शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

सरकार फेल, संस्था आगे आई

गैस आधारित शवदाह गृह के उपयोग के लिए समाज में जागरुकता जरूरी। अजमेर में बेकार पड़ा है संयंत्र। लावारिस शवों एवं जरूरतमंद परिवारों की मदद के लिए सेठ साहिबराम गोयल धर्मार्थ ट्रस्ट तथा अग्रवंशज संस्थान आगे आए। जैन समाज की सार्थक पहल।

अजमेर। विकास प्राधिकरण ने जनप्रतिनिधियों, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं के पदाधिकारियों की मांग पर अजमेर के पुष्कर रोड स्थित शमशान स्थल पर कोई सवा करोड़ रुपए की लागत से गैस आधारित शवदाह गृह बनाया गया था। इस गृह का निर्माण शिवशंकर हेड़ा के अध्यक्ष पद पर रहते हुए वर्ष 2018 में हुआ। तब यह उम्मीद जताई गई कि इस संयंत्र में शवों का दाह संस्कार होगा, लेकिन समाज में जागरुकता के अभाव में अब इस संयंत्र का उपयोग नहीं हो रहा है। प्राधिकरण के अधिशाषी अभियंता प्रकाश सोलंकी ने बताया कि संयंत्र में शव दाह के मात्र दो हजार रुपए शुल्क निर्धारित किया गया है, जबकि लकड़ी व अन्य सामग्री से दाह संस्कार पर दस हजार रुपए से भी ज्यादा की राशि खर्च होती है। लेकिन धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं के चलते संयंत्र का उपयोग नहीं हो रहा है। जबकि प्राधिकरण प्रतिवर्ष बड़ौदा की फर्म मैसर्स अल्फा इक्विपमेंटस को प्रतिमाह 46 हजार 750 रुपए का भुगतान कर रहा है। यह राशि संयंंत्र के रख-रखाव की एवज में की जाती है। सोलंकी ने बताया कि कोई भी परिवार कभी शव का दाह संस्कार संयंत्र में कर सकता है। श्मशान स्थल पर हर समय संबंधित फर्म के कर्मचारी उपलब्ध रहते हैं। मोबाइल नम्बर 8003217992 व 8003720117 पर फर्म के कर्मचारियों से संवाद किया जा सकता है। शवदाह गृह से परिजन को अस्थियां भी दी जाती हैं। 
जैन समाज के प्रतिनिधियों की अपील:
पुष्कर रोड स्थित श्मशान स्थल पर स्थापित गैस संयंत्र में शवदाह के लिए जैन समाज के प्रतिनिधि और अजमेर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनिल जैन ने भी अपील की है। डॉ. जैन ने कहा कि जैन संस्कृति में यह मान्यता है कि लकडिय़ों के जलने पर जीव हत्या होती है, जबकि हमारे यहां किसी प्रकार से जीव हत्या निषेध हैं। यदि अजमेर के जैन समाज के परिवार भी अपने परिजन का अंतिम संस्कार गैस संयंत्र में करते हैं तो उल्लेखनीय कार्य होगा। अन्य समाजों को भी पहल करनी चाहिए, इससे पर्यावरण भी दूषित होने से बचेगा। आज पर्यावरण को बचाने की सख्त जरूरत है। अजमेर के केसरगंज स्थित दिगम्बर जैसवाल जैन मंदिर कमेटी के प्रतिनिधि आर्किटेक्ट प्रवीण जैन ने बताया कि उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश के अधिकांश बड़े शहरों तथा दिल्ली में जैन समाज के लोग अपने परिजन के शवों का दाह संस्कार विद्युत या गैस आधारित संयंत्र में ही करते हैं। जैन समाज के साधु संत भी विद्युत या गैस संयंत्र में शवों के दहन पर जोर देते हैं। डॉ. अनिल जैन और प्रवीण जैन कहा कि अजमेर में गैस संयंत्र के उपयोग के लिए समाज में जागरुकता की जाएगी। 
दो संस्थाएं आगे आईं:
चूंकि लावारिस शवों के दाह संस्कार के लिए पुलिस के पास बड़ा फंड नहीं होता, इसलिए पुलिस को भी मुश्किल होती है। कई गरीब परिवार भी अपने परिजनों के शवों का अंतिम संस्कार करने में आर्थिक परेशानी महसूस करते हैं। ऐसी परेशानियों और गैस संयंत्र के प्रति जागुरकता बढ़ाने के लिए ही अजमेर के सेठ साहिबराम गोयल धमार्थ ट्रस्ट के सीताराम गोयल और अग्रवंशज संस्थान के प्रतिनिधि सतीश बंसल ने घोषणा की है कि जिन शवों का अंतिम संस्कार गैस संयंत्र में होगा, उसकी दो हजार रुपए की राशि उनके  संस्थान प्राधिकरण में जमा कराएंगे। दोनों प्रतिनिधियों ने पुलिस विभाग से भी आग्रह किया है कि लावारिस शवों का अंतिम संस्कार गैस संयंत्र में ही करवाएं। इसके लिए मोबाइल नम्बर 9414003475 पर सीताराम गोयल और 9414002423 पर सतीश बंसल से सम्पर्क किया जा सकताक है। दोनों प्रतिनिधियों का कहना रहा कि शुल्क जमा कराने पर संबंधित परिवार की पहचान भी गुप्त रखी जाएगी। 
नेत्रदान की तरह संकल्प लें:
गैस संयंत्र में शव का दाह संस्कार कोई एक समाज का मामला नहीं है। इसमें सभी समाजों के परिवारों को पहल करनी चाहिए। जिस प्रकार जागरुक व्यक्ति अपने जीते जी नेत्रदान का संकल्प लेता है, उसी प्रकार गैस संयंत्र में शव दाह का भी संकल्प लें। यदि कोई व्यक्ति जीवत रहते हुए गैस संयंत्र में दाह संस्कार करने का संकल्प लेगा तो मृत्यु पर उसके परिवार को कोई असमंजस भी नहीं होगा। ऐसा संकल्प  करवाने के लिए अजमेर के पर्यावरणविद् और जागरुक लोगों को आगे आना चाहिए। 
आभार:
30 अगस्त को जब मेरा ध्यान अजमेर के गैस आधारित शवदाह गृह की ओर खींचा गया तो मैंने तभी ब्लॉग लिखने का मानस बनाया। प्राधिकरण के कार्य की विस्तृत जानकारी मुझे अधिशाषी अभियंता प्रकाश सोलंकी ने पूरे उत्साह के साथ उपलब्ध करवाई। वहीं मैं समाजसेवी सीताराम गोयल और सतीश बंसल का भी आधार प्रकट कना चाहता हंू कि मेरे एक बार के आग्रह पर दोनों ने गैस संयंत्र का शुल्क वहन करना स्वीकार कर लिया। सीताराम गोयल तो पहले से ही अपने परिवार के सेठ साहिबराम गोयल धमार्थ ट्रस्ट के माध्यम से अजमेर में बैकुंड रथ यात्रा का संचालन कर रहे हैं। परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर गोयल का ट्रस्ट शववाहन को नि:शुल्क उपलब्ध करवाता है। समाज में धन्नासेठ तो बहुत होते हैं, लेकिन वहीं सेठ कहलाने लायक होता है जो समाज सेवा के लिए तत्पर हो। 
एस.पी.मित्तल


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