शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

वैक्सीन के लिए वीआइपी में मची आपाधापी




नई दिल्ली। देश में कोरोना के टीकाकरण को लेकर चल रही तैयारियों के बीच कई राज्यों में नौकरशाही को अभी से असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल अपने परिजनों को पहले कोरोना वायरस वैक्सीन उपलब्ध कराने को लेकर नेताओं ने स्थानीय अफसरों पर दबाव बढ़ा दिया है | नेताओं ने अपने करीबियों और परिजनों के लिए पहले दिन ही वैक्सीन की बुकिंग कर दिए | अफसर हैरत में है कि उनके समक्ष एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति ना निर्मित हो जाये |दरअसल सरकार पहले ही साफ़ कर चुकी है कि वैक्सीन सिर्फ जरूरतमंदों को ही उपलब्ध कराएगी | पूरी जनता के लिए वैक्सीन जरुरी नहीं है। सरकार इसके लिए तीन कंपनियों को ऑर्डर दिया हुआ है।जानकारी के मुताबिक भारत ने तीन वैश्विक वैक्सीन उम्मीदवारों के साथ सौदे किया है। इसमें ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के लिए लगभग 50 करोड़ की रकम से 500 बिलियन, अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स इंक से एक अरब की लागत से एक बिलियन और रूस के गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की गई स्पुतनिक-वी वैक्सीन की लागत 10 करोड़ से 100 मिलियन खुराक का ऑर्डर दिया है।












हालांकि, अभी तक देश में वैक्सीन आई नहीं है, लेकिन इसे लेकर वीआईपी लोगों के बीच अभी से इसे हासिल करने की होड़ शुरू हो गई है। सबसे ख़राब हालत महाराष्ट्र की है। इस मामले में यहाँ के नेताओं ने स्थानीय अफसरों की नाक में दम कर रखा है। मामले को लेकर मचे बवाल के बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे को सफाई देनी पड़ी है। उन्होंने दो टूक कहा कि कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक प्राप्त करने के लिए किसी भी राजनेता या प्रभावशाली व्यक्ति को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी। बताया जाता है कि कुछ नौकरशाहों पर प्रभावशाली राजनेताओं और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को पहले दौर में ही वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए दबाव बनाया गया है। उधर पहले प्राप्तकर्ताओं में नाम शामिल करने के लिए बनाए जा रहे दबाव के बारे में मिल रही शिकायतों के मद्देनजर स्वास्थ मंत्री राजेश टोपे को सफाई देनी पड़ी है।                              










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