गुरुवार, 24 नवंबर 2022

माल खाना: 581 किलो गांजा चट कर गए चूहे 

माल खाना: 581 किलो गांजा चट कर गए चूहे 

संदीप मिश्र 

मथुरा। तीन लोक से मथुरा न्यारी कहावत तो आपने सुनी होगी, लेकिन अब तीन लोग से न्यारे मथुरा के चूहे की कहावत भी सुन लीजिए। जी हां, मथुरा के चूहों की ही हिम्मत है कि पुलिस के माल खाने में रखा 581 किलो गांजा चट कर गए। अब चूहों ने इस गांजे को जलाकर पीया या खाकर नशा किया यह तो वही जाने, लेकिन चूहों की यह कारगुजारी पुलिस के लिए जी का जंजाल बन गई है। मामला यही पर खत्म हो जाता तो भी गनीमत थी, पुलिस ने चूहों द्वारा गांजे को चट करने की कहानी कोर्ट को भी सुना दी। कोर्ट के गले से यह कहानी नीचे नहीं उतर रही है यही कारण है कि उसने पुलिस से चूहों द्वारा गांजे को चट करने का सबूत मांग लिया है। अब 26 नवंबर को पुलिस कोर्ट के समक्ष चूहों की कारगुजारी का नमूना पेश करेगी।

हाईवे पुलिस ने 2018 में 195 किलो गांजे की खेप के साथ कुछ तस्कर पकड़े थे। इसी तरह शेरगढ़ पुलिस ने 386 किलो गांजा के साथ तस्करों की गिरफ्तारी की। गांजे की खेप को सील मोहर कर थानों के मालखाने में जमा करा दिया गया। इसमें से नमूनों के तौर पर थोड़े से गांजे को अदालत के समक्ष आरोपियों के साथ पेश किया था। गांजे की तस्करी में लिप्त सभी आरोपियों का ट्रायल एडीजे सप्तम संजय चौधरी की अदालत में चल रहा है। अदालत ने थानों के माल खानों में जमा गांजे के सील मोहर पेकिटों को अदालत में प्रस्तुत किए जाने के आदेश हाईवे व शेरगढ़ थाना प्रभारियों को दिए। शेरगढ़ और हाईवे थाना प्रभारियों ने अदालत में पेश की रिपोर्ट में कहा कि माल खाने में रखे 581 किलो गांजे को चूहों ने नष्ट कर दिया।

थानों के मालखानों में रखे गांजे को चूहे खा गए। लिहाजा गांजे की खेप को अदालत के समक्ष पेश नहीं किया जा सकता है। साथ ही थाना प्रभारियों ने अपने रिपोर्ट में कहा कि थाने में कोई ऐसी जगह नहीं है जहां रखे माल को चूहों से बचाया जा सके, जो थोड़ा बहुत गांजा बच गया था उसे नष्ट कर दिया गया। इस पर अदालत ने एसएसपी को निर्देशित किया है कि वह थानों के मालखानों में पल रहे चूहों पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाएं। एडीजे सप्तम संजय चौधरी के न्यायालय ने 26 नवंबर की तिथि साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए तय की है।

बताते चलें कि कोर्ट ने सितंबर में मामले की जांच सीओ रिफाइनरी हर्षिता सिंह को दी थी। सीओ ने जांच कर बताया कि गांजा भीगने से खराब हुआ और कुछ बोरे चूहों ने काट दिए हैं। वहीं शेरगढ़ से भी यही रिपोर्ट कोर्ट को दी गई। पुलिस ने माल को सुरक्षित नहीं रखने की व्यवस्था नहीं। 

थानों में रखा है अभी भी रखा है 700 किलो गांजा
581 किलो गांजा चूहों द्वारा चट करने के बाद अब जनपद के अन्य थानों में रखे 700 किलो गांजे की चिंता पुलिस को जता रही है। शेरगढ़ और हाईवे पुलिस द्वारा चूहों की कारगुजारी की रिपोर्ट कोर्ट में पेश होने के बाद अदालत ने भी अपना रुख सख्त कर लिया है।

बताते चलें कि थानों में चूहों की संख्या को नियंत्रित किए जाने और उनसे निपटने को लेकर पुलिस खुद को असहाय समझ रही है। अदालत में दिए प्रार्थना पत्र में पुलिस ने स्वीकार किया है कि थाने पर ऐसा कोई स्थान नहीं है, जहां माल को चूहों से बचाया जा सके। पुलिस ने अदालत में लिख कर दिया है, कि छोटा जानवर होने के कारण चूहों में पुलिस का कोई डर नहीं है, ना ही थाना प्रभारियों को हर समस्या के समाधान के लिए विशेषज्ञ माना जा सकता है।

किसी थाने में नहीं है माल सुरक्षित रखने की व्यवस्था
मथुरा। हाईवे थाने में 195 किलो और शेरगढ़ थाने में 386 किलो गांजा काफी पहले बरामद किया गया था। थानों पर बरामद सामान को सुरक्षित रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में पानी में गांजा भीग गया। उसके ऊपर जो स्लिप रखी थी, वह भी धुल गई और ये अपठनीय हो गया कि कौन सा गांजा, किस मुकदमे से संबंधित है। कुछ बोरों को चूहों ने काट दिया।

ऐसे में बोरों को कोर्ट तक लाने की स्थिति नहीं रही। कोर्ट ने सितंबर में मामले की जांच सीओ रिफाइनरी हर्षिता सिंह को दी। सीओ ने जांच कर बताया कि गांजा भीगने से खराब हुआ और कुछ बोरे चूहों ने काट दिए हैं। वहीं शेरगढ़ से भी यही रिपोर्ट कोर्ट को दी गई। पुलिस ने माल को सुरक्षित नहीं रखने की व्यवस्था नहीं है।

डीएम-एसएसपी की विभाग के साथ समीक्षा बैठक 

डीएम-एसएसपी की विभाग के साथ समीक्षा बैठक 

हरिशंकर त्रिपाठी 

देवरिया। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह एवं पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा ने पॉक्सो (प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के त्वरित निस्तारण हेतु अभियोजन विभाग के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में जिलाधिकारी ने पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए प्रभावी कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

जिलाधिकारी ने छह माह से अधिक समय से लंबित प्रकरणों की सूची मांगी है। उन्होंने कहा कि पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज प्रकरणों का त्वरित निस्तारण करना शासन की प्राथमिकता का विषय है। इसमें किसी भी स्तर पर कोताही न बरती जाए। विभिन्न विभाग आपसी समन्वय स्थापित कर पॉक्सो एक्ट की मूल भावना के अधीन त्वरित निस्तारण कराये। जनपद में पॉक्सो एक्ट के तहत 550 प्रकरण दर्ज है, जिनकी सुनवाई तीन न्यायालयों में विभिन्न चरणों पर हो रही है। इनमें से दो न्यायालयों में वर्तमान समय में न्यायाधीश की तैनाती नहीं है, जिससे केस के निस्तारण की गति प्रभावित हो रही है। जिलाधिकारी ने इस संबन्ध में उचित कार्यवाही करने का निर्देश दिया।

संयुक्त निदेशक अभियोजन अतुल ओझा ने बताया कि पॉक्सो एक्ट के अधीन दर्ज दो प्रकरणों में एफएसएल रिपोर्ट नहीं मिलने से कार्यवाही लंबित है, जिस पर पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा ने शीघ्र रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए संबंधित अधिकारी को निर्देशित किया। इस वर्ष पॉक्सो एक्ट के 12 केसों का अंतिम रूप से निस्तारण न्यायालय द्वारा किया गया है, जिसमें से तीन प्रकरण में दोषियों को आजीवन कारावास की सजा हुई है।

इससे पूर्व बैठक के प्रारंभ में जिलाधिकारी ने ड्रेसकोड का उल्लंघन करने पर डीजीसी क्रिमिनल राजेश कुमार मिश्र को बैठक से बाहर जाने का निर्देश दिया। डीजीसी क्रिमिनल जिलाधिकारी की बैठक में कुर्ता-पायजामा पहन कर आये थे, जिस पर डीएम ने गहरी नाराजगी व्यक्त की। बैठक में एडीएम प्रशासन गौरव श्रीवास्तव, अपर पुलिस अधीक्षक डॉ राजेश सोनकर, ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी राजीव कुमार सहित अभियोजन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

चेयरपर्सन के संबंध में बर्खास्तगी का आदेश खारिज 

चेयरपर्सन के संबंध में बर्खास्तगी का आदेश खारिज 

भानु प्रताप उपाध्याय 

मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर पालिका चेयरपर्सन को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए पालिका चेयरपर्सन अंजु अग्रवाल के संबंध में 10 अक्टूबर को दिये गए बर्खास्तगी के आदेश को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के ताजा आदेश पर चेयरपर्सन अंजु अग्रवाल ने कहा कि न्याय की जीत हुई। लेकिन विरोधियों ने 4 माह तक उन्हें पालिका से दूर रख शहर की जनता का काफी का नुकसान करा दिया। जिसका उन्हें अफसोस रहेगा।

प्रदेश में निकाय और खतौली विधानसभा सीट के उपचुनाव की सरगर्मियों के बीच ही नगरपालिका परिषद् मुजफ्फरनगर के मामले में भी नया उलटफेर सामने आया। 4 बिन्दुओं पर चल रही जांच में शासन से दोषी ठहराए जाने के बाद बर्खास्त की गई चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दावा किया जा रहा है कि गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अंजु अग्रवाल की बर्खास्तगी का आदेश खारिज कर दिया। इससे अब उनके पूरे अधिकार के साथ वापस आने का रास्ता साफ हो गया। हांलाकि विरोधियों का दावा है कि हाईकोर्ट ने शासन को नया निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र किया है, जल्द ही अंजू अग्रवाल के खिलाफ बड़ी कार्यवाही कराते हुए दूसरा आदेश जारी कराया जायेगा।

पालिका चेयरपर्सन अंजु अग्रवाल के खिलाफ भाजपा सभासद राजीव शर्मा और मनोज वर्मा ने प्रशासन और शासन में शिकायत की थी। प्रशासनिक जांच में भी आरोप सही ठहराए गए। तत्कालीन डीएम सेल्वा कुमारी ने रिपोर्ट शासन को भेजी थी। शासन ने 19 जुलाई 2022 की रात्रि में अंजू अग्रवाल पर 4 आरोपों में दोषसिद्ध होने की बात कहते हुए उनके वित्तीय अधिकार सीज कर दिये थे। जबकि प्रशासनिक पावर बहाल रखी गयी थी। इसके बाद अंजु अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और शासन के आदेश के खिलाफ आवाज उठाई। 02 सितम्बर को हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने उनकी याचिका पर निर्णय सुनाते हुए 19 जुलाई का शासन का आदेश खारिज करते हुए दो सप्ताह में सुनवाई करते हुए नया निर्णय देने को कहा था। इस बीच चेयरपर्सन अंजु अग्रवाल पालिका में अपना अधिकार वापसी की मांग करती रही, लेकिन शासन व प्रशासन ने अधिकार नहीं लौटाये। चेयरपर्सन ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका डाली, लेकिन समय शेष रहने के कारण उनकी याचिका को निरस्त कर दिया गया। इसी बीच 26 सितम्बर को उनको प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने सुनवाई के लिए लखनऊ बुलाया। सुनवाई पूरी होने पर चेयरपर्सन के दिये गये जवाब पर असंतोष जाहिर करते हुए 10 अक्टूबर को राज्यपाल की स्वीकृति के बाद प्रमुख सचिव नगर विकास ने चेयरपर्सन को पद से बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिये। इसके बाद 18 अक्टूबर को पालिका में डीएम चन्द्रभूषण सिंह ने शासन के आदेशानुसार नगर मजिस्ट्रेट अनूप कुमार को प्रशासक नियुक्त कर दिया।

बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ चेयरपर्सन एक बार फिर हाईकोर्ट पहुंची और उनकी याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट नम्बर-21 में विद्वान न्यायाधीश मनोज गुप्ता तथा न्यायाधीश श्री बनर्जी के समक्ष सुनवाई के लिए स्वीकृत की गयी। सूत्रों के अनुसार इस मामले में हाईकोर्ट में 04 नवंबर, 09 नवंबर, 11 नवंबर, 21 नवंबर और 22 नवंबर को सुनवाई हुई और आज 24 नवंबर को भी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट खण्डपीठ ने अपना निर्णय सुनाया है। सूत्रों ने बताया कि खण्डपीठ में सुनवाई के दौरान चेयरपर्सन की ओर से उनके अधिवक्ता सीके पारिख, विवेक मिश्रा और शशि नन्दन ने पक्ष रखा, जबकि शासन की ओर से एडवोकेट जनरल उपस्थित रहे। सूत्रों ने बताया कि 21 नवंबर को भी शासन की ओर से एक दिन का समय मांगा गया था, इसलिए ही 22 नवंबर को सुनवाई तय की गयी। आज भी शासन की ओर से एडवोकेट जनरल ने अदालत से एक दिन का समय मांगा, तो कोर्ट ने नारजागी जाहिर करते हुए फैसला सुनाकर याचिका निस्तारित कर दी है। बताया कि कोर्ट ने 10 अक्टूबर 2022 को शासन के द्वारा जारी बर्खास्तगी के आदेश को खारिज कर दिया है। कहा गया कि इससे अंजू अग्रवाल के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार बहाल हो गये हैं। जल्द ही पालिका में नया सत्ता हस्तांतरण देखा जा सकता है। सुनवाई के दौरान अंजू अग्रवाल, उनके पुत्र अभिषेक अग्रवाल भी मौजूद रहे। वहीं उनके विरोधियों का दावा है कि कोर्ट ने शासन को सुनवाई के बाद नया निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी है। इसमें अधिकार बहाल नहीं किये गये हैं और वह जल्द ही इसमें शासन स्तर से बड़ी गंभीर कार्यवाही कराने का प्रयास करेंगे।

प्राधिकरण ने आधार कार्ड के सत्‍यापन पर जोर दिया

प्राधिकरण ने आधार कार्ड के सत्‍यापन पर जोर दिया

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने गुरुवार को आधार कार्ड के सत्‍यापन पर जोर दिया और कहा है कि आइडेंटिटी प्रूफ यानि पहचान पत्र के तौर पर दिए गए फिजिकल या इलेक्‍ट्रानिक आधार कार्ड की कॉपी को सत्‍यापित करने की आवश्‍यकता है। UIDAI ने आधार के सत्‍यापन को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें बताया गया है कि किसी भी रूप में पेश किए गए आधार कार्ड पर मौजूद QR कोड को UIDAI के QR कोड मोबाइल ऐप से स्कैन कर उसकी सत्यता और विश्वसनीयता की जांच की जाए। इसके अनुसार, UIDAI का QR कोड मोबाइल ऐप एंड्रॉयड, IOS और विंडो फॉर्मेट के ऐप स्टोर पर मौजूद है। साथ ही सभी आधार कार्ड धारकों को सलाह भी दी गई है। इसमें बताया गया है

The UIDAI ने सभी राज्‍यों को भी इस बारे में सतर्क किया है और कहा है कि इस बारे में आवश्‍यक निर्देश जारी कर दें। इससे जब भी आइडेंटिटी प्रूफ के तौर पर आधार पेश किया जाएगा तो इसका सत्‍यापन भली-भांति किया जा सकेगा। अथॉरिटी ने सर्कुलर भी जारी किया है। इसमें सत्‍यापन पर जोर दिया गया है और कहा प्रोटोकॉल का पालन करने की बात कही गई है।

संभाल कर रखें अपना आधार कार्ड, इसे यहां-वहां न रखें
सोशल मीडिया से दूर रखें अपना आधार कार्ड
किसी के साथ m-Aadhaar PIN को शेयर न करें।

बहाली संबंधी एकलपीठ के आदेश को निरस्त किया 

बहाली संबंधी एकलपीठ के आदेश को निरस्त किया 

पंकज कपूर 

नैनीताल। उत्तराखंड विधानसभा से हटाये गये 228 तदर्थ कार्मिकों को बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय से झटका लगा है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अगुवाई वाली पीठ ने गुरूवार को महत्वपूर्ण आदेश जारी कर इन कर्मचारियों की बहाली संबंधी एकलपीठ के आदेश को निरस्त कर दिया है। विधानसभा सचिवालय की ओर से एकलपीठ के आदेश को चुनौती दी गयी। मुख्य न्यायाधीश सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में आज विशेष अपील पर सुनवाई हुई। विधानसभा सचिवालय की ओर से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अमित आनंद तिवारी और अमित गर्ग अदालत में पेश हुए। 

विधानसभा सचिवालय की ओर से कहा गया कि 2016 से 2021 के मध्य विभिन्न पदों पर 228 तदर्थ कार्मिकों की नियुक्ति की गयी। ये नियुक्तियां अवैध ढंग से की गयी। नियुक्तियों में तय मानकों का पालन नहीं किया गया। आवेदन आमंत्रित करने के लिये न ही कोई विज्ञापन एवं सार्वजनिक सूचना जारी की गयी और न ही किसी चयन कमेटी एवं प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन किया गया। यही नहीं आरक्षण नियमों का पालन भी नहीं किया गया। अदालत में यह बात भी सामने आयी कि विधानसभा अध्यक्ष की संस्तुति पर मात्र व्यक्तिगत मांग पत्र के आधार पर नौकरी दे दी गयी। यह भी कहा गया कि नियुक्तियां नितांत कामचलाऊ व्यवस्था के तहत की गयी थीं और व्यवस्था थी कि इन्हें बिना पूर्व सूचना के कभी भी हटाया जा सकता है। वर्ष 2003 में तदर्थ नियुक्तियों पर प्रतिबंध के बावजूद ये नियुक्तियां की गयीं। 

कार्मिक एवं वित्त विभाग की ओर से भी इन नियुक्तियों पर आपत्ति दर्ज की गयी। इसी वर्ष 2022 में विधानसभाध्यक्ष की ओर से इन नियुक्तियों की वैधता की जांच के लिये एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया और कमेटी ने भी इन नियुक्तियों को अवैध पाया। इसके बाद विधानसभा सचिव की ओर से अलग-अलग आदेश पारित कर सभी को हटा दिया गया। विधानसभा सचिवालय की ओर से इस मामले में अदालत में उच्चतम न्यायालय एवं विभिन्न उच्च न्यायालयों के आदेशों का हवाला भी दिया गया। 

दूसरी ओर बर्खास्त कर्मचारियों की ओर से अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा गया कि गैरसैंण विधानसभा सत्र को देखते हुए आपताकालीन परिस्थितियों में 2016 में कुछ नियुक्तियां की गयीं। वर्ष 2018 में उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय खंडपीठ की ओर से भी एक जनहित याचिका के सुनवाई के दौरान इन नियुक्तियों को जायज ठहराया गया। अंत में अदालत ने अपने निर्णय में एकलपीठ के आदेश को खारिज कर दिया और कहा कि एकलपीठ को बर्खास्तगी जैसे मामले में अंतरिम आदेश जारी कर स्थगनादेश पारित नहीं करना चाहिए था। उल्लखनीय है कि विधानसभा सचिव के बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ 132 तदर्थ कर्मचारी हाईकोर्ट पहुुंच गये थे और 15 अक्टूबर को एकलपीठ ने अंतरिम आदेश जारी कर कार्मिकों को फौरी राहत देते हुए बहाली आदेश जारी कर दिये थे। यही नहीं एकलपीठ ने विधानसभा सचिवालय को भी स्थायी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने और बहाल कर्मचारियों को उसमें कोई बाधा उत्पन्न नहीं करने के सख्त निर्देश दिये थे। युगलपीठ के आज के निर्णय से साफ है कि अवैध नियुक्तियों के मामले में विधानसभा सचिव का बर्खास्तगी आदेश आज भी अस्तित्व में है।

2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने के संकेत: सपा

2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने के संकेत: सपा

संदीप मिश्र 

कन्नौज। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2024 का लोकसभा चुनाव कन्नौज सीट से लड़ने के संकेत दिए हैं। यादव ने यहां संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा ”क्यों, क्या करेंगे खाली बैठकर ? हमारा तो काम ही है चुनाव लड़ना। जहां हम पहला चुनाव लड़े थे, वहां फिर से चुनाव लड़ेंगे। उनसे संवाददाताओं ने पूछा था कि कन्नौज से पहले सांसद रही डिम्पल यादव अब मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव लड़ रही हैं, ऐसे में क्या 2024 में वह खुद कन्नौज से लड़ेंगे।

सपा अध्यक्ष पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सुनील कुमार गुप्ता के पुत्र के तिलक समारोह में शिरकत करने आए थे। यादव ने यह भी कहा कि कन्नौज उनकी कर्मभूमि है और कन्नौज के लोगों ने उन्हें तीन बार सांसद के रूप में चुना है। उन्होंने कहा कि यहां की जनता ने मुझे हमेशा स्नेह और प्यार दिया है इसलिए मैं कन्नौज को कभी नहीं छोड़ सकता। फिलहाल यादव करहल सीट से विधायक हैं।

अखिलेश यादव ने वर्ष 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट से ही शुरू किया था अपना सफर

गौरतलब है कि उन्होंने जनप्रतिनिधि के तौर पर अपना सफर वर्ष 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट से ही शुरू किया था। उस वर्ष इस लोकभा सीट पर उपचुनाव में जीत हासिल कर वह पहली बार सांसद बने थे। उसके बाद 2004 और 2009 में भी वह कन्नौज से ही सांसद चुने गए थे। वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वर्ष 2012 में ही कन्नौज लोकसभा उपचुनाव में उनकी पत्नी डिम्पल यादव ने जीत हासिल की थी। वह 2014 के आम चुनाव में भी कन्नौज से सांसद चुनी गयी थीं। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में डिम्पल को भाजपा के सुब्रत पाठक के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था। डिम्पल को अब सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव में पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है। इसी उपचुनाव के लिए मतदान आगामी 5 दिसंबर को होगा।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट, बेहद खतरनाक 'डिजीज एक्स' 

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट, बेहद खतरनाक 'डिजीज एक्स' 

अकांशु उपाध्याय/सुनील श्रीवास्तव 

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। कोरोना महामारी से पूरा देश लड़ रहा है। अब तक इसका संक्रमण पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। दो साल तक बाकी दुनिया में भी तांडव मचा चुकी कोरोना महामारी का अब तक खात्मा भी नहीं हुआ कि एक और बीमारी की आहट ने लोगों के दिलों में खौफ पैदा कर दी है। इस बीच चीन में एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं। लेकिन अब वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की नई रिपोर्ट डराने लगी है। कोरोना के बीच 'डिजीज एक्स' सबसे खतरनाक है।

इबोला से भी ज्यादा जानलेवा
कोविड का दूसरा झटका आया ही था
कि तभी डिजीज की बात होने लगी। साल 2021 में वैज्ञानिकों ने माना कि ये फ्यूचर बीमारी इबोला से भी ज्यादा जानलेवा हो सकती है। बता दें कि आमतौर पर पश्चिमी अफ्रीका में दिखने वाली इस वायरल बीमारी से ग्रस्त लगभग 80 प्रतिशत मरीजों की जान चली जाती है।

डिजीज X की आहट
WHO ने भी कोविड से पहले ही डिजीज की बात कही थी। जेनेवा में आने वाली महामारियों पर काम की ब्लू प्रिंट तैयार करते हुए ऐसे रोगों पर चर्चा हुआजिनका ओर-छोर भी फिलहाल वैज्ञानिकों को नहीं पता। इसके लगभग दो साल के भीतर कोविड आ गया। तब भी परेशान वैज्ञानिकों ने माना था कि कोविड भी डिजीज की श्रेणी में खड़ी बीमारी हैजिससे मुकाबला मुश्किल है। वैसे इसके तुरंत बाद ही देशों ने वैक्सीन तैयार कर ली और महामारी की रफ्तार और तीव्रता दोनों कम हुई।

300 वैज्ञानिकों की टीम तैयार
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि वह ऐसे पैथाजन्स की एक लिस्ट भी तैयार करेगा जिससे महामारी का खतरा पैदा हो सकता है। ओनली माय हेल्थ की खबर के अनुसार इस काम के लिए डब्ल्यूएचओ ने एक बड़े पैमानें में तैयारी शुरू की है और इसके लिए 300 वैज्ञानिकों की एक टीम भी तैयार करने की योजना बनाई है। वैज्ञानिकों की ये टीम लिस्टेड बैक्टीरिया और वायरस के टीके और इलाज को तलाशेंगीं।

डिजीज की शुरुआत
ये भी संभव है डिजीज 
की शुरुआत इंसानों से न होकरपशु-पक्षियों से हो। ये पैटर्न कई बीमारियों में दिख चुका है। जैसे कंस्पिरेसी के बावजूद कोरोना के मामले में ज्यादातर देश मानते हैं कि ये चमगादड़ों से आई बीमारी है। इसी तरह से सार्स और मर्स भी जानवरों से आए। यहां तक कि एड्स जैसी लाइलाज बीमारी भी संक्रमित चिंपाजी से इंसानों तक पहुंची। यलो फीवर भी साल 1901 में पशुओं से हम तक पहुंचा। इसके बाद से रेबीजलाइम डिजीज जैसी लगभग 2 सौ बीमारियां हैंजो संक्रमित पशु-पक्षियों से इंसानों तक आईं।

विवाद: पेट्रोल भरवाने के बाद रुपए देने से इंकार

विवाद: पेट्रोल भरवाने के बाद रुपए देने से इंकार 

इकबाल अंसारी 

गाजियाबाद। मामला गाजियाबाद के सिहानी गेट थाना इलाके के पास बस अड्डे के नजदीक वाले पेट्रोल पंप का है। रात को यहां पर कुछ लोग पेट्रोल भरवाने के लिए आए। पेट्रोल भरवाने के बाद आरोप है कि उन्होंने रुपए देने से इंकार कर दिया। जब पेमेंट नहीं मिली तो झगड़ा शुरू हो गया। आरोप है कि आरोपी नशे में भी थे। इसके बाद पेट्रोल पंप कर्मचारियों ने उनसे दोबारा से पेमेंट मांगी तो झगड़ा बढ़ गया और मारपीट हो गई। दोनों पक्षों ने एक दूसरे को जमकर पीटा। वीडियो में भी साफ तौर पर मारपीट और झगड़ा देखा जा सकता है।

स्थानीय लोगों ने इस झगड़े का वीडियो बनाया और अब यह वीडियो खूब वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि वीडियो से ही आरोपियों की पहचान की जा रही है। इसके अलावा पेट्रोल पंप के सीसीटीवी भी कब्जे में लिए गए हैं। जिस तरह से एनसीआर में छोटी-छोटी बातों पर लोग गुस्से में एक-दूसरे से मारपीट रहे हैं, यह चौंकाने वाला है।

इन दिनों दिल्ली एनसीआर से कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें छोटी-छोटी बातों पर लोग एक दूसरे का खून बहा रहे हैं। इस तरह के बढ़ते हुए झगड़े पुलिस की भी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस अधिकारियों ने जानकारी दी है कि संबंधित थाने के इंचार्ज को अवगत करा दिया गया है और जल्द मामले में कार्रवाई कर दी जाएगी।

एसएसपी ने यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया

एसएसपी ने यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया

भानु प्रताप उपाध्याय 

मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर में सड़क सुरक्षा जागरूकता माह के अंतर्गत ट्रैफिक पुलिस ने गांधीगिरी की। जिन बाईकर्स ने हेलमेट नहीं लगाए थे उन्हें हेलमेट भेंट किए। जाे हेलमेट लगाकर चल रहे थे उन्हें गुलाब और सर्टिफिकेट भेंट कर उनका उत्साहवर्धन किया। यातायात पुलिस नवंबर माह को सड़क सुरक्षा माह के रूप में मना रही है। सड़क पर चलने वाले वाहना चालकों को सुरक्षा नियमों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। गुरुवार को एसएसपी विनीत जायसवाल विश्वकर्मा चौक पहुंचे और वाहन चालकों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया। एसएसपी विनीत जायसवाल ने एसपी ट्रैफिक कुलदीप सिंह और एसपी क्राइम के साथ मिलकर वाहन चालकों को हेलमेट लगाने के प्रति जागरूक किया।

बाइक चालक को हेलमेट लगाने पर गुलाब और प्रशस्ति-पत्र भेंट करते एसपी ट्रैफिक कुलदीप सिंह।
बाइक चालक को हेलमेट लगाने पर गुलाब और प्रशस्ति-पत्र भेंट करते एसपी ट्रैफिक कुलदीप सिंह।

उन्होंने हेलमेट लगाकर वाहन चलाने वालों को अपनी और से गुलाब और प्रशस्ति पत्र भेंट कर उनका अभिनंदन किया। जिन दुपहिया वाहन चालकों ने हेलमेट नहीं लगाए हुए थे उन्हें यातायात पुलिस की और से नि: शुल्क हेलमेट भेंट किये। उन्हें प्रेरित किया गया कि वे भविष्य में भी यातायात नियमों का पालन करते रहें। एसएसपी ने कहा कि अपने जीवन की सुरक्षा अपने हाथ में है। यदि यातायात नियमों का पालन करते हैं तो उससे जीवन ही सुरक्षित होता है। एसपी ट्रैफिक कुलदीप सिंह ने कहा कि यातायात माह के अंतर्गत पुलिस लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक कर रही है।

'समान नागरिक संहिता' लागू करने को प्रतिबद्ध भाजपा

'समान नागरिक संहिता' लागू करने को प्रतिबद्ध भाजपा 


नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सभी लोकतांत्रिक चर्चाओं और बहसों के पूरा होने के बाद देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने को प्रतिबद्ध है। यूसीसी के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा कि यह जन संघ के दिनों से ही भाजपा द्वारा देश के लोगों से किया गया एक वादा है। टाइम्स नाऊ सम्मेलन में गृह मंत्री ने कहा, “न सिर्फ भाजपा ने, बल्कि संविधान सभा ने भी संसद और राज्यों को उचित समय आने पर यूसीसी लागू करने की सलाह दी थी, क्योंकि किसी भी धर्मनिरपेक्ष देश में कानून, धर्म के आधार पर नहीं होने चाहिए। यदि राष्ट्र और राज्य धर्मनिरपेक्ष हैं तो कानून धर्म पर आधारित कैसे हो सकते हैं? हर धर्म के व्यक्ति के लिए संसद या राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित एक ही कानून होना चाहिए।”


शाह ने दावा किया कि समय बीतने के साथ संविधान सभा की इस प्रतिबद्धता को भुला दिया गया। उन्होंने कहा, “भाजपा को छोड़कर, कोई भी दल समान नागरिक संहिता के समर्थन में नहीं है। एक लोकतंत्र में स्वस्थ चर्चाएं जरूरी हैं। इस मुद्दे पर खुली एवं स्वस्थ बहस किए जाने की जरूरत है।”


गृह मंत्री ने कहा कि भाजपा शासित तीन राज्यों-हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात में सर्वोच्च अदालत और उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की अध्यक्षता में एक पैनल गठित किया गया है, जिसके सामने अलग-अलग धर्मों के लोग इस मुद्दे को लेकर अपनी राय जाहिर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम इस प्रक्रिया में मिलने वाले सुझावों के आधार पर कार्रवाई करेंगे। सभी लोकतांत्रिक चर्चाओं के पूरा होने के बाद भाजपा यूसीसी लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।”


यह पूछे जाने पर कि क्या जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्ज देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने का फैसला उनके कार्यकाल का सबसे सफल फैसला था, शाह ने कहा कि कोई भी सफलता उनकी व्यक्तिगत सफलता नहीं है, क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट के एक मंत्री हैं और हर सफलता पूरी सरकार की सफलता है।


उन्होंने कहा, “वर्षों से यह दुष्प्रचार फैलाया जा रहा था कि जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद 370 की वजह से भारत का हिस्सा है। अब न तो अनुच्छेद 370 है और न ही 35ए, फिर भी जम्मू-कश्मीर भारत के साथ है।” गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में एक नयी लोकतांत्रिक पीढ़ी तैयार हो रही है, जहां 30,000 से अधिक पंच और सरपंच लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में 56 हजार करोड़ रुपये का निवेश आया है और 80 लाख पर्यटक पहुंचे हैं, जो आजादी के बाद से सर्वाधिक है।


शाह ने दावा किया कि 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत के बाद से वहां इससे जुड़ी सबसे कम वारदातें हुई हैं और पत्थरबाजी की घटनाएं भी शून्य दर्ज की गई हैं, जो उनकी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्ध है और इसे लेकर कोई दो राय नहीं है। उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की जड़ें गहरी हो गई हैं, लेकिन सरकार इसे पूरी तरह से उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध है।”


इससे पहले, सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में दिए संबोधन में शाह ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को दुनिया के सामने रखा जाए। उन्होंने कहा, “भारत 2025 तक पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। 2014 में देश में चार यूनिकॉर्न स्टार्टअप थे और अब यह संख्या बढ़कर सौ के पार चली गई है।”


चुनाव से पहले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग से जुड़े सवाल पर शाह ने कहा कि जिस किसी को शिकायत है, वह अदालत का रुख कर सकता है और इस तरह के कदमों को राजनीति के लिहाज से नहीं देखा जाना चाहिए।


जेल में बंद आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सत्येंद्र जैन के विशेष सुविधाएं हासिल करने से जुड़े कथित वीडियो के बारे में पूछे जाने पर गृह मंत्री ने कहा कि उक्त वीडियो सही है या नहीं, यह अरविंद केजरीवाल नीत पार्टी के लिए जांच का विषय होना चाहिए। उन्होंने कहा, “यदि वीडियो सही है, तो जवाबदेही उनकी पार्टी की बनती है और आप मुझसे सवाल पूछ रहे हैं?


मैं भी जेल गया था और तब मैंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। जेल में बंद होने के बाद भी मंत्री पद पर बने रहने की ऐसी बेशर्मी अभूतपूर्व है।” ऐसे मामलों में केंद्र को किसी मंत्री को हटाने की अनुमति देने वाले प्रावधानों के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने भी शायद ऐसी चीजें होने की कल्पना नहीं की थी, इसलिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया।


श्रद्धा वालकर हत्याकांड पर गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली पुलिस और अभियोजन पक्ष यह सुनिश्चित करेंगे कि 27 वर्षीय कॉल सेंटर कर्मी को जिसने भी मारा है, उसे कम से कम समय में कठोर से कठोर सजा मिले। गुजरात के आगामी विधानसभा चुनावों से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि राज्य में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला है। शाह ने कहा, “गुजरात में हम सीटों और वोट प्रतिशत के मामले में सारे रिकॉर्ड तोड़ देंगे।”

श्रद्धा हत्याकांड लव जिहाद का केस नहीं: औवेसी 

श्रद्धा हत्याकांड लव जिहाद का केस नहीं: औवेसी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। श्रद्धा हत्याकांड मामले ने अब राजनीतिक तूल भी पकड़ लिया है। असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि श्रद्धा हत्याकांड लव जिहाद का केस नहीं है। बीजेपी इसे धर्म के एंगल से देख रही है। ओवैसी ने कहा कि श्रद्धा केस राजनीतिक मुद्दा बन गया है, इस हत्याकांड को मजहबी रंग दिया जा रहा है। आगे कहा कि यह लव जिहाद का मामला नहीं है, ये एक महिला पर जुल्म और उसकी हत्या का मामला है। इसे मजहब का चश्मा लगाकर देखा जाएगा तो यह नाइंसाफी होगी।

फिलहाल में हुए आरुषी हत्याकांड का हवाला देते हुए बोले कि यदि लव जिहाद का मामला है, तो आजमगढ़ में प्रिंस यादव का मामला क्या था। एक युवती जो इंटरकास्ट में शादी कर लेती है, इस वजह से उसके माता पिता उसका मर्डर करके उसे ट्रॉली बैग में बंद कर फेंक देते हैं, उसे क्या कहोगे ? बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी इस पर सियासी रोटी सेंकती है, ये गलत है।

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