मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

शिक्षकों के वेतन का भुगतान न होने पर धरना

 शिक्षकों के वेतन का भुगतान ना होने पर धरना


बागपत। बागपत के समस्त वित्तीय अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलो मे कार्य रत शिक्षको व क्रमचारियो को मार्च माह का वेतन भुगतान कराने हेतु। भुगतान न होने पर छ म ई को धरना प्रदर्शन के सन्दर्भ मे!
मार्च माह के वेतन का भुगतान न होने पर जो शिक्षक संघ ओर उसके नेता लेखा कार्यालय व जिलाविधालय कार्यालय जनपद बागपत पर ताला लगाने का दम भर रहे थे ये तो अप्रैल माह के भी दो दिन शेष रह गए न मार्च के वेतन का भुगतान हुआ न लेखा व जिला विधालय निरीक्षक कार्यालय पर ताले लगे। अब मै आप सभी को भरोसा दिलाता हूं की यदी मार्च व अप्रैल माह के वेतन का भुगतान पॉच म ई तक न हुआ तो छ म ई को जिला विधालय नीरिक्षक व लेखा अधिकारी बागपत कार्यालय पर धरना दूंगा। धरने को सफल बनाने मे संख्या बल का बडा महत्व होता है। इसलिए आप सभी से आव्हान की संघो की गुट बाजी से उपर उठ कर अपने इस न्याय संगत हक की लडाई मे मेरा होसला अफजाई करने हेतू बारह बजे सोमर छ म ई को जिला विधालय निरीक्षक कार्यालय पर बडी संख्या मे पहुंचे धन्यवाद।


जितेन्द्र तोमर जिला प्रभारी उ प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ बागपत
 गोपीचंद सैनी, बागपत!


शिक्षकों के वेतन का भुगतान न होने पर धरना

 शिक्षकों के वेतन का भुगतान ना होने पर धरना


बागपत। बागपत के समस्त वित्तीय अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलो मे कार्य रत शिक्षको व क्रमचारियो को मार्च माह का वेतन भुगतान कराने हेतु। भुगतान न होने पर छ म ई को धरना प्रदर्शन के सन्दर्भ मे!
मार्च माह के वेतन का भुगतान न होने पर जो शिक्षक संघ ओर उसके नेता लेखा कार्यालय व जिलाविधालय कार्यालय जनपद बागपत पर ताला लगाने का दम भर रहे थे ये तो अप्रैल माह के भी दो दिन शेष रह गए न मार्च के वेतन का भुगतान हुआ न लेखा व जिला विधालय निरीक्षक कार्यालय पर ताले लगे। अब मै आप सभी को भरोसा दिलाता हूं की यदी मार्च व अप्रैल माह के वेतन का भुगतान पॉच म ई तक न हुआ तो छ म ई को जिला विधालय नीरिक्षक व लेखा अधिकारी बागपत कार्यालय पर धरना दूंगा। धरने को सफल बनाने मे संख्या बल का बडा महत्व होता है। इसलिए आप सभी से आव्हान की संघो की गुट बाजी से उपर उठ कर अपने इस न्याय संगत हक की लडाई मे मेरा होसला अफजाई करने हेतू बारह बजे सोमर छ म ई को जिला विधालय निरीक्षक कार्यालय पर बडी संख्या मे पहुंचे धन्यवाद।


जितेन्द्र तोमर जिला प्रभारी उ प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ बागपत
 गोपीचंद सैनी, बागपत!


1140 सरकारी स्कूल हो जाएंगे बंद?

1140 सरकारी स्कूल हो जाएंगे बंद?
बिहार में 1140 सरकारी स्कूल बंद होने की कगार पर हैं और सरकार कभी भी इनके अस्तित्व को खत्म करने का निर्णय ले सकती है। यह सिर्फ 1140 स्कूलों का मामला नहीं है बल्कि भविष्य का भयावह संकेत है कि चीजें किस दिशा में जा रही हैं।


शिक्षा का अधिकार अधिनियम कहता है कि किसी भी सरकारी प्राइमरी स्कूल में कम से कम 40 बच्चे नामांकित होने चाहिये। इनमें से बहुत सारे ऐसे स्कूल हैं जिनमें नामांकन शून्य हो चुका है और बाकी स्कूलों में भी 10-20 बच्चे बच गए हैं। तो, इन्हें बंद करना सरकार की संवैधानिक विवशता होगी।


बीबीसी की रिपोर्ट बताती है कि इनमें से अधिकतर स्कूल सघन आवासीय इलाकों में हैं किन्तु एक-एक कर इनमें नामांकित बच्चों का पलायन प्राइवेट स्कूलों में हो गया।
नतीजा, ये अब वीरान हैं। दिन ब दिन यह वीरानी अन्य सरकारी प्राइमरी स्कूलों में भी बढ़ती जा रही है।


यह होना ही था। सरकारी स्कूल एक-एक कर खत्म होते जा रहे हैं और उनकी कब्रों पर प्राइवेट स्कूलों की इमारतें बुलंद होती जा रही हैं।
धारणाएं बनती गई कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती और जिन अभिभावकों को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता है उन्हें प्राइवेट स्कूलों की शरण में जाना चाहिये। तो...जिन अभिभावकों के पास थोड़ा भी पैसा है, वे अपना पेट काट कर, अन्य जरूरतों को नजरअंदाज कर प्राइवेट स्कूलों की मोटी फीस भरने को विवश हुए।


यह संविधान की उस धारा का मजाक बन जाना है जिसमें कहा गया है कि 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने की जिम्मेदारी राज्य की है। संविधान अपनी जगह, यहां स्थिति यह है कि अपने बच्चों के भविष्य के प्रति चिंतित अभिभावक अपनी आमदनी का बड़ा हिस्सा उनकी फीस, यूनिफार्म, किताबें आदि पर खर्च करने को विवश हैं। जाहिर है, छोटी आमदनी वाले लोगों के लिये यह और गरीब बन जाना है।


नामांकन के अभाव में सरकारी स्कूलों को बंद करने का सिलसिला राजस्थान से शुरु हुआ, जिसकी आग मध्य प्रदेश आदि राज्यों से होते हुए बिहार तक भी पहुंच चुकी है।

एक साजिश...जो 1990 के दशक में शुरू हुई थी, तीसरे दशक तक आते-आते निर्णायक रूप से सफल होती दिख रही है।


नवउदारवादी व्यवस्थाएं राज्य कोष से निर्धनों पर होने वाले कल्याण कारी व्यय में कटौती करने की हर संभव कोशिशें करती है। अब जब...सरकारी स्कूल एक-एक कर बंद होते जा रहे हैं तो इन पर होने वाले व्यय में भी कमी आती जाएगी। यही तो चाहती हैं व्यवस्थाएं।


कारपोरेट संचालित मीडिया की भी इसमें बड़ी भूमिका है जिसने सरकारी स्कूल के शिक्षकों को अयोग्य ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हजारों शिक्षकों में से कुछेक की अयोग्यता का इतना ढिंढोरा पीटा जाता है कि पूरा शिक्षक समुदाय संदेह के घेरे में आता दिखने लगता है। पब्लिक परसेप्शन का अपना महत्व और प्रभाव है जो सरकारी शिक्षकों के खिलाफ गया।


हमने अभी तक टीवी में ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं देखी है कि कोई रिपोर्टर किसी प्राइवेट स्कूल में जाकर वहां के शिक्षकों की योग्यता की जांच कर रहा हो, वहां की स्थितियों के खोखलेपन को उजागर कर रहा हो।


सरकारी स्कूलों का बंद होते जाना और उनकी कब्र पर निजी स्कूलों का पनपते जाना सभ्यता की कैसी पतन गाथा लिख रहा है, यह समझने की जरूरत है।


शिक्षकों के पद की मर्यादा में ह्रास इसका एक बड़ा साइड इफेक्ट होगा जो अधिकांश निजी स्कूलों में शोषण के शिकार हैं। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की अपनी गरिमा है, अपने अधिकार हैं, उनकी नौकरी में स्थायित्व है, उन्हें सम्मानजनक वेतन मिलता है। जिन्हें सम्मानजनक वेतन नहीं मिलता वे अपनी लड़ाई लड़ने के लिये स्वतंत्र हैं और कोई भी सरकार इस लड़ाई के लिये उनको दंडित नहीं कर सकती।


लेकिन...निजी स्कूलों में? क्या उनके शिक्षक अपने कम वेतन या बहुआयामी शोषण के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं? अगले ही दिन बददिमाग मालिक, जो खुद को स्कूल का 'डायरेक्टर' बता अपना कारोबार चलाता है, आवाज उठाने वाले शिक्षक को बाहर का रास्ता दिखा देगा। शिक्षक के साथ हुए इस अन्याय की कहीं कोई सुनवाई नहीं होगी, न होती है।


तो...बहुत सारे युवा, जो पढ़-लिख कर शिक्षण के पेशे में आना चाहते हैं, अब अपने भविष्य को लेकर शंकित होंगे। सरकारी शिक्षकों के पद धीरे-धीरे घटते जाएंगे और उनकी जगह निजी स्कूलों में शिक्षकों के की मांग बढ़ती जाएगी।


परंतु, कितने प्रतिशत निजी स्कूल हैं जो अपने शिक्षकों को परिवार चलाने लायक वेतन देते हैं? अधिकतर स्कूलों में शिक्षकों को बहुत कम वेतन मिलता है और सरकार की कोई नियामक एजेंसी इस शोषण की खोज-खबर नहीं लेती। 80 प्रतिशत निजी स्कूल तो ऐसे हैं जिनमें शिक्षक आते-जाते रहते हैं। उनकी नौकरी का कोई स्थायित्व नहीं।


सरकारी स्कूल बंद होते जाएंगे तो सरकारी शिक्षकों के पद खत्म होते जाएंगे। ये पद उन निजी स्कूलों में शिफ्ट होते जाएंगे जो शिक्षकों को न उचित वेतन देंगे, न सम्मान, न अधिकार। इस तरह, शिक्षण एक घटिया नौकरी में शुमार होगा।


जो समाज अपने शिक्षकों को शोषित होने को अभिशप्त छोड़ देगा वह सांस्कृतिक रूप से पतित होता जाएगा। कुछ तो कारण है कि अमेरिका, यूरोप, जापान, साउथ कोरिया आदि विकसित देशों में स्कूली शिक्षा सरकार के अंतर्गत ही है और वहां के शिक्षकों का वेतन अत्यंत सम्मानजनक है।


हम एक पतनोन्मुख संस्कृति हैं जो नवउदारवाद के नकारात्मक प्रभावों से अपनी स्कूली शिक्षा और अपने शिक्षकों को नहीं बचा पा रहे। जिन बच्चों को मुफ्त में पढ़ना था, जिन्हें मुफ्त में किताबें और यूनिफार्म मिलनी थीं, उन्हें हमने संस्था के प्रति संदेह से भर दिया और वे अब इसे छोड़ कर भाग रहे हैं। उनके गरीब अभिभावक उनकी ऊंची फीस, महंगी किताबें और यूनिफार्म की व्यवस्था में हलकान हो रहे हैं।


 


ड्रग्स के आरोप में वाडिया को 2 साल की सजा

ड्रग्स  के आरोप में वाडिया को 2 साल की सजा


भारतीय कारोबारी और आईपीएल की टीम किंग्स इलेवन पंजाब (KXIP) के सह-मालिक नेस वाडिया को जापान की एक कोर्ट ने ड्रग्स रखने के आरोप में 2 साल की सजा सुनाई है। नेस को इस साल मार्च में उत्तरी जापानी द्वीप होक्काइडो के न्यू चिटोज़ हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद से उन्हें अज्ञात जगह पर नजरबंद रखा गया था। वाडिया की पैंट की जेब में करीब 25 ग्राम कैनेबिस रेज़िन पाई गई।


एनएचके के एक स्थानीय होक्काइडो स्टेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि नेस वाडिया की जेब में ड्रग्स होने की पुष्टि स्निफर डॉग ने की। 47 साल के नेस वाडिया, ग्रुप के चेयरमैन नुस्ली वाडिया के सबसे बड़े बेटे हैं, जो कि फोर्ब्स के अनुसार, करीब 7 अरब डॉलर की कुल संपत्ति के साथ भारत के सबसे अमीर कारोबारियों में शामिल हैं।


नेस, वाडिया समूह की सभी यूनिट्स के निदेशक हैं। इसी समूह को 1736 में ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए जहाज बनाने का मसौदा मिला था। अब वाडिया समूह बिस्किट कंपनी ब्रिटेनिया और बजट एयरलाइन गो-एयर के कारोबार में भी शामिल हैं। इसके सूचीबद्ध संस्थाओं का कुल बाजार मूल्य 131 अरब डॉलर है। साप्पोरो की अदालत में नेस वाडिया ने यह स्वीकार किया कि यह दवा उनके निजी इस्तेमाल के लिए है।universalexpress.page


 


लखनऊ में राजनाथ के लिए कर रहे भाजपाई अपील

लखनऊ! स्वर्ण जयंती पार्क,सेक्टर 25 इंद्रिरा नगर लखनऊ में लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी राजनाथ सिंह के समर्थन में नीरज सिंह ने पार्क मे घूम रहे एवम व्यायाम कर रहे लोगो से मिलकर वोट मांगे एवम सभी से अपील की आने वाली 6 तारिक को कमल के निशान पर बटन दबाकर भारी से भारी मतों से भाजपा को विजयी बनाए ओर फिर एक बार मोदी सरकार बनाए प्रचार करने मे लखनऊ के युवा मोर्चा के कार्यकर्ता ,पार्षद सरदार सिंह भाटी,रवि भाटी प्रदेश मन्त्री,कालीचरन पहलवान,पुर्व डिप्टी मेयर राजेश्वर प्रशाद,दीपक ठाकुर रामकुमार नागर,राकेश शर्मा,मनोज भड़ाना,सोमनाथ चौहान,करम्वीर पण्डित,आदी भाजपा कार्यकर्ताओ ने पार्क मे मॉर्निंग वाकर्स वालों से भेंट एवं क्षेत्र भ्रमण करके जनसम्पर्क किया luniversalexpress.page


बीजेपी नेता ने अधिकारी को दी धमकी, मेरी हिट लिस्ट में हो

बीजेपी नेता ने अधिकारी को दी धमकी, मेरी हिट लिस्ट में हो


 कानपुर! कानपुर में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के वोटिंग के दौरान एक बीजेपी नेता पुलिस अधिकारी को धमकाते हुए कैमरे में कैद हुआ है। सुरेश अवस्थी नामक बीजेपी नेता पुलिस अधिकारी को धमकाते नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं, सुरेश पुलिस वाले को कहते हैं कि वह उनके हिटलिस्ट में हैं और वह वोटिंग के बाद उन्हें देख लेंगे। बीजेपी नेता की ये धमकी और बदतमीजी कैमरे में कैद हो गई और अब उसका वीडियो भी वायरल हो रहा है।


सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में बीजेपी नेता को सर्किल ऑफिसर को धमकाते हुए सुना जा सकता है। वीडियो में बीजेपी नेता सुरेश अवस्थी पुलिस वाले से बहस करते दिख रहे हैं और पुलिस उन्हें बार-बार समझाने की कोशिश करती है। वीडियो में सर्किल अधिकारी को बीजेपी नेता कहते हैं 'मैं तुम्हें कल देख लूंगा, तुम मेरे हिट लिस्ट में हो।


इतना ही नहीं, अवस्थी अधिकारी को धमकी देते हुए भी सुना जा सकता है, जिसमें वह अधिकारी को आंख मिलाकर बात न करने की चेतावनी देता है। वब कहते हैं कि तुम मेरी तरफ मत देख, तुम मेरी आंख की तरफ मत देख। तू मेरी हिट लिस्ट में है, कल के बाद मैं तुम्हें बताऊंगा। हालांकि, इसके बाद सर्किल अधिकारी कहते हैं कि जो करना हो कर लेना !


मोदी के खिलाफ 101 प्रत्याशी मैदान में

 मोदी के खिलाफ 101 प्रत्याशी मैदान में 


वाराणसी ! वाराणसी संसदीय सीट से कुल 102 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है। अंतिम दिन सोमवार को देररात 11.30 बजे तक पर्चा दाखिला चलता रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होनेे के कारण ऐसे तमाम लोगों ने भी नामांकन किया, जिन्हें चुनाव के बहाने अलग संदेश देना है। इस प्रकार 101 उम्मीदवार मोदी को चुनौती देंगे।


बनारस संसदीय सीट पर नामांकन के अंतिम दिन सोमवार को 71 उम्मीदवारों ने पर्चे दाखिल किए। इस दौरान कलक्ट्रेट परिसर स्थित नामांकन स्थल रायफल क्लब के आसपास भारी गहमागमी रही। जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेन्द्र सिंह के मुताबिक बनारस संसदीय सीट से कुल 102 उम्मीदवारों ने अलग-अलग सेट में 199 नामांकन पत्र दाखिल किया है।


मंगलवार को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 2 मई को नाम वापसी के बाद तय होगा कि बनारस के रण में कितने उम्मीदवार होंगे। नामांकन करने वालों में प्रमुख रूप से कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय, सपा की शालिनी यादव, प्रख्यात हॉकी खिलाड़ी व पद्मश्री मो. शाहिद की बेटी हिना शाहिद शामिल रही। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अतीक अहमद का पर्चा उनके भतीजे शहनवाज आलम ने दाखिल किया।universalexpress.page


 


लोगों के लिए 'पेयजल आपूर्ति' सुनिश्चित की जाएं

लोगों के लिए 'पेयजल आपूर्ति' सुनिश्चित की जाएं  इकबाल अंसारी  चेन्नई। तमिलनाडु में गर्मी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए मु...