शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

'होम मेकर' से 'किंग मेकर' बनी महिलाएं

सत्ता की चाभी 'होम मेकर' से किंग मेकर' बनी बिहार की महिलाएं


अविनाश श्रीवास्तव


पटना। होम मेकर से किंग मेकर बनी बिहार की महिलाओं ने 243 में से 166 विधानसभा क्षेत्र में पुरुषों से अधिक मतदान कर करीब 60 प्रतिशत सीट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) की झोली में डाल उसकी सरकार तो बना ही दी साथ ही सभी राजनीतिक दलों को अपनी अहमियत भी समझा दी कि उन्हें अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार सत्ता की चाभी महिलाओं और युवाओं के हाथ में थी। इसे भांपते हुए सत्ता के दोनों दावेदारों राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) और महागठबंधन ने इस सियासी महासंग्राम में उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। नतीजा यह हुआ कि इस बार बड़ी संख्या में युवाओं के महागठबंधन के पक्ष में झुकाव से कांटे का मुकाबला देखने को मिला लेकिन अंतत होम मेकर ही किंगमेकर बनकर उभरी
जिन 166 विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं ने मतदान में पुरुषों से ज्यादा हिस्सा लिया वहां करीब 60 प्रतिशत सीट नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राजग की झोली में गई वहीं तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले महागठबंधन को मात्र 36 प्रतिशत सीटें ही मिली। राजग के खाते में गई ऐसी 99 सीट में से भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) को सर्वाधिक 55 उसकी सहयोगी जनता दल यूनाइटेड(जदयू) को 37 विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को चार और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को तीन सीटें मिली हैं। वहीं महागठबंधन को गई ऐसी 60 सीट में से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को 44, कांग्रेस को आठ भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) को चार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को दो-दो सीटों पर जीत मिली है। शेष सात सीट अन्य के खाते में गई। बिहार में वर्ष 1952 से लेकर वर्ष 2005 तक हुए 14 विधानसभा चुनावों में महिलाओं की रूचि पुरुषों की तुलना में बेहद कम थी। लेकिन वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में पहली बार महिलाओं ने मतदान के मामले में पुरुषों को पछाड़ दिया। उस चुनाव में पुरुषों के 51.12 प्रतिशत के मुकाबले 3.37 प्रतिशत अधिक महिलाओं ने यानी 54.49 प्रतिशत मतदान किया। यह सिलसिला वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में भी जारी रहा। उस वर्ष भी 53.32 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले 7.17 प्रतिशत अधिक 60.48 प्रतिशत महिलाओं ने वोट किया था। इस बार के चुनाव में महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी प्रसाद यादव ने राज्य में बेरोजगारी और पलायन को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया। तेजस्वी यादव ने सरकार बनने पर मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने के प्रस्ताव पर दस्तखत करने का वादा किया जिसके कारण उनकी सभाओं में युवाओं की भीड़ काफी दिखी जिससे यह लगने लगा कि उन्हें उनका अच्छा खासा समर्थन प्राप्त हो रहा है। इसके बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के एक बड़े घटक भाजपा ने भी 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा कर उन्हें लुभाने की कोशिश की। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रचार अभियान पूरी तरह से महिलाओं पर केंद्रित था। प्रधानमंत्री ने भी अपनी सभाओं में केंद्र की योजनाओं विशेषकर उज्ज्वला योजना कोरोना काल में बांटे गए अनाज और महिलाओं के खाते में दी गई रकम की चर्चा की। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी चुनावी सभाओं में महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार की ओर से किए गए प्रयासों और आगे की योजनाओं के आधार पर वोट मांगा था। उन्होंने अपनी हर सभा में कहा कि वर्ष 2005 में जब उन्हें काम करने का मौका मिला तब उनकी सरकार ने स्थानीय निकाय के चुनाव में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण, सरकारी नौकरियों में 33 प्रतिशत आरक्षण और साइकिल-पोशाक योजना जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए। महिलाओं के कहने पर ही अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू की। राज्य की जनता फिर से मौका देती है। तो इस बार वह स्थानीय प्रशासन में उनकी भागीदारी बढ़ाएंगे। नीतीश कुमार इस बार चुनाव में अपने महत्वाकांक्षी सात निश्चय पार्ट-दो लेकर आए और उसके आधार पर ही जनता से वोट मांगा। सात निश्चय पार्ट-दो का पहला और दूसरा निश्चय युवाओं और महिलाओं के लिए है। दूसरा निश्चय सशक्त महिला सक्षम महिला' के तहत अब सभी वर्ग की महिला उद्यमियों को पांच लाख रुपये का कर्ज और पांच लाख रुपये तक के अनुदान का वादा किया गया है। उसमें किसी प्रकार का टैक्स भी नहीं लगेगा। इसी तरह इस बार इंटर पास छात्राओं को 25 हजार रुपये और स्नातक उत्तीर्ण छात्राओं को 50 हजार रुपये दिए जाने का भी वादा किया गया। चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव का पूरा ध्यान युवाओं पर ही केंद्रित था। लेकिन दूसरी ओर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आधी आबादी को अपने पक्ष में करने की भरपूर कोशिश करते रहे। प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह बताने की कोशिश करते रहे कि राष्ट्रीय जनता दल(राजद) महिलाओं के प्रति कोई सोच नहीं है। नीतीश कुमार ने तो 26 अक्टूबर को वैशाली के जंदाहा में जनसभा के दौरान लालू प्रसाद यादव पर तंज कसते हुए कहा था। जब जेल जा रहे थे। तब पत्नी को तो कुर्सी पर बैठा दिया लेकिन महिलाओं के लिए कुछ नहीं किया। बेटे के चक्‍कर में कई बेटियों को जन्‍म दे दिया। वे कैसे बेटियों का सम्‍मान करेंगे। आखिर वह कैसा बिहार बनाना चाह रहे हैं। आठ-आठ और नौ-नौ बच्‍चे पैदा कर रहे हैं। क्‍या बेटियों पर भरोसा नहीं है। ये कैसा बिहार बनाना चाहते हैं । यही लोग आदर्श हैं। तो सोचिए बिहार का क्या हाल होगा कोई पूछने वाला नहीं होगा। इसके बाद नीतीश कुमार जब 31 अक्टूबर को लालू प्रसाद यादव के समधी और जदयू के प्रत्याशी चंद्रिका राय की चुनावी सभा में गए थे। तब वहां मंच पर उपस्थित तेजस्वी यादव की पुत्रवधू की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा था। देखिए एक पढ़ी-लिखी महिला के साथ उन लोगों ने क्या व्यवहार किया है। महिलाओं एवं लड़कियों के साथ इस प्रकार का व्यवहार अनुचित है। उन्होंने इसी सभा में कहा था। कि अवैध शराब कारोबारियों की लॉबी चुनाव में जदयू को हराने के लिए काम कर रही है, उन्हें चुनाव में पराजित करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छपरा की जनसभा में बिहार की एक बुजुर्ग महिला के वायरल वीडियो का जिक्र किया। जिसमें महिला मोदी सरकार के कार्यों का बखान करती हुई नजर आ रही हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह महिला शायद जो अखबार या टीवी भी नहीं देखती होगी। उनसे जब किसी ने पूछा कि नरेंद्र मोदी को वोट क्यों दोगी, तो उस महिला ने बिना लाग-लपेट के उसके सवाल का एक सांस में भोजपुरी में जवाब दिया "मोदी हमको नल दिए लाइन दिए बिजली दिए, मोदी हमको कोटा दिए, राशन दिए, पेंशन दिए, गैस दिए, उनको वोट नहीं देंगे तो क्या तुमको देंगे। इन बातों का जिक्र कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला वोटरों को राजग के पक्ष में आकर्षित करने की उनकी रणनीति कामयाब रही।         


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