बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

शांत लहर 'संपादकीय'

शांत लहर    'संपादकीय' 
राजनीति के भेद ना समझेंं, और जो कुछ रहा अभेद। 
धन-मान गया, चली गई प्रतिष्ठा, स्वास में हो गये छेद।। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर आज भी बरकरार है, वर्तमान में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो गया है। आज उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रथम चरण का मतदान किया जा रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को सबसे अहम माना जाता है। विधान सभा चुनाव 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर के कारण कई ऐसे चेहरे विधानसभा पहुंच गए। जो अपनी छवि, समाज के प्रति की गई सेवा और स्वयं की विशेषता से कभी भी इस प्रकार लोकप्रियता प्राप्त नहीं कर सकते हैं। 
भाजपा के लिए बौखलाहट में लिया गया निर्णय दुष्परिणाम का करण बना। अकर्मण्य, कर्तव्य विमुख और झगड़ा करने वाला व्यक्ति लोकप्रियता कैसे प्राप्त कर सकता है ? वह स्वयं समस्याएं उत्पन्न करता रहता है और उन विपत्तियों के भय से भयभीत रहता है। दलगत विचारों के विरुद्ध अन्य विषय में संलिप्त रहता है। और अंत में अपने भविष्य को स्वयं गर्त में रख देता है। ऐसी स्थिति में तो यही कहा जाएगा लहर शांत हो गई है। प्रथम चरण के मतदान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 58 सीटों पर 2.27 करोड़ मतदाता, मतदान कर प्रत्याशियों के भाग्य बदलेगें। 
पश्चिम में मतदाताओं की प्रतिक्रिया भाजपा के प्रति अनुकूल नहीं है। भाजपा के कई प्रत्याशियों की हार सुनिश्चित हो चुकी है। इसमें आप लोग ध्रुवीकरण, एकीकरण या इसके अलावा भाजपा अथवा प्रत्याशी के प्रति जनता में रोष समझे। किंतु यह बात सत्य है, सहयोग से लहर में बने विधायक को क्षेत्र में छवि सुधारने और स्वयं को स्थापित करने का बढ़िया मौका तो मिला। लेकिन उसका सही उपयोग नहीं किया गया। परिणाम स्वरूप बागपत स्थित छपरौली विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी के साथ भीड़ के द्वारा अशोभनीय व्यवहार किया गया। लोनी से भाजपा प्रत्याशी के पुत्रों पर नारी शक्ति से अभद्र व्यवहार का आरोप निर्दलीय प्रत्याशी व पुत्रियों के द्वारा लगाया जाना। यह सब भाजपा से इतना ताल्लुक नहीं रखता है। जितना स्वयं की छवि और व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। यह सब तो ऐसा लग रहा है जैसे अध्ययन पूर्व ही परीक्षा पत्र हल करना। इसमें पार्टी का क्या दोष है ? यह तो स्वयं पर ही निर्भर करता है। जितनी अधिक निराई-गुड़ाई होती है। फसल उतनी ही सुंदर लहराती है। 
राधेश्याम  'निर्भयपुत्र'

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