समसमायिक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
समसमायिक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 9 अप्रैल 2022

कूलिंग डिवाइस के तौर पर मिनी एसी की डिमांड बढ़ीं

कूलिंग डिवाइस के तौर पर मिनी एसी की डिमांड बढ़ीं   

सरस्वती उपाध्याय                 
गर्मी सीजन की शुरुआत हो चुकी है। गर्मियां भारत में पूरी तरह से पैर पसार चुकी होगी। ऐसे में इस मौसम में एयर कंडीशनर यानी कि एसी का इस्तेमाल बहुत होता है। लेकिन, यह एक हर कोई नहीं खरीद पाता। मगर, अब यह परेशानी भी दूर हो गई है। क्योंकि मार्केट में पोर्टेबल कूलिंग डिवाइस के तौर पर मिनी एसी की डिमांड बढ़ रही है। यह मिनी कूलर दिखने में छोटा है, लेकिन एक व्यक्ति के हिसाब से अच्छा काम करता है।
सबसे खास बात यह है कि इसकी दाम भी ज्यादा नहीं है और इसे स्टडी टेबल या बेड के पास या किसी भी जगह रखा जा सकता है। अगर आप भी इसे खरीदने चाहते हैं तो आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं, जिससे कि आप समझ सकें कि यह डिवाइस आपके लिए कैसा रहेगा।
यह मिनी कूलर को मार्केट में पोर्टेबल AC का नाम से भी जाना जाता है। ये Online और offline दोनों की माध्यम से खरीदा जा सकता है। इसकी कीमत चार सौ रुपये से लेकर 2 हजार रुपये तक है। ये अलग-अलग डिजाइन और शेप में मौजूद हैं। आप अपनी पसंद के अनुसार इसे खरीद सकते हैं। यह कूलर(AC) दूसरे कूलर(AC) से कुछ अलग है। इसे चलाने के लिए इसमें या तो ड्राई आइस का इस्तेमाल करना होता है या फिर पानी का, जिससे ये कमरे को कूल कर सके।
सबसे अच्छी बात यह है कि इससे बिजली खपत न के बराबर होती है। इसे टेबल फैन की तरह किसी स्टडी टेबल पर रख सकते हैं या फिर बेड के पास। यह टेबल पर काम करने वाले लोगों के लिए बेहतरीन डिवाइस है। यह जानकारी पाठकों की डिमांड पर तैयार की गई है, इसका किसी व्यक्ति विशेष से कोई संबंध नहीं है।

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

'नवरात्रि' का आठवां दिन, माता महागौरी की पूजा

'नवरात्रि' का आठवां दिन, माता महागौरी की पूजा    

सरस्वती उपाध्याय                
चैत्र नवरात्रि को हिंदू धर्म में विशेष माना गया है‌। नवरात्रि में मां दुर्गा की विशेष उपासना का विधान है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां की पूजा का जीवन में विशेष फल प्राप्त होता हैं। 9 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है‌। इसे महा अष्टमी भी कहा जाता है। नवरात्र के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन मां दुर्गा के इस रूप की पूजा विशेष कल्याणकारी मानी जाती है‌। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का खास महत्व होता है। नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है।

इनका ऊपरी दाहिना हाथ अभय मुद्रा में रहता है और निचले हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू जबकि नीचे वाला हाथ शान्त मुद्रा में है। मां का प्रिय फूल रात की रानी है और राहु ग्रह पर इनका आधिपत्य रहता है। इसलिए राहु संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए महागौरी की पूजा करनी चाहिए। जो लोग अपने अन्न-धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि करना चाहते हैं, उन्हें इस दिन महागौरी की उपासना जरूर करनी चाहिए। 

माता महागौरी की पूजा विधि...

अष्टमी के दिन सुबह सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद घर के मंदिर में लकड़ी की चौकी पर महागौरी की प्रतिमा स्थापित करें। मां के आगे दीप जलाएं और फल, फूल, प्रसाद का अर्पण करें। मां की आरती के बाद कन्या पूजन करें। 
आज महाअष्टमी के दिन देवी दुर्गा के महागौरी के निमित्त उपवास किया जाता है। लेकिन धर्मशास्त्र का इतिहास चतुर्थ भाग के पृष्ठ- 67 पर चर्चा में ये उल्लेख भी मिलता है कि पुत्रवान व्रती इस दिन उपवास नहीं करते। साथ ही वह नवमी तिथि को पारण न करके अष्टमी को ही व्रत का पारण कर लेते हैं।

माता महागौरी का मंत्र...

सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोsस्तुते।।

माता महागौरी की आरती...

जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।। 
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।। 
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया। 
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।। 
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। 
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।। 
तभी मां ने महागौरी नाम पाया। 
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।। 
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।। 
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।

गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

'नवरात्रि' का सातवां दिन, माता कालरात्रि की पूजा

'नवरात्रि' का सातवां दिन, माता कालरात्रि की पूजा   

सरस्वती उपाध्याय          
हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिनों का विशेष महत्व होता है। चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। 8 अप्रैल 2022, शुक्रवार को चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है। नवरात्रि के सातवें दिन मां के सप्तम स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। माता कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। मां के बाल लंबे और बिखरे हुए हैं। मां के गले में माला है, जो बिजली की तरह चमकते रहती है। मां कालरात्रि के चार हाथ हैं। मां के हाथों में खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा है।
सप्तमी तिथि शुक्रवार रात 11 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। उसके बाद अष्टमी तिथि लग जाएगी। नवरात्र के दौरान पड़ने वाली सप्तमी को महासप्तमी के नाम से जाना जाता है। 
जब माता पार्वती ने शुंभ-निशुंभ का वध करने के लिए अपने स्वर्णिम वर्ण को त्याग दिया था, तब उन्हें कालरात्रि के नाम से जाना गया।

मां कालरात्रि पूजा विधि...

मां कालरात्रि की पूजा सुबह के समय करना शुभ माना जाता है। मां की पूजा के लिए लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मकर और कुंभ राशि के जातको को कालरात्रि की पूजा जरूर करनी चाहिए। परेशानी में हो तो सात या नौ नींबू की माला देवी को चढ़ाएं। सप्तमी की रात्रि तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाएं। सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम, काली चालीसा, काली पुराण का पाठ करना चाहिए। यथासंभव इस रात्रि संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

मां कालरात्रि की आरती...

कालरात्रि जय जय महाकाली,
काल के मुंह से बचाने वाली।
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा,
महा चंडी तेरा अवतारा।
पृथ्वी और आकाश पर सारा,
महाकाली है तेरा पसारा।
खंडा खप्पर रखने वाली,
दुष्टों का लहू चखने वाली।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा,
सब जगह देखूं तेरा नजारा।
सभी देवता सब नर नारी,
गावे स्तुति सभी तुम्हारी।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा,
कृपा करे तो कोई भी दु:ख ना।
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी,
ना कोई गम ना संकट भारी।
उस पर कभी कष्ट ना आवे,
महाकाली मां जिसे बचावे।
तू भी 'भक्त' प्रेम से कह,
कालरात्रि मां तेरी जय।

नवरात्रि के अवसर पर 'खांडवी' बनाने की रेसिपी

नवरात्रि के अवसर पर 'खांडवी' बनाने की रेसिपी       

सरस्वती उपाध्याय         

नवरात्रि के 9 दिनों में कुछ लोग सम्पूर्ण व्रत का पालन करते हैं, ऐसे में हम आपको यहाँ व्रत के दौरान खाई जाने वाली चीजों की रेसिपी शेयर कर रहें हैं।

खांडवी...
सामग्री।

1- सिंघाडा का आटा -1 कप।
2- छाछ – 4 कप‌।
3- अदरक-हरी मिर्च पेस्ट – ¼ छोटा चम्मच।
4- सेंधा नमक – 2 छोटे चम्मच।
5- हल्दी पाउडर – ¼ चम्मच।
6- सरसों – 1 चम्मच।
7- हींग – एक चुटकी।
8- तेल – 2 बड़े चम्मच‌।
9- हरी धनिया – 10 नग।
10- छीना हुआ नारियल – सजावट के लिए।

खांडवी बनाने की विधि...
सिंघाडा के आटे को एक बाउल में छाने। आटा के साथ अदरक-हरी मिर्च पेस्ट मिलाएं। नमक, हल्दी पाउडर और छाछ डाल दीजिये और जब तक कोई गांठ न रहे तब तक मिलाए। एक मोटे तलेवाली पैन में इस मिश्रण को 8 से 10 मिनट मध्यम आँच पर पकाएँ। जब तक यह गाढा और चिकना हो जाए तब तक हिलाये।

इस मिश्रण को थाली में या संगमरमर तालिका पर जल्द से जल्द फैलाए, संभवतः गर्म है तब तक फैलाना अच्छा है। एक बार जब यह ठंडा हो जाए दो इंच चौडी पट्टी में काटे और उन्हें कसकर रोल बनाये और हर टुकड़े को थाली में रखे।

एक छोटा पैन लें, तेल डालें और गर्म कीजिये, एक चुटकी हींग और सरसों के बीज डालें और तलतलाहट होने दें। जब तलतलाहट हो जाए खांडवी के टुकड़े पर तेल डालिए। छीना हुआ नारियल और बारिक कटा हुआ हरा धनिया से सजाये।

बुधवार, 6 अप्रैल 2022

'नवरात्रि' का छठवां दिन, माता कात्यायनी की पूजा

'नवरात्रि' का छठवां दिन, माता कात्यायनी की पूजा   

सरस्वती उपाध्याय        
बृहस्पतिवार को चैत्र नवरात्रि का छठवां दिन है। नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा के स्वरूप, माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां कात्यायनी की विधिवत पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही विवाह में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कात्यायनी ने महिषापुर का वध किया था। असुर महिषासुर का वध करने के कारण इन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है। आइए जानते हैं, मां कात्यायनी की पूजा-विधि, मंत्र, आरती और भोग।

मां कात्यायनी का स्वरूप...

मां कात्यायनी आकर्षक स्वरूप की हैं। मां का शरीर सोने की तरह चमकीला है। मां की चार भुजाएं हैं। मां की सवारी सिंह यानी शेर है। मां के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित है। मां के दूसरे दोनों हाथ वर और अभयमुद्रा में हैं।

मां कात्यायनी का भोग...

मां कात्यायनी को भोग में शहद अर्पित करना चाहिए। मान्यता है कि मां को शहद अतिप्रिय है।

मां कात्यायनी प्रिय पुष्प व रंग...

नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा को लाल रंग का पुष्प अर्पित करना चाहिए। मां को खासकर लाल गुलाब बहुत प्रिय है। ऐसे में पूजा के दौरान लाल पुष्प अर्पित करना चाहिए।  

मां कात्यायनी प्रिय पुष्प व रंग...

नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा को लाल रंग का पुष्प अर्पित करना चाहिए। मां को खासकर लाल गुलाब बहुत प्रिय है। ऐसे में पूजा के दौरान लाल पुष्प अर्पित करना चाहिए।

मां कात्यायनी पूजा-विधि...

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और फिर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं।
मां को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम लगाएं। 
मां को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं।
मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं।
मां कात्यायनी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती भी करें।

मां कात्यायनी मंत्र...

या देवी सर्वभूतेषु मा कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

मां कात्यायनी की आरती...

जय-जय अम्बे जय कात्यायनी,
जय जगमाता जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा,
वहा वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम है, कई धाम है,
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी,
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते,
हर मंदिर में भगत हैं कहते।
कत्यानी रक्षक काया की,
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुडाने वाली,
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्‍पतिवार को पूजा करिए,
ध्यान कात्यायनी का धरिए।
हर संकट को दूर करेगी,
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को 'चमन' पुकारे,
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

स्किन की समस्याओं के लिए इस्तेमाल करें 'नीम'

स्किन की समस्याओं के लिए इस्तेमाल करें 'नीम'   

सरस्वती उपाध्याय                  
स्किन की केयर करने के लिए अगर आप महंगे-महंगे तरीके का इस्तेमाल करके थक चुकें हैं, तो अब कुछ प्राचीन, लेकिन असरकारी तरीकों को आजमाएं। आपके आसपास ऐसे कई प्लांट्स आसानी से अवेलेबल होते हैं, जो स्किन की कई समस्याओं को चुटकियों में हल कर देते हैं। 
इन्हीं में से एक है नीम। 
इसमें एंटीसेप्टिक, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-एजिंग गुण होते हैं। आमतौर पर, लोग अपनी बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने के लिए नीम का जूस पीते हैं, लेकिन यह स्किन की समस्याओं से भी उतना ही बेहतरीन तरीके से निपटता है। बस आप इससे घर पर फेस मास्क बनाएं और उसे अपनी स्किन पर लगाएं।
अगर आपकी स्किन ऑयली है तो आप एक्ने व अन्य स्किन प्रॉब्लम्स को दूर करने के लिए नीम का इस्तेमाल कर सकतें हैं। ऑयली स्किन के लिए नीम व नींबू की मदद से फेस पैक बनाया जा सकता है।
इसके लिए आप सबसे पहले एक बाउल दो चम्मच नीम का पाउडर लें। अब इसमें थोड़ा गुलाब जल व आधे नींबू का रस डालकर व मिक्स करके एक पेस्ट तैयार करें। अब इसे अपनी क्लीन स्किन पर अप्लाई करें और 10 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें। अंत में पानी की मदद से अपनी स्किन को साफ करें और फिर मॉइश्चराइजर लगाएं।
रूखी स्किन पर भी नीम का इस्तेमाल करने से लाभ होता है। आप इसे हल्दी व अन्य मॉइश्चराइजिंग इंग्रीडिएंट्स को मिक्स करके एक फेस पैक बना सकते हैं। इसके लिए नीम के पत्तों के पाउडर में थोड़ी सी हल्दी मिक्स करें। अब इसमें नारियल तेल व थोड़ा सा गुलाब जल डालकर मिक्स करें। अब आप अपनी स्किन को क्लीन करके इस पेस्ट को अपनी स्किन पर अप्लाई करें।
करीबन 10-15 मिनट के बाद फेस को वॉश करें। अंत में, स्किन को मॉइश्चराइज करें।एजिंग स्किन की महिलाएं अपनी स्किन को पोषित करने और उसे अधिक यंगर बनाने के लिए नीम का फेस पैक बना सकती हैं।
आप इसे ओटमील के साथ मिक्स करके यूज कर सकते हैं। इसके लिए आप एक बाउल में आधा कप ओटमील, एक चम्मच दूध, एक चम्मच शहद व दो चम्मच नीम के पत्तों का पेस्ट बनाकर मिश्रण तैयार करें।
अब आप इसे अपनी क्लीन स्किन पर लगाएं। अब इसे स्किन पर लगाएं और सूखने तक ऐसे ही छोड़ दें। अंत में, अपनी स्किन को हल्का स्क्रब करते हुए अपनी स्किन को धोकर क्लीन करें। अब अपनी स्किन को मॉइश्चराइज करें।

मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

हिन्दू पंचांग, 16 को मनाई जाएगी 'हनुमान' जयंती

हिन्दू पंचांग, 16 को मनाई जाएगी 'हनुमान' जयंती   

सरस्वती उपाध्याय             
हिन्दू पंचांग के आधार पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को संकटमोचन राम भक्त हनुमान का जन्म हुआ था। भगवान विष्णु को रामावतार के समय सहयोग करने के लिए रुद्रावतार हनुमान का जन्म हुआ। सीता खोज, रावण युद्ध, लंका विजय में हनुमान ने अपने प्रभु श्रीराम की पूरी मदद की। उनके जन्म का उद्देश्य ही राम भक्ति था। 10 अप्रैल को रामनवमी का पर्व है। इसके बाद हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इस साल हनुमान जयंती 16 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन ही व्रत रखा जाएगा और हनुमान का जन्म उत्सव मनाया जाएगा।
चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा को हनुमान के जन्मदिवस के रूप में मनाने की परंपरा है। पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल दिन शनिवार को प्रात: 02 अजकर 25 मिनट पर शुरू हो रही है। पूर्णिमा तिथि का समापन इसी दिन रात 12 बजकर 24 मिनट पर हो रहा है। सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल को प्राप्त हो रहा है, इसलिए हनुमान जयंती 16 अप्रैल को मनाई जाएगी।

नवरात्रि का पांचवां दिन, स्कंदमाता की पूजा

नवरात्रि का पांचवां दिन, स्कंदमाता की पूजा       

सरस्वती उपाध्याय             
नवरात्रि से वातावरण के तमस का अंत होता है और सात्विकता की शुरुआत होती है। माता रानी के सभी भक्त इन 9 दिनों को बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाते हैं। नवरात्रि के नौ दिन तक मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। वहीं, बुधवार को नवरात्र-पूजन के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है।
उसमें भी कमल पुष्प ली हुई हैं। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनका वाहन सिंह (शेर) है।
स्कंदमाता की पूजा के लिए सबसे पहले चौकी पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल से शुद्धिकरण करें। फिर उस चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) और स्थापना भी करें। फिर वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आसन, पाद्य, अ‌र्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। साथ ही इस मंत्र का जाप भी करें।

माता स्कंदमाता का मंत्र...
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

मां स्कंदमाता को प्रिय हैं ये चीजें...

मान्यता है कि मां स्कंदमाता की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है। मां स्कंदमाता को श्वेत रंग प्रिय है। मां की उपासना में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए। मां की पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र धारण करें।

स्कंदमाता पूजा विधि...

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। 
स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम भी लगाएं। 
मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।
मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती अवश्य करें।

मां का भोग...

मां को केले का भोग अति प्रिय है। मां को खीर का प्रसाद भी अर्पित करना शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है।

ध्यान मंत्र... 

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम् ।।

धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।

अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम् ।।

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम् ।।

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।

कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम् ।।

स्तोत्र पाठ...

नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।

समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम् ।।

शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।

ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम् ।।

महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।

सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम् ।।

अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।

मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम् ।।

नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।

सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम् ।।

सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।

शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम् ।।

तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।

सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम् ।।

सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।

प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम् ।।

स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।

अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम् ।।

पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।

जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम् ।।

स्कंदमाता की आरती...
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता.
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी.
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं.
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा.
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा.
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति.
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो.
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे.
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।

सोमवार, 4 अप्रैल 2022

नवरात्रि का चौथा दिन, माता कूष्मांडा को समर्पित

नवरात्रि का चौथा दिन, माता कूष्मांडा को समर्पित    

सरस्वती उपाध्याय          
मंगलवार को चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है‌। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के चौथे दिन माता कूष्मांडा को समर्पित है। इस दिन मां की पूजा-अर्चना और उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में स्थित होता है। इसलिए बहुत ही पवित्र मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरुप का ध्यान करके पूजा करनी चाहिए।
मां कूष्मांडा आठ भुजाओं वाली हैं, जो कि भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होतर उनके दुखों और कष्टों का नाश करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि मां को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के दिनों में उनकी पूजा के बाद ये आरती अवश्य करें। मां प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
साथ ही, कूष्माण्डा माता को आठ भुजा धारी भी माना जाता और इसलिए उनका नाम अष्टभुजा भी है। मान्यतानुसार, माता कूष्माण्डा के आठ हाथों में धनुष, चक्र, कमंडल, कलश, गदा, बाण, पुष्प और जप माला है। मां कूष्माण्डा को प्रसन्न करने के लिए नीले रंग के वस्त्र धारण करने की विशेष मान्यता है‌। भक्त इस दिन पूरे चाव से इस रंग के कपड़े पहनकर माता की पूजा करते हैं।
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा करने के लिए श्रद्धाभाव से नहा-धोकर चौकी सजाई जाती है‌। इसके बाद जिस तरह अन्य देवियों की पूजा होती है। वैसे ही मां कूष्माण्डा को भी पूजा जाता है। कूष्माण्डा माता को भोग में मालपूए चढ़ाने की मान्यता है। कहते हैं कि मां कूष्माण्डा को प्रसन्न करना बेहद आसान है, वे कम से कम सेवा से भी खुश हो जाती हैं। वहीं, उनके मंत्र का जाप करना भी शुभ माना जाता है। 

कूष्माण्डा माता का मंत्र...

सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च | 
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ||


ध्यान मंत्र...

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम् ।।

भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।

कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम् ।।

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम् ।।

प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।

कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम् ।।

स्तोत्र पाठ...

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।

जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम् ।।

जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।

चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम् ।।

त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्।

परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम् ।।

रविवार, 3 अप्रैल 2022

'नवरात्रि' का तीसरा दिन, माता चंद्रघंटा की पूजा

'नवरात्रि' का तीसरा दिन, माता चंद्रघंटा की पूजा        

सरस्वती उपाध्याय        

नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। सोमवार को चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है।नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता चंद्रघंटा को राक्षसों की वध करने वाला कहा जाता है। ऐसा माना जाता है, मां ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा हुआ है। माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है। जिस वजह से भक्त मां को चंद्रघंटा कहते हैं। 

माता चंद्रघंटा की पूजा विधि...

  • नवरात्रि के तीसरे दिन विधि- विधान से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की अराधना करनी चाहिए। मां की अराधना उं देवी चंद्रघंटायै नम: का जप करके की जाती है। माता चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प अर्पित करें। आप मां को दूध से बनी हुई मिठाई का भोग भी लगा सकती हैं। नवरात्रि के हर दिन नियम से दुर्गा चालीस और दुर्गा आरती करें।

मां चन्द्रघंटा का स्त्रोत मंत्र...

ध्यान वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम।

सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्घ

कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम।

खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्घ

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम।

मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्‍‌नकुण्डल मण्डिताम्घ

प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम।

कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्घ

स्तोत्र आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्तिरू शुभा पराम।

अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्घ्

चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम।

धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ

नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम।


सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ्

कवच रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।

श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्घ

बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धरं बिना होमं।

स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकमघ

कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।

मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व...

  • मां चंद्रघंटा की कृपा से  ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति होती है।
  • विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।

मां चंद्रघंटा की आरती...

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।

पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।

चंद्र समान तुम शीतल दाती।चंद्र तेज किरणों में समाती।

क्रोध को शांत करने वाली।

मीठे बोल सिखाने वाली।

मन की मालक मन भाती हो।

चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।


सुंदर भाव को लाने वाली।

हर संकट मे बचाने वाली।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये।

श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।

सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।

शीश झुका कहे मन की बाता।

पूर्ण आस करो जगदाता।

कांचीपुर स्थान तुम्हारा।

करनाटिका में मान तुम्हारा।

नाम तेरा रटूं महारानी।

भक्त की रक्षा करो भवानी।

'कलावा' बांधने की परंपरा, जानिए कारण

'कलावा' बांधने की परंपरा, जानिए कारण   

सरस्वती उपाध्याय           
क्या आप जानते हैं कि ये कलावा आखिर है क्या और इसे बांधे जाने के पीछे क्या कारण हैं ? चलिए, हम आपको बताते हैं कि कलावा क्यों बांधा जाता है और इसे बांधने के पीछे क्या मान्यता है‌।
आपने कई पूजा-अनुष्ठानों के बाद अक्सर श्रद्धालुओं को हाथ पर एक रंगीन सूत्र बांधे देखा होगा। वही, सूत्र जिसे ‘कलावा’ कहा जाता है। मंदिरों में भी दर्शन के बाद हाथ में कलावा बांधने की परंपरा हमेशा से रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये कलावा आखिर है क्या और इसे बांधे जाने के पीछे क्या कारण हैं। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कलावा क्यों बांधा जाता है और इसे बांधने के पीछे क्या मान्यता है। 
चाहे घर में कोई पूजा या कथा का आयोजन हो या फिर किसी मंदिर में देव-दर्शन के लिए गये हों, किसी भी शुभ धार्मिक  कार्य के बाद हाथों में कलावा बांधने की परंपरा बेहद पुरानी है। ये कलावा रंगीन, लाल, पीला या किसी अन्य रंग का हो सकता है। माना जाता है कि पूजा-अर्चना के बाद विधिवत बांधे गए कलावे में कई प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा या दैवीय शक्तियां होती हैं। हाथ में कलावा बांधने से ये सकारात्मक ऊर्जा निगेटिव एनर्जी और बुरी नजर से हमारी रक्षा करती हैं। इसीलिए कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। कई लोगों की मान्यता ये भी है कि अलग-अलग रंग के कलावा बांधने का संबंध अलग-अलग ग्रहों से होता है। मसलन पीले रंग का कलावा बांधने से बृहस्पति, लाल रंग से मंगल और काले कलावे से शनि ग्रह मजबूत होते हैं।

शनिवार, 2 अप्रैल 2022

'नवरात्रि' का दूसरा दिन, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा

'नवरात्रि' का दूसरा दिन, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा      

सरस्वती उपाध्याय                    

ऐसा कहा जाता है कि माता ब्रह्मचारिणी के रूप में भगवान ब्रम्हा की शक्ति समाई हुई है। इसके अलावा, जो व्यक्ति भक्ति भाव से ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करते हैं, उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की श्रद्धापूर्वक पूजा करता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता। 'नवरात्रि' के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता ब्रम्ह्चारिणी को माँ जगदम्बा का दूसरा स्वरुप माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी ने ही ब्राह्मण की रचना की थी, जिसकी वजह से उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठिन तपस्या की थी। उनकी इस तपस्या के कारण माता को ब्रह्मचारिणी नाम मिला। ब्रह्मचारिणी दो शब्दों को जोड़कर बना है-  ब्रम्हा – जिसका मतलब है तपस्या और चारिणी – जिसका मतलब है आचरण करना। 

ऐसा कहा जाता है कि माता ब्रह्मचारिणी के रूप में ब्रम्हा जी की शक्ति समाई हुई है। इसके अलावा, जो व्यक्ति भक्ति भाव से ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करते हैं उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की श्रद्धापूर्वक पूजा करता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता। ब्रह्मचारिणी माता हिमालय और मैना की पुत्री हैं। इन्होंने देवर्षि नारद जी के कहने पर भगवान शंकर की ऐसी कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इन्हें मनोवांछित वरदान दिया। जिसके फलस्वरूप यह देवी भगवान भोलेनाथ की वामिनी अर्थात पत्‍‌नी बनीं।

ब्रह्मचारिणी माता की पूजा विधि...

मां दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करने के लिए सुबह सबसे पहले नहाकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए उनकी मूर्ति या तस्वीर को पूजा के स्थान पर स्थापित करें। माता ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल के फूल बेहद पसंद है इसलिए उनकी पूजा में इन्हीं फूलों को इस्तेमाल किया जाता है। माता को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगया जाता है। इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी की कहानी पढ़ें और इस मंत्र का 108 बार जप करें-

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।

नवरात्रि में इन मंत्रों के साथ पूर्ण विधि-विधान से करें पूजन...


ध्यान मंत्र...

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम् ।।

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।

धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम् ।।

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।

पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम् ।।

स्तोत्र पाठ...

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।

ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम् ।।

शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम् ।।

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022

खुशियां, 1 अप्रैल को मनाया जाता है 'फूल्स डे'

खुशियां, 1 अप्रैल को मनाया जाता है 'फूल्स डे'        

सरस्वती उपाध्याय 
दुनिया भर में हर साल 1 अप्रैल को 'अप्रैल फूल्स डे' के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हंसी, चुटकुलों और खुशियों को समर्पित दिन के तौर पर मनाया जाता है। आमतौर पर इस दिन लोग एक-दूसरे की टांग खींचते हैं और शरारतें करते हैं। लोग अपने प्रियजनों या दोस्तों को सर्प्राइज करने के लिए तरह-तरह का आइडिया लगाते हैं और फिर आखिर में बताते हैं कि आप अप्रैल फूल बन चुके हैं, यह पूरा मामला नकली था। लेकिन क्या आप जानते हैं इस दिन की शुरुआत कैसे और क्यों हुई थी, आइए जानते हैं।
अप्रैल फूल डे का इतिहास...
1 अप्रैल को हम अप्रैल फूल के रूप में क्यों मनाते हैं, इसपर कई तरह की कहानियां बताई जाती हैं, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं है। इतिहासकारों के बीच कुछ सबसे प्रचलित कहानियों में से एक जूलियन कैलेंडर है। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि अप्रैल फूल का इतिहास आज से करीब 440 साल पुराना है। जब 1582 में फ्रांस ने जूनियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया था। जूलियन कैलेंडर में नया साल 1 अप्रैल को शुरू होता था। जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर में यह 1 जनवरी हो गया। कहा जाता है कि कैलेंडर बदलने के बाद भी कई लोग 1 अप्रैल को ही नया साल मना रहे थे। उनका सेलिब्रेशन मार्च के अंतिम सप्ताह से ही शुरू होता और 1 अप्रैल तक चलता था। इसी से वे मजाक का पात्र बन गए और उन्हें अप्रैल फूल कहा जाने लगा।

2 अप्रैल से प्रारंभ होगा 'रमजान' का महीना

2 अप्रैल से प्रारंभ होगा 'रमजान' का महीना     

सरस्वती उपाध्याय                   
मुस्लिम कैलेंडर के नौवें महीने को रमजान कहा जाता है। रमजान का महीना मुस्लिम समुदाय के लिए सबसे पाक महीना माना जाता है। इस महीने में खुदा की इबादत की जाती है और रोजा रखा जाता है। इस साल रमजान का महीना 2 अप्रैल, 2022 से शुरू होगा और 1 मई तक चलेगा। हालांकि, इस महीने की शुरुआत और समापन चांद की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि 2 अप्रैल 2022,  शनिवार को चांद दिख जाता है, तो रविवार यानी 3 अप्रैल को पहला रोजा रखा जाएगा। 

ऐसे शुरू हुई रोजा रखने की परंपरा... 
रोजा का मतलब है उपवास‌। रमजान में रोजेदार (रोजा रखने वाले) सुबह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के बीच कुछ भी खाते-पीते नहीं है। इस दौरान उन्‍हें ध्‍यान रखना होता है कि उनके कारण किसी को कोई नुकसान न पहुंचे। उनका मन शुद्ध रहे और वे ज्‍यादा से ज्‍यादा समय अल्‍लाह की इबादत में लगाएं।
इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा दूसरी हिजरी में शुरू हुई है। माना जाता है कि जब मुहम्मद साहब मक्के से हिजरत (प्रवासन) कर मदीना पहुंचे तो उसके एक साल बाद मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म आया था। लिहाजा दूसरी हिजरी से रोजा रखने की परंपरा इस्लाम में शुरू हुई।

इन लोगों को होती है रोजा रखने से छूट...
इस्लाम धर्म के मुताबिक हर वयस्‍क व्‍यक्ति को रोजा रखना चाहिए। रोजा रखने की छूट केवल उन लोगों को है, जो बीमार हैं, किसी यात्रा पर हैं, प्रेग्‍नेंट महिलाएं, बच्‍चे और ऐसी महिलाएं जिनका मासिक धर्म चल रहा है। इन वयस्‍कों के जितने रोजे छूट जाते हैं, उन्‍हें उतने रोजे रमजान खत्‍म होने के बाद रखने होते हैं। वहीं, जो लोग बीमारी की स्थिति में भी रोजे रखते हैं, उन्‍हें जांच के लिए खून देने या फिर इंजेक्शन लगवाने की छूट होती है। हालांकि, रोजे के दौरान दवाई खाने की मनाही की गई है, ऐसे में उन्‍हीं लोगों को रोजा रखना चाहिए, जो सहरी और इफ्तार के समय दवा ले सकते हैं।

इसलिए खजूर खाकर खोलते हैं रोजा...
वहीं, रोजा आमतौर पर खजूर खाकर खोला जाता है। ऐसा माना जाता है कि खजूर पैगंबर हजरत मोहम्मद का पसंदीदा फल था। वे खजूर खाकर रोजा खोलते थे। इसलिए आज भी लोग खजूर खाकर रोजा खोलते हैं। इसके अलावा खजूर तुरंत एनर्जी देने वाला फल है। साथ ही बाद में खाई जाने वाली चीजों को डाइजेस्‍ट करने में भी मदद करता है। इसके साथ-साथ खजूर में ढेर सारा फाइबर और कई न्‍यूट्रिएंट्स होते हैं, जो हमारे शरीर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए बहुत जरूरी होते हैं।

मार्च-अप्रेल के महीने में मनाई जाती है 'चैत्र नवरात्रि'

मार्च-अप्रेल के महीने में मनाई जाती है 'चैत्र नवरात्रि'   

सरस्वती उपाध्याय              
चैत्र नवरात्रि हिन्दु धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व है। चैत्र नवरात्रि, चैत्र (मार्च-अप्रेल के महीने) में मनाई जाती है, इसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। नवरात्रि में दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यता यह है कि जो व्यक्ति मां दुर्गा की पूजा आराधना सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से करता है, उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, हालाँकि इसका वर्णन हमारे शास्त्रों में कहीं नही है।

महत्व...
प्रथम नवरात्रि गर्मियो की शुरूआत में चैत्र मास यानी अप्रैल में आती है और दूसरी नवरात्रि सर्दियों की शुरुआत में यानी अक्टूबर में मनाई जाती है। इस दौरान फसल पकने का समय होता है, वर्षा होने के साथ मौसम में बदलाव होता है। इसलिए शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाये रखने के लिए नवरात्रि पर शक्ति की पूजा की जाती है और उपवास रखे जाते हैं। हालाँकि उपवास का भी वर्णन हमारे शास्त्रों में कहीं नही मिलता।

9 देवियों के नाम...
1. शैलपुत्री।
2. ब्रह्मचारिणी‌।
3. चंद्रघंटा।
4. कूष्माण्डा।
5. स्कन्दमाता।
6. कात्यायनी।
7. कालरात्रि।
8. महागौरी।
9. सिद्धिदात्री।

रविवार, 13 मार्च 2022

'कपूर' की खुशबू से शुद्ध होता है घर का वातावरण

'कपूर' की खुशबू से शुद्ध होता है घर का वातावरण      

सरस्वती उपाध्याय       

पूजा पाठ में कपूर का इस्तेमाल जरूर किया जाता है। कपूर की खुशबू से घर का वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है। इसके अलावा वास्तु और ज्योतिष शास्त्र में कपूर का काफी अधिक महत्व है। वास्तु के अनुसार, घर में कपूर जलाने या ऐसे ही रखने से घर से निगेटिव एनर्जी बाहर निकल जाती है, साथ ही धन-धान्य की वृद्धि होती है। वास्तु शास्त्र में कपूर संबंधी कई उपाय बताए गए हैं जिन्हें करने से वैवाहिक जीवन सही रहने के साथ सुख और धन-संपत्ति की प्राप्ति होगी।अगर आप नौकरी .या फिर बिजनेस में तरक्की चाहते हैं तो किचन का सभी काम खत्म करने के बाद सफाई कर लें। इसके बाद किचन के एक कोने में एक कटोरी में थोड़ा सा कपूर के साथ 2 लौंग जला दें।कर्ज से छुटकारा पाने के साथ-साथ धन लाभ के लिए घर के दक्षिण-पूर्व दिशा में थोड़ी की कपूर रोजाना जला दें। इससे मां लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहेगी।अगर पति-पत्नी के बीच हमेशा किसी न किसी बात को लेकर मनमुटाव होता रहता है तो सोते समय तकिए के नीचे थोड़ी सी कपूर रख दें और सुबह इसे जला दें। इससे आपके घर में शांति बनी रहेगी और पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ेगा।रात को किचन का सभी काम करने के बाद रोजाना चांदी की कटोरी में थोड़ा सा कपूर और लौंग जला दिया करें। इससे कभी भी घर में धन की कमी नहीं होगी।

अगर आप चाहते हैं कि घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहें तो इसके लिए रोजाना सुबह और शाम को कपूर को घी में भिगोकर जलाएं और पूरे घर में घूमा दें। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा निकल जाएगी और परिवार के सदस्य प्रेम से रहेंगे।किसी भी तरह की दुर्घटना और अनहोनी से बचने के लिए रोजाना कपूर जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके अलावा रोजाना घर में कपूर जरूर जलाएं।

शुक्रवार, 11 मार्च 2022

रूखी त्वचा की समस्या, अपनाएं घरेलू नुस्खे

रूखी त्वचा की समस्या, अपनाएं घरेलू नुस्खे       

सरस्वती उपाध्याय     

कई बार बदलते मौसम के कारण रूखी त्वचा की समस्या का सामना करना पड़ता है। अगर सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो ये फट सकती है या संक्रमित हो सकती है। रूखी त्वचा को मॉइस्चराइज रखना बहुत जरूरी है‌। बहुत से लोग त्वचा को मॉइस्चराइज करने के लिए कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स का भी इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, ये लंबे समय में त्वचा को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में हम घरेलू नुस्खे भी आजमा सकते हैं। ये हमारी त्वचा को न केवल गहराई से पोषण देने का काम करेंगे बल्कि इससे आपके त्वचा ग्लोइंग और मुलायम भी बनी रहेगी।

सूरजमुखी के बीज का तेल...

सूरजमुखी के बीज के तेल का इस्तेमाल आप त्वचा को मॉइस्चराइज करने के लिए कर सकते हैं‌। ये त्वचा को हाइड्रेट और मॉइस्चराइज करने का काम करता है‌।

नारियल का तेल...

रूखी त्वचा के इलाज के लिए नारियल का तेल बहुत ही प्रभावी है. ये त्वचा को हाइड्रेट रखता है। नारियल के तेल में सैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं। ये तेल त्वचा को मॉइस्चराइज करने का काम करता है।

डाइट में दूध करें शामिल...

अपनी डाइट में दूध शामिल करें। ये रूखी त्वचा से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। इसमें फॉस्फोलिपिड नामक फैट होता है, ये त्वचा के लिए फायदेमंद है।

शहद...

शहद में कई गुण होते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। ये त्वचा संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। शहद मॉइस्चराइजिंग, हीलिंग और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। ये रूखी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद है।

पेट्रोलियम जेली...

कई बार बढ़ती उम्र के कारण भी त्वचा रूखी हो जाती है। ऐसे में आप पेट्रोलियम जेली का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये त्वचा को मॉइस्चराइज करने का काम करती है।

एलोवेरा...

एलोवेरा रूखी त्वचा से राहत पाने में काफी मदद करता है। आप एलोवेरा जेल को अपनी त्वचा पर लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें। ऐसा करने से आपकी त्वचा पर निखार आएगा‌। ये त्वचा को गहराई से नमी प्रदान करने का काम करता है‌।

बादाम तेल...

बादाम का तेल भी रूखी त्वचा के लिए बहुत उपयोगी है।आप बादाम के तेल से त्वचा की मसाज कर सकते हैं। आप शहद में बादाम का तेल मिलाकर भी त्वचा की मसाज कर सकते हैं। इसे 10 मिनट तक लगा रहने दें।इसके बाद तौलिए से पोंछ लें। ये त्वचा पर निखार लाने का काम करता है‌।

गुरुवार, 10 मार्च 2022

गर्मी में मौसमी बीमारियों के अटैक से करें बचाव

गर्मी में मौसमी बीमारियों के अटैक से करें बचाव  

हरिओम उपाध्याय   

जैसे-जैसे मौसम बदलता है बीमारियां भी अपना रूप बदलने लगती हैं और मौसम के बदलने के साथ ही अपने पैर पसारने लगती हैं‌। ऐसी ही कुछ बीमारियां होती हैं, जो गर्मियों में लोगों पर ज्यादा तेजी से अटैक करती हैं। वैसे तो ये बीमारियां काफी सामान्य होती हैं, लेकिन अगर समय पर सही इलाज न किया जाए तो यह काफी घातक भी साबित हो सकती हैं। हालांकि इन बीमारियों का घर में भी इलाज संभव है, लेकिन बस जरूरत है सही जानकारी की। तो आइए, आपको बताते हैं कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में जो गर्मियों में लोगों पर ज्यादा तेजी से अटैक करती हैं और इनसे बचने के कुछ घरेलू उपायों  के बारे में।हीट स्ट्रोक या कहें लू, गर्मियों की सबसे कॉमन बीमारी है, जो शरीर में पानी की कमी की वजह से इसे अपनी चपेट में ले लेती है। वैसे तो गर्मियों में लू लगना काफी कॉमन माना जाता है, लेकिन अगर सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है‌‌। हीट स्ट्रोक में फूड प्वॉइजनिंग, बुखार, पेट दर्द और उल्टी आने की समस्याएं होने लगती हैं, ऐसे में  जरूरी है इसका उचित इलाज।

हीट स्ट्रोक से बचने का सबसे आसान तरीका है खान-पान का ध्यान रखना‌। जी हां, गर्मियों के दौरान शरीर में पानी की कमी इसे कमजोर बना देता है‌। ऐसे में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि गर्मियों के दौरान आप बॉडी को हाईड्रेट रखें। इसके लिए आप ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और हरी सब्जियों, सलाद और फलों का सेवन जरूर करें। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी, जिससे लू का खतरा भी कम हो जाएगा।

एसिडिटी गर्मियों में होने वाली सबसे बड़ी समस्या है और यात्रा के दौरान अगर एसिडिटी की प्रॉब्लम हो जाए तब तो बस लगता है जान ही निकल गई। एसिडिटी में सीने में जलन और दर्द, उल्टी जैसा महसूस होना जैसी और भी समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में जब यह तकलीफ बार-बार होने लगती है तो यह गंभीर समस्या का रूप ले लेती है और कई बार तो यह लोगों को हॉस्पिटल तक पहुंचा देती है। ऐसे में जरूरी है कि इससे बचने के लिए पहले से ही सतर्क हो जाएं और खान पान पर कंट्रोल करें।

एसिडिटी से बचने का सबसे आसान तरीका है तले-भुने और मसालेदार खाने को बाय-बाय कह दें, क्योंकि यह एसिडिटी की सबसे बड़ी वजह होती है। इसके साथ ही खाने का समय  निर्धारित कर लें और रोजाना उसी समय पर खाना खाएं। इसके अलावा मुलेठी का चूर्ण या काढ़ा बनाकर उसका सेवन करनें। इससे एसिडिटी में फायदा होता है।गर्मियों के मौसम में बच्चे हों या बड़े उनमें पीलिया का खतरा बढ़ जाता है। पीलिया को हेपेटाइटिस ए भी कहा जाता है। पीलिया होने का सबसे बड़ा कारण है दूषित पानी और दूषित खाना। पीलिया में रोगी की आंखे व नाखून पीले हो जाते हैं और पेशाब भी पीले रंग की होती है। सही इलाज न मिलने पर यह काफी  गंभीर रूप ले सकता है, इसलिए जरूरी है इसकी जद में आने से पहले  ही सावधान हो जाएं।

पीलिया हो जाने पर दूषित खाना खाने से बचें। इसके अलावा तला-भुना खाना बिल्कुल भी न खाएं, हो सके तो सिर्फ उबला हुआ हल्का खाना ही खाएं और उबला हुआ या छना हुआ ही पानी पीएं।गर्मियों  की शुरुआत मतलब चेचक की दस्तक। चेचक के होने से शरीर में लाल दाग पड़ जाते हैं।  इसके साथ ही सिरदर्द, बुखार और गले में खराश भी  चेचक के ही लक्षण हैं, चेचक में खांसी या जुखाम होना भी आम बात  है, जिससे आस-पास के लोगों में भी यह संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में सावधानी ही इसका सबसे पहला इलाज है।बच्चों और युवाओं को इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। चेचक से बचने के लिए वैसे तो टीके लगाए जाते हैं, जो इससे बचाव का सबसे  सही तरीका माना जाता है, लेकिन इसके अलावा कुछ सावधानियों के जरिए भी चेचक से बचा जा सकता है। जैसे बाहर से घर आने पर अपने हाथों को धोएं और चेचक से पीड़ित को अलग कमरे में रखें।

सोमवार, 7 मार्च 2022

पेड़ के कटे हिस्से में 'हिजाब' की आकृति दिखीं

पेड़ के कटे हिस्से में 'हिजाब' की आकृति दिखीं     

अविनाश श्रीवास्तव     

सारण। सारण जिले के ताजपुर कब्रिस्तान में सोमवार को अजीबो-गरीब वाकया देखने को मिला। यहां जब लोगों ने एक पेड़ को काटा तो कटे हिस्से में एक आकृति नजर आई। ध्यान से देखने पर यह आकृति हिजाब पहने किसी औरत की तरह लग रही है। अब इसे अंध्विश्वास कहें या फिर कुदरत का करिश्मा लेकिन जैसे ही यह खबर फैली, दूर दराज के इलाकों से लोग इसे देखने के लिए पहुंच आने लगे हैं। यह घटना जनता बाजार थाना क्षेत्र के ताजपुर गांव की है।

यह घटना अब लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है। जानकारी के अनुसार शाहपुर गांव निवासी अब्दुल मन्नान के बगीचे के पास कब्रिस्तान में एक तूत का पेड़ था। सूखने के बाद उन्होंने इसे काट दिया। पेड़ काटने के बाद उन्हें टहनी में एक हिजाब पहने हुए लड़की की आकृति दिखाई दी। ये बात देखते ही देखते जंगल में आग की तरह फैल गई। इसे देखने के लिए लोग अब मन्नान के घर पहुंच रहे हैं।
स्थानीय निवासी का कहना है कि कुछ लोग इसे कुदरत का करिश्मा बता रहे हैं। वहीं कुछ लोग इसे अंधविश्वास कह रहे हैं। उनका कहना है कि पेड़ में अक्सर ऐसा होता है। यह पेड़ इलाके में लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। फिलहाल पेड़ की यह टहनी जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है।

रविवार, 6 मार्च 2022

82 वर्षीय बुजुर्ग ने 38 साल की महिला से शादी रचाई

82 वर्षीय बुजुर्ग ने 38 साल की महिला से शादी रचाई   

मनोज सिंह ठाकुर  

उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में बुजुर्ग और एक महिला ने अनोखी शादी रचाई है। यह शादी इसलिए चर्चा में है, क्योंकि दूल्हे की उम्र 82 साल और दुल्हन की 38 की है। अपने से आधी उम्र की महिला से बुजुर्ग ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत कोर्ट मैरिज की। जहां दोनों ने एक-दूसरे का सहारा बनने की बात कही है।

बुजुर्ग पीडब्ल्यूडी विभाग में सेक्शन हेड पद से रिटायर्ड हैं, वह फरवरी 1999 में सेवानिवृत होने के बाद पत्नी बच्चे नहीं होने से अकेले रहते थे। उन्होंने एडीएम के पास विशेष विवाह अधिनियम के तहत आवेदन पत्र प्रस्तुत किया था। इसमें पुरुष की उम्र अधिक है, जबकि महिला की उम्र कम है। लिहाजा आवेदन पर विचार करते हुए विधि संगत विवाह कराया गया है।
इस विवाह में दूल्हे की उम्र लगभग 82 साल और दुल्हन की करीब 38 साल बताई जा रही है। एडीएम संतोष टैगोर ने बताया कि दोनों ने ही अपनी जानकारी डिस्क्लोज न करने का अनुरोध किया था और दोनों के आवेदन अनुसार हमारे द्वारा विधिवत विवाह संपन्न कराया गया है।
बताया जा रहा है कि महिला अपने पति की मौत के बाद से अकेली रह रही थी और बुजुर्ग भी रिटायरमेंट के बाद से अकेले रह रहे थे। उनकी करीब 30 हजार रुपये महीने की पेंशन आती है और यही इनका सहारा है।महिला के बच्चे भी हैं लेकिन उसके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं था। इसलिए दोनों ने सहमति से एक-दूसरे का सहारा बनने की बात कही है। 
यह शादी पूरे इलाके में बेहद चर्चा हैं। बताया जा रहा है कि इस अनोखी शादी के बाद नव दंपति बेहद खुश दिखे। इस दौरान दोनों तरफ के करीबी लोग ही शामिल थे। लेकिन इस दौरान एडीएम कार्यालय पर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई थे।

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया  अखिलेश पांडेय  वारसॉ। अक्सर लोग अपने प्यार का इजहार किसी खास जगह पर करने का सोचते हैं। ताकि वो पल ज...