शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

मल्लिकार्जुन और महाकाल ज्योतिर्लिंगों की कथा
सूत जी कहते हैं,  मैं मल्लिकार्जुन के प्रादुर्भाव का प्रसंग सुनाता हूं। जिसे सुनकर बुद्धिमान पुरुष सब पापों से मुक्त हो जाता है। जब महाबली तारक शत्रु शिवा पुत्र कुमार कार्तिकेय सारी पृथ्वी की परिक्रमा करके फिर कैलाश पर्वत पर आए और गणेश के विवाह आदि की बात सुनकर क्रौंच पर्वत पर चले गए। पार्वती और शिव जी के वहां जाकर अनुरोध करने पर भी नहीं लौटे तथा वहां से भी 12 कोस दूर आगे चले गए। तब शिव और पार्वती ज्योतिर्मय स्वरूप धारण करके वहां प्रतिष्ठित हो गए। वे दोनों पुत्र स्‍नेह से ऐसे आतुर हो पर्व के दिन अपने पुत्र कुमार को देखने के लिए उनके पास जाया करते हैं। अमावस्या के दिन भगवान शंकर स्‍वं वहा जाते हैं और पूर्णमासी के दिन पार्वती जी निश्चय ही वहां पर रुप प्रकट करती है। उसी दिन से लेकर भगवान शिव का मल्लिकार्जुन नामक एक लिंग तीनों लोकों में प्रसिद्ध हुआ। उसमें पार्वती और शिव दोनों की शक्तियां प्रतिष्ठित है । मल्लिका का अर्थ पार्वती है और अर्जुन शब्द शिव का वाचक है। मल्लिका अर्जुन नाम के इस शिवलिंग का जो दर्शन करता है। वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है और संपूर्ण अभिष्‍टो को प्राप्त कर लेता है। इसमें संयश नहीं है। इस प्रकार मल्लिकार्जुन नामक द्वितीय ज्योतिर्लिंग का वर्णन किया गया। जो दर्शन मात्र से लोगों के लिए सब प्रकार का सुख देने वाला बताया गया है। ऋषि यों ने कहा प्रभु अब आप विशेष कृपा करके तीसरे ज्योतिर्लिंग का वर्णन कीजिए। सूतजी ने कहा, ब्राह्मण,जो आप श्रीमानो का संग मुझे प्राप्त हुआ। साधु पुरुषों का संघ निश्चय ही धन्य है। अतः मैं अपना सौभाग्य समझकर पापनाशिनी प्रमुख पावनी दिव्य कथा का वर्णन करता हूं। तुम लोग आदर पूर्वक सुने। अवंती नाम से प्रसिद्ध एक रमणीय नगरी है। जो समस्त देहदारियो को मोक्ष प्रदान करने वाली है। वह भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है। परंतु उनमें और लोकपावनी है। उस पुरी में एक श्रेष्ठ ब्राह्मण रहते थे। जो शुभ कर्म परायण वेदों के अध्याय में संलग्न तथा वैदिक कर्मों के अनुष्ठान में सदा तत्पर रहने वाले थे।  घर में अग्नि की स्थापना करके प्रतिदिन अग्निहोत्र करते और शिव की पूजा में सदा तत्पर रहते थे। वह ब्राह्मण देवता प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा किया करते थे। वेद प्रिय नामक ब्राह्मण देवता ज्ञान अर्जन में लगे रहते थे। इसलिए उन्होंने संपूर्ण कर्म का फल प्राप्त कर लिया। जो संतों को ही सुलभ होती है। उनके चार तेजस्वी पुत्र थे, जो पिता-माता से सद्गुणों में कम नहीं थे। उनके नाम थे देवप्रिय प्रियमेधा आदि उसके सुखदायक पुत्र भी वहां सदा ध्‍यान मे लगे रहते थे।उनके कारण वह भूमि तेज से परिपूर्ण हो गई थी। उसी समय रत्न माल पर्वत पर दूषण नामक एक धर्म विशेष में ब्रह्मा जी से वर  पाकर वेद धर्म तथा धर्मआत्माओं पर आक्रमण किया। अंत में उसने सेना लेकर उज्जैन में ब्राह्मणों पर भी चढ़ाई कर दी। उसके चार रुप प्रकट हो गए। परंतु जब उन्होंने उनको आश्वासन देते हुए कहा आप लोग भक्तवत्सल भगवान पर भरोसा रखें शिवलिंग का पूजन करके भगवान शिव का ध्यान करने लगे। इतने में ही सेना सहित दूसरे ने आकर उन्हें मार डालो वेद,बांध लो कहा,पर उन्‍होने कोई ध्यान नहीं दिया ।क्योंकि भगवान शंभू के मार्ग में स्थित है। उस दुष्ट आत्मा नहीं उनको मारने का प्रयास किया  तभी, उनके द्वारा शिवलिंग के स्थान में बड़ी भारी आवाज के साथ एक गड्ढा प्रकट हो गया। उस गड्ढे से तत्काल विकट रूप धारी भगवान शिव प्रकट हो गए। जो महाकाल नाम से विख्यात हुए। वे दुष्टों के विनाश तथा सत पुरुषों के आश्रय दाता है। उन्होंने उसे कहा अरे खल मैं तुझ जैसे दुष्टों के लिए महाकाल प्रकट हुआ हूं। तुम इन ब्राह्मणों के निकट से दूर भाग जाओ। ऐसा कहकर महाकाल शंकर ने सेना सहित दूसरों असुरो को अपनी हुंकार मात्र से तत्काल भस्म कर दिया। कुछ सेना उनके द्वारा मारी गई और कुछ भाग खड़ी हुई। परमात्मा ने दूषण का वध कर डाला। जैसे सूर्य को देखकर संपूर्ण अंधकार नष्ट हो जाता है ठीक उसी प्रकार भगवान शिव को देखकर उसकी सारी सेना अदृश्य हो गई। देवताओं की दुबिंया बजने लग गई,और आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी। ब्राह्मणों को आश्वासन हुए स्वयं महाकाल महेश्वर शिव ने उनसे कहा मैं तुमसे अत्यंत प्रसन्न हूं वर मागो ।उनकी बात सुनकर ब्राह्मण हाथ जोड़ भक्ति भाव से भलीभांति प्रणाम करके बोले, महाकाल महादेव, दुष्टों को दंड देने वाले प्रभु आप हमें संसार सागर से मोक्ष प्रदान करें। शिव आप जनसाधारण की रक्षा के लिए सदा यही रहे। प्रभु, अपना दर्शन करने वाले मनुष्य का उद्धार करें। सूत जी कहते हैं, उनके ऐसा कहने पर उन्हें सद्गति दे भगवान शिव अपने भक्तों की रक्षा के लिए उस परम सुंदर गड्ढे में स्थित हो गए और वहां चारों ओर भूमि भगवान शिव पर महाकालेश्वर के नाम से विख्यात हुई। ब्राह्मणों का दर्शन करने से कोई दुख नहीं होता ,जिस कामना को लेकर कोई उस स्‍थान की उपासना करता है। उसे प्राप्त हो जाता है ,तथा मिल जाता है।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you, for a message universal express.

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया  अखिलेश पांडेय  वारसॉ। अक्सर लोग अपने प्यार का इजहार किसी खास जगह पर करने का सोचते हैं। ताकि वो पल ज...