शनिवार, 27 मई 2023

मौंत की सजा, एचसी का दरवाजा खटखटाया 

मौंत की सजा, एचसी का दरवाजा खटखटाया 

अकांशु उपाध्याय/इकबाल अंसारी 

नई दिल्ली/श्रीनगर। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंकवादी फंडिग के आरोप में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक को मौंत की सजा दिलाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिसको लेकर प्रदेश के राजनीतिक दलों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यासीन जैसे राजनीतिक कैदी के मामले की ‘समीक्षा और पुनर्विचार’ किया जाना चाहिए।

अपनी पार्टी के प्रमुख अल्ताफ बुखारी ने कहा, ‘निवारक उपाय’ उन लोगों के खिलाफ किए जाने चाहिए, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने की कोशिश कर रहे हैं। एनआईए ने आतंकवादी फंडिंग मामले में दोषी ठहराए गए यासीन के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए, शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्यायालय सोमवार को इस मामले की सुनवाई करेगा। यासिन को इस मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद, पिछले साल मई में विशेष एनआईए अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अपनी पार्टी के प्रमुख बुखारी ने ट्वीट किया, “यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग करने वाली एनआईए की याचिका जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी फंडिंग को संबोधित करने के महत्व पर प्रकाश डालती है।

हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्याय कायम रहे और जो लोग हमारे देश की सुरक्षा को खतरे में डालने की कोशिश कर रहे हैं, उनके खिलाफ निवारक उपाय किए जाएं। उन्होंने ट्वीट किया कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बुखारी के मलिक द्वारा अपने पूर्व पार्टी सहयोगी को "राजनीतिक इख्वान" (पाखण्डी) कहे जाने के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। जिस पर समीक्षा और पुनर्विचार किया जाना चाहिए। उनकी फांसी का समर्थन करने वाला नया राजनीतिक इख्वान हमारे सामूहिक अधिकारों के लिए गंभीर खतरा है।”

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