बुधवार, 3 नवंबर 2021

पीएम नफ्ताली बेनेट से मुलाकात हुई: मोदी

पीएम नफ्ताली बेनेट से मुलाकात हुई: मोदी
अशीष श्रीवास्तव      
जेरूशलम। इजरायल गये पीएम नरेन्द्र मोदी की वहां के पीएम नफ्ताली बेनेट से मुलाकात हुई। इसके बाद बैठक भी हुई। इस दौरान इजरायज के पीएम ने प्रधानमंत्री मोदी को अपनी पार्टी ज्वाइन करने का ऑफर भी दिया।
ग्लासगो में सीओपी 26 जलवायु शिखर सम्मेलन में इधर पहली मुलाकात में पीएम मोदी ने इजरायल के पीएम नफ्ताली संग दोनों देशों के द्विपक्षीय सम्बंधों की समीक्षा की। इस दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों ने उच्च-प्रौधोगिकी एवं नवाचार के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के बारे में विचारों को एक-दूसरे से शेयर भी किया। इसी दौरान पीएम नफ्ताली ने भारत और इजरायल के पुख्ता सम्बंधों के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शुक्रिया भी अदा किया और कहा कि आप इजरायल में बहुत लोकप्रिय हैं, आप मेरी पार्टी में शामिल हो जाईये। इतना कहने के बाद पीएम मोदी ने स्माइल पास की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैठक में कहा कि भारत के लोग इजरायल के संग सम्बंधों को गहराई से महत्व देते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को मिलकर सम्बंधों को और मजबूत बनाना चाहिए।

अस्पताल में हुए घातक हमले की निंदा की 
काबुल। संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के एक अस्पताल में हुए घातक हमले की निंदा की है। जिसमें कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई है और लगभग 50 अन्य घायल हुए हैं। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) ने कहा है कि जिन लोगों ने भी यह हमला किया है, उन्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
यूएनएएमए ने ट्वीट किया, ”संयुक्त राष्ट्र काबुल के अस्पताल में हुए भयावह हमले की निंदा करता है। चिकित्सा कर्मियों और इलाज करा रहे नागरिकों को निशाना बनाकर किया गया हमला मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन हैं। इसके लिए जिम्मेदार लोगों को हिसाब देने की जरूरत है।”
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, देश के सबसे बड़े सैनय अस्पताल में मंगलवार को हुए दो भीषण विस्फोटों में कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई है और करीब 50 अन्य घायल हो गए है। विस्फोट के बाद बंदूकधारियों ने अंधाधुंध गोलीबारी भी की। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने हमले के लिए इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) को जिम्मेदार ठहराया है। तालिबान के एक अन्य अधिकारी के अनुसार, हमलावरों को मार गिराया गया है।

कोलंबिया: भूस्खलन के कारण 6 लोगों की मौंत
बोगोटा। कोलंबिया के नारिनो में भूस्खलन के कारण कम से कम छह लोगों की मौत हो गई, 11 घायल हो गए और 20 लापता हो गए। सिविल डिफेंस एजेंसी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। एजेंसी ने टि्वटर पर कहा, “हमारे स्वयंसेवक लापता लोगों की तलाश में सहायता कर रहे हैं।” अधिकारियों के अनुसार पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ। बारिश के कारण बचाव अभियान में रूकावटें आई। सिविल डिफेंस, रेड क्रॉस, पुलिस और अग्निशमन विभाग के सदस्य बचाव प्रयास में भाग ले रहे हैं।


ऐतिहासिक महत्व को मान्यता, प्रस्ताव पेश किया 
वाशिंगटन डीसी। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने रोशनी के त्योहार दिवाली के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को मान्यता देने वाले एक प्रस्ताव को अमेरिकी कांग्रेस में पेश किया है। कृष्णमूर्ति ने प्रतिनिधि सभा में प्रस्ताव पेश करने के बाद कहा कि अमेरिका और दुनिया भर में बसे सिखों, जैनियों और हिंदुओं के लिए दिवाली आभार जताने के साथ अंधकार पर प्रकाश की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है।
उन्होंने कहा कि दिवाली के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को स्वीकार करने वाला यह प्रस्ताव इस महत्वपूर्ण अवसर पर भारतवंशी अमेरिकियों और दुनिया भर में प्रवासी भारतीयों के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त करता है। कृष्णमूर्ति ने कहा कि दीपावली के विशाल धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को मान्यता देने के लिए इस द्विदलीय प्रस्ताव को पेश करते हुए मुझे गर्व हो रहा है। महामारी के दौरान एक और दिवाली मनाते हुए मुझे उम्मीद है कि हम देखेंगे कि दुनिया में अंधकार पर प्रकाश हावी हो रहा है। अपने-अपने घरों में प्रियजनों के साथ दीप जलाकर दिवाली मनाने के लिए एकत्रित होने वाले परिवारों के लिए मैं सुरक्षित और प्रसन्नता से भरी दिवाली की कामना करना चाहता हूं और सभी के लिए अच्छे स्वास्थ्य और शांति की प्रार्थना करता हूं। सांसद कैरोलिन बी मैलोनी ने ट्वीट किया। दीपावली स्टाम्प की पांचवीं वर्षगांठ की शुभकामनाएं।

5 से 11 वर्ष के बच्चों को वैक्सीन देने की अनुमति 
वाशिंगटन डीसी। अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारियों ने ‘फाइज़र’ के कोविड-19 रोधी टीके की बच्चों के मुताबिक तैयार खुराक 5 से 11 वर्ष के बच्चों को देने की मंगलवार को अनुमति दे दी। खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने 5 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों को टीके की खुराक देने की अनुमति पहले ही दे दी थी। यह खुराक वयस्कों और किशोरों को दी जाने वाली खुराक की एक तिहाई है। लेकिन एफडीए द्वारा स्वीकृत टीके किसे दिए जाएं इसकी औपचारिक अनुशंसा रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्र (सीडीसी) करता है।
एक सलाहकार पैनल के सर्वसम्मति से ‘फाइज़र’ के टीके की खुराक 2.8 करोड़ बच्चों को दिए जाने का फैसला करने के कुछ ही घंटों बाद सीडीसी की निदेशक डॉ. रोशेल वेलेंस्की ने उक्त घोषणा की। इस फैसले के साथ ही पहली बार अमेरिका में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कोविड-19 रोधी टीके लग पाएंगे।
वेलेंस्की ने मंगलवार रात को एक बयान में कहा, ”एक मां होने के नाते, मैं सभी अभिभावकों को कहना चाहती हूं कि वे बाल विशेषज्ञों, स्कूल की नर्स या स्थानीय चिकित्सकों से टीके के बारे में और जानकारी लें तथा बच्चों के टीकाकरण के महत्व को समझें।” अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसे एक महत्वपूर्ण फैसला बताया। उन्होंने एक बयान में कहा, ” इससे अभिभावकों की उनके बच्चों को लेकर कई महीनों से बनी चिंता खत्म हो गई। यह वायरस से निपटने की दिशा में हमारे देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

निदेशक विलियम बर्न्स से मुलाकात की: पैत्रुशेव
मॉस्को। रूस के एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने मंगलवार को अमेरिका की खुफिया एजेंसी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के प्रमुख से मुलाकात की। रूस और अमेरिका में तनाव के बीच दोनों अधिकारियों की यह दुर्लभ मुलाकात है। क्रेमलिन (रूस का राष्ट्रपति कार्यालय) की शक्तिशाली सुरक्षा परिषद के मंत्री निकोलई पैत्रुशेव के कार्यालय ने एक बयान में बताया कि अमेरिका-रूस संबंधों पर चर्चा करने के लिए पैत्रुशेव ने मॉस्को में सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स से मुलाकात की।
इस मुलाकात के बारे में कोई और विवरण नहीं दिया गया। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों में रूस के कथित हस्तक्षेप और 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप को उसके द्वारा अपने अधिकार में लेने, पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादी विद्रोह को समर्थन देने, हैकिंग के जरिए हमलों और अन्य अड़चनों के कारण दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दोनों देशों के बीच संबंधों को अधिक स्थिर बनाने के प्रयास में जिनेवा में जून में शिखर सम्मेलन आयोजित किया था। दोनों नेता निरंतर असहमति के क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए हथियार नियंत्रण और साइबर सुरक्षा पर विमर्श शुरू करने पर सहमत हुए। लंबे समय से पुतिन के करीबी सहयोगी रहे पैत्रुशेव को रूस के सबसे प्रभावशाली अधिकारियों में से एक माना जाता है।
मंगलवार को डिजिटल तरीके से आयोजित एक पैनल में रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने जिक्र किया कि अमेरिका-रूस जब शीत युद्ध के चरम पर थे उसकी तुलना में आज दोनों देशों के संबंध में अधिक तनाव आ गया है, उन्होंने इस तनाव को कम करने के लिए त्वरित कदम उठाने का आह्वान किया।
चीन में अपनी सेवाएं बंद करने का ऐलान किया
हांगकांग। ‘याहू इंक.’ ने बढ़ती हुई चुनौतीपूर्ण स्थितियों का हवाला देते हुए मंगलवार को चीन में अपनी सेवाएं बंद करने का ऐलान किया। यह फैसला काफी हद तक प्रतीकात्मक है, क्योंकि कम्पनी की कई सेवाओं को चीन की ‘डिजिटल सेंसरशिप’ द्वारा पहले ही बंद कर दिया गया था। हाल में चीन सरकार ने घरेलू बड़ी कम्पनियों सहित कई प्रौद्योगिकी कम्पनियों पर अपने नियंत्रण का विस्तार करने के लिए कदम उठाए हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि संभवत: ‘याहू’ ने इसी वजह से यह फैसला किया है। कम्पनी ने एक बयान में कहा, ”चीन में व्यापार करने और कानूनी संबंधी पहलुओं के तेजी से चुनौतीपूर्ण होने के कारण, एक नवंबर से याहू की सेवाएं चीन में उपलब्ध नहीं होंगी।” कम्पनी ने कहा कि वह ”उपयोगकर्ताओं के अधिकारों और एक स्वतंत्र एवं मुक्त इंटरनेट सेवाओं के लिए प्रतिबद्ध है।” अमेरिका और चीन सरकार के बीच प्रौद्योगिकी तथा व्यापार को लेकर जारी गतिरोध के बीच कम्पनी ने यह कदम उठाया है।
गौरतलब है कि ‘गूगल’ ने कई साल पहले चीन में अपनी सेवाएं बंद कर दी थीं, जबकि ‘माइक्रोसॉफ्ट’ के पेशेवर नेटवर्किंग मंच ‘लिंक्डइन’ ने पिछले महीने कहा था कि वह अपनी चीन की साइट को बंद कर देगा, इसकी जगह एक ‘जॉब बोर्ड’ स्थापित करेगा। ‘याहू’, एक अमेरिकी एवं वैश्विक इंटरनेट सेवा कम्पनी है। याहू का चीन से जाने का फैसला ऐसे वक्त में आया है जब चीन में निजी सूचना संरक्षण कानून लागू हो गया है।
चीन का यह कानून निर्धारित करता है कि देश में काम करने वाली कंपनियों को अधिकारियों के अनुरोध पर निश्चित रूप से डाटा सौंपना होगा, जिससे पश्चिमी कम्पनियों के लिए चीन में काम करना मुश्किल हो गया क्योंकि उन्हें चीन की मांगों को पूरा करने के लिए दबाव का सामना करना पड़ सकता है। याहू को 2007 में अमेरिका के सांसदों से कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी थी जब उसने चीन में विरोध की आवाज बुलंद करने वाले दो चीनी असंतुष्टों का डाटा सौंप दिया था, जो अंततः उनके कारावास का कारण बना।

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