बुधवार, 27 अक्तूबर 2021

जासूसी के खतरे को देखते हुए फैसला लिया

जासूसी के खतरे को देखते हुए बडा फैसला 
अखिलेश पांडेय   
वाशिंगटन डीसी। चीन के जासूसी के खतरे को देखते हुए अमेरिका ने बड़ा फैसला लिया है। दूरसंचार से जुड़े अमेरिका के नियामक ने देश में चाइना टेलिकॉम के लाइसेंस को रद्द कर दिया है। अमेरिका ने चीनी टेलिकॉम कंपनियों के जासूसी के खतरे को देखते हुए यह बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के बाद अब चाइना टेलिकॉम को अगले 60 दिनों के अंदर अमेरिका में अपनी सेवाओं को बंद करना होगा। इससे पहले भारत ने भी लद्दाख सीमा विवाद के बाद चीनी कंपनियों को जोरदार झटका देते हुए दर्जनों ऐप पर बैन लगा दिया था।
अमेरिका के फेडरल कम्‍यूनिकेशन कमिशन ने चाइना टेलिकॉम पर यह बैन लगाया है। चाइना टेलिकॉम चीन की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी है और उसके पास अगले 20 साल तक के लिए अमेरिका में टेलिकॉम सेवाएं देने का अधिकार था। इस खबर के आते ही अमेरिका में सूचीबद्ध चीनी कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट आई है। यही नहीं हॉन्‍ग कॉन्‍ग में भी चीनी कंपनियों के शेयर को झटका लगा है। हेंग सेंग इंडेक्‍स 1 प्रतिशत नीचे चला गया।

रूस से हथियारों पर भारत की निर्भरता घटी
अखिलेश पांडेय  
मास्को। रूस से हथियारों और उपकरणों पर भारत की निर्भरता काफी कम हो गई है। अमेरिका की कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय सेना रूस से मिलने वाले उपकरणों के बिना प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकती है। साथ ही आने वाले समय में भी इस तरह की निर्भरता बनी रहेगी।
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब बाइडेन प्रशासन भारत के रूस से सैन्य हथियार खरीदने को लेकर अहम फैसला लेने वाला है। अमेरिका सीएएटीएसए एक्ट के तहत भारत पर पाबंदियां लगाने का विचार कर रहा है। इस कानून के तहत अमेरिका अपने साझेदारों से रूस से किसी भी प्रकार के सैन्य लेन-देन को तत्काल रोकने की अपील करता है। ऐसा न होने पर इन देशों को अमेरिका कई तरह की पाबंदियां लगा देता है।
रूस में बने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद की भारत की योजना 2016 से लटकी पड़ी है। यह डील होने पर अमेरिका सीएएटीएसए के सेक्शन 231 के तहत पाबंदियां लगा सकता है। मालूम हो कि सीआरएस एक्सपर्ट्स के जरिए अलग-अलग मुद्दों पर समय-समय पर रिपोर्ट तैयार करता है। इसकी रिपोर्ट्स कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं हैं। ये सांसदों को फैसला लेने में मदद करने के लिए तैयार की जाती हैं।
सीआरएस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 के बाद से मोदी सरकार के तहत रूस से हथियारों के आयात में लगातार गिरावट आई है। 2010 से भारत रूस से करीब दो-तिहाई (62%) हथियारों की खरीद कर रहा है। इस तरह भारत रूसी हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है। वहीं, रूस अपने हथियारों का एक-तिहाई (32%) हिस्सा भारत को बेचता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि द मिलिट्री बैलेंस 2021 के अनुसार भारत के मौजूदा सैन्य शस्त्रागार में रूस में बने या डिजाइन किए गए हथियारों का भारी भंडार है। नौसेना के 10 गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक में से चार रूसी काशीन वर्ग के हैं और इसके 17 युद्धपोतों में से छह रूसी तलवार वर्ग के हैं। नौसेना की एकमात्र परमाणु-संचालित पनडुब्बी रूस से पट्टे पर ली गई है और सेवा में मौजूद 14 दूसरी पनडुब्बियों में से आठ रूसी हैं।

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