रविवार, 28 अगस्त 2022

न्याय प्रणाली को विज्ञान जांच से जोड़ने का लक्ष्य

न्याय प्रणाली को विज्ञान जांच से जोड़ने का लक्ष्य 

इकबाल अंसारी 

गांधीनगर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार ने दोषसिद्धि दर को विकसित देशों से भी अधिक करने और आपराधिक न्याय प्रणाली को फोरेंसिक विज्ञान जांच से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू), गांधीनगर के प्रथम दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि सरकार का लक्ष्य छह साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच को “अनिवार्य व कानूनी” बनाना है। उन्होंने कहा कि सरकार देश के सभी जिलों में फोरेंसिक जांच सुविधा उपलब्ध कराएगी और और यह सुनिश्चित करने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा कि जांच की स्वतंत्रता व निष्पक्षता बनी रहे। शाह ने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम में बदलाव करने जा रही है, क्योंकि किसी ने भी स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इन कानूनों को भारतीय परिप्रेक्ष्य में नहीं पाया। ”

मुख्य अतिथि के तौर पर समारोह को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, ”स्वतंत्र भारत में इन कानूनों को फिर से बनाने की जरूरत है। इसलिए, हम आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम में बदलाव के लिए बहुत से लोगों से परामर्श कर रहे हैं।” केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”इसके तहत हम छह साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच के प्रावधान को अनिवार्य और कानूनी बनाने जा रहे हैं।”

शाह ने इस अवसर पर एनएफएसयू में डीएनए फोरेंसिक केंद्र, साइबर सुरक्षा केंद्र और अन्वेषण एंव फोरेंसिक मनोविज्ञान केंद्र का भी उद्घाटन किया और कहा कि उन्हें यकीन है कि वे देश की आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए लाभकारी साबित होंगे। उन्होंने कहा ”ये तीन केंद्र शिक्षा और प्रशिक्षण के अलावा अनुसंधान व विकास के बड़े केंद्र भी होंगे… मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में नयी यात्रा के साथ, भारत इन तीन क्षेत्रों में फोरेंसिक विज्ञान का वैश्विक केंद्र बन जाएगा। हम इस दिशा में दुनिया में सबसे आगे रहेंगे।”

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