बुधवार, 15 जनवरी 2020

सिपाहियों का होगा नियुक्त प्राधिकारी डीसीपी

पुलिस आयुक्त प्रणाली को लेकर कुछ अन्य महत्वपूर्ण बिंदु


 पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने से आईपीएस के तौर पर सिपाहियों का नियुक्ति प्राधिकारी डीसीपी होगा।


लखनऊ। अभी तक डीसीपी की जगह एडिशनल एसपी ही होते थे, जो प्रशासनिक अधिकारी नहीं थे, ये केवल रिपोर्टिंग अधिकारी थे। डीसीपी के नियुक्ति प्राधिकारी होने से अनुशासन बढ़ेगा और सभी की जवाबदेही भी बढ़ेगी। यही नहीं इससे डीसीपी अपनी टीम से बेतहर समन्वय स्थापित कर रणनीति बनाकर काम करेगा। एसएसपी को नोएडा और लखनऊ में नीति निर्धारण और फील्ड वर्क दोनों भूमिकाओं का निर्वहन करना होता था, इससे दोनों कार्यों के प्रति न्याय कर पाना बड़ी चुनौती थी। कमिश्नर ऑफ पुलिस का काम बेसिक पुलिसिंग यानी नीति निर्धारण और रणनीति बनाना होगा। उसके पालन, सहयोग या आपरेशन का काम डीसीपी करेंगे। आन्तरिक मामलों को कमिश्नर ऑफ पुलिस देखेगा। वहीं बाह्य मामलों की जिम्मेदारी डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस की होगी। सीपी स्तर पर अनुभवी, वरिष्ठ और परिपक्व अधिकारी होगा, जो क्राइसिस मैनेजमेंट से लेकर सारी चीजों को बेहतर तरीके से संभालेगा। लखनऊ और नोएडा जैसे महानगरों की चुनौतियां बाकी जनपदों से अलग होती है। पुलिस कमिश्नरी लागू होने से स्मार्ट पुलिसिंग को बढ़ावा मिलेगा। कमिश्नरी सिस्टम में बीट पुलिसिंग मॉर्डन पुलिसिंग में तब्दील हो जाएगी। थानों में बीट की संख्या बढ़ेंगी और उनकी कमान सिपाहियों के हाथ में होगी। बीट पुलिसिंग के लिए बने बीट ऐप को चलाने के लिए सिपाहियों को टैबलेट दिए जाएंगे। इसमें वे बीट की प्रमुख लोकेशन मार्क करने के साथ अन्य सूचनाएं भरेंगे। इसके साथ इलाके के हिस्ट्रीशीटर की रिपोर्ट, जेल से छूटने और जेल जाने वालों की रिपोर्ट भी ऐप में अपडेट कर सकेंगे। बीट सिपाही को अपने क्षेत्र के लोगों के पासपोर्ट सत्यापन, चरित्र सत्यापन व शस्त्र लाइसेंस के आवेदन पर रिपोर्ट लगाने समेत अन्य सभी प्रकार के कार्य दिए जाएंगे। पहली बार स्मार्ट एंड सेफ सिटी के रूप में लखनऊ और नोएडा को विकसित करने के तहत महिला सुरक्षा के लिए खासतौर पर महिला एसपी की तैनाती की जा रही है। एसपी लखनऊ व नोएडा से जुड़े महिला अपराधों पर अंकुश लगाने, समय पर विवेचना, चार्जशीट, अभियोजन करवाने का काम देखेंगी। एक महिला एएसपी भी तैनात की जाएंगी। जाहिर है इससे महिलाओं से जुड़े अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगेगा। कमिश्नर प्रणाली से शहरी इलाकों में भी अतिक्रमण पर अंकुश लगेगा। अतिक्रमण अभियान चलाने का आदेश सीधे तौर पर कमिश्नर दे सकता है और नगर निगम को इस पर अमल करना होगा। ट्रैफिक में बाधा बनने वाले अतिक्रमण या सड़क के अवैध कब्जे पुलिस के आदेश पर हटाने ही होंगे। ट्रैफिक नियमों का पालन सख्ती से करवाया जाएगा, क्योंकि बार-बार ट्रैफिक नियम तोड़ने पर पुलिस ही ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर सकेगी। वहीं CRPC की मजिस्ट्रियल पावर वाली कार्यवाही अब तक जिला प्रशासन के अफसरों के पास थी। वह अब पुलिस कमिश्नर को मिल जाएगी।


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