मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

चल रहा है कण-कण 'संपादकीय'

जल रहा है कण-कण, बरस रहे अंगार।
साधु-संत ना होते तो जल जाता संसार।


ढोंग का आडंबर रच कर, स्वांग का मंच बनाकर, नर्तक-नर्तकी, गीतकार कला का प्रदर्शन करते हैं और अपनी आजीविका निर्वाह करते हैं। परंतु उनका हृदय निर्मल और निश्छल रहता है। पक्षपात रहित सभी को अपने गुणधर्म का आनंद लेने के लिए स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। उसमें किंचित भी लेश मात्र नहीं रहता है। आज देश की स्थिति अत्यंत दयनीय बन गई है। सामर्थ्यवान और उत्तरदायी लोग अपने दोषो को निरीह और कमजोर पर थोपने का कार्य कर रहे हैं। देश की बागडोर संभालने वाले सभी लोग धन्य है। मानव जाति को वर्ग-समूह में बांटकर दृष्टिगत करने वाले नीती धारको की महिमा भी कम नहीं है। विवश और लाचार व्यक्ति की पीड़ा को अपने स्वार्थ की बलि चढ़ाने वाला एक भी व्यक्ति क्षमा प्रार्थी नहीं है। यह भी स्मरण रखना चाहिए, समय की गति कभी नहीं रुकती है। यहां इसी पृथ्वी पर बहुत सारे बलिस्ट, बुद्धिमान, मानव, तपस्वी भी हुए हैं। लेकिन समय सब कुछ निगल गया है और किसी को इसका एहसास भी नहीं हुआ। आज भूख और लाचारी के जन्मदाताओं के मुख पर मुर्दों के जैसी उदासी देखी जा सकती है। बल्कि साफ-साफ दिख रही है। जनता की रक्षा और सुरक्षा के चक्रव्हू की संरचना में कई द्वार खाली छोड़ने के कारण यह पराजय अंत समय तक आत्मग्लानि का दर्पण दिखलाती रहेगी और इसकी विभूति सदियों तक अंकित रहेगी। जिन लोगों का मन संवेदना से परिपूर्ण है। जिन्हें मान, पद, प्रतिष्ठा से कोई लगाव नहीं है। जिन्होंने वस्त्रों को रंगने के बजाय, अपने मन को रंगा है। जो मानव सेवा के महत्व को समझते हैं। उन्होंने सब बंधनों को त्याग कर, सेवा और समर्पण के मार्ग को अपनाया है। लेकिन ऐसे उन्मुक्त प्राणियों की गिनती बहुत कम रह गई है। साधुवाद और तप की परिभाषा का भी ज्ञान नहीं है। ऐसे लोगों से जनता को इस युग में कोई आशा और अपेक्षा रखना उचित नहीं है।


 राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'


'अच्छे दिनों का किला ढह गया'

अच्छे दिनों का किला ढह गया 


इजाजत दे दे अब हमें मरने की,
वरना कोई रहा निकाल पेट भरने की।
फाका मेरे बच्चो का, बेखौफ कर दिया है।
जमीर अब गवाही नहीं देता है डरने की।
तेरी हुकूमत से मुझे बगावत नहीं है।
ऐसी बे-तरतीब मेरी आदत नहीं है।
अपने-अपने घरों में भूखे पेट रोने से,
हम जिंदा रहेंगे हिफाजत ओढ़ कर सोने से।
अपने-अपने घरों में नजरबंद किया है।
हालात ए दस्तूर हमने भी पसंद किया है।
गरीब का काम नहीं तो इंतजाम नहीं।
दो वक्त की रोटी भी सुबह-शाम नहीं।
सांस वायरस के खौफ से नहीं चलेगा।
फकत कुछ वादों से चूल्हा नहीं चलेगा।
हवा-हवाई फैसलों को जमीन पर उतरना होगा।
बिखरा वतन मदद के हाथों से सवारना होगा।
कमोबेश जहां अनाज ही अनाज निकलता है।
बदकिस्मती वहीं से भुखमरी का आवाज निकलता है।
मंजर साफ इशारा है हुकूमत की बेपरवाही का।
सूली पर लटकी भूख की तस्वीर की गवाही का।
देश तरक्की परस्त मुल्क में शुमार था।
हमें भी इस गलतफहमी का बेहद खुमार था।
नासूर बना जख्म कतरा-कतरा लहू बह गया।
बुरे दिन ढूंढता हूं अच्छे दिनों का किला ढह गया।



 'सिराज' मोहम्मद सिराज


मना करने पर लेता कड़ा एक्शनः ट्रंप

 भारत दवा की सप्लाई नहीं करता,तो लेते कड़ा एक्शन-डोनाल्ड ट्रंप
अंतरराष्ट्रीय
भारत दवा की सप्लाई नहीं करता,तो लेते कड़ा एक्शन-डोनाल्ड ट्रंप


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान
दवाई की सप्लाई के लिए शुक्रिया: ट्रंप सप्लाई ना होने पर लेते कड़ा एक्शन
वाशिंगटन। कोरोना वायरस के कहर का शिकार हो रहे अमेरिका ने मुश्किल वक्त में भारत से मदद मांगी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बीते दिनों फोन पर बात की और कोरोना वायरस पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने एक दवाई की सप्लाई फिर शुरू करने को कहा था, लेकिन अब दो दिन के बाद ट्रंप ने कहा है कि अगर भारत ये मदद नहीं करता तो फिर उसका करारा जवाब दिया जाता।


मंगलवार को व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘रविवार की सुबह मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की थी, मैंने उनसे कहा था कि अगर आप हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की सप्लाई को शुरू करते हैं, तो काफी अच्छा होगा। लेकिन अगर वो ऐसा नहीं करते तो कुछ नहीं होता, तो उसका करारा जवाब दिया जाता। आखिर कड़ा जवाब क्यों नहीं दिया जाएगा ? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भी डोनाल्ड ट्रंप को इस दवा के लिए आश्वासन दिया गया था। इस बातचीत के बाद भारत सरकार ने 12 एक्टिव फार्माटिकल इनग्रीडियंट्स के निर्यात पर लगी रोक को हटा दिया है, जिसके बारे में जानकारी साझा की गई।


दो दिन में बदले ट्रंप के तेवर?


गौरतलब है कि रविवार को जब डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की बातचीत हुई थी, तब ट्रंप ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत का साथ मिलने पर आभार जताया था। व्हाइट हाउस में उन्होंने बयान दिया था कि अगर भारत दवाई की सप्लाई करता है, तो वह काफी अच्छा होगा, हम उनका धन्यवाद करते हैं। लेकिन अब दो दिन के अंदर ही ट्रंप पूरी तरह से बदल गए और धमकी देने के अंदाज में आ गए।


क्यों जरूरी है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन?


आपको बता दें कि एक रिसर्च में सामने आया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाई कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार है और ये दवाई दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में ही बनाई जाती है, लेकिन भारत में बढ़ते कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी।


भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उत्पादन करती हैं। मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बेहद कारगर दवा है। भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं, इसलिए भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर इसका उत्पादन करती हैं। चीन से निकले कोरोना वायरस का कहर धीरे-धीरे दुनियाभर पर छा गया, जिसमें अमेरिका इसका सबसे बड़ा शिकार हुआ। अमेरिका में साढ़े तीन लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस की चपेट में हैं, जबकि 10 हजार से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हालात इतने खराब हैं कि अमेरिका में वेंटिलेटर्स और अस्पतालों में बेड की कमी है।


एकता संघ टीवी शो करेंगे अक्षय

मुंबई। अभिनेता अक्षय ओबेरॉय मंच पर अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं। वह शॉर्ट और फीचर फिल्मों के साथ-साथ वेब सीरीज में भी काम कर चुके हैं। अब उनकी इच्छा मशहूर निर्माता एकता कपूर संग टेलीविजन शोज करने की है, जिनके साथ वह इससे पहले कुछ परियोजनाओं में काम कर चुके हैं। उनके पास इस वक्त कई सारी परियोजनाएं हैं, जिनमें से एक एकता की फिल्म केटीना भी है। इस फिल्म में दिशा पटानी मुख्य किरदार में हैं।
इस फिल्म के बारे में अक्षय ने यह एक पंजाबी लड़की के बारे में है, जिसका ज्योतिषशास्त्र पर गहरा यकीन है। यह उस लड़की की प्रेम कहानी है। इससे पहले अक्षय, एकता की वेब सीरीज द टेस्ट केस और हम तुम एंड देम में काम कर चुके हैं। एकता टीवी की दुनिया में काफी मशहूर हैं, ऐसे में क्या वह उनके द्वारा निर्मित किसी टीवी शो का हिस्सा बनना चाहेंगे?


इस पर अक्षय ने कहा, क्यों नहीं? बिल्कुल। अगर एकता को लगता है कि उनके द्वारा निर्मित किसी टीवी शो के लिए मैं ठीक हूं, तो फिर क्यों नहीं करूंगा। सिर्फ एक बात यह है कि भारत में टीवी शोज जिस तरीके से काम करते हैं..सारे डेली सोप हैं, तो ऐसे में यह एक लंबी प्रतिबद्धतता है। इसमें पूरे साल का समय देना होता है और मैं एक साल में कई सारी परियोजनाओं में काम करना चाहता हूं। यही बस एक दुविधा है।


इम्यूनिटी सिस्टम पड़ सकता है कमजोर

कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है. लॉकडाउन के चलते कई लोग वर्क फ्रॉम होम भी कर रहे हैं. इस दौरान वो लैपटॉप की स्क्रीन या फिर अपने मोबाइल फोन के संपर्क में कई घंटे रहते हैं. काम खत्म होने के बाद भी कुछ लोग मोबाइल स्क्रॉल करते रहते हैं जिससे वजह से उन्हें नींद आने में काफी परेशानी होती है. रात को देर से सोना और सुबह शिफ्ट के लिए जल्दी उठ जाने से कई बार लोगों की नींद पूरी नहीं होती है जिसका सीधा असर न केवल उनके चेहरे और स्वभाव पर पड़ता है बल्कि उनकी इम्यूनिटी पावर भी काफी कमजोर हो जाती है. लेकिन क्या आप कम सोने के नुकसान जानते हैं
इम्यूनिटी सिस्टम पर पड़ता है बुरा असर:
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आप कम नींद लेते हैं तो इम्यूनिटी काफी कम हो सकती है. हालांकि कमजोर इम्यूनिटी के पीछे और भी कई वजहें जिम्मेदार हो सकती हैं.
सेक्सुअल डिसऑर्डर की समस्या:
नींद कम ले पाने का सीधा प्रभाव लोगों की यौन क्षमता पर भी पड़ता है. दरअसल, टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन की वजह से ही महिलाओं और पुरुषों में यौन संबंध बनाने की इच्छा होती है. जब आप सोते हैं तो टेस्टोस्टेरॉन का लेवल बढ़ जाता है.
याददाश्त होती है कमजोर:
कम नींद लेने से लोगों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है. इसका सीधा असर उनकी याददाश्त पर भी पड़ता है. लोगों की लॉन्ग टर्म मेमोरी प्रभावित होती है और वो बातों को काफी जल्दी भूलने लगते हैं.
निर्णय लेने की क्षमता होती है प्रभावित:
कम नींद लेने से आपकी निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. कई बार आपने शायद ऐसा महसूस किया होगा कि आप किसी बात को लेकर क्विक डिसिजन नहीं ले पा रहे हैं और निर्णय लेने के बाद भी आप उसे लेकर श्योर नहीं हैं. नींद कम लेने की वजह से अक्सर निर्णय लेते वक्त लोग असमंजस का शिकार हो जाते हैं.
बढ़ सकता है स्ट्रेस:
कम नींद लेने का सीधा असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. दरअसल, सोने से दिमाग फ्रेश रहता है और ऊर्जा से भरा रहता है. लेकिन जब नींद पूरी नहीं हो पाती है तो दिमाग भी फ्रेश नहीं महसूस करता हैं. यही वजह है कि कम नींद लेने से स्ट्रेस बढ़ सकता है.


ऑनलाइन घर से काम और चर्बी

मनोज सिंह ठाकुर


कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश लॉकडाउन में के चलते कई ऐसे लोग हैं जो वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं. वर्क फ्रॉम होम यानी ऑफिस का काम घर से ऑनलाइन करना. वर्क फ्रॉम होम सुनने में जितना आसान लगता है वास्तविकता में ऐसा होता नहीं है. दरअसल, ऑफिस में टेबल चेयर और एक सिस्टम पर काम करना ज़्यादा प्रोफेशनल होता है. वर्क फ्रॉम होम के दौरान शायद ज़्यादातर लोग ऐसे होंगे जो अपना लैपटॉप लेकर या तो बिस्तर पर बैठे काम कर रहे होंगे या कुछ जमीन पर भी. ऐसे में कई बार स्ट्रेस काफी ज़्यादा तो होता ही है साथ ही पोश्चर सही न होने की वजह से पेट और कमर के आसपास की चर्बी भी बढ़ सकती है. आइए हेल्थलाइन के हवाले ऐसे जानते हैं कि किस तरह आप बेली फैट यानी पेट की चर्बी कम कर सकते हैं…
घुलनशील फाइबर का करें सेवन:
खाने में ऐसे आहार को शामिल करें जिसमें प्रचुर मात्रा में घुलनशील फाइबर पाया जाता है. यह फाइबर कैलोरी को सोख लेता है. घुलनशील फाइबर इन फ़ूड आइटम्स में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है:अलसी का बीज, शिराताकी नूडल्स, ब्रसल स्प्राउट, एवोकेडो, फलियां और काले शहतूत.
ट्रांस फैट वाले खाद्य पदार्थों से रहें दूर:
कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आयी है कि पेट की चर्बी बढऩे का ट्रांस फैट के ज़्यादा सेवन से गहरा कनेक्शन है. चाहे आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हों, ट्रांस फैट का खाने में कम से कम इस्तेमाल करें.
अल्कोहल बहुत कम मात्रा में लें:
अगर आप ज़्यादा मात्रा में शराब का सेवन करते हैं तो आपकी बेली फैट यानी कि तोंद बढ़ सकती है. अगर आप कमर के बढ़ते हुए घेरे को कम करना चाहते हैं तो शराब का सेवन बिलकुल संतुलित मात्रा में करें और चाहें तो न ही करें.
हाई प्रोटीन युक्त डाइट लें:
अगर आप अपनी कमर के आसपास के घेरे को कुछ कम करना चाहते हैं तो ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिनमें प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है. फिश, दाल, और बीन्स में प्रोटीन काफी मात्रा में पाया जाता है.
तनाव से रहें दूर:
तनाव आपकी कमर और पेट के आसपास की चर्बी को बढ़ा सकता है. लेकिन अगर आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो तनाव कम करना आपकी प्रायोरिटी लिस्ट में शामिल होना चाहिए. दरअसल स्ट्रेस से एड्रिनल ग्रंथि में कोर्टिसोल हार्मोन ज़्यादा मात्रा में बनने लगता है. कोर्टिसोल हार्मोन को स्ट्रेस हार्मोन कहा जाता है. रिसर्च में यह बात सामने आई है कि कोर्टिसोल हार्मोन की ज़्यादा मात्रा होने से भूख काफी तेज लगती है और इससे पेट की चर्बी बढ़ती है.


ओटीपी को लेकर एसबीआई का अलर्ट

नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक ने अपने ग्राहकों को नए तरीके से हो रहे साइबर क्राइम को लेकर अलर्ट किया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपने ग्राहकों के लिए एक चेतावनी जारी की है। इस चेतावनी में बैंक ने अपने ग्राहकों को एक नए तरह के साइबर क्राइम को लेकर चेताया है। बैंक ने कहा है कि कुछ धोखाधड़ियों में ग्राहकों के पास उनकी लोन ईएमआई को टालने के लिए उनसे कॉल पर ओटीपी मांगा गया है। एसबीआई ने एक ट्वीट में कहा, ‘ईएमआई को टालने के लिए ओटीपी शेयर करने की जरूरत नहीं होती है। कृपया अपना ओटीपी शेयर ना करें।’ SBI के सोशल मीडिया पर वायरस हो रही उन खबरों को फेक खबर बताया, जिसमें EMI टालने के लिए OTP साझा करने की बात कही जा रही है। SBI ने अपने ग्राहकों को सतर्क करते हुए कहा कि लोगों को लोन की ईएमआई रुकवाने के लिए अपना ओटोपी साझा करने के लिए कहा जा रहा है। बैंक से साफ किया है कि ऐसी कोई भी एडवाइजरी या निर्देश बैंकों की ओर से नहीं दिए गए हैं।


बैंक ने कहा कि EMI टालने के लिए OTP साझा करना जरूरी नहीं है। एक बार ओटीपी साझा करने के बाद साइबर क्रिमिनल्स और हैकर्स आपके खाते से पैसे निकालकर आपका अकाउंट खाली कर सकते हैं। ऐसे में बैंक ने ट्वीट कर, ग्राहकों को ईमेल और SMS भेजकर अलर्ट किया है कि वो किसी से भी अपना OTP साझा न करें। बैंक ने ट्वीट मकिया है कि EMI डिफर्मेंट के लिए OTP शेयरिंग की आवश्यकता नहीं है। बैंक ने ग्राहकों को सलाह दी है कि वो ईएमआई डिफर्मेंट स्कीम के बारे में जानकारी के लिए बैंक की वेबसाइट से ही जानकारी लें। बैंक ने कहा कि EMI टालने के लिए OTP साझा करना जरूरी नहीं है। एक बार ओटीपी साझा करने के बाद साइबर क्रिमिनल्स और हैकर्स आपके खाते से पैसे निकालकर आपका अकाउंट खाली कर सकते हैं। ऐसे में बैंक ने ट्वीट कर, ग्राहकों को ईमेल और SMS भेजकर अलर्ट किया है कि वो किसी से भी अपना OTP साझा न करें। बैंक ने ट्वीट मकिया है कि EMI डिफर्मेंट के लिए OTP शेयरिंग की आवश्यकता नहीं है। बैंक ने ग्राहकों को सलाह दी है कि वो ईएमआई डिफर्मेंट स्कीम के बारे में जानकारी के लिए बैंक की वेबसाइट से ही जानकारी लें।


बता दें कि कोरोना माहामारी (Coronavirus Pandemic) के चलते लॉकडाउन की स्थिति को देखते हुए RBI ने सभी भारतीय बैंकों / भारतीय वित्तीय संस्थानों को यह अनुमति दी है कि वे 1 मार्च 2020 से 31 मई, 2020 के बीच अपने EMI भुगतानों पर 3 महीने तक के ग्राहकों को राहत दे सकते हैं. यानी ईएमआई को आगे बढ़ा सकते हैं। आरबीआई की सलाह के बाद सरकारी के साथ प्राइवेट बैंकों ने इसका फायदा ग्राहकों को दिया है।


यूपी विधायकों के वेतन पर गाज

लखनऊ। केंद्र सरकार की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सभी विधायकों की 30 प्रतिशत सैलरी कम करने की तैयारी में है। इतना ही नहीं सभी विधायकों की निधि 2 साल के लिये सस्पेंड की जाएगी। दो साल तक विधायक निधि कोविड-19 (COVID-19) की महामारी के लिए उपयोग की जाएगी।


योगी सरकार इसके लिए जल्द ही अध्यादेश लाएगी।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए सांसद निधि के फंड को दो साल तक के लिए स्थगित कर दिया है। इसके साथ ही कोरोना से निपटने के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सांसदों के वेतन में तीस फीसदी कटौती का भी फैसला लिया है। यह फैसला 1 अप्रैल 2020 से लागू माना जाएगा। इस फैसले के तत्काल बाद ही राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपालों ने भी स्वेच्छा से साल भर तक तीस फीसद कम वेतन लेने का ऐलान किया है। केंद्र सरकार के इस फैसले का सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्वागत किया है। यूपी सरकार भी सभी विधायकों की सैलरी में कटौती और विधायक निधि को दो साल के लिए सस्पेंड करेगी। केंद्र के फैसले की कॉपी मिलने के बाद यूपी सरकार अध्यादेश के जरिए इसे लागू करेगी।
सपा का समर्थनः सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया भी आनी शुरू हो गई है। समाजवादी पार्टी ने इसका समर्थन किया है, लेकिन साथ ही कहा है कि सरकार को एक-एक पैसे का हिसाब भी देना होगा। समाजवादी पार्टी के अनुराग भदौरिया ने कहा कि जितनी सैलरी काटनी हो सरकार काट सकती है। संकट की इस घड़ी में सभी साथ हैं, लेकिन सरकार को जनता को हिसाब भी देना होगा। सरकार को ये भी बताना होगा कि पैसों का कहां और कैसे इस्तेमाल किया गया।


बीजेपी एमएलसी पहले ही कर चुके हैं ऐलान
कोरोना के खिलाफ जंग में प्रधानमंत्री के आह्वान का असर उत्तर प्रदेश में भी दिखने लगा है। बीजेपी के महामंत्री और एमएलसी विजय बहादुर पाठक ने दो साल की विधायक निधि की पांच करोड़ की राशि मुख्यमंत्री को सौंपने का ऐलान किया है। बीजेपी नेता ने इसकी जानकारी ट्वीट कर के दी है। न्यूज़ 18 से बातचीत में विजय बहादुर पाठक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से प्रेरणा लेते हुए वे अपने वेतन में भी तीस फीसदी कटौती कराएंगे। इसके लिए वे सभापति विधानपरिषद को चिट्ठी लिखकर अनुरोध करेंगे।


सौतेली बेटी से रेप करता रहा बाप

नागपुर। रिश्ते को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है। हैवान बाप अपनी सौतेली बेटी का पिछले चार साल से रेप कर रहा था। पुलिस ने सोमवार को बताया कि नागपुर में जरीपटका इलाके में एक 53 वर्षीय व्यक्ति पर उसकी नाबालिग सौतेली बेटी के साथ पिछले चार साल से बलात्कार करने का मामला दर्ज किया गया है।


एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि आरोपी अपनी सौतेली बेटी को पॉर्न वीडियो दिखाता था और घर के भीतर ही उसका रेप करता। अब वह 17 साल की है। यह वह पिछले चाल साल से किया करता था। उन्होंने कहा कि पीड़िता की मां घटना के बारे में पता चलने पर दो बार घर छोड़कर चली गई थी, मगर बाद में फिर आरोपी के पास लौट आई। हालांकि, जब 1 अप्रैल को आरोपी ने फिर उसकी बेटी का रेप किया, तो मां इस बार चुप नहीं बैठी और उनसे पुलिस से संपर्क किया और मामला दर्ज कराया। अधिकारी ने बताया कि आरोपी पिता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।


रेलवे प्रणाली-सारणी में करेगा बदलाव

नई दिल्ली। रेलवे 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म होने के बाद संभावित ट्रेन परिचालन को लेकर तैयारियों में जुट गया है। कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने को लेकर कुछ प्रस्तावों पर विचार कर रहा है। इसके तहत यदि परिचालन शुरू किया जाता है तो यात्रियों को मास्क पहनने के निर्देश देने समेत उनके स्वास्थ्य की जांच करने और यात्रियों के बीच दूरी रखने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।


लॉकडाउन के मद्देनजर स्थगित की गई यात्री सेवाएं कब बहाल होंगी, इस बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है लेकिन अधिकारियों ने कहा है कि सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद इसे चरणबद्ध तरीके से बहाल किया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन सेवाएं बहाल करने के बारे में फैसला आगामी हफ्ते में लिए जाने की संभावना है।


एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह संवेदनशील समय है और हम फिलहाल राजस्व अर्जित करने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। मुख्य जोर यात्री सुरक्षा पर और (कोरोना वायरस) महामारी के नहीं फैलने पर है। सरकार जब हरी झंडी दिखा देगी तब समय आने पर ट्रेनें चलेंगी। हालांकि अभी तक हमने कोई फैसला नहीं लिया है। रेलवे के विभिन्न जोनों में अधिकारी उन ट्रेनों और मार्गों को चिह्नित कर रहे हैं जिन्हें बोर्ड की मंजूरी के साथ बहाल किया जा सकता है। अधिकारियों ने कहा कि मुख्य तौर पर ध्यान इस पर देना है कि क्या प्रवासी कामगारों को ले जाने वाले मार्गों और जो लोग यात्रा नहीं कर रहे हैं तथा कोविड-19 के अत्यधिक संक्रमण वाले स्थानों पर रुके हुए हैं, को शुरू में बहाल किया जा सकता है।


उन्होंने कहा कि रेलवे को यह भी ध्यान में रखना होगा कि लॉकडाउन कैसे खुलने वाला है। यदि यह चुनिंदा तरीके से होता है तो फिर ट्रेनें सिर्फ उन्हीं इलाकों में परिचालित होंगी जहां लॉकडाउन (उस वक्त) हट गया होगा। रेलवे द्वारा 19 मार्च के उस आदेश को भी जल्दबाजी में रद्द नहीं करने की संभावना है, जिसके तहत यह कहा गया था कि अनावश्यक यात्रा को हतोत्साहित करने के लिए लॉकडाउन के बाद की भी अवधि में रोगियों, छात्रों और दिव्यांगों को छोड़ कर अन्य यात्रियों के लिए किराये में रियायत स्थगित की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन सेवाएं बहाल होने के बाद यात्रियों की सुरक्षा के लिए जरूरी प्रोटोकॉल पर भी रेलवे चर्चा कर रहा है। वे ट्रेनों में सवार होने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग और अन्य तरीकों से जांच करने पर भी विचार कर रहे हैं।


रेलवे के व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण को डीआरडीओ की हरी झंडी


उत्तर रेलवे के वर्कशॉप में बने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) के दो नमूनों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हरी झंडी दे दी है। इससे रेलवे इकाइयों में इनके उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। ये उपकरण रक्त या शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ को रोक पाने में कारगर साबित हुए हैं।
उत्तर रेलवे ने रविवार को कहा-अब इन पीपीई का विनिर्माण भारतीय रेल द्वारा किया जाएगा, इसे रेलवे अस्पतालों में कोविड रोगियों का इलाज करने वाले चिकित्सक इस्तेमाल करेंगे। उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे चिकित्साकर्मियों के लिए पीपीई की काफी कमी है। उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने बताया कि अभी रेलवे प्रतिदिन 20 पीपीई बना पा रहा है, लेकिन आने वाले हफ्तों में प्रतिदिन 100 बनाने में सक्षम होगा।


13 लाख रेल कर्मियों को आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करने को कहा


भारतीय रेलवे ने अपने 13 लाख कर्मचारियों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य मंत्रालय के एप आरोग्य सेतु को डाउनलोड करने के लिए कहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो अप्रैल को यह एप शुरू किया था। इस मोबाइल एप से लोगों को यह पता लगाने में मदद मिलती है कि उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा है या नहीं।


इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल इंफोर्मेटिक्स सेंटर ने विकसित किया है। रेलवे ने कहा कि यह एप भारत में कोरोना वायरस संकट से निपटने में काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। शुरू किए जाने के बाद सिर्फ तीन दिनों में ही आरोग्य सेतु एप को गूगल प्ले स्टोर से 50 लाख से अधिक लोगों ने डाउनलोड किया है। यह एप 11 भाषाओं में उपलब्ध है।


भारत की मदद को आगे आया चीन

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भारत को चीन ने पीपीई किट दान किया है। कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज में चिकित्साकर्मियों के इस्तेमाल में आने वाले निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की 1.7 लाख किट चीन से भारत को सोमवार को मिल गई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि चीन ने भारत को कोरोना संकट से निपटने के लिये सहायता के रूप में ये किट दी हैं।


मंत्रालय के अनुसार, देश में निर्मित 20 हजार पीपीई की आपूर्ति होने के साथ ही अब अस्पतालों को 1.90 लाख पीपीई की आपूर्ति कर दी जाएगी। देश में पीपीई की मौजूदा उपलब्धता 3,87,473 हो गयी है। मंत्रालय के अनुसार राज्यों को केन्द्र सरकार की ओर से अब तक 2.94 लाख पीपीई की आपूर्ति कर दी गयी है। इसके अलावा देश में ही बने दो लाख एन95 मास्क भी अस्पतालों को मुहैया कराये गये हैं। इसके अलावा अन्य स्रोतों से मिले इस श्रेणी के 20 लाख मास्क की पहले ही अस्पतालों को आपूर्ति कर दी गयी है।


जानें क्या है पीपीई
पीपीई किट यानी पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स। नाम से ही स्पष्ट है कि ऐसे सामान जिससे संक्रमण से खुद को बचाने में मदद मिले। कोरोना वायरस चूंकि संक्रामक बीमारी है इसलिए इससे बचने के लिए लोग मास्क पहन रहे हैं, बार-बार हाथ साफ कर रहे हैं, लोगों से दूरी बनाकर बात कर रहे हैं। आम लोगों तो मास्क और दास्ताने का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन कोरोना मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टर, नर्स, कंपाउंडर और मेडिकल स्टाफ को सिर से पांव तक वायरस संक्रमण से बचाव के लिए कई तरह की चीजें पहननी होती हैं और ये सारी चीजें पीपीई किट्स हैं।


अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग तरह के पीपीई किट्स हो सकते हैं लेकिन आम तौर पर मास्क, ग्लोव्स, गाउन, एप्रन, फेस प्रोटेक्टर, फेस शील्ड, स्पेशल हेलमेट, रेस्पिरेटर्स, आई प्रोटेक्टर, गोगल्स, हेड कवर, शू कवर, रबर बूट्स इसमें गिने जा सकते हैं। इनमें से बहुत कुछ पहने डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ हम-आप आए दिन देखते रहते हैं। इन सारी चीजों का मकसद एक ही है- मरीज से वायरस इलाज कर रहे लोगों में ना फैल जाए। हालांकि हमने दिल्ली समेत पूरे देश में देखा है कि कोरोना मरीजों का इलाज करते-करते कई डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ खुद कोरोना के मरीज बन गए हैं। हालांकि ये साफ नहीं हो पाया है कि इन लोगों में संक्रमण कैसे फैला- इलाज के दौरान पीपीई किट का इस्तेमाल नहीं हुआ या पीपीई किट पहनने के बाद भी कोरोना वायरस ने संक्रमित कर लिया।


पीपीई किट में जितने भी तरह के सामान आते हैं, सबके इस्तेमाल करने के नियम और तौर-तरीके हैं। हर सामान को पहनने का सही तरीका है। ऐसा नहीं हो तो पहनने के बाद भी संक्रमण का खतरा बना रहता है। डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को इस्तेमाल से पहने ये देखना होता है कि किस तरह के पीपीई किट की जरूरत है। फिर उसे कैसे सही तरीके से पहनना है, एडजस्ट करना है, ये भी देखना होता है। इस्तेमाल के बाद पीपीई किट को सही तरह से कचरे में फेंकना ताकि उससे आगे किसी को संक्रमण ना हो, इसका बहुत ज्यादा ध्यान रखना होता है।


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