रविवार, 23 अगस्त 2020

ऑनलाइन पढ़ाई का फायदा और नुकसान

छात्रों का भविष्य ऑनलाइन पढ़ाई कितना फायदा कितना नुकसान
ऑनलाइन पढ़ाई में कुछ विद्यार्थी अभिभावकों के साथ कर रहें विश्वासघात


नई दिल्ली। ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए छात्र अपने भविष्य के साथ कहीं खिलवाड़ तो नहीं कर रहे।
अभिभावक और बच्चों के बीच सवांद और विश्वास की कमी,अभिभावकों को देना होंगा ध्यान।
कोरोना महामारी से तो पूरा विश्व जूझ रहा है देश में भी लॉकडाउन के चलते सभी स्कूल कॉलेज बंद चल रहे हैं ऐसे में बच्चों का भविष्य क्या होगा जिसके चलते ऑनलाइन पढ़ाई का चलन बढ़ता जा रहा है। अभिभावकों को भी ऑनलाइन पढ़ाई बेहतर लगती है। बच्चे जब उनके नजर के पास रहते हैं।
शहर तो शहर अब गाँव में भी ऑनलाइन पढ़ाई का चलन तेज होता जा रहा है कितने ऐसे माता-पिता भी है जिन्होंने कभी भी स्मार्ट फोन का इस्तेमाल नहीं किया लेकिन अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए ऑनलाइन पढ़ाई के लिए एंड्रॉयड स्मार्टफोन खरीद कर बच्चों को दिया।
क्या ऑनलाइन पढ़ाई से बदलेगा छात्रों का भविष्य?
देखने मे आ रहा हैं कि कम उम्र के बच्चों को उनके माता पिता ने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए महंगे मोबाईल उपलब्ध करा रखें हैं। तथा वह माता पिता मोबाईल दिलवाने के बाद अपने बच्चो पर नजर नही रखते हैं। अधिकांश विद्यार्थी कक्षा ग्यारवी और बारहवीं के हैं और संपन्न परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। हैरानी की बात यह है कि जब लॉक डाउन की वजह से ट्यूशन और स्कूल बंद हैं तो किशोर छात्र इस तरह के कामों में अपना समय बिता रहे हैं और इनके माता-पिता को भनक तक नहीं लग रही है कि बच्चे कर क्या रहे हैं। कोरोना के चलते ऑनलाइन कक्षाओं का चलन बढ़ गया हैं और अभिभावक भी सोचते हैं। कि उनके बच्चे मोबाइल पर पढ़ रहे हैं, इसलिए वे उन पर शक नहीं करते। लेकिन कुछ छात्र अभिभावकों के साथ विश्वासघात कर रहे हैं और कुछ छात्र ऐसे भी हैं जो ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए अपने भविष्य को खराब कर रहे हैं।आजकल अभिभावक और बच्चों के बीच सवांद और विश्वास की कमी साफ देखने को मिल रही हैं। इसी का नतीजा है कि बच्चे हमेशा मोबाइल, वीडियो गेम और अन्य गैजेटों में उलझे रहते हैं सभी अभिभावकों से अपील की अपनी जिम्मेदारी समझे और वे बच्चों पर नजर रखें, देखें कि उनका बच्चा घंटों उस आभासी दुनिया में क्या कर रहा है, किसके साथ संपर्क में है। एक रिपोर्ट के अनुसार सोशल मीडिया के ज्यादा प्रयोग से बच्चा इसका आदी हो जाता है और मन ही मन अकेला महसूस करने लगता है। यहीं से अवसाद की शुरूआत हो जाती है। इसलिए अभिभावकों एवं बच्चे के बीच हमेशा संवाद बना रहना चाहिए, ताकि वह बाहरी आभासी आकर्षण एवं गलत लोगों की संगत से बचा रहे। आजकल विविध ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से अश्लीलता एवं फूहड़ता से परिपूर्ण वेब सीरीज दिखाई जा रही हैं जिसका गलत असर किशोर के दिलो दिमाग पर पड़ रहा है और इसे देखने से शारीरिक आकर्षण के प्रति उनका मोह एवं रुझान और भी ज्यादा बढ़ने लगता हैं। जिस वजह से उनका मन पढ़ाई -लिखाई से भटक जाता हैं एवं वे बॉयज लॉकर रूम जैसे ग्रुप बनाने की ओर बढ़ने लगते हैं।सरकार की भी जिम्मेदारी है कि ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जिनका बॉयज लॉकर रूम जैसे ग्रुप पर नियंत्रण नहीं है, उन पर कठोर कार्रवाई करे और यह सुनिश्चित करे कि नाबालिग इसका उपयोग न कर पाएं।               


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