकलन है कि कोरोना महामारी ‘बदतर’ होती जा रही है। दिल्ली में ही कोरोना के मरीज 31,000 को पार कर चुके हैं और मौतें भी 900 से अधिक हो चुकी हैं। विश्लेषण ऐसे भी सामने आए हैं कि यदि कोरोना संक्रमण की गति और उसका विस्तार यही रहे, तो देश में 26 जून तक पांच लाख, 11 जुलाई तक 10 लाख और 28 जुलाई तक 20 लाख संक्रमित मरीज होंगे। क्या उन्हें संभालने और उचित इलाज मुहैया कराने के बंदोबस्त किए गए हैं? देश के औसत आदमी को डराने की मंशा हमारी नहीं है, लेकिन विस्फोटक हालात के प्रति आगाह जरूर कर रहे हैं। आश्चर्य है कि ऐसे चेतावनीपूर्ण हालात के बावजूद केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और कोरोना महामारी से संबद्ध अधिकारी ‘सामुदायिक संक्रमण’ की हकीकत मानने को सहमत नहीं हैं, लिहाजा उपराज्यपाल वाली आपदा प्रबंधन की बैठक में इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा की ही नहीं गई। अजीब विरोधाभासी समीकरण हैं कि दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने ‘सामुदायिक संक्रमण’ की बात कही है, लेकिन उपराज्यपाल और केंद्र सरकार इसे नकार रहे हैं। आखिर केंद्र इसे स्वीकार कैसे सकता है? मोदी सरकार की फजीहत होगी और लगातार सवाल पूछे जाएंगे कि इतने लंबे लॉकडाउन के बावजूद संक्रमण इस हद तक कैसे फैल गया कि संभावित आंकड़े दहशत पैदा कर रहे हैं और सामुदायिक संक्रमण की बहस छिड़ गई है? यह भी बेनकाब हो जाएगा कि 24 मार्च के बाद क्या किया गया। मुद्दों से भटकाने के लिए दूसरे कौन से मुद्दे पैदा किए गए। अब देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर भी चर्चा छिड़ सकती है। हम जीडीपी का मात्र दो फीसदी भी स्वास्थ्य पर खर्च नहीं कर पाते हैं। कितनी आबादी पर कितने अस्पताल हैं, कितने डॉक्टर और दूसरे कर्मी हैं, यह आंकड़ा भी बेहद शर्मनाक है। अब चर्चा यहां तक सुगबुगाने लगी है कि स्वास्थ्य सेवाओं का ‘राष्ट्रीयकरण’ किया जाए। एक छोटा-सा देश क्यूबा इसका उदाहरण माना जा रहा है, जहां एक भी निजी अस्पताल नहीं है। स्वास्थ्य सेवाओं के संदर्भ में भारत विश्व में 145वें स्थान पर है। बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और म्यांमार सरीखे पड़ोसी देशों की स्थितियां हमसे बेहतर हैं। बहरहाल कोरोना बार-बार करवट बदल रहा है। वह बहुत तेजी से फैलने वाला वायरस है। गर्मी, सर्दी, गीलापन, सूखा और मरुस्थल सरीखी जलवायु और मौसम का इस पर प्रभाव नहीं दिखा है, लिहाजा यह विकराल रूप धारण करता जा रहा है। मुंबई के आंकड़े चीन के वुहान शहर को पार कर 51,000 से अधिक हो गए हैं। क्या अब यह ‘कोरोना राजधानी’ होगी? भारत में कोरोना का कहर कुछ शहरों तक ज्यादा सिमटा है। अब जून के अंत और जुलाई में क्या होगा, वह यथार्थ भी स्पष्ट हो जाएगा। उसके बाद ही हम कह सकेंगे कि भारत में कोरोना वायरस का समापन किस कदर होगा?


दिल्ली के सैकड़ों अध्यापक हुए संक्रमित

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में शिक्षक भी कोरोना संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। दिल्ली नगर निगम द्वारा जारी डाटा के अनुसार अब तक नगर निगम के 100 से ज्यादा सरकारी शिक्षक कोरोना के शिकार हो चुके हैं। इसके अलावा 50 और शिक्षक भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. ये वैसे शिक्षक हैं, जिनकी ड्यूटी इस वक्त स्कूलों में राशन बांटने या फिर दूसरे प्रशासनिक कार्यों में लगी थी।


4 शिक्षकों की मौत


दुखद बात यह है कि अब तक 4 शिक्षक कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना से मौत का शिकार बने शिक्षकों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने का ऐलान भी किया था। गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव अजयवीर यादव ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक के बाद एक शिक्षक कोरोना के शिकार होते जा रहे हैं और हमारे कई साथी अब तक मौत के मुंह में समा चुके हैं।


एक करोड़ मुआवजे की मांग


एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि जिन शिक्षकों की कोरोना के कारण मौत हुई है उन्हें 1 करोड़ रुपये का मुआवजा फौरन ही दिया जाए। इसके अतिरिक्त बाकी शिक्षकों की ड्यूटी कुछ इस प्रकार की जाए जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा कम से कम हो और उनके बचाव के लिए पीपीई किट, मास्क और अन्य साधन उपलब्ध कराए जाएं।बता दें कि दिल्ली में इस वक्त हजारों शिक्षक करुणा से बचाव की ड्यूटी में काम कर रहे हैं। इनमें से कई शिक्षक राशन बांटने की ड्यूटी में है तो कई शेल्टर होम और आइसोलेशन सेंटर पर भी ड्यूटी कर रहे हैं।


दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने आज तक से बात करते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार में शिक्षकों की जान जोखिम में है। एक के बाद एक शिक्षक संक्रमित हो रहे हैं और कई शिक्षकों की जान जा चुकी है। ऐसे में सरकार को तुरंत ही सख्त कदम उठाना चाहिए नहीं तो हमारे देश के भविष्य निर्माता खुद संकट में पड़ जाएंगे। आदेश गुप्ता ने फौरन ही मृतक शिक्षकों के परिवार वालों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग केजरीवाल सरकार से की है।


8 दिन बाद अस्पताल से ही मिला शव

8 दिन से लापता कोरोना मरीज की लाश अस्पताल के बाथरूम में पड़ी थी, किसी को खबर तक नहींं







कविता गर्ग 


जलगांव। देश में एक ओर जहां कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है, वहीं कई जगहों पर अस्पतालों की लापरवाही का मामला भी सामने आ रहा है। ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र के जलगांव सिविल अस्पताल में देखने को मिला है. पिछले 8 दिनों से जिस कोरोना पॉजिटिव मरीज के अस्पताल से लापता होने की बात कही जा रही थी उसका शव आज उसी अस्पताल के एक बाथरूम से बरामद किया गया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी अविनाश डांगे ने जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.


जानकारी के मुताबिक 80 साल की बुजुर्ग को कुछ दिन पहले भुसावल रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां बुजुर्ग की हालत बिगड़ने पर 1 जून को उन्हें जलगांव के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया. जांच में पाया गया कि बुजुर्ग को कोरोना है. इस घटना के दूसरे ही दिन यानी 2 जून को बुजुर्ग महिला अस्पताल से कहीं गायब हो गईं. काफी ढूंढने के बाद भी जब बुजुर्ग का कुछ भी पता नहीं चला तो थाने में महिला की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।


बताया जाता है कि आज सुबह किसी ने जानकारी दी कि एक बुजुर्ग महिला का शव अस्पताल के बाथरूम में पड़ा है। बुजुर्ग को देखने से पता चला कि जिसके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी वह महिला पिछले 8 दिनों से बाथरूम में पड़ी थी और किसी को इसकी खबर तक नहीं थी। जिलाधिकारी अविनाश डांगे ने कहा कि यह अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही है। अस्पताल के बाथरूम को हर दिन साफ किया जाता है। ऐसे में किसी की भी नजर पिछले 8 दिनों से बुजुर्ग पर नहीं पड़ी। जिलाधिकारी ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की बात कही है।







लोगों के लिए 'पेयजल आपूर्ति' सुनिश्चित की जाएं

लोगों के लिए 'पेयजल आपूर्ति' सुनिश्चित की जाएं  इकबाल अंसारी  चेन्नई। तमिलनाडु में गर्मी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए मु...