बुधवार, 3 मार्च 2021

अडानी व अंबानी की ही चिंता करती है सरकार

सारांश कनौजिया    

नई दिल्ली। जब हम भारत की अर्थव्यवस्था की बात करते हैं, तो सामान्यतः जीडीपी के आंकड़ों की चर्चा होती है। किंतु जीडीपी अर्थव्यवस्था का मात्र एक भाग है। जहां वित्त (फाइनेंस) विभाग जीडीपी सहित कई आंकड़ों को विकास की गति मानता है, तो वहीं अर्थ शास्त्र (इकोनोमिक्स) लोगों की आर्थिक स्थिति की बात करता है। कई सालों से मोदी सरकार पर आरोप लगता रहा है कि वो सिर्फ अडाणी व अंबानी की ही चिंता करती है। उन्हें अन्य उद्योगपतियों की चिंता बिल्कुल नहीं है। जीडीपी का अधिकांश भाग अडाणी और अंबानी जैसे उद्योगपतियों की विकास दर को दिखाता है। इस दृष्टि से देखें तो भारत की जीडीपी कोरोना काल में भी अच्छी हुई है। यह बात आश्चर्यजनक लग सकती है। लेकिन आंकड़े तो यही बताते हैं। पिछले 1 वर्ष में भारत के अंदर 40 और लोग अरबपति बन गये। एक रिपोर्ट के अनुसार इनको मिलाकर इस समय भारत में 177 अरबपति हैं। भारत की जीडीपी को यदि मानक मान लें, तो भी इस क्षेत्र में भारतीयों और भारत सरकार ने अच्छा काम किया है। कोरोना के बाद वर्तमान वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी -23.9 प्रतिशत थी, दूसरी तिमाही में सुधार हुआ और यह -7.5 प्रतिशत रही, तीसरी ही तिमाही में हमने नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल दिया और जीडीपी 0.4 प्रतिशत हो गयी। अर्थात पहली तिमाही से अब तक 23.5 प्रतिशत का सुधार हो चुका है। चौथी तिमाही में और अच्छे आंकड़े आने की उम्मीद है। यदि विश्व की कुल जीडीपी में भारत की जीडीपी का प्रतिशत देखें तो वर्ष 2019 में यह 7.09 प्रतिशत था। जबकि 2020 में यह गिर कर 6.66 प्रतिशत रह गया। वर्ष 2014 में मोदी सरकार के आने से पहले 2013 में भारत की जीडीपी विश्व की जीडीपी का 6.17 प्रतिशत थी अर्थात कोरोना काल में भी हमारी जीडीपी प्रभावित होने के बाद भी 2013 से बेहतर स्थिति में थी। यहां आंकड़े जनवरी से दिसंबर तक की गणना के अनुसार प्रस्तुत किये गये हैं।जब हम अर्थव्यवस्था की बात करते हैं, तो मंहगाई दर (इंफ्लेशन रेट) की बात भी होती है। 2013 में यह दर 9.4 प्रतिशत थी, 2020 में यह 4.9 प्रतिशत रही। अर्थशास्त्र में माना जाता है कि यदि मांग अधिक हो और आपूर्ति कम तो मंहगाई बढ़ती है। यदि मांग के अनुसार आपूर्ति रहेगी, तो मंहगाई नियंत्रित रहती है। अर्थात कोरोना काल में भी मांग और आपूर्ति का संतुलन बना रहा। कुछ लोग कह सकते हैं कि पैसा न होने के कारण लोगों ने खरीददारी नहीं की। उन लोगों को हाल ही में 40 नये बने अरबपतियों की सूची पर नजर डालनी चाहिए। ये सभी तब अरबपति बने हैं। जब हम भारतीयों ने इनके उत्पादों या सेवाओं का उपयोग किया है। एक और तर्क है कि फार्मा कम्पनियों को कोरोना काल में लाभ अधिक हुआ है। नये अरबपतियों की सूची में नजर डालने पर सभी क्षेत्रों से लोग इसमें शामिल हुये हैं। पतंजलि के संचालक आचार्य बालकृष्ण की सम्पत्ति में 32 प्रतिशत की गिरावट हुई है। उनका नाम इसलिये बता रहा हूं कि पतंजलि प्रणेता बाबा रामदेव को कुछ लोग मोदी समर्थक बताते हैं। कई आयुर्वेदिक उत्पादों को शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला माना जाता है। इस कारण बहुत से लोगों ने अपने नये स्टार्टअप खोल लिये। इसके बाद भी आयुर्वेदिक फार्मा के क्षेत्र में सक्रिय आचार्य बालकृष्ण की सम्पत्ति घट गयी।ईएसआईसी के आंकड़े भी अर्थव्यवस्था को दिखाते हैं। इन आंकड़ों की सहायता से यह पता चलता है कि कितने लोगों को रोजगार मिल रहा है। हर महीने इस सूचि में 10 लाख से भी अधिक लोग जुड़ रहे हैं। यदि भारत सरकार काम नहीं कर रही है। उद्योग बंद हैं या लोगों को नौकरियों से निकाल रहे हैं, तो फिर नये लोगों को रोजगार कैसे मिल रहा है? कोरोना काल में करोड़ों लोगों के बेरोजगार होने की बात कही गयी थी। उस समय भी स्पष्ट किया गया था कि इनमें से अधिकांश अपनी रोजी रोटी के लिये काम करने वाले दैनिक मजदूर हैं या फिर किसी छोटे व्यवसाय से जुड़े हुये लोग। जैसे ही कोरोना की स्थिति नियंत्रित होने लगी। इन लोगों को दोबारा अपना काम वापस मिल गया। हो सकता है कि इस बार मालिक अलग हो। लेकिन वो बेरोजगार नहीं हैं।ऐसा नहीं है कि स्थिति पूरी तरह से ठीक हो चुकी है। नौकरीपेशा एक वर्ग की सैलरी कोरोना काल में घटा दी गयी थी। अभी भी इनमें से अधिकांश की सैलरी कम ही बनी हुई है। यह स्थिति अगले आर्थिक वर्ष में ठीक हो सकती है। कई आर्थिक संगठनों का मानना है कि भारत की जीडीपी वर्ष 2021-22 में दो अंकों की वृद्धि दर्ज करेगी। यदि उद्योग बढ़ेंगे, तो निश्चित रुप से लोगों को अधिक रोजगार मिलेगा। कोरोना काल में कृषि वृद्धि दर अधिक थी। किसान रेल, किसानों के लिये ऑनलाइन मार्केट आदि की व्यवस्था कर इस वृद्धि दर को बनाये रखने के लिये भी मोदी सरकार काम कर रही है। अभी स्थिति बहुत अच्छी तो नहीं है। लेकिन तेजी से अच्छी होने की दिशा में बढ़ अवश्य रही है।

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