सोमवार, 9 दिसंबर 2019

सहकारी बैंक, बैंकिंग-अधिनियम दायरे में

एक आधिकारिक सूत्र ने संभावित बदलावों पर कहा, 'आरबीआई और वित्त मंत्रालय के बीच चर्चा काफी आगे बढ़ चुकी है। इस आशय के बदलाव वाले विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश किया जा सकता है। इतना साफ है कि दोहरा नियमन खत्म हो जाएगा।'
शहरी सहकारी बैंकों का नोडल प्रभार कृषि मंत्रालय के पास है। इस संबंध में राज्य सरकारों की तरफ से भी सूचनाएं आने की संभावना है। आर गांधी समिति ने 2015 की अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 20,000 करोड़ रुपये से अधिक कारोबार वाले सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक बैंक बना दिया जाए। इस सुझाव पर फिर से गौर किया जा रहा है। यहां तक कि इस स्तर से नीचे के सहकारी बैंकों को भी बैंकिंग अधिनियम के दायरे में लाया जा सकता है। मसलन, संकट में फंसे पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक का कारोबारी आकार 12,000 करोड़ रुपये ही था। एक अन्य सूत्र कहते हैं, 'भले ही 20,000 करोड़ रुपये की सीमा रखने पर चर्चा चल रही है लेकिन ऐसी कोई वजह नहीं है कि इसे नीचे नहीं लाया जा सकता।'


गांधी समिति ने यह भी कहा था कि सहकारी बैंकों का वाणिज्यिक बैंक में रूपांतरण 'कानूनी तौर पर सही होना' जरूरी नहीं है। इसके अलावा यूसीबी के अनियंत्रित विस्तार पर लगाम रखने के लिए शाखाओं की संख्या, परिचालन क्षेत्र एवं कारोबार पर सजग नजर रखनी होगी। बड़े यूसीबी अमूमन एक से अधिक राज्यों में मौजूद हैं और एक निश्चित सीमा से ऊपर होने पर उन्हें अधिसूचित वाणिज्यिक बैंक बनाने के सिवाय कोई चारा नहीं रह जाएगा।


बड़े शहरी सहकारी बैंक को लघु वित्त बैंक (एसएफबी) बनाने का विचार पहले ही छोड़ दिया गया है। दरअसल एसएफबी पर लाइसेंस शर्तों के तहत कई पाबंदियां होती हैं जो बांटे जाने वाले कर्ज के आकार और व्यवसाय की प्रकृति से जुड़ी होती हैं।


आरबीआई ने अपनी हालिया मौद्रिक नीति समीक्षा में यूसीबी के भविष्य को लेकर कुछ संकेत दिए। उसने कहा कि बड़ी जमाओं के बारे में जानकारी मुहैया कराने को लेकर नए दिशानिर्देश बनाए जा रहे हैं। बड़े यूसीबी पर बैंकिंग नियमन अधिनियम लागू होने के बाद बेसल-3 मानकों का पालन करना वाणिज्यिक बैंकों की ही तरह जरूरी हो जाएगा। फिलहाल शहरी सहकारी बैंक बेसल-1 मानक का ही अनुसरण करते हैं जो पुराना हो चुका है। हालांकि उन्हें बेसल-3 के अनुसरण के लिए समय दिया जाएगा। अभी तक केवल एक बार ऐसा हुआ है जब किसी यूसीबी को वाणिज्यिक बैंक बनाया गया था। यह वाकया 1996 में डीसीबी बैंक के साथ हुआ था और वह भी जबरन नहीं हुआ था। जहां तक छोटे यूसीबी का सवाल है तो वे पहले की तरह सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के नियमन में ही बने रहेंगे। इससे अपने पूंजी ढांचे को देखते हुए उनके पास वृद्धि के सीमित अवसर ही रहेंगे। ऐसे में इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि आगे चलकर कोई एसएफबी या वाणिज्यिक बैंक उनका अधिग्रहण कर लें।


वाराणसी में लूट के बाद मारी गोली

ए जावेद


वाराणसी। वाराणसी में अपराधियों की ख़ामोशी और नए एसएसपी के आगमन के बाद दुरुस्त पुलिसिंग को एक बार फिर अपराधियों ने चुनौती दे डाली है। कोतवाली थाना क्षेत्र और आदमपुर थाना क्षेत्र के लगभग बॉर्डर और दो पुलिस चौकियो के बीच चंद कदमो की दुरी पर आज सुबह तीन बदमाशो ने एक व्यवसाई को गोली मार कर लूट की घटना को दुस्साहसिक तरीके से अंजाम दिया है।


घटना के सम्बन्ध में प्राप्त समाचारों के अनुसार आज अहले सुबह कतुआपुरा निवासी ओमप्रकाश जायसवाल जो विशेश्वरगंज मंडी में घी-तेल के कमीशन एजेंट के तौर पर काम करते हैं। सुबह वह अपने घर से बाहर निकले थे। मच्छोदरी कूड़ाखाना के पास तीन बदमाशों ने उनकी जेब में मौजूद पैसा छीनने का प्रयास किया तो उन्होंने इसका विरोध किया। इस पर बदमाशों ने उन्हें गोली मारकर 50 हजार रुपये छीन लिए और भाग निकले। वहीं सुबह के वक्त गोली मारकर लूट की सूचना पर एसएसपी प्रभाकर चौधरी, एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह और सीओ कोतवाली बृजनंदन राय भी घटनास्थल पर पहुंच गए। इसके बाद स्थानीय लोगों की मदद से अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार तमंचे से निकली गोली ओमप्रकाश की बाईं बांह को आरपार करते हुए पीठ में लगी है। एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल कर बदमाशों को चिन्हित करने का प्रयास किया जा रहा है।घटना के बाद एक्शन में आई पुलिस ने आस पास के सीसीटीवी फुटेज खंगालना शुरू कर दिया है। समाचार लिखे जाने तक बदमाशो की शिनाख्त नही हो सकती है।


बताया जाता है कि घायल व्यवसाई ओम प्रकाश जायसवाल पास ही बिशेश्वरगंज मंडी में घी तेल के कमीशन एजेंट के रूप में कार्य करते है। आज सुबह वह कुछ काम से अपने आवास से मछोदरी होते हुवे जा रहे थे, तभी घात लगाए बदमाशो ने घटना को अंजाम दे डाला। घटना गायघाट पुलिस चौकी से मात्र 20 कदमो के दुरी पर हुई थी। घटना की सुचना पाकर मौके पर पहुची पुलिस सुरग्गाशी में लगी है। वही दूसरी तरफ लूट का समाचार मिलते ही पुरे शहर में वाहन चेकिंग का अभियान शुरू कर दिया गया मगर कोई सफलता पुलिस के हाथ नही लगी है। पुलिस घटनास्थल और आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है। मामले में पुराने अपराधियों की गतिविधिया भी खंगाली जा रही है। लबेरोड़ इस दुस्साहसिक घटना के बाद क्षेत्र में दहशत का माहोल फ़ैल गया। यहाँ एक बार फिर हम आपको आम जनता की गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित करवा दे कि घटना के समय आसपास काफी लोग रहे होंगे, मगर किसी ने भी साहस थोडा भी नहीं दिखाया और घटना करने के बाद बदमाश आराम से मौके से फरार हो गए। आम तौर पर बिजली पानी की समस्या के लिए सडको पर आने वाली और बवाल काटने वाली जनता सुरक्षा के इन मुद्दों पर अपराध होते हुवे खामोश देखती रहती है।


बहरहाल, पुलिस प्रकरण में अपनी तफ्तीश में जुटी हुई है। कैमरों को खंगाला जा रहा है। क्राइम ब्रांच से लेकर आदमपुर और कोतवाली पुलिस और क्षेत्राधिकारी कोतवाली के साथ साथ खुद एसपी (सिटी) दिनेश सिंह घटना के जल्द खुलासे के लिए मेहनत मशक्कत कर रहे है। एक एक छोटी छोटी गतिविधियों का बारीकी से पुलिस अध्यन कर रही है। पुलिस जल्द ही घटना के खुलासे का दावा कर रही है।


'बीयर पीना' दूध से ज्यादा फायदेमंद

शराब या बियर पीना सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। शायद इसी वजह से हमें बचपन से ही दूध पीने के फायदों के बारे में बताया जाता है। वहीं, दूसरी ओर पेटा (पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल) ने दूध पीने से ज्यादा बियर पीना फायदेमंद बताया है। शारीरिक और मानसिक विकास के लिए दूध के फायदे हमें बचपन से ही बताए जा रहे हैं। इसके फायदों को देखते हुए तो कुछ परिवारों में रोजाना लोगों को एक से दो ग्लास दूध पीने के लिए दिया जाता है।


पेटा के अनुसार बियर पीना दूध से ज्यादा फायदेमंद है! बियर न सिर्फ हड्डियों को मजबूत बनाता है, बल्कि इसे पीने से उम्र भी बढ़ती है। पेटा ने लोगों को दूध न पीने की सलाह दी है।इतना ही नहीं, पेटा ने दूध पीने के कई नुकसान भी उजागर किए हैं। इसमें बताया गया है कि दूध मोटापा, डायबिटीज और कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण भी बनता है।


पेटा ने यह दावा हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक रिपोर्ट के आधार पर किया है। इस बयान को शाकाहारी होने के फायदों से जोड़कर भी देखा जा रहा है। हालांकि इस दावे के बाद एक बड़ी बहस छिड़ गई है। बियर को एक एल्कोहल बेवरेज माना जाता है। इसे बनाने में जिन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है उसमें कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। बियर बनाने में जौ, गेहूं, मक्का और चावल का इस्तेमाल होता है। इतना ही नहीं, बियर में मौजूद 90 प्रतिशत पानी के अलावा फाइबर, कैल्शियम, आयरन समेत शरीर को फायदा पहुंचाने वाले कई पोषक तत्व होते हैं।


बियर इंसान के हड्डियों को भी मजबूत बनाने का काम करती है। शरीर की मांसपेशियों के विकास के लिए भी इसे काफी फायदेमंद बताया जाता है। जबकि दूध पीने से कई तरह के हृदय रोग, मोटोपा, डायबिटीज और कैंसर की बीमारियों उत्पन्न होती हैं। पेटा की तरफ से जारी बयान में यह भी बताया गया कि बियर दूध से ज्यादा फायदेमंद हो सकती है, लेकिन फिर भी वो एल्कोहो युक्त प्रोडक्ट है। जरूरत से ज्यादा बियर पीना भी सेहत के लिए खतरनाक है। इस खबर की पुष्टि खबरीलाल नहीं करता।


'फाँसी के फंदे' तैयार करने का निर्देश

10 फांसी के फंदे तैयार करने के जो निर्देश प्राप्त हुए क्या


रवि ठाकुर


पटना! बिहार की बक्सर जेल को इस सप्ताह के अंत तक फांसी के दस फंदे तैयार रखने का निर्देश दिया गया है, जिससे यह कयास लगाया जा रहा है कि ये दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया मामले के दोषियों के लिए हो सकते हैं। बिहार की बक्सर जेल, राज्य की एकमात्र ऐसी जेल है जिसे फांसी के फंदा बनाने में महारत हासिल है। इस आशय का निर्देश पिछले सप्ताह प्राप्त हुआ था, हालांकि जेल प्रशासन को यह नहीं पता है कि फांसी के इन फंदों के लिए मांग कहां से और किस उद्देश्य से की गई है। बक्सर जेल अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने बताया कि हमें पिछले सप्ताह जेल निदेशालय से 14 दिसंबर तक 10 फांसी का फंदा तैयार करने के निर्देश मिले थे। हमें नहीं पता कि ये कहां इस्तेमाल होने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संसद हमले के मामले में अफजल गुरु को मौत की सजा देने के लिए इस जेल में तैयार किए गए फांसी के फंदे का इस्तेमाल किया गया था। 2016-17 में हमें पटियाला जेल से आदेश मिले थे, हालांकि हम यह नहीं जानते कि किस उद्देश्य के लिए वे फंदे तैयार कराए गए थे।
अरोड़ा ने कहा कि बक्सर जेल में लंबे समय से फांसी के फंदे बनाए जाते हैं और एक फांसी का फंदा 7200 कच्चे धागों से बनता है। उसे तैयार करने में दो से तीन दिन लग जाते हैं जिस पर पांच-छह कैदी काम करते हैं तथा इसकी लट तैयार करने में मोटर चालित मशीन का भी थोड़ा उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि पिछली बार जब यहां से फांसी के फंदे की आपूर्ति की गई थी, तो एक की कीमत 1725 रुपए रही थी, पर इस बार 10 फांसी के फंदे तैयार करने के जो निर्देश प्राप्त हुए हैं, उसमें पीतल के बुश जो कि गर्दन में फंसती है, की कीमत में हुए इजाफा के कारण फांसी के फंदे की कीमत में थोड़ी बढोतरी हो सकती है।
यह कयास लगाया जा रहा है कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक चलती बस में एक युवती से बलात्कार के चार दोषियों को इस महीने के अंत में फांसी दी जा सकती है। संयोग से, निर्भया मामले के दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर बिहार के औरंगाबाद जिले का निवासी है। हैदराबाद में एक महिला के बलात्कार और उसकी हत्या के चार आरोपियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद निर्भया मामले के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दिए जाने की मांग ने और जोर पकड़ लिया है।


पुलिस छापेमारी में सेक्स रैकेट का खुलासा

औरंगाबाद! शहर के राजेश नगर और यशवंत नगर क्षेत्र में क्राइम ब्रांच की टीम ने छापेमार कर सेक्स रैकेट का खुलासा किया है। इस दौरान पुलिस ने 4 युवतियों सहित 8 लोगों को संदिग्ध अवस्था में रंगेहाथों पकड़ा है। छापेमार कार्रवाई के दौरान पुलिस ने मौके से शराब की 480 बोतलें भी बारामद की है। हालांकि पुलिस ने प्रारंभिक पूछताछ के बाद सभी को छोड़ दिया था।


मिली जानकारी के अनुसार शहर के राजेश नगर और यशवंत नगर के होटलों में सेक्स रैकेट चलाए जाने की सूचना पुलिस को लंबे समय से मिल रही थी। क्राइम ब्रांच की टीम को शनिवार को भी ऐसी ही सूचना मिली थी। सूचना के आधार पर क्राइम ब्रांच की टीम ने दो अलग—अलग होटलों में दबिश देकर 4 युवतियों सहित 8 लोगों को रंगेहाथों गिरफ्तार किया है। पूछताछ के बाद पुलिस ने बताया कि मौके पर पकड़ाई अधिकतर युवतियों ने बताया कि वे घर से कोचिंग जाने के बहाने निकली थी। 18 वर्षीय छात्रा अपने बैग के साथ पकड़ी गई जो कोचिंग के लिए घर से निकली थी। एक अन्य छात्रा भी कोचिंग के लिए निकली थी जिसके हाथ में किताब और डायरी थी।


बताया गया कि इन होटलों में पहले भी छापेमारी कर पुलिस ने सेक्स रैकेट का खुलासा किया था। यहां पिछले बार एक जोड़े को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बाद में यहां से बरामद युवती की मौत हो गई थी। युवती के आत्महत्या करने का मामला सामने आया था, जबकि कई लोगों ने परिजनों द्वारा उसे मार देने की बात कही थी।


केवल 1 घंटे में 10 हजार कमा सकते हैं

नई दिल्ली। आज की जिंदगी में सर्वाइव करने के लिए हर कोई पैसे कमाना चाहता है। ऐसे में हम आपको एक ऐसा तरीका बताने जा रहे हैं जिससे आप केवल 1 घंटे भी 10 हजार तक पैसे कमा सकते हैं। दरअसल, डाटा माइनिंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और क्लाउड सिक्योरिटी की मांग सबसे तेजी से बढ़ रहा है ऐसे में हर जगह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial intelligence) की जरूरत है। कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को इस स्किल्स की ट्रेनिंग देना चाहती हैं। इसके लिए 50,000 रुपए से लेकर 7 लाख रुपए तक दिए जाएंगे। जानें इसके लिए आपको करना क्या होगा।


बता दें, लर्निंग एंड डेवलपमेंट प्रोग्राम (Learning and Development Program) के तहत कंपनियां ऐसे टीचर्स को छोटी अवधि के लिए हायर करती हैं। इसमें खासतौर पर वो लोग होते हैं, जिन्होंने पहले इस क्षेत्र में काम कर लिया या फिर इसी थ्योरी के बारे में उन्हें पूरी जानकारी है। इस तरह के स्किल्स को सीखने के लिए 30-60 घंटों की जरूरत होती है। इसमें थ्योरी और प्रैक्टिकल की ट्रेनिंग दी जाती है। आईटी, ई-कॉमर्स, बैंकिंग, एफएमसीजी और ई-लर्निंग के सेक्टर की कंपनियां इस तरह के लोगों की हायरिंग करती हैं।


मिस यूनिवर्स 2019 का खिताब 'टुंज़ी' ने जीता

अटलांटा। अमेरिका के अटलांटा में आयोजित हुई मिस यूनिवर्स 2019 (Miss Universe 2019) प्रतियोगिता का खिताब दक्षिण अफ्रीका की ज़ोज़िबिनी टुन्ज़ी (Zozibini Tunzi) ने जीत लिया है। प्यूर्टो रिको की मैडिसन एंडरसन फर्स्ट रनर-अप जबकि मेक्सिको की सोफिया अरागॉन सेकेंड रनर-अप रहीं। गौरतलब है कि मिस यूनिवर्स 2019 प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहीं 26 वर्षीय वर्तिका सिंह टॉप 10 में भी जगह नहीं बना सकी थीं।मिस यूनिवर्स 2019 ज़ोज़िबिनी टुन्ज़ी दक्षिण अफ्रीका के सोलो की रहने वाली हैं और महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं। 26 वर्षीय टुन्ज़ी के पास पब्लिक रिलेशन्स व इमेज मैनेजमेंट की बैचलर डिग्री है और उन्होंने पब्लिक रिलेशन्स में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी की डिग्री भी पूरी की है। टुन्ज़ी ने ओगिल्वी केप टाउन के जनसंपर्क विभाग में इंटर्नशिप भी किया है।मिस यूनिवर्स 2019 प्रतियोगिता के आखिरी राउंड में तीनों प्रतिभागियों से पूछा गया था, 'वह कौनसी सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है जो आज की तारीख में हमें युवा लड़कियों को सिखानी चाहिए?' इसपर विजेता ज़ोज़िबिनी टुन्ज़ी ने कहा, 'सबसे महत्वपूर्ण चीज़ जो लड़कियों को सिखानी चाहिए वह है नेतृत्व करना, समाज में अपनी जगह बनाने से ज़्यादा ज़रूरी कुछ भी नहीं हैं।'


उड़ने वाली कार लॉन्च, कीमत 4.3 करोड़

फ्लोरिडा। कुछ लोगों को यह मजाक लग रहा होगा लेकिन टेक्नोलॉजी (Technology) ने इतनी बढ़त कर ली है कि अब दुनिया में उड़ने वाली कार भी लॉन्च हो चुकी है। इस कार की स्पीड (Speed) भी हैरान कर देने वाली है। कार की सबसे बड़ी खासियत ये है की इससे उन शहरों में फायदा होगा जहां ट्रैफिक की दिक्कत रहती है। ये कार उड़ने के साथ चल भी सकती है। इस कार को फ्लोरिडा (Florida) में लॉन्च किया गया है। इसका नाम पर्सनल एयर लैंडिंग व्हीकल रखा गया है। जानें गाड़ी की कामत और इसकी खासियत के बारे में,


इस गाड़ी को चलाने के लिए गैसोलीन की जरूरत पड़ती है और हवा में इसकी सबसे तेज गति 200 मील प्रति घंटा है। वहीं, सड़क पर इसकी गति 100 मील प्रति घंटा है। हॉलैंड में बनी इस गाड़ी का तेजी से उत्पादन किया जा रहा है। इस गाड़ी को खरीदने के लिए पहले ही 70 लोगों ने बुकिंग कर दी है। इसकी कीमत लगभग 4.3 करोड़ रुपए रखी गई है। इस गाड़ी की पहली डिलीवरी 2021 तक किए जाने की संभावना है। मियामी 2020 एंड बियॉन्ड नामक कार्यक्रम में पाल-वी को प्रदर्शित किया गया।


इसमें 230 हॉर्सपावर के चार सिलेंडर इंजन लगाए गए हैं। यह गाड़ी तीन सीट वाली कार से दो सीट वाले गायरोकॉप्टर में सिर्फ 10 मिनट में बदल जाती है। गाड़ी आठ सेकेंड के अंदर शून्य से 60 मील प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है। इस उड़ने वाली गाड़ी में दो लोगों के बैठने की जगह है और इसमें 230 हॉर्सपावर के चार सिलेंडर इंजन दिए गए हैं। इस कार को कॉर्बन फाइबर, टाइटेनियम और एल्युमिनियम से बनाया गया है और इसका वजन 680 किलोग्राम है। इस कार को कॉर्बन फाइबर, टाइटेनियम और एल्युमिनियम से बनाया गया है।


शाहिदा महाराष्ट्र महिला सेल की अध्यक्ष

मुंबई! भारतीय मानव समाज सेवक संस्थान के द्वारा समाज सेविका कुमारी शेरबानो शाहिदा दरबार को महाराष्ट्र महिला सेल( इंडिया वर्किंग मैनेजमेंट) का अध्यक्ष नियुक्त किया है! शेर बानो शाहिदा को सभी ने बधाई दी, उनकी लंबी उम्र की कामना की गई! ऊंच-नीच को त्याग कर, सबका साथ, सहयोग, सहायता के साथ-साथ राजधर्म का पालन करने की अपेक्षा की गई है! जनता की मूल समस्याओं का विरोध करना, जनविकास ही हमारी प्राथमिकता है!
शिक्षा-स्वच्छता, योजनाओं का प्रचार-प्रसार समाज और एवं सुरक्षा के साथ, महिलाओं को स्वावलंबी बनाने हेतु स्वरोजगार एवं परीक्षण का कार्य संस्था का मूल उद्देश्य्य है!


औद्योगिक इमारत निर्माण में रखे ध्यान

औद्योगिक इमारतों के निर्माण के लिए उपयुक्त स्थान का चुनाव करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक हैं : विद्युत्शक्ति और जल सस्ता और पर्याप्त मात्रा में मिल सके। आवश्यक मात्रा और संतोषजनक रूप में श्रम सुलभ हो। कच्चे माल और आवश्यक उपकरण को उचित व्यय और सुविधाजनक रीति से प्राप्त करने तथा प्रस्तुत माल को बाहर भेजने के लिए समुद्र या नौसंवहन योग्य नदी, रेल लाइन और पक्की सड़क हो। व्यवसायजन्य रद्दी सामानों के उचित विक्रय की सुविधा हो। भूमि भवननिर्माण योग्य हो और पड़ोस ऐसा हो जिससे भविष्य में उद्योग का कम खर्च से सुविधाजनक एवं संतोषजनक रूप से विस्तार संभव हो सके। युद्धकालीन बमबारी जैसे जोखिमों से बचने के लिए यथासंभव जनाकीर्ण एंव सामरिक महत्व के क्षेत्रों को नहीं चुनना चाहिए।


स्थान की आवश्यकता पर सावधानी से विचार करना चाहिए। विभिन्न एककों की रचना बड़ी सतर्कता से करनी चाहिए जिससे दैनिक कार्यसंचालन में शक्ति का अपव्यय न हो और न स्थान, सामग्री, श्रम या धन की बरबादी हो। आयोजन सरल होना चाहिए जिससे कम से कम खर्च में प्रतिष्ठान में कार्य करनेवालों की कार्यक्षमता अधिक से अधिक बढ़ाई जा सके और उन्हें अधिकतम सुख सुविधा प्राप्त हो सके। जलवायु की स्थिति, वायुप्रवाह की दिशा, वर्षा की मात्रा आदि पर भी उचित ध्यान देना आवश्यक है। इमारतें एकमंजिली हों या कई मंजिलों की, यह उद्योगविशेष की अपनी आवश्यकताओं, भूमि के आपेक्षिक मूल्य, भूमि की स्थिति तथा क्षेत्रफल आदि पर निर्भर है। कई मंजिलोंवाली इमारतों में अग्नि के नियंत्रण के लिए स्वचालित व्यवस्था होनी चाहिए जिससे बीमे का खर्च कम हो। अग्निकांड और संकट के समय निकल भागने का भी उचित प्रबंध आवश्यक है। लिफ़्ट और स्वचालित सोपानों की व्यवस्था भी हो सके तो अच्छा है।


यह ध्यान रखना आवश्यक है कि प्रत्येक विभाग का विस्तार समय आने पर उचित रीति और कम व्यय से किया जा सके और इससे उत्पादन में कोई ह्रास न हो। प्रतिष्ठान के विस्तार के अनुरूप जलपान एवं भोजनगृह, विश्रामकक्ष, शौचालय, बहुमूल्य वस्तुओं को रखने के लिए सुरक्षित स्थान, चिकित्सालय एवं क्रीड़ांगण आदि कल्याणकारी सुविधाएँ भी नितांत अपेक्षित हैं। वास्तु को प्रभावशाली बनाने के लिए भवन के आकार प्रकार, बनावट, सौष्ठव और सम्यक् अनुपात का ध्यान रखना चाहिए। कर्मचारियों की मनोदशा और मानसिक वृत्तियों पर रंगों के आयोजन का बड़ा प्रभाव पड़ता है, जिससे अंतत: उत्पादन के परिमाण और अच्छाई दोनों प्रभावित होते हैं। प्रतिष्ठान की भीतरी दीवालों की रँगाई हल्के रंगों से या सफेद होनी चाहिए। इमारतों में रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए जिससे निरंतर एकरूप प्रकाश मिल सके, किंतु चकाचौंध न उत्पन्न हो। प्राकृतिक प्रकाश का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। रात के समय कृत्रिम प्रकाश के रूप में बिखरकर आया बिजली का श्वेत प्रकाश अपेक्षित होता है। प्राय: विद्युन्नलिकाएँ (फ़्लुओरेसेंट ट्यूब लाइट) सर्वाधिक सुविधाजनक होती हैं। इसके लिए प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों प्रकार की व्यवस्थाएँ की जा सकती हैं। तंबाकू, औषध और वस्त्रोद्योग जैसे प्रतिष्ठानों में, जहाँ ताप एवं आर्द्रता का नियंत्रण और धूलिकणों का दूर रखना बहुत आवश्यक होता है, वायु अनुकूलन की भी व्यवस्था करनी पड़ती है। औद्योगिक इमारतों का निर्माण अग्निसह होना चाहिए।


कुछ देशों में कारखानों की वृद्धि इतनी अधिक हुई है कि शहरों में उनका बनाना असंभव हो गया है। इसलिए बड़े कारखाने शहर से दूर बनाए जाते हैं और पास में ही कार्यकर्ताओं के लिए गृह, पाठशाला, उद्यान, अस्पताल, बाजार, सिनेमा आदि सभी विशेष रूप से बनाए जाते हैं। इस प्रकार प्रत्येक कारखाना एक छोटा सा नगर ही हो जाता है!


काली-सफेद मिर्च में औषधीय गुण

इसके दानों में 5 से 9 प्रतिशत तक पिपेरीन (Piperine), पिपेरिडीन (Piperidin) और चैविसीन (Chavicine) नामक ऐल्केलायडों के अतिरिक्त एक सुगंधित तैल 1 से 2.6 प्रति शत तक, 6 से 14 प्रति शत हरे रंग का तेज सुगंधित गंधाशेष, 30 प्रति शत स्टार्च इत्यादि पाए जाते हैं।


काली मिर्च सुगंधित, उत्तेजक और स्फूर्तिदायक वस्तु है। आयुर्वेद और यूनानी चिकित्साशास्त्रों में इसका उपयोग कफ, वात, श्वास, अग्निमांद्य उन्निद्र इत्यादि रोगों में बताया गया है। भूख बढ़ाने और ज्वर की शांति के लिए दक्षिण में तो इसका विशेष प्रकार का 'रसम' भोजन के साथ पिया जाता है। भारतीय भोजन में मसाले के रूप में इसका न्यूनाधिक उपयोग सर्वत्र होता है। पाश्चात्य देशों में इसका विशिष्ट उपयोग विविध प्रकार के मांसों की डिब्बाबंदी में, खाद्य पदार्थो के परिरक्षण के लिए और मसाले के रूप में भी किया जाता है।सफेद मिर्च, काली मिर्च की एक विशेष किस्म है जिसकी कटाई फसल पकने से पहले ही हो जाती है। सफेद और काली मिर्च दोनों एक ही पौधे के फल हैं; बस अपने रंग की वजह से उनका इस्तेमाल अलग हो जाता है। सफेद मिर्च का प्रयोग आमतौर हल्के रंग के व्यंजनों जैसे कि सूप, सलाद, ठंडाई, बेक्ड रेसिपी इत्यादि में किया जाता है!


वजन घटाने में लाभकारी अखरोट

अखरोट (Walnut) वजन घटाने का बेहतरीन स्रोत है। यह शरीर में थर्मोजेनिक प्रभाव पैदा करता है, जिससे हृदय की धमनियों में जमा हुआ वसा घुलनशील अवस्था (Soluble state) में आकर धीरे-धीरे खत्म होने लगता है। इस तरह से आपके हृदय (Heart) को शरीर में रक्त संचार के लिए अधि‍क मेहनत नहीं करनी पड़ती। प्राकृतिक मिनरल्स (Natural mineral) से भरपूर अखरोट में जिंक, कॉपर, फास्फोरस, आयरन और कैल्शि‍यम जैसे तत्व भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जो आपके शरीर के आंतरिक अंगों को पोषि‍त कर उन्हें बेहतर तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं।


अखरोट की 100 ग्राम मात्रा में लगभग 600 कैलोरी होती है। जिसे खाने से शरीर को अत्यधि‍क एनर्जी (Energy) मिलती है। जैसा कि हमने कहा है कि अखरोट वजन घटाने (Weight loss) के लिए भी बेहतरीन है, क्योंकि इसकी थोड़ी मात्रा भी आपको विटामिन एफ, सी, विटामिन बी9, बी2 और विटामिन ए मिलता है। इन सभी विटामिन और मिरनल्स के अलावा अखरोट फैटी एसिड, ओमेगा 3 और ओमेगा 6 का भी एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है, जो आपके मस्तिष्क के अंगों के लिए बहुत फायदेमंद है और याददाश्त बढ़ाने में भी मदद करते हैं।


यही नहीं, अखरोट पैंक्रियाज ग्रंथि (Pancreatic gland) में भी होने वाले कैंसर से बचाता है और महिलाओं में स्तन कैंसर (Breast Cancer) की संभावना को कम करता है। इसके अलावा यह रक्त को जमने से रोकता है और टाइप 2 डाइबिटीज से भी आपको बचाता है। रोजाना कम कम मात्रा में अखरोट को खाएं, इससे सेहत हमेशा अच्छी रहेगी। अखरोट एक अच्छा ऑप्शन माना जाता है क्योंकि इसको खाने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव मिलेगा।


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सीएम ने जनसभा कर, मतदाताओं से संवाद किया  संदीप मिश्र  बरेली। बरेली के आंवला में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को सुभाष इंटर कॉलेज ग्...