शनिवार, 13 जुलाई 2019

जीजेयू के वीसी का नियंत्रण हुआ फेल: हरियाणा

राणा ओबराय
जीजेयू के वीसी का नियंत्रण हुआ फेल*
जीजेयू द्वारा संचालित दूरस्थ शिक्षा केंद्र एफसी कॉलेज केंद्र में आज फिर हुआ हंगामा" 85 बच्चों को नहीं मिला शिक्षा देने का अभी तक मौका!
हिसार ! जीजेयू द्वारा संचालित दूरस्थ शिक्षा परीक्षा केंद्र में आज फिर हुआ हंगामा" 85 बच्चों को नहीं मिला शिक्षा देने का अभी तक मौका! परीक्षार्थी और उनके माता पिता का आरोप है कि परीक्षा केंद्र के अधीक्षक और उनके स्टाफ ने उनके साथ धक्के मुक्की की और केंद्र से बाहर निकलने के लिए कहा। बच्चो के माता पिता ने इस दुर्व्यवहार का दोषी यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर टंकेशेवर सचदेवा को माना है। एक बच्चे की माता ने कहा जीजेयू के उपकुलपति का नियंत्रण।बिल्कुल ही फेल है।


नए नियम -नियमावली से होगी पत्रकारिता

देशभर में पत्रकारों के लिए लागू होने जा रही है नियमावली,प्रेस कार्ड जारी करने से लेकर पंजीकरण और शैक्षणिक योग्यता का होगा निर्धारण



नईदिल्ली ! पत्रकारिता जगत में असामाजिक तत्वों के प्रवेश से चिंतित केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा समाचार पत्रों के पंजीकरण, समाचार पत्र-पत्रिका व टीवी चैनल तथा न्यूज एजेंसी द्वारा जारी प्रेस कार्ड के लिए नियमावली तैयार की जा रही है तथा मौजूदा नियमावाली में संशोधन किए जाने पर गंभीरता से मंथन चल रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार देशभर में बढ़ रहे अखबारी आंकड़े और पत्रकारों की बढ़ रही संख्यां से पाठकों की जागरूकता में वृद्धि हुई है। वहीं कुछ ऐसे चेहरों ने भी पत्रकारिता जगत में दस्तक दे दी है, जिसके कारण पत्रकारिता पर सवालिया निशान लगने शुरू हो गए है।
*पत्रकारिता क्षेत्र में होगी शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य*
बता दें कि समाचार पत्र, पत्रिका के पंजीकरण के बाद प्रकाशक व संपादक एक-दो अंक प्रकाशित कर अनगिनत लोगों को प्रेस कार्ड जारी कर देते है, जिनका पत्रकारिता से कोई लेना देना नहीं होता। ऐसे चेहरों की बदौलत पत्रकारिता पर जरूर उंगलियां उठती है।
हर गावं शहर मे कुछ तथाकथित पत्रकार या समाचार पत्र मालिको ने कुछ लोगो को पैसे लेकर प्रेस कार्ड जारी कर रखे है जो पुलिस एवं टोलटेक्स नाको पर धोंस जमाते हैं. एेसे तथाकथित पत्रकारो से असली पत्रकार भी परेशान हो रहे है । पुलिस, प्रशासन एवं टोलटेक्स नाके वाले असली नकली मे फर्क नही कर पाते है। अब इस नियम के लागू होने पर तथाकथित फर्जी पत्रकारो से पुलिस प्रशासन पुछताछ कर उन सरगनाओ तक पहुचं सकेगी जिन्होने पैसे लेकर प्रेसकार्ड जारी कर रखे हैं.।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय समाचार पत्र, पत्रिका के पंजीकरण के लिए आवेदक की शैक्षणिक योग्यता पत्रकारिता में डिग्री की शर्त को अनिवार्य करने जा रहा है।
*समाचार पत्रों का प्रकाशन बंद कर सकती है केंद्र सरकार*
दैनिक समाचार पत्रों, न्यूज एजेंसियों व टीवी चैनल के रिपोर्टर के लिए संबंधित जिला मैजिस्ट्रेट की स्वीकृति उसकी पुलिस वैरीफिकेशन होने उपरांत जिला सूचना एवं लोक संपर्क विभाग द्वारा प्रेस कार्ड तथा प्रैस स्टीकर जारी किए जाने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है। अन्य समाचार पत्र, पत्रिकाओं के प्रकाशक व संपादक का प्रैस कार्ड सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी किया जाएगा। सरकारी तंत्र द्वारा जारी प्रेस कार्ड व प्रेस स्टीकर ही मान्य होंगे।
केंद्र सरकार द्वारा उन समाचार पत्र व पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद किया जा सकता है जिन्होंने पिछले तीन वर्ष से अपनी वार्षिक रिपोर्ट जमा नहीं करवाई।
*प्रेस कार्ड बेचने वालों पर दर्ज होगा अपराधिक मामला*
चर्चा तो यह भी है कि किसी भी क्षेत्र से अपना प्रतिनिधि नियुक्त करने वाला दैनिक समाचार पत्र, न्यूज चैनल, न्यूज एजेंसीज को प्रतिनिधि नियुक्त करने के लिए जिला मैजिस्ट्रेट को आवेदन करना होगा, जो जिला सूचना व संपर्क अधिकारी की तस्दीक उपरांत स्वीकृति प्रदान करेंगे।
जिला सूचना व संपर्क अधिकारी अपनी रिपोर्ट में दर्शाएंगे कि अमूक दैनिक समाचार पत्र, न्यूज चैनल, न्यूज एजेंसीज को इस क्षेत्र से प्रतिनिधि की जरूरत है।
संशोधित नियमावाली के चलते प्रैस कार्ड की खरीद-फरोख्त तथा प्रेस लिखे वाहनों पर सरकारी तंत्र की नजर रहेगी। तथ्य पाए जाने उपरांत अपराधिक मामला कार्ड धारक, कार्ड जारी करने वाले हस्ताक्षर तथा प्रैस लिखे वाहन के मालिक पर दर्ज होगा। जाहिर है केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की इस संभावित योजना पर अमल होने से पत्रकारिता का मानचित्र बदल जाएगा।
क्या कहती है पुलिस?
हम खुद प्रेस कार्ड वालो से परेशान है कैसे पता किया जाये की कौन सही पत्रकार है और कौन फर्जी इसके लिये जैसे ही आदेश आते है प्रेस लिखे सभी वाहनों की जाँच की जायेगी और जो भी सूचना जनसम्पर्क विभाग की लिस्ट मै नही होगा उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा।


लेखन का लाभ? (संपादकीय)

 


अपनी किस से यारी है , आज इसकी तो कल उसकी बारी है - ब्लॉग लेखन विशेष


एक मित्र ने मुझसे कहा कि - क्या मधुकर जी आप गाय पर भी ब्लॉग लिख सकते हो ?क्या शहर में दूसरी कोई समस्या या विषय नहीं मिला क्या आपको ?


मैंने कहा भाई ! गाय ?तुम गाय कह रहे हो मैं तो कुत्ते पर भी ब्लॉक लिख सकता हूं । बशर्ते कोई शहर का नेता अथवा अधिकारी कुत्ते से भी गई गुजरी कोई हरकत कर दे तो । अपनी किस से यारी है आज इसकी तो कल उसकी बारी है।


गाय तो फिर भी एक 'धार्मिक' पशु है। और यदि मेरे ब्लॉग लिखने से एक घायल पशु का भला होने की संभावना उत्पन्न होती है, तो इसमें हर्ज ही क्या है ?और वैसे भी लिखने के लिए मुझे कौन से पैसे देने पड़ते हैं । शहर में लोग पैसे दे देकर ब्लॉग लिखवा रहे हैं । किराये के पत्रकार साथ बिठाकर।और अपने नाम से चला रहे हैं। ऐसे में मैं अगर खुद प्रयास करके रोज एक दो ब्लॉग लिख लेता हूं । तो उसमें विषय क्या है , इस पर मेरे ख्याल से कोई बहुत विशेष सोचने वाली बात नहीं है।
क्या घटित हुआ है वह तो लोग अन्य मीडिया माध्यमों से जान हीं लेते हैं । और उन माध्यमों में जिस तरह से लिखा जाता है वह केवल घटना का ब्यौरा मात्र होता है। जिसमें केवल यह बताया जाता है कि क्या घटित हुआ है। और कहां घटित हुआ है । थोड़ा और अच्छा लिखने वाले यह भी लिख देते हैं कि कैसे और किन कारणों से घटित हुआ है। परंतु जो घटित हो रहा है उसके बारे में अपने विचार रखना मेरे ख्याल में ब्लॉग लेखन है। और यह कर पाना उसी के लिए संभव है जो सब खबरें पड़ता है , और उन पर विचार करके अपना मत या नजरिया लिख कर लोगों तक पहुंचाता है। ताकि लोग उस नजरिया से उस घटना को देखकर अपनी राय बना सके। सच पूछो तो खबर लिखने वाले और ब्लॉग लिखने वाले में यही एक बहुत बड़ा अंतर है। जो कि अधिकांश लोग नहीं समझ पाते हैं। और अपुन तो ठहरे कलाकार आदमी ... जो ब्लॉग लिखने से पहले ग़ज़ल और कविताएं ही लिखा करते थे। वह भी कितनी अच्छी लिखते थे, उसका अता पता नहीं । बस अपना मन खाली करने के लिए लिखा करते थे। जब देखा कि सोशल मीडिया पर लोग कविताएं और ग़ज़ल जैसी चीजें पढ़कर हल्की-फुल्की तारीफ करने लगे। तो एक दिन विचार आया कि क्यों ना ज्वलंत मुद्दों पर भी अपना विचार लिखकर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाए। यह यात्रा कोई 3 साल पहले शुरू हुई होगी। जिसके अंतर्गत तकरीबन 21 सौ ब्लॉग अब तक लिख चुका हूँ। बहुत संतुष्टि का अनुभव करता हूं। इस यात्रा के बीच में मैंने यह पाया है कि जो कुछ भी आपके आसपास घटित हो ,उसे यदि आप ध्यानपूर्वक देखकर उसके बारे में लिखकर लोगों तक पहुंचाएं , तो भी वह एक तरह से आपके अनुभव को लोगों से साझा करने से लोगों का ज्ञान बढ़ाने के ही काम आता है। और कुछ नहीं तो अपने अनुभव साझा करने से असीम संतुष्टि ज़रूर मिलती है।ब्लॉग लेखन के दौरान अब महसूस होने लगा है की , लोग अपनी समस्याएं कॉल कर के मुझ तक पहुंचाने लगे हैं । और उम्मीद भी करते हैं कि मैं उनके दिए हुए विषय पर भी कुछ लिखूं।अधिकांश लोगों के दिए हुए विषयों पर मैं पूरा प्रयास करता हूं कि जल्द से जल्द लिख कर आप लोगों के साथ साझा करूं। परंतु सभी पर नहीं लिख पाता हूँ। क्योंकि अकेले इंसान के लेखन की भी कुछ सीमाएं होती हैं। इसलिए बाकी लोगों से माफी मांग लेता हूँ।फिर भी मैं राजनीति के दल दल से दूर हटकर इस लेखन क्षेत्र में आकर बहुत खुश हूँ। क्योंकि राजनीति की तरह इस क्षेत्र में आपको आपसे कम योग्य इंसान के सामने शीश झुकाना नही पड़ता। और आपकी अंतरात्मा सदैव जीवित रहती है।


नरेश राघानी


बारिश ने ली 15 लोग,23 जानवरों की जान

कई राज्यों में भारी बारिश से बिगड़े हालात


लखनऊ ! जहां देश में कई इलाके मानसून की बारिश के लिए तरस रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई राज्यों में बारिश आफत बन गई है। भारी बारिश से जनजीवन प्रभावित होने के साथ जान-माल का भी नुकसान हुआ है। उत्तर प्रदेश के 14 जिलों में बीते तीन दिन में आई तेज बारिश और तूफान के चलते 15 लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा 23 जानवरों की भी मौत हो गई है और 133 इमारतों को नुकसान पहुंचा है।


बिहार में बाढ़ के कारण जीवन अस्तव्यस्त हो चुका है। उत्तर बिहार की हालत सबसे ज्यादा खराब है। यहां शुक्रवार को भी लगातार पांचवें दिन भारी बारिश हुई है। नदियों के उफान के चलते निचले इलाकों में पानी भर गया है। बारिश के कारण घरों के गिरने से 11 लोगों की मौत हो गई है। पूर्वोत्तर के राज्य भी बारिश और बाढ़ से प्रभावित हैं। जिसमें अब तक 10 लोगों की मौत हो गई है। सबसे अधिक छह लोगों की मौत असम में हुई है। असम में आई बाढ़ के कारण 21 जिले और साढ़े आठ लाख लोग प्रभावित हैं।


पानी भर जाने के कारण लंबडिंग-बदरपुर रेल मार्ग से यातायात को रोक दिया गया है। बारिश के कारण हुई घटनाओं से मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में भी दो-दो लोगों की मौत हो गई है। हिमाचल में बारिश के कारण छह सड़कें बंद पड़ी हैं। जिसमें शिमला में पांच सड़क और एक कांगड़ा जोन में है। शिमला के सोलन सर्कल में एक, नाहन में तीन और कांगड़ा के डलहौजी में एक सड़क बंद पड़ी है।


100 करोड़ का घोटाला,मुकदमा,सीबीआई जांच

100 करोड़ के विज्ञापन घोटाले में रेलवे अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा


नई दिल्ली ! सीबीआई ने पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) और कुछ कर्मचारियों के खिलाफ 100 करोड़ रुपये के विज्ञापन घोटाले में मामला दर्ज किया है। सीबीआई के मुताबिक, रेलवे अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने ऐसे पत्र-पत्रिकाओं के नाम से बिल भुगतान किया, जिनका प्रसार ही नहीं था।


जांच एजेंसी ने वरिष्ठ पीआरओ दिलीप चंद्र बोरा, कार्यालय अधीक्षक हर्धन डे और बाबुल चंद्र मेधी, मुख्य प्रचार निरीक्षक एमएमवाई आलम, लेखा सहायक हितेश डेका और वरिष्ठ कैशियर प्रबीर दास पुरकायस्थ को नामजद किया है। घोटाला 2014-18 के बीच का बताया जा रहा है।


लोकसभा अध्यक्ष की पहल संसद में सफाई-अभियान


लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर संसद परिसर में सफाई अभियान।
काश! भाजपा के सांसद अपने संसदीय क्षेत्रों में ऐसा करते।

 नई दिल्ली ! लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के नेतृत्व में संसद भवन परिसर में सफाई और ड्रीमगर्ल के नाम से विख्यत फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी से लेकर केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाथ से झाडू लेकर संसद परिसर में सफाई की। यह अभियान 14 जुलाई रविवार को भी जारी रहेगा। ओम बिरला की इस पहल की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेडियो पर मन की बात के अगले संस्करण में या फिर किसी सार्वजनिक समारोह में कर देंगे। वैसे बिरला की इस पहल में कोई बुराई भी नहीं है, लेकिन अच्छा होता कि भाजपा के सभी सांसद अपने अपने संसदीय क्षेत्रों में सफाई अभियान चलाते। भाजपा के सांसद अपने क्षेत्र के हालात देखेंगे तो उन्हें पता चलेगा कि कितनी गंदगी फैली हुई है। वर्षों से नालों की सफाई नहीं हुई है तो बीच सड़क पर कचरा डिपो बना रखे हैं। संसद भवन तो दिल्ली के गिने चुने सरकारी भवनों में से एक है और वैसे भी इन दिनों संसद चल रही है, इसलिए गंदगी होने का सवाल ही नहीं उठता। ऐसे में सांसदों को अपने अपने क्षेत्रों में जाकर हालात देखने चाहिए। सांसदों को स्वच्छता अभियान के प्रति जागरुक करने में ओम बिरला महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। लोकसभा में भाजपा और सहयोगी दलों के सांसदों की संख्या 250 है और इसी प्रकार राज्यसभा में 100 सांसद हैं। यानि देश के 450 लोकसभा क्षेत्रों में सांसदों के भरोसे स्वच्छता अभियान चलाया जा सकता है। संसद परिसर में स्वच्छता अभियान तभी सफल होगा, जब ओम बिरला 450 सांसदों को सक्रिय कर देशभर में स्वच्छता अभियान चलवाएं। ओम बिरला इस काम को सही अंजाम दे सकते हैं। इस अभियान की शुरुआत ओम बिरला अपने कोटा संसदीय क्षेत्र से कर सकते हैं। यदि भाजपा और सहयोगी दलों के सांसद अपने-अपने क्षेत्रों में झाडू लेकर सफाई करते हैं तो देशभर में सकारात्मक संदेश जाएगा। इससे लोगों में सफई के प्रति जागरुकता भी होगी।
एस.पी. मित्तल


चुनाव में रखी पगड़ी,अब मिलने में गुरेज


चुनाव में तो पगड़ी तक रख दी थी, लेकिन मंत्री बनने के बाद समाज के लोगों से मिलने में भी गुरेज। अजमेर के ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि दो दिन तक इंतजार के बाद भी चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा से नहीं मिल सके।

अजमेर ! चुनाव के दौरान और चुनाव जीतने के बाद मंत्री बन जाने पर राजनेताओं का चरित्र कैसा होता है इसका आभास अजमेर के सर्व ब्राह्मण महासभा के प्रतिनिधियों को 11 व 12 जुलाई को जयपुर में हुआ। महासभा के जिला अध्यक्ष पंडित बलराम शर्मा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा से मिलने के लिए 11 जुलाई को जयपुर गया। इस प्रतिनिधि मंडल में संजय तिवारी, कपिल व्यास, नरेश मुदगल, पवन आदि पदाधिकारी शामिल थे। चूंकि गत परशुराम जयंती के मौके पर रघु शर्मा ने समाज का कार्य बताने के लिए कहा था इसलिए प्रतिनिधि मंडल जयपुर गया। 11 जुुलाई को दोपहर को जयपुर पहुंचते ही पंडित बलराम शर्मा ने मंत्री के पीए को मोबाइल पर सूचना दे दी। मंत्री के पीएम ने कहा कि फुर्सत मिलते ही आपको बुलवा लिया जाएगा। चूंकि मसूदा के विधायक राकेश पारीक भी समाज के ही हैं इसलिए प्रतिनिधि मंडल जयपुर स्थित उनके सरकारी आवास पर पहुंच गया। परीक ने समाज के लोगों का पूरा मान सम्मान किया और मंत्री के बुलाने तक उनके घर पर ही इंतजार करने के लिए कहा। रात आठ बजे तक समाज के प्रतिनिधि मंत्री को फोन करते रहे, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। 12 जुलाई को सुबह समाज के लोग मंत्री रघु शर्मा के सिविल लाइन स्थित सरकारी आवास पर पहुंच गए। समाज के लोगों को उम्मीद थी कि अब तो मंत्रीजी से मुलाकात हो ही जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मंत्री प्रभावशाली लोगों से लगातार मिलते रहे लेकिन समाज के लोगों को मिलने के लिए नहीं बुलाया। जब बेबस समाज के बेबस प्रतिनिधि इंतजार कर रहे थे कि तभी रघु शर्मा सरकारी कार में बैठ कर बंगले से चले गए। मंत्री के इस रवैये पर महासभा के जिला अध्यक्ष बलराम शर्मा ने अफसोस जताया है। शर्मा ने बताया कि लोकसभा के उपचुनाव में रघु शर्मा को जिताने के लिए ब्राह्मण समुदाय ने पूरी ताकत लगाई थी। तब एक समारोह में शर्मा ने अपनी पगड़ी समाज के सामने रखी और वायदा किया कि जीतने पर समाज का गुलाम बनकर सेवा करूंगा। उपचुनाव में शर्मा की जीत हुई और फिर केकड़ी में भी विधानसभा चुनाव के दौरान जीत हासिल हुई। लेकिन अब जब रघु शर्मा मंत्री बन गए हैं तो समाज के लोगों को ही सम्मान नहीं दे रहे हैं। बलराम शर्मा ने कहा कि रघु शर्मा उन्हें अच्छी तरह जानते हैं। वे शहर कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष भी हैं। यह बात भी रघु शर्मा को पता है। अपनी पीड़ा को लेकर बलराम शर्मा ने फेसबुक पर पोस्ट डाली है। अब इस पोस्ट पर ब्राह्मण समुदाय के लोग नाराजगी जता रहे हैं। लोगों का गुस्सा मंत्री के व्यवहार को लेकर है। जानकारों की माने तो रघु शर्मा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ भी ऐसा ही व्यवहार कर रहे हैं। बलराम शर्मा का कहना है कि जब रघु शर्म को समाज और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से मलने की फुर्सत नहीं है तो फिर उनके मंत्री होने का क्या फायदा है।



एस.पी.मित्तल


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लोगों के लिए 'पेयजल आपूर्ति' सुनिश्चित की जाएं  इकबाल अंसारी  चेन्नई। तमिलनाडु में गर्मी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए मु...