शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

पालिका भ्रष्टाचार का दामन ना छोड़ेंगे

नगर पालिका का दामन हम न छोड़ेंगे
रिटायरमेंट के बाद भी नगर पालिका  में वर्चस्व


समर चंद्र


मिर्जापुर। पालिका ने उनसे अपना दामन मुद्दतों बाद छुड़ाया था। उनकी विदाई हो गई थी। तलाक की नौबत नहीं आई थी। सब कानून की रोशनी में हुआ था। अब सरकारें अपने मुलाजिमों को 50 साल बाद नहीं देखना चाहती हैं। उनका तो 60 साल पूरा हो गया था। फिर क्या था, सेवानिवृत्ति के पश्चात उन्होंने बड़ी हकदारी से अपना सारा पावना ले लिया था। उन्हें अब पेंशन मिलती है। अब उनका कुछ भी बाकी नहीं है। फिर भी वो पालिका के पीछे लगे हुए हैं। न जाने कौन सा हुस्न उन्होंने पालिका में देखा है। लोग एक बार पालिका से जाने के बाद पालिका की तरफ रुख नहीं करते, जनाब हैं कि अब भी दिन-रात पालिका के लिए जान दे रहे हैं। लोग कहते हैं कि जवानी पालिका के चौखट पर गुजारने के बाद अब कहां जाएंगे। बहरहाल, उनके पड़ोसी उनसे बचके रहते हैं। वो अक्सर गाली देने के बाद बड़ी विनम्रता दिखाते हैं। माफी तक मांग लेते हैं। उनका कोई मुकाबला नहीं है। हर बार अध्यक्ष बदल जाता है। अधिशासी अधिकारी बदल जाता है। जनाब का दिल भी हर बार मचल जाता है। जाने वाले लौट कर नहीं आते हैं, पर जनाब तो बार-बार लौट कर आते हैं। हाय! मोहब्बत जो न कराए। इधर बेताब इश्क, उधर पालिका की सदाबहार जवानी। पालिका के कशिश से बचना मुश्किल। दीवानगी ऐसी कि अचानक अपनी बातों का रेशमी रुमाल लहराने  लगते हैं। झुक झुक कर सलाम करने लगते हैं। उनका मुस्कुराना गजब ढाता है। मासूमियत इतनी कि हर कोई फिदा हो जाए। अदा अदा में जादू। उनके चक्कर का कोई टक्कर नहीं। एक से बढ़कर एक आशिकाना प्लान। 


किसी की भी इमेज बनाना और बिगाड़ना उनके हाथ में है। विरोधी भ्रमित रहते हैं और समर्थक पागल हो जाते हैं। लोग कहते हैं कुछ भी हो जनाब की बहुत जरूरत है। पालिका में समीकरण सही रहता है। मामला एक तरफा नहीं रहता। रस्साकशी के दौर में कुछ लोगों को मदद तो मिल जाती है। भटकते हुए लोगों को सहारा मिल जाता है। इधर पालिका कहती है कि छोड़ दो मेरा पीछा जमाना क्या कहेगा। लेकिन जनाब पान खाकर कहते हैं कि मैं दुनिया लुटा दूंगा तेरी चाहत में। लोग मजाक में कहते हैं कि न वो सपाई हैं, न भाजपाई हैं, न आईएसआई हैं, बेकरारी के आलम में खुदा कसम वो मिठाई हैं। पता नहीं इस मजाक में कितनी सच्चाई है। वैसे पालिका में एक से बढ़कर एक लोग हैं, पर उनके जैसा काम और नाम करने वाले कम हैं, पर हैं। खुदा खैर करे।


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