शनिवार, 25 जनवरी 2020

शराब ठेके पर सेल्समैन से मारपीट, बोतले तोड़ी

अमित शर्मा


ऊना शराब के ठेके पर सेल्समैन से मारपीट, बोतलें तोड़ी


ऊना। जिला ऊना के पुलिस थाना बगाणा के तहत बिहडू में शराब के ठेके पर शराब खरीदने पहुंचे बोलेरो में सवार कुछ युवकों ने सेल्समैन के साथ मारपीट की और युवकों ने तेश में आकर ठेके पर खूब उत्पात मचाया। ठेके के अंदर रखी शराब की बोतलें तक तोड़ दी। आरोपियों में ठेके पर रखे सेल्समैन को जान से मारने की धमकियां भी दी। इस पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार थाना बगाणा के तहत सुरेश कुमार निवासी पजांब सेल्समैन शराब ठेका बीडु ने पुलिस को शिकायत दी और बताया कि रात को करीब 9:30 बजे एक बलैरो गाडी बंगाणा नम्बर की आई। इस गाड़ी में से एक व्यक्ति ठेके पर आया और उसने शराब  का क्बाटर मांगा और गाली गलोच करने लगा कि आप शराब में पानी मिक्स करके बेचते हो। उसके साथ दो अन्य व्यक्ति भी आये थे। इन तीनों ने जान से मारने की धमकियां दी और ठेके में शराब की बोतले तोड़ दी। उधर डीएसपी अशोक वर्मा ने कहा कि पुलिस ने सभी आरोपीयों के खिलाफ धारा 451,323,506,34 आईपीसी  में केस दर्ज़ करके आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। मामले में सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली जा रही है।


नसीरुद्दीन की बेटी पर मारपीट का केस

मुंबई। बॉलीवुड के सीनियर एक्टर नसीरुद्दीन शाह की बेटी हीबा शाह पर मारपीट का केस आज मुंबई के वर्सोवा पुलिस थाने में दर्ज हुआ है। हीबा ने हॉस्पिटल में वीवीआईपी ट्रिटमेंट नहीं मिलने के कारण दो महिला कर्मियों की पिटाई कर दी थी। यह केस फेलाइन फाउंडेशन ने की है। बिल्लियों को लेकर पहुंची थी हॉस्पिटल घटना के बारे में बताया जा रहा है कि 16 जनवरी को हीबा वाइल्ड वुड पार्क में रहने वाली सहेली की दो बिल्लियों को लेकर पशुचिकित्सा क्लिनिक पहुंची हुई थी। हॉस्पिटल के कर्मियों ने कहा कि किसी कारण उनके बिल्लियों की नसबंदी नहीं की जा सकती है। जिसके कारण वह भड़क गए और दोनों महिलाकर्मी की पिटाई कर दी।


इतिहास को फिर दोहरायेगा अयोध्या

बेगूसराय। राजकीय अयोध्या शिवकुमारी आयुर्वेद महाविद्यालय सह चिकित्सालय में आयोजित शिष्योपनयन संस्कार समारोह में शुक्रवार को शामिल होकर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने अध्ययनरत छात्रों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने महाविद्यालय के पुराने इतिहास को याद दिलाते हुए कहा कि सरकार प्रतिबद्ध है कि सूबे के सभी स्वास्थ्य से संबंधित महाविद्यालयों में सरकारी तंत्रों को दुरूस्त कर उनका जीर्णोद्धार करेेगी, ताकि बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जा सके।


उन्होंने कहा कि बरसों से बंद इस ऐतिहासिक महाविद्यालय के जीर्णोद्धार के मौके पर मैं मौजूद हूं, तो निश्चित रूप से यहां के बदलते स्वरूप को देखकर मन हर्षित हो रहा है। कहा केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों ही हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य की मूलभूत आवश्यकताओं को पहुंचाने हेतु प्रतिबद्ध है। विभिन्न योजनाओं के जरिये सुदूर ग्रामीण अंचल का क्षेत्र हो या फिर शहरी क्षेत्र हर जगह स्वास्थ्य की सुविधाएं मुहैया करने के संकल्प पर हमारी सरकार काम कर रही है। आज उस दिशा में यह एक महत्वपूर्ण शुरुआत है। उन्होंने आयुष्मान भारत योजना का जिक्र करते हुए कहा कि ग्रामीण तबके के लोग जिन्होंने उत्तम स्वास्थ्य के अभाव में कई जिंदगियों को बर्बाद होते देखा है, उन्हीं लोगों में आज सहजता के भाव को देखकर मन हर्षित होता है। उस सहजता के भाव का आधार यह जनकल्याणकारी योजना है। इसके माध्यम से न केवल उत्तम सुविधाएं मुहैया कराई जाती है, बल्कि उनके आर्थिक हालातों को भी ध्यान में रखा जाता है। इस मौके पर कई लोगों ने स्वास्थ्य मंत्री का सम्मान किया।



2 लाख में 12 साल की 'बेटी का सौदा'

कैमूर। कहते हैं मां-बाप की निगरानी में बेटियां खुद को सबसे ज्यादा महफूज समझती हैं। कहा ये भी जाता है कि जन्म देने वाली मां और पाल-पोसकर बड़ा करने वाला बाप अपनी बच्ची के लिए भगवान के समान होता है। लेकिन तब क्या हो जब महज चंद रुपयों की खातिर एक मां-बाप अपनी ही फूल सी बेटी का सौदा कर दे।


शर्मसार करने वाली ये घटना बिहार के कैमूर से है। जहां भभुआ के चैनपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में एक मां-बाप ने अपनी 12 साल की बेटी का सौदा कर दिया। दो लाख रुपयों के लिए मां-बाप ने अपनी नाबालिग बेटी को दलाल के हाथों बेच दिया। पुलिस को जब इस मामले की भनक लगी तब वो मौके पर पहुंची। कैमूर पुलिस ने लड़कियों की खरीद-ब्रिकी करने वाले यूपी के गिरोह के तीन अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं मौके से एक अपराधी भाग गया। पुलिस ने अपराधियों के पास से कार, दो आधार कार्ड, आईडी और अन्य चीजें बरामद की हैं। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।


पटना के जेडी कॉलेज में 'बुर्का पर रोक'

पटना। बिहार की राजधानी पटना में एक वुमेंस कॉलेज ने छात्राओं के बुर्का पहनकर आने पर रोक लगा दी है। कॉलेज ने छात्राओं के लिए एक निर्देश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सभी छात्राओं को शनिवार को छोड़कर हर दिन निर्धारित ड्रेस कोड में कॉलेज आना होगा। कॉलेज प्रशासन की ओर से साफ कहा गया है कि छात्राएं कॉलेज में बुर्का नहीं पहन सकती हैं। नियम के उल्लंघन पर उन्हें 250 रुपये का जुर्माना देना होगा।
मामला राजधानी के जेडी वीमेंस कॉलेज का है। कॉलेज के अंदर सर्कुलेट हो रहे नोटिस में छात्राओं को ड्रेस कोड का पालन करने को कहा जा रहा है। साथ ही कहा गया है कि अगर छात्राएं नियमों का पालन नहीं करेंगी तो उन्हें जुर्माने के तौर पर 250 रुपये देने होंगे। जीडी कॉलेज की प्राचार्य श्यामा राय का कहना है कि यह नियम छात्राओं में एकरूपता लाने के लिए लागू किया गया है। प्राचार्य ने कहा कि कॉलेज की ओर से पहले भी यह घोषणा की गई थी। नए सेशन के ओरिएंटेशन के वक्त छात्राओं को सूचित किया गया। अब उन्हें शनिवार के दिन को छोड़कर बाकी दिनों में ड्रेस कोड में आना होगा। हालांकि कॉलेज के इस आदेश पर कई छात्राओं ने आपत्ति जताई है। छात्राओं का कहना है कि बुर्का से कॉलेज में किस तरह की दिग्गत होगी? इस नियम को सिर्फ थोपा जा रहा है।


शाहीन बाग जाने की इजाजत नहीं मीली

नई दिल्ली। योगगुरू बाबा रामदेव को शाहीन बाग में जाने की इजाजत नहीं मिली है। दिल्ली पुलिस ने बाबा रामदेव को नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच शाहीन बाग जाने की परमिशन नहीं दी। बाबा रामदेव के एक सुरक्षा अधिकारी ने दिल्ली पुलिस से कहा कि योग गुरू शाहीन बाग जाना चाह रहे हैं, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा अधिकारी से कहा कि वहां के हालात क्या हैं ये सबको पता है। इसलिए उनका शाहीन बाग जाना ठीक नही है। इसके बाद रामदेव का शाहीन बाग जाने का कार्यक्रम रद्द हो गया।


योगगुरु बाबा रामदेव ने देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), एनआरसी और जामिया-जेएनयू यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा को लेकर शुक्रवार को कई बड़े बयान दिए। सीएए को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर रामदेव ने कहा कि जिस तरह से विरोध हो रहा है, ऐसा लग रहा है कि देश में अराजकता के अलावा कुछ हो ही नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि देश में मुसलमान देशभक्त भी हैं।


मुस्लिम समाज को बदनाम न करें- रामदेव
बाबा रामदेव ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी कंपनी पतंजलि के एजेंडे को सामने रखा। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए। एक सवाल के जवाब में बाबा रामदेव ने कहा, ‘’इस देश में देशभक्त मुसलमान भी है, लेकिन कुछ लोग कभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सिर काटने की धमकी देते हैं कभी गृह मंत्री अमित शाह का। मैं मुस्लिम समाज से आग्रह करूंगा कि ऐसे लोगों के बीच जाएं और इसका विरोध करें ताकि पूरे मुस्लिम समाज को बदनाम न किया जा सके।’


विरोध-प्रदर्शन करना छोड़े जेएनयू के छात्र- रामदेव
रामदेव ने यह भी कहा, ‘’हमारे देश में कई बार ऐसे बयान दिए जाते हैं, जिन्हें बाद में पाकिस्तान की संसद में कोट किया जाता है. ऐसे बयानों से बचने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘’मैं जेएनयू के छात्रों से कहूंगा कि ये विरोध प्रदर्शन छोड़ देना चाहिए। अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें और राष्ट्रनिर्माण में सहयोग करें।’’


सीएए के पीछे विदेशी शक्तियां भी शामिल- रामदेव
रामदेव ने कहा, ‘’मैं राजनीतिक दलों से कहना चाहता हूं कि संविधान ने नरेंद्र मोदी सरकार को पूर्ण बहुमत दिया है। इसलिए राष्ट्रनिर्माण में सरकार का सहयोग करें।’ सीएए पर रावदेव ने कहा, ‘’पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह स्पष्ट कर चुके हैं। सीएए को लेकर भय पैदा किया जा रहा है. लोगों को गलत दिशा में मोड़ा जा रहा है। इसमें कुछ राजनीतिक दल और विदेशी शक्तियां शामिल हैं।’’


'हाउडी मोदी' की तर्ज पर 'केम छो ट्रंप'

गांधीनगर। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प फरवरी में भारत आ रहे हैं। ह्यूस्टन में हुए ‘हाउडी मोदी’ की तर्ज अहमदाबाद में 25 फरवरी को ‘केम छो ट्रम्प’ कार्यक्रम होगा। अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रम्प का हाथ थामकर कहेंगे- केम छो। कार्यक्रम में 50 से 60 हजार लोग मौजूद रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक, कार्यक्रम में 20 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। ज्यादातर रकम गुजरात सरकार खर्च करेगी। कार्यक्रम के लिए ट्रम्प के ओवल ऑफिस की तरफ से मंजूरी मिल गई है। शुक्रवार को गुजरात सरकार के मुख्य सचिव अनिल मुकीम ने मोटेरा स्टेडियम का जायजा लिया और अहमदाबाद महानगर पालिका कमिश्नर विजय नहेरा समेत अन्य अफसरों के साथ चर्चा की। अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर आशीष भाटिया ने भी 150 पुलिसकर्मियों के साथ स्टेडियम की सुरक्षा की समीक्षा की। 
कार्यक्रम में भारत-अमेरिका के रिश्तों को दिखाया जाएगा
सूत्रों की मानें तो ‘केम छो ट्रम्प’ में जबर्दस्त तकनीक का इस्तेमाल देखने मिलेगा। इसमें भारत और अमेरिका के बीच आपसी संबंधों की एक संगीतमय प्रस्तुति भी होगी। कार्यक्रम की थीम अमेरिका में बसे भारतीयों द्वारा वहां प्रगति में दिया योगदान रखी गई है। इसके अलावा भारतीय इतिहास, महात्मा गांधी, सरदार पटेल और स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की झाकियां भी पेश की जाएगी।  
दिल्ली से साथ में ही आएंगे मोदी और ट्रम्प
जिन लोगों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाएगा, उसमें अमेरिका में कामयाब भारतीय मूल के बिजनेसमैन, भारत में निवेश करने वाले अमेरिकी कंपनियों के प्रतिनिधियों, भारतीय कॉर्पोरेट जगत के लीडर्स, राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र से जुड़ी हस्तियां शामिल होंगी। साथ ही अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय के संस्थाओं को भी आमंत्रित किया जाएगा। 25 फरवरी की शाम को होने वाले कार्यक्रम में मोदी और ट्रम्प के साथ में ही दिल्ली से आएंगे और कार्यक्रम पूरा होने के बाद वापस तुरंत दिल्ली लौटेंगे। इसके अलावा अन्य किसी भी जगह जाने का प्रोग्राम नहीं है। 
सीएए के खिलाफ विरोध के कारण अहमदाबाद को चुना
ओवल ऑफिस की ओर से भारत सरकार से आग्रह किया गया था कि सुरक्षा के कारणों के चलते ट्रम्प दिल्ली-एनसीआर के अलावा अन्य स्थानों पर नहीं जाएंगे। लेकिन मोदी सरकार ने दिल्ली में सीएए के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के कारण इस कार्यक्रम के लिए अहमदाबाद को ही उपयुक्त माना। ताजमहल के बजाय ट्रम्प अहमदाबाद आएंगे
विदेशी नेताओं के रिवाज को देखें तो भारत यात्रा के दौरान वे ताजमहल देखने जाते हैं। लेकिन ट्रम्प आगरा नहीं जा रहे। वहीं, ट्रम्प की पत्नी मेलानिया अहमदाबाद नहीं, बल्कि वह ताजमहल देखने जाएंगी।


घुसपैठियों मुसलमानों के खिलाफ आवाज़

मुंबई। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी पर जारी बहस के बीच महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना ने पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठियों के खिलाफ आवाज उठाई है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि देश में घुसे पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमानों को बाहर निकलाना चाहिए। शिवसेना ने एमएनएस चीफ राज ठाकरे पर भी निशाना साधा। सामना में लिख गया, देश में घुसे पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमानों को निकालना जरूरी है, इसमें कोई दो राय नहीं है. लेकिन इसके लिए किसी राजनीतिक दल को अपना झंडा बदलना पड़े, ये मजेदार है।


बता दें कि हाल ही में एमएनएस ने अपना झंडा बदला है। एमएनएस ने झंडे को अब भगवा रंग दिया गया है और इस झंडे में शिवाजी महाराज के शासनकाल की मुद्रा प्रिंट है। शिवसेना ने सामना में लिखा, ‘राज ठाकरे और उनकी 14 साल पुरानी पार्टी ने मराठी के मुद्दे पर पार्टी की स्थापना की। लेकिन अब उनकी पार्टी हिंदुत्ववाद की ओर जाती दिख रही है। इसे रास्ता बदलना कहना ही ठीक होगा. सामना में लिखा गया। शिवसेना ने मराठी के मुद्दे पर बहुत काम किया हुआ है। इसलिए मराठियों के बीच जाने के बावजूद उनके हाथ कुछ नहीं लगा और लगने के आसार भी नहीं हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी को जैसी चाहिए, वैसी ही ‘हिंदू बांधव, भगिनी, मातांनो…’ आवाज राज ठाकरे दे रहे हैं। यहां भी इनके हाथ कुछ लग पाएगा, इसकी उम्मीद कम ही है।”


सामना में बीजेपी और MNS दोनों पर निशाना साधा गया. सामना में लिखा गया है, ”शिवसेना ने प्रखर हिंदुत्व के मुद्दे पर देशभर में जागरूकता के साथ बड़ा कार्य किया है। मुख्य बात ये है कि शिवसेना ने हिंदुत्व का भगवा रंग कभी नहीं छोड़ा. यह रंग ऐसा ही रहेगा। इसलिए दो झंडे बनाने के बावजूद राज के झंडे को वैचारिक समर्थन मिल पाएगा, इसकी संभावना नहीं दिख रही।
शिवसेना ने लिखा, ”सत्ता के लिए शिवसेना ने रंग बदला है, ये ऐसी बात कहनेवाले लोगों के दिमागी दिवालिएपन की निशानी है। शिवसेना पर रंग बदलने का आरोप लगानेवाले पहले खुद के चेहरे पर लगे मुखौटे और चेहरे पर लगे बहुरंगी मेकअप को जांच लें।” शिवसेना ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई। इसे रंग बदलना कैसे कहा जा सकता है? इस बारे में लोगों को आक्षेप कम लेकिन पेट दर्द ज्यादा है।”


मुस्लिम महिलाओं ने रात तक दिया धरना

संभल। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में महिलाओ का धरना प्रदर्शन पहले से ही जारी है अब उत्तर प्रदेश के संभल में भी मुस्लिम महिलाओं का धरना शुरू हो गया है। सपा सांसद डा. शफीकुर्रहमान बर्क भी इस धरने को संबोधित करने के लिए पहुंचे। डा. बर्क ने मांग पूरी होने तक धरना जारी रहने का ऐलान किया। उन्होंने संसद के आगामी सत्र में भी सीएए का मामला जोरशोर से उठाने की बात कही। संभल के मोहल्ला हिंदूपुरा खेड़ा हुसैनी रोड पर शुक्रवार को बड़ी तादाद में मुस्लिम महिलाएं एकत्र हुईं। महिलाओं ने तिरंगा और सीएए विरोध के नारे लिखीं तख्तियां लहराते हुए धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। महिलाओं के आन्दोलन की जानकारी मिलते ही पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर पहुँच गए। दोपहर बाद संभल के समाजवादी पार्टी सांसद डा. शफीकुर्रहमान बर्क धरनास्थल पर पहुंचे और महिलाओं का हौंसला बढ़ाते हुए मांग पूरी होने तक डटे रहने की बात कही। डा. बर्क ने कहा कि ये महिलाएं हक के लिए घर से बाहर निकली हैं और मांग पूरी होने तक आंदोलन में डटी रहेंगी। सीएए का विरोध कर रहीं महिलाएं धरनास्थल पर देर रात तक जमी रहीं। महिलाओं ने कहा कि वह किसी जुल्म से डरने वाली नहीं हैं। आन्दोलन लगातार जारी रहेगा। पुलिस-प्रशासन महिलाओं के आन्दोलन पर लगातार निगाह बनाए हुए है।


धरनास्थल पर माहौल को देशभक्ति के रंग में रंगते हुए धरने पर बैठी महिलाओं और वहां मौजूद लोगों ने हाथों में तिरंगे लहराकर राष्ट्रगान के साथ ही सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा गीत भी गाया। इसी के साथ हिन्दुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए कहा गया कि वह सच्चे देशभक्त हैं और उन्हें किसी से देशभक्ति का सार्टीफिकेट लेने की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही गणतंत्र दिवस के दिन धरनास्थल पर ही तिरंगा फहराये जाने का ऐलान किया गया।


रेल लाइन के दोहरीकरण का शुभारंभ

रजनीकांत अवस्थी
बछरावां/रायबरेली। कई दशकों से रेल लाइन के दोहरीकरण की मांग कर रहे लोगों की कल यानी 24 जनवरी 2020 को मुराद पूरी हो गई। लखनऊ से कुंदनगंज तक दोहरीकरण का शुभारंभ रेलवे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त शैलेश कुमार पाठक ने किया।बछरावां रेलवे स्टेशन पर इस कार्य का शुभारंभ सीआरएस शैलेश कुमार पाठक द्वारा किया जाएगा। 
आपको बता दें कि, लखनऊ से कुंदनगंज तक रेल लाइन का दोहरीकरण का कार्य पूरा हो गया है अब लखनऊ से कुंदनगंज तक ट्रेनें फर्राटा भरती हुई नजर आएंगी। अभी तक यात्रियों को दोहरीकरण की सुविधा ना होने के कारण लखनऊ से महज 40 मिनट का सफर तय करने में घंटों लग जाते थे। परंतु अब रेल लाइन के दोहरीकरण हो जाने से चंद मिनटों में ही लखनऊ से बछरावां की दूरी तय हो जाएगी। रेल लाइन के दोहरीकरण के लिए दिन-रात चले इस कार्य में सैकड़ों मजदूरों इंजीनियरों व अधिकारियों को लगाया गया।
दोहरीकरण का उद्घाटन सीआरएस द्वारा किया जाएगा। बछरावां रेलवे स्टेशन को दुल्हन की तरह सजाया गया है। इस रेलवे स्टेशन पर नए ओवर ब्रिज पेयजल की बेहतर व्यवस्था, अत्याधुनिक शौचालय, टीन सेड तथा दूधिया व हाई मास्टलाइटो द्वारा सजाया गया है। वहीं हरियाली के लिए लगभग 1000 पेड़ों को लगाया गया है।


बैंक से जुड़े नंबरों पर रखे ध्यान

नई दिल्ली। देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ग्राहकों को सुरक्षित बैंकिंग सुविधा के लिए कई कदम उठाती है। एसबीआई ने अपने आधिकारिक ट्विटर पर ग्राहकों को चेतावनी दी है। एसबीआई ने अपने ग्राहकों को डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और एटीएम का इस्तेमाल करते समय सावधान रहने के लिए कहा है। एसबीआई बैंक ने अपने ग्राहकों को अलर्ट रहने के साथ कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी है।
SBI ने ट्वीट के जिरए एक बार फिर ग्राहकों को चेतावनी दी है। इसमें SBI ने कहा है कि बढ़ती फ्रॉड की घटनाओं के बीच ग्राहकों को सावधान रहने की जरूरत है। ATM कार्ड डिटेल्स और PIN के जरिए पैसे चुराने के फ्रॉड बढ़ रहे हैं. इसलिए SBI ने अपने ग्राहकों को अपना ATM कार्ड और PIN को सेफ रखने की सलाह दी है। आइए आपको बताते हैं SBI ने फ्रॉड से बचने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाएं हैं। लगातार बढ़ते फ्रॉड के मामलों के देखते हुए SBI सोशल मीडिया के जरिए लगातार लोगों को बैंकिंग फ्रॉड्स से बचने की जानकारी दे रहा है। SBI ने एक बार फिर से अपने 42 करोड़ खाताधारकों को अलर्ट करते हुए ट्वीट किया है। SBI ने बैंकिंग फ्रॉड के बढ़ते मामलों को देखते हुए ट्वीट के जिरए एक बार फिर ग्राहकों को चेतावनी दी है। अपने ट्वीट में एसबीआई ने कहा है कि बढ़ती फ्रॉड की घटनाओं के बीच ग्राहकों को सावधान रहने की जरूरत है। खाताधारकों को ATM कार्ड डिटेल्स और PIN के जरिए पैसे चुराने के बढ़ रहे मामलों से सावधान रहने को कहा गया है। SBI ने अपने ग्राहकों को अपना ATM कार्ड और PIN को सेफ रखने की सलाह दी है। बैंक ने खाताधारकों से अपील की है कि वो अपने बैंक अकाउंट या ऑनलाइन बैंकिंग की जानकारी को फोन में सेव न करें। बैंक अकाउंट नंबर, पासवर्ड, एटीएम कार्ड का नंबर या पिन की फोटो खींचकर किसी को फॉरवर्ड न करें। अपने एटीएम का इस्तेमाल खुद ही करें। दूसरे को अपना एटीएम या कोई भी जानकारी न दें। गलती से भी कभी किसी को अपना OTP , पिन नंबर, डेबिट या क्रेडिट कार्ड का CVV नंबर को न बताएं।


असमय बच्चों की मौते

लिमटी खरे


देश भर में अनेक स्थानों पर सरकारी अस्पतालों में अचानक ही बड़ी तादाद में बच्चों की मौतों से व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान लग रहे हैं। सियासी दल इसके मूल में जाकर कारण खोजने के बजाए आरोप प्रत्यारोपों के जरिए अपनी रोटियां सेंकते दिख रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट को अगर सच माना जाए तो देश में उचित इलाज के अभाव, कुपोषण और दीगर कारणों से हर साल तकरीबन आठ लाख बच्चे काल के गाल मे समा जाते हैं। एक अन्य एजेंसी की रिपोर्ट यह बता रही है कि देश में तीन बच्चे हर दो मिनिट में ही दम तोड़ देते हैं। सियासतदारों को विचार करना होगा कि आखिर क्या वजह है कि बच्चों के विकास के लिए करोड़ों अरबों रूपए पानी में बहाने के बाद भी बच्चों की मौतों का सिलसिला आखिर रूक क्यों नहीं पा रहा है! मजे की बात तो यह है कि निजि अस्पतालो में बाल मृत्यु दर बहुत ही कम है।



 
देश में केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा नवजात सहित दस साल तक के बच्चों के लिए तरह तरह की योजनाओं की मद में खजाने का मुंह लंबे समय से खोले रखा गया है, इसके बाद भी अगर लगातार ही शिशु मृत्यु दर कम नहीं हो रही है तो निश्चित तौर पर कहीं न कहीं गफलत अवश्य ही है। जिस तरह की खबरें आ रही हैं, उनमें सरकारी अस्पतालों में ही बच्चों की मौतों की बातें ज्यादा सामने आ रही हैं। जाहिर है, सरकारी सिस्टम में कहीं न कहीं फफूंद लग चुकी है। देश के अनेक राज्यों में इस तरह की घटनाओं ने देश के लोगों को हिलाकर रख दिया है।


ज्ञातव्य है कि भारत गणराज्य के द्वारा 1992 में अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार समझौते को मानते हुए उसे न केवल अपनाया वरन उस पर हस्ताक्षर कर बच्चों के लिए अपनी प्रतिबद्धता भी उजागर की थी। जानकारों का मानना है कि बच्चे के जन्म के बाद पहले बीस दिन उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। अगर वह बीस दिन तक जीवित रह गया तो उसके बाद पांच साल तक की आयु तक का होने तक उसकी बहुत ज्यादा देखरेख की जरूरत होती है।


इस मामले में अगर वर्ष 2019 की यूनिसेफ की रिपोर्ट को देखा जाए तो एक साल में ही देश में लगभग साढ़े आठ लाख बच्चे असमय ही काल कलवित हुए हैं। इस आधार पर यह कहा जाए कि इक्कीसवीं सदी में भी देश में संसाधनों का अभाव और जिम्मेदारियों से बचने की भेड़ चाल चल रही है तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। देश में स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में ही अनेक गंभीर मानकों पर स्वास्थ्य सेवाएं फिसड्डी ही मिलती हैं।


देश में स्वास्थ्य सेवाओं में चिकित्सक और पेरामेडिकल स्टॉफ की अगर बात की जाए तो आधे से ज्यादा लोगों के पास पर्याप्त योग्यताएं ही नहीं हैं। इन्हें समय समय पर दिए जाने वाले प्रशिक्षण में भी नहीं भेजा जाता या यूं कहें कि प्रशिक्षण दिया ही नहीं जाता है तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। देश के अनेक चिकित्सक तो ऐसे हैं जिन्होंने अपनी पहुंच के दम पर सरकारी अस्पतालों में सेवाएं देने के स्थान पर स्वास्थ्य विभाग में ही अधीक्षण (सुपरविजन) वाले पदों पर प्रभारी बनकर अपना जीवन गुजार दिया। यदि उन्हें मरीजों के इलाज के लिए कहा जाए तो निश्चित तौर पर वे बगलें ही झांकते नजर आएंगे।


देश में 2013 में कोलकता में बीसी रॉय बच्चा अस्पताल में 122 बच्चों की जान गई तो 2017 में गोरखपुर के आयुर्विज्ञान महाविद्यालय में आक्सीजन की कमी के कारण साठ से ज्यादा बच्चों ने दम तोड़ा। इस तरह की घटनाएं देश भर में घटित होती रहती हैं। ग्रामीण अंचलों में घटने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी न मिल पाने से ये चर्चाओं में नहीं आ पाती हैं। यह एक बहुत ही संवेदनशील मामला है।


जब भी इस तरह की घटना घटती है तो सियासतदार सक्रिय हो जाते हैं। आरोप प्रत्यारोपों के दौर आरंभ होते हैं। जांच बिठाई जाती है। तृतीय या चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को बली का बकरा बनाकर उन्हें निलंबित कर दिया जाता है। देखा जाए तो जिस अस्पताल में यह घटना घटती है, उस अस्पताल के अधीक्षक को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। उस जिले में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जाना चाहिए, पर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही होने से यह संदेश जाता रहा है कि इस तरह की लापरवाही के बाद किसी चिकित्सक, सिविल सर्जन या विभाग प्रमुख का कुछ नहीं बिगड़ना है। ज्यादा से ज्यादा उसका तबादला कर दिया जाएगा। यही कारण है कि जिम्मेदार अधिकारी बेखौफ हो चुके हैं।


देश में हर साल न जाने कितने बच्चे इस दुनिया में आने के बाद पांच साल की आयु पूरा करने के पहले ही दुनिया को अलविदा कह जाते होंगे। अनेक प्रदेशों में जिला अस्पतालों में बच्चों के लिए गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) की स्थापना की गई है। केंद्रीय शहरी और ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में अरबों खरबों रूपए की इमदाद हर साल दी जाती है। इसका कोई हिसाब किताब लेने वाला नहीं है। केंद्रीय इमदाद से अस्पतालों में अधिकारियों की जमकर मौज रहती है। महंगे वाहन किराए पर लेकर, कार्यालय और घरों में इसकी राशि से वातानुकूलित यंत्र (एयर कंडीशनर) लगाने और अन्य तरह से इस राशि को जमकर खर्च किया जाता है।


केंद्र के द्वारा दी जाने वाली इमदाद के संबंध में कभी भी जिला स्तर पर जाकर केंद्रीय दलों ने वस्तु स्थिति नहीं देखी है कि उनके द्वारा दी जाने वाली राशि का क्या उपयोग हो रहा है। साल में एकाध बार पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के हिसाब से जांच दल जब आता है तो उसकी जमकर खातिरदारी की जाती है। जांच दल को सैर सपाटा करवाकर मंहगे उपहार देकर बिदा कर दिया जाता है। जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को चाहिए कि इसकी जांच के लिए वह एक जांच दल गठित करे जो औचक निरीक्षण कर वस्तु स्थिति की जांच करे और इसकी वीडियो ग्राफी कर, फोटो खींचकर मंत्रालय को इससे आवगत कराए, कि केंद्रीय इमदाद का उपयोग अस्पतालों में किस तरह किया जा रहा है।


मानवाधिकारों के हिसाब से स्वस्थ्य जीवन हर बच्चे का सबसे बड़ा और पहला अनिवार्य अधिकार है। मानवाधिकारों के नाम पर झंडा बुलंद करने वाले संगठनों के द्वारा भी कभी देश भर में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर प्रदर्शन नहीं किए गए हैं। यह मामला चूंकि छोटे बच्चों से जुड़ा है और छोटे बच्चे नासमझ होते हैं, वे अपनी आवाज को कैसे बुलंद कर सकते हैं। आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े मामले में न तो संसद में बहस होती है और न ही राज्यों की विधान सभाओं में ही इस बात को उठाया जाता है।


हालात देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि बच्चों के स्वास्थ्य का मसला नेताओं के भाषणों का अंग बनकर रह गया है। नेताओं के द्वारा भाषणों में तो इस बात का जिकर किया जाता है पर लोकसभा, राज्य सभा, विधान सभाओं आदि सक्षम मंच पर यह बात उठाने में चुने हुए प्रतिनिधि पीछे ही रहते दिखते हैं।


देश में हर आदमी को स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएं, वह भी निशुल्क यह देखना हुक्मरानों का दायित्व है। सरकारी सिस्टम का पूरा पूरा फायदा निजि चिकित्सकों और अस्पतालों के द्वारा जमकर उठाया जाता है। निजि तौर पर होने वाली चिकित्सा में मरीजों की जेब तराशी का काम चल रहा है और हुक्मरानों को मानो इससे कोई विशेष फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है। सियासतदार यह भूल जाते हैं कि बच्चे अगर स्वस्थ्य रहेंगे तो आने वाले दिनों में जब वे जवान होंगे तब देश का भविष्य बनेंगे। क्या देश का भविष्य इसी तरह से बिगड़ता हुआ ही देखना चाह रहे हैं देश के नीतिनिर्धारक।


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