बीजिंग/ वाशिंगटन डीसी/ टोक्यो। दक्षिण व पूर्व चीन सागर के अहम जलमार्गो की यथास्थिति को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास का जापान और अमेरिका मिलकर विरोध करेंगे। दोनों देशों को उम्मीद है कि इस मामले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी उनका साथ साथ देगा।जापानी रक्षा मंत्री तारो कोनो ने इस मुद्दे पर अपने अमेरिकी समकक्ष मार्क एस्पर से अपनी राय साझा की। यह बातचीत तब हुई है, जब अमेरिका और चीन कई मुद्दों पर आपस में भिड़े हुए हैं। जैसे कि अमेरिकी प्रौद्योगिकी की चोरी, चीन में मानवाधिकारों का दमन व विवादित दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन की सैन्य गतिविधियां।
चीन और जापान के रिश्तों में तल्खी की बड़ी वजह पूर्वी चीन सागर में स्थित कुछ छोटे द्वीपों पर जापान का नियंत्रण होना है। चीन इन द्वीपों को अपना बताता है। बकौल कोनो, एस्पर ने कहा कि अमेरिका-जापान सुरक्षा संधि इन द्वीपों को भी कवर करता है। अमेरिका लंबे समय से इस क्षेत्र में चीन की दबंगई का विरोध कर है और नियमित रूप से अपने युद्धपोत भेजता रहता है।
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