सोमवार, 19 दिसंबर 2022

संक्रमण से अधिक प्रभावित होती है 'गर्भवती' महिलाएं 

संक्रमण से अधिक प्रभावित होती है 'गर्भवती' महिलाएं 

इकबाल अंसारी 

हैदराबाद। तेलांगना की एक प्रसिद्ध स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ विमी बिंद्रा ने कहा कि गर्भवती महिला सामान्य महिला की तुलना में संक्रमण से अधिक गंभीर रूप से प्रभावित होती हैं। एंडोमेट्रियोसिस फाउंडेशन ऑफ इंडिया की संस्थापक डॉ विमी बिंद्रा द्वारा सोमवार को जारी यहां एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गयी। डॉ बिंद्रा ने कहा कि गर्भावस्था में सबसे आम संक्रमण हेपेटाइटिस बी और सी, टॉक्सोप्लाज़मोसिज़, दाद, जननांग दाद, रूबेला और एचआईवी हैं।

रूबेला, एक वायरल संक्रमण है, जिसके शुरूआती चरणों में ही बच्चा प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा कि रूबेला संक्रमण गर्भपात, मृत जन्म, बहरापन, मोतियाबिंद और मस्तिष्क क्षति का कारण बन सकता है। इस वायरस का प्रसवपूर्व रक्त परीक्षण के माध्यम से पता लगाया जा सकता है। डॉ. बिंद्रा ने कहा कि हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और एचआईवी ऐसे संक्रमण हैं जो एक बार गर्भावस्था के दौरान पाए जाने के बाद प्रसव तक और उसके बाद भी रहते हैं। गर्भावस्था के दौरान लगने वाले ये संक्रमण जीवन भर बने रहते हैं। इन संक्रमणों के सफल इलाज के बाद भी यह शरीर में लंबे समय तक सुप्त अवस्था में पाया गया है और परीक्षणों द्वारा इसका पता लगाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि महिलाओं में इन बीमारियों की सजगता को लेकर जागरुकता बहुत जरूरी है। डॉ बिंद्रा ने कहा, गर्भवती महिलाओं में कुछ संक्रमण तेजी से फैल जाते हैं। इनमें हेपेटाइटिस बी सेक्स और संक्रमित रक्त उत्पादों के सीधे संपर्क के माध्यम से फैलता है। हेपेटाइटिस बी आमतौर पर लिवर को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिला की समय पर जांच द्वारा इन संक्रमितों को फैलने से रोका जा सकता है और बच्चे को भी इन वायरस से बचाया जा सकता है। डॉ बिंद्रा का कहना है कि हेपेटाइटिस ई दूषित पानी और भोजन के माध्यम से फैलता है, जो यकृत को प्रभावित करता है।

डॉ. विमी ने कहा कि टोक्सोप्लाजमोसिज संक्रमण बिल्ली के मल के कारण उत्पन्न होता है, इसलिए बच्चे को बिल्लियों और कूड़े के संपर्क से दूर रखना चाहिए। डॉ. बिंद्रा ने कहा कि एचआईवी से पीड़ित माँ को बच्चे को स्तनपान नहीं कराना चाहिए, इससे बच्चे के संक्रमित होने का खतरा अधिक रहता है। परवोवायरस बी (जिसे थप्पड़ गाल रोग कहा जाता है) बच्चों में आम है और गाल पर दाने की विशेषता है।

आमतौर पर 60 प्रतिशत से अधिक महिलाएं इससे प्रतिरक्षित होती हैं, लेकिन यह अत्यधिक संक्रामक संक्रमण है जो गर्भावस्था के दौरान हो सकता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान नियमित समय पर जांच कराना चाहिए, जिससे अपने साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे को इन घातक संक्रमणों से सुरक्षित रख सकें। 

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