एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने मेहताब की पत्नी और दो भाभियों को गिरफ्तार किया था। इनसे पूछताछ में पुलिस को जब कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली तो उसने दूसरे सिरों की पड़ताल शुरू की। सीसीटीवी फुटेज खँगालने के बाद पुलिस ने पाया कि पीड़िता और आरोपित ने दयालबाग हॉस्पिटल के बाहर से ऑटो ली थी।
इस थ्री व्हीलर का पता लगाने के बाद पुलिस ने उसके चालक से पूछताछ की। उसने दोनों को आगरा के भगवान टॉकीज के बाहर छोड़ने की बात बताई। साथ ही यह भी बताया कि पीड़िता और आरोपित दोनों टॉकीज के बाहर खड़ी एक कार में बैठकर निकल गए। सीसीटीवी फुटेज की जाँच और ऑटो ड्राइवर से मिली जानकारी का मिलान कर पुलिस ने कार की पहचान की। इसके बाद पुलिस ने कार के ड्राइवर को पकड़ा। उसने अपना नाम नीरज बताया। साथ ही दोनों को दिल्ली के तिलक नगर इलाके में छोड़ने की जानकारी दी।
सोमवार की रात पुलिस ने नाबालिग को तिलक नगर के एक पीजी से बरामद किया। अपहरण के बारे में पूछे जाने पर उसने दावा किया कि वह एनईईटी (NEET) परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली आई थी। उसने यह भी दावा किया कि उसके परिजन उस पर कई तरह की बंदिशें लगाते थे, जिसके बाद वह मुख्य आरोपित मेहताब राना के साथ भाग गई थी। पढ़ाई के लिए दिल्ली जाने की उसकी बात से भी परिवार सहमत नहीं था।
पीड़िता ने बताया कि वह जनवरी 2020 में अपनी बुआ के घर गई थी। फुफेरे भाई नामित ने उसका परिचय अपने दोस्त दिव्यांशु चौहान से करवाया। दिव्यांशु 23 फरवरी को अपने ड्राइवर नीरज के साथ ग्वालियर से आगरा आया। उनके एक साथी रिंकू नाबालिग को दयालबाग हॉस्पिटल से लेकर आया और उसे बुर्का पहनने को दिया। इसके बाद वे ऑटो से भगवान टॉकीज पहुँचे, जहाँ नीरज और दिव्यांशु उनका इंतजार कर रहे थे। इसके बाद नीरज कार से रिंकू, दिव्यांशु और पीड़िता को लेकर दिल्ली के तिलक नगर पहुँचा।
इसके बाद पुलिस को वह तिलक नगर के पीजी में मिली। पुलिस ने जब दिव्यांशु को दबोचने की कोशिश की तो पता चला कि ग्वालियर पुलिस उसे पहले ही साइबर क्राइम के एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर चुकी है। इस मामले में शामिल अन्य आरोपितों की तलाश में पुलिस कई जगहों पर दबिश दे रही है। कथित तौर पर रिंकू अपनी पत्नी के साथ किसी धर्म स्थल की यात्रा पर गया है। पुलिस अब उस तक पहुँचने की कोशिश में है।
पुलिस इस बात की भी पड़ताल में लगी है कि इस घटना से मेहताब राना का किसी तरह का संबंध है या नहीं। यह बात भी सामने आई है कि नाबालिग के पिता को फोन कॉल कर बेटी को अगवा करने की धमकी दी गई थी। उनसे फोन करने वाले ने कहा था, ‘रोक सकते हो तो रोक लो’। फोन करने वाले ने खुद को मेहताब राना बताया था। यही कारण है कि लड़की के अगवा होने के बाद पीड़ित पिता ने मेहताब राना के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
उस समय मेहताब के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। उसके दो रिश्तेदारों के खिलाफ भी इस घटना में संलिप्तता को लेकर मामला दर्ज हुआ था। रिश्तेदारों ने न केवल अपहरण की घटना में मेहताब की मदद की थी, बल्कि पुलिस से छिपने के लिए उसे ठिकाना भी मुहैया कराया था। सख्ती के बाद आरोपित के परिवार के सदस्यों ने लड़की को पुलिस के हवाले कर दिया था। हालाँकि कुछ महीनों बाद मेहताब ने दोबारा लड़की को अगवा कर लिया था। तब पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पीड़िता को बरामद किया था। कोर्ट के स्टे ऑर्डर के कारण आरोपित की गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। लड़की के परिवार उस इसे ‘लव जिहाद’ बताते हुए आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की थी।
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