मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

कानपुर मदरसे में 40 छात्र संक्रमित

 3 मदरसे हॉटस्पॉट एरिया में स्थित हैं


छात्रों की उम्र 10 से 20 साल के बीच


कानपुर। उत्तर प्रदेश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कानपुर के तीन अलग-अलग मदरसों में करीब 47 बच्चे कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इन बच्चों की उम्र 10 से 20 साल के बीच है। कानपुर में हिदायतुल्लाह मदरसा, जाजमऊ के अशरफाबाद मदरसा और कुलीबाजार मदरसा हॉटस्पॉट एरिया में स्थित है।
शहर के मछरिया इलाके के हिदायतुल्लाह मदरसा में सबसे पहले जमातियों के संपर्क में आने से छात्र कोरोना संक्रमित हुए थे। 14 अप्रैल को मदरसे में पढ़ने वाले 8 छात्र की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। वहीं, अशरफाबाद मदरसे से 6 छात्र 20 अप्रैल को पॉजिटिव पाए गए। प्रशासन की बड़ी परेशानी तब खड़ी हुई, जब कुलीबाजार स्थित मदरसे में 32 छात्र कोरोना पॉजिटिव पाए गए। ये सभी छात्र बिहार के रहने वाले हैं। एसपी सिटी राजकुमार अग्रवाल ने कहा कानपुर के तीन मदरसों से करीब 47 छात्र पॉजिटिव पाए गए हैं। वहीं, सीएमओ डॉकटर अशोक शुक्ला ने 90 मदरसों की जांच का दावा करते हुए कहा इनमें 40 कोरोना संक्रमित हैं।
कोविड अस्पतालों को बढ़ाने का निर्देश
उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना वायरस से निपटने की दिशा में तमाम मोर्चों पर लगातार काम कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड अस्पतालों को बढ़ाने का निर्देश दिया है। वहीं, प्रदेश के प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया कि राज्य में लगभग 10 से 15 लाख लोगों की क्षमता के क्वारनटीन केंद्र बनाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि 1 मई से दोबारा राशन वितरण शुरू होगा।


दंगों की आरोपी की प्रेगनेंसी पर बवाल

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में हुए सीएए विरोधी दंगों में कट्टरपंथी समूह पीएफआई का नाम सामने आने के बाद पुलिस ने जामिया के 2 छात्रों को इस संबंध में गिरफ्तार किया। एक नाम मीरान हैदर और दूसरा प्रेग्नेंट सफूरा जरगर (Safoora Zargar)। दोनों पर उत्तरपूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश रचने का आरोप है। जिसके कारण इनके खिलाफ़ गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है। हालाँकि, हैदर की गिरफ्तारी को लेकर अप्रैल माह के शुरूआत में खूब सवाल उठाए गए थे। लेकिन संगीन आरोपों के कारण ये आवाज हल्की पड़ गई। इसके बाद सफूरा की गिरफ्तारी पर कट्टरपंथियों ने आवाज बुलंद की और दिल्ली पुलिस का क्रूर चेहरा दर्शाने के लिए उसकी प्रेग्नेंसी को लेकर बवाल खड़ा कर दिया।


 किसी भी महिला से संबंधित ऐसी खबर सुनकर किसी का भी दिल पसीज जाना आम बात है। लेकिन दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाने से पहले, केंद्र सरकार को कोसने से पहले ये भी जानने की आवश्यकता है कि आरोपित महिला पर कैसे  हैं और मात्र प्रेगनेंसी का हवाला देकर उसपर लगे आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता और न ही इस बात से मुँह फेरा जा सकता है कि मीडिया गिरोह कैसे इस पूरे मामले को अलग कोण दे रहा है।
विचार करिए! आज जब आरोपित महिला के ऊपर लगे आरोप इतने संगीन है उस समय उसके लिए रिपोर्ट में ‘छात्र’ और ‘स्कॉलर’ शब्द का प्रयोग हो रहा है। व उसके प्रोफेसर उसे उसके अपराधों से निजात दिलाने के लिए उसके अकादमिक रिकॉर्ड का हवाला दे रहे हैं। उस समय सोचने वाली बात है कि सफूरा के लिए जो उसकी प्रेगनेंसी के नाम पर ट्रेंड चलाया जा रहा है उसमें उसके 3 महीने से प्रेग्नेंट होने की बात हैं, जबकि दिल्ली में हुई हिंसा 2 महीने पुरानी घटना है।
आज अगर वाकई ही इस एंगल से किसी के अपराध पर होने वाली कार्रवाई पर इतना फर्क पड़ता है, तो क्या जरूरत थी प्रेगनेंसी के दौरान सड़कों पर आने की, आंदोलनों में अपनी सक्रियता दिखाने की? अगर आज इस आधार पर सफूरा के लिए दया माँगी जाती है, उनकी जाँच को रोका जाता है, तो कल को क्या हर अपराधी महिला या अपराध करने के इल्जाम में गिरफ्तार हुई महिला प्रेगनेंसी के नाम पर अपने लिए छूट नहीं माँगेगी?
ज्ञात रहे कि दिल्ली में हुई हिंदू विरोधी हिंसा में मीरान हैदर के साथ सफूरा जरगर को साजिश करने के आरोप में आरोपित बनाया गया है। जिसमें उस समय 50 से ज्यादा निर्दोष लोगों की लाशें गिरी थीं ।


ड्यूटी में लगे स्टाफ को मिले पीपीई किट

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को कोरोना ड्यूटी में लगे हर तरह के स्टाफ को पीपीई किट देने की मांग उठाई है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मंगलवार को ट्वीट के माध्यम से लिखा कि ” कोरोना ड्यूटी में लगे उन हर तरह के स्टाफ को तत्काल पीपीई किट दिए जाएं, जिनका लोगों से ज्यादा संपर्क होता है। जैसे सभी स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस, आपूर्ति सेवा में लगे ड्राइवर और राशन डीलर, इनकी नियमित जांच होनी चाहिए।” इससे पहले अखिलेश ने कहा था कि “कोरोना संक्रमण झेल रहे प्रदेश के किसानों पर बे-मौसम बरसात, आंधी और ओलावृष्टि की भी प्रातिक मार आ पड़ी है। उसका जीवन घोर संकट में पड़ गया है। आजीविका के सभी रास्ते बंद होते दिख रहे हैं। जिलों के अधिकारी भी किसानों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाये हुए हैं। गेहूं और आम की फसल की हुई बर्बादी का सरकार के पास कोई ब्यौरा नहीं है।”


समाजवादी पार्टी की मांग है कि आकाशीय बिजली गिरने, दीवार और मकान गिरने से हुई मौतों पर प्रत्येक मृतक आश्रितों को 25-25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाये। साथ ही फसलों के हुए नुकसान की भरपाई के तौर पर पर्याप्त मुआवजा भी दिया जाए।


अकुंशः यूपी में 15 दिन में 100 हत्या

नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश में एक पखवाड़े में 100 लोगों की हत्या पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इन घटनाओं की गहन जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस की उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव ने कहा कि पिछले तीन दिन में राज्य में दो महात्माओं सहित पांच लोगों की हत्या हुई है। ये सारी घटनाएं गंभीर चिंता का विषय है और इनकी निष्पक्षता से जांच करना आवश्यक है। उन्होंने ट्वीट किया “अप्रैल के पहले 15 दिन में ही उत्तर प्रदेश में सौ लोगों की हत्या हो गई। तीन दिन पहले एटा में पचौरी परिवार के पांच लोगों के शव संदिग्ध परिस्थितियों में पाए गए। कोई नहीं जानता उनके साथ क्या हुआ।”


उन्होंने कहा “आज बुलंदशहर में एक मंदिर में सो रहे दो साधुओं को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। ऐसे जघन्य अपराधों की गहराई से जाँच होनी चाहिए और इस समय किसी को भी इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। निष्पक्ष जाँच करके पूरा सच प्रदेश के समक्ष लाना चाहिए। यह सरकार की ज़िम्मेदारी है।”


 


नमाज रोकने पर पथराव, 27 घायल

औरंगाबाद । महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मस्जिद में नमाज पढ़ने को रोकने गई पुलिस पर लोगों ने पथराव कर दिया गया। जिले के ग्रामीण इलाके में सोमवार रात 8 बजे हुई इस घटना में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। मामले में पुलिस ने अब तक 27 लोगों को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि पुलिस पर पथराव करने वाली भीड़ में महिलाएं भी शामिल थीं।


बताया जा रहा है कि संभाजी मार्ग पर स्थित एक मस्जिद में करीब 100 लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे। पुलिस ने पहले उन्हें रोका और लॉकडाउन का हवाला देकर अपने-अपने घर लौट जाने की अपील की। इस दौरान कुछ लोग भड़क गए और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। इस हमले में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। पथराव की खबर पाकर मौके पर मौके पर भारी संख्या में फोर्स पहुंच गई और लोगों को हटाया। साथ ही घायल पुलिसकर्मियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस मामले में पुलिस अब तक 27 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।


सावधानी से खरीदे 'टेस्टिंग उपकरण'

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी(बसपा) अध्यक्ष मायावती ने केन्द्र सरकार से जांच से जुड़ी टेस्टिंग उपकरणों को मंगाने में सावधानी बरतने की मांग करते हुए कहा कि कोरोना महामारी से लड़ाई किसी भी प्रकार से कमजोर नही पड़नी चाहिए। मायावती ने मंगलवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को कोरोना जांच से जुड़ी टेस्टिंग उपकरणों को मंगाने में सावधानी बरतनी चाहिए ताकि कोरोना महामारी से लड़ाई में किसी प्रकार कमजोर न पड़े।उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राज में दिल्ली कामनवेल्थ गेम्स की तैयारियों में विदेशो से मंगाये सामाने में भ्रष्टाचार उजागर हुआ था। गरीब दलतों के कल्याण का पैसा डाइवर्ट करके अनुचित तौर पर खर्च कर दिया था। बसपा अध्यक्ष ने ट्वीट कर कहा“ जैसा कि विदित है कि केन्द्र में कांग्रेस के राज में हुये दिल्ली कामनवेल्थ गेम्स की तैयारी में खासकर विदेशों से मंगाये गये सामान में भयंकर भ्रष्टाचार हुआ था साथ ही गरीब दलितों के कल्याण हेतु स्पेशल कम्पोनेट प्लान का भी पैसा डाइवर्ट करके इसी पर अनुचित तौर पर खच्र कर दिया गया था।”


उन्होंने कहा “अतः केन्द्र की वर्तमान भाजपा सरकार को भी उससे सबक सीखकर कोरोना बीमारी की विशेषकर जाँच से जुड़ी टेस्टिंग उपकरणों आदि को विदेशों से मंगाते समय जरूर पूरी-पूरी सावधानी बरतनी चाहिये ताकि कोरोना प्रकोप से लड़ाई किसी भी प्रकार कमजोर न पड़े। बी.एस.पी. की यह माँग व अपील भी है।”


 


आईटी के कर्मचारी करें वर्क फ्रॉम होम

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के चलते जारी लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए सरकारी और गैर-सरकारी संगठन के कर्मचारी अपने-अपने घरों से काम कर रहे हैं। खासकर आईटी सेक्टर के ज्यादातर कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम (WFH) कर रहे हैं। इसको लेकर अब नई एचआर पॉलिसी बनाई जा सकती है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञों का मानना है कि वर्क फ्रॉम होम का कान्सेप्ट एक बड़े वर्ग के कर्मचारियों के लिए आगे बढ़ने वाला है।


हालांकि, वर्क फ्रॉम होम की वजह से संचार व्यवस्था में काफी बदलाव देखा जाएगा। इतना ही नहीं कर्मचारी और मैनेटमेंट के बीच संबंध भी पहले जैसे नहीं रहेंगे और काम करने के समय में भी बदलाव हो सकता है। इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए एक नई एचआर पॉलिसी बनाए जाने की जरूरत हो सकती है। 


घरों से किया जा सकता है काम


कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन घोषित कर दिया था। जिसकी वजह से सरकारी और गैर-सरकारी संगठन के कर्मचारियों को दफ्तर की बजाय घरों से काम करना पड़ रहा है। ऐसे में घरों से काम न कर पाने की धारणा भी टूट गई और कर्मचारियों ने भी बेहतर प्रदर्शन करके दिखाया। एक तरफ तो कर्मचारियों की दफ्तर जाने की आदत छूट गई। जबकि दूसरी तरफ घर से काम करने की आदत भी बन गई। ऐसे में आने वाले समय में घरों से काम करने के लिए एक नई पॉलिसी की आवश्यकता होगी। क्योंकि अभी तक कोई भी ऐसी पॉलिसी नहीं है जो घरों से काम करने के नियम कायदे बताती हो। 


10 लाख कर्मचारी करेंगे WFH 


आईटी उद्योग की जानी मानी शख्सियत सेनापति गोपालकृष्णन ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन के खत्म होने के बाद स्थिति सामान्य होने पर भी 10 लाख से अधिक आईटी कर्मचारियों के घर से ही काम करने की संभवना है। उन्होंने कहा कि अब मुझे बताया गया है कि कई बड़े (आईटी) संगठनों में 90 से 95 प्रतिशत लोग घर से काम कर रहे हैं। और वह बदलाव बेहद सहज रूप से और बहुत तेजी से किया गया। मुझे लगता है कि ये अब कारोबार का लगातार चलते वाला हिस्सा बन जाएगा। 


विशेषज्ञों का मानना है कि छोटी कम्पनियां वर्क फ्रॉम होम को ज्यादा बढ़ावा देंगी। ताकि आने वाले समय में वे किराये की लागत में काफी बचत कर सकें। इतना ही नहीं राष्ट्रीय आपदा अधिनियम लागू होने के बाद हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसे प्रगतिशील संगठनों ने अपने कार्यालय-आधारित कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम का प्लेटफॉर्म देने का निर्णय लिया है। ऐसे में जल्द ही नई पॉलिसी सामने आ सकती है जो पुरानी पॉलिसी से बेहद अलग होगी।


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