मंगलवार, 5 जुलाई 2022

अमरूद को सुपर फ्रूट कहें जाने के विशेष कारण

अमरूद को सुपर फ्रूट कहें जाने के विशेष कारण 

सरस्वती उपाध्याय 
कभी अमरूद को गरीबों का फल माना जाता था। लेकिन, अब इसके गुणों का लोहा पूरी दुनिया मानती है। यह एक पौष्टिक फल है, जो आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इसकी विशेषता यह भी है कि यह स्वास्थ्य को ठीक रखता है। इस विदेशी फल से भारत ने बहुत ही अपनापन दिखाया है।अब तो लगता है कि यह जैसे भारत का ही फल है। पूरी दुनिया में अमरूद की सबसे अधिक उपज वाले देशों में भारत का नाम शुमार है। विशेष बात यह है कि भारत उन देशों को भी अमरूद निर्यात करता है, जहां इसकी उत्पत्ति हुई है।
अमरूद को सुपर फ्रूट कहें जाने के विशेष कारण यह हैं कि इसमें संतरे की तुलना में चार गुणा अधिक विटामिन-सी और तीन गुणा अधिक प्रोटीन होता है। इसके अलावा अनानास से चार गुणा अधिक फाइबर, टमाटर से दो गुणा अधिक लाइकोपीन और केले की तुलना में थोड़ा अधिक पोटेशियम होता है। इसके अलावा इसमें अनेक औषधीय गुण भी हैं। अमरूद का पत्ता तक लाभकारी है। अगर दांतों में कीड़ा लगा है या दांत या मसूड़ों में कोई रोग या दर्द है तो इसके पत्तों को चबाने से आराम मिलता है। भारत में अमरूद को पुर्तगाली सौदागर लेकर आए।
अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी की वनस्पति विज्ञानी सुषमा नैथानी ने अमरूद के उत्पत्ति केंद्र (भू-भाग) की जानकारी दी है। उनका कहना है कि मैक्सिको व मिजो अमेरिकी सेंटर जैसे दक्षिणी मैक्सिको, ग्वाटेमाला, होंडुरास व कोस्टारिका अमरूद के मूल स्थल हैं। उनका यह भी कहना है कि दक्षिण अमेरिका के पेरू, इक्वाडोर व बोलिविया इसके उपकेंद्र है। अगर इसके काल की बात करें तो कहते हैं कि 1520 के आसपास यूरोपीय लोगों ने कैरिबियन में अमरूद की फसलों की खोज की। इसके कुछ साल बाद यह वेस्टइंडीज, बहामास, बरमूडा और दक्षिण फ्लोरिडा तक आ गया। कहा यह भी गया है। कि 2500 ईसा पूर्व में कैरिबियन क्षेत्र में अमरूद दिखने लगा था, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है। भारत में 17वीं शताब्दी में अमरूद को पुर्तगाली सौदागर लेकर आए। उन्होंने पूर्वी एशिया तक भी अमरूद को फैलाया। भारत की जलवायु और मिट्टी अमरूद को पसंद आई, तब से इसकी आज तक सफलतापूर्वक खेती की जा रही है। वैसे एक पक्ष यह भी कहता है कि भारत में अमरूद पहली बार 11वीं शताब्दी में उगाया गया।

भारत में होती है अमरूद की सबसे अधिक खेती...
अमरूद अब गरीबों का फल नहीं रहा। अब यह पूरे भारत वर्ष में पाया जाता है। पहले सामान्य अमरूद हुआ करते थे, अब विशाल अमरूद के अलावा अंदर से लाल व गुलाबी अमरूद भी मिलने लगे हैं। यह विदेशी फल है लेकिन भारत की मिट्टी में यह ऐसे रचा-बसा कि आज दुनिया में अमरूद की सबसे अधिक खेती भारत में होती है। इसके बाद चीन, थाइलैंड, पाकिस्तान आदि देशों में यह उगाया जाता है।भारत में सबसे अधिक इसकी खेती बिहार, आंध्रप्रदेश व उत्तर प्रदेश में होती है।
पूरे विश्व में प्रयागराज का अमरूद मशहूर है।
वैसे हर दो-चार साल में यह नंबर बदलते रहते हैं। प्रयागराज का अमरूद तो पूरे विश्व में मशहूर है।भारत ने अमरूद की क्वॉलिटी को इतना अधिक सुधारा है कि अब यह अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड सहित कई देशों को निर्यात किया जाता है।

गुणों का खजाना है अमरूद...
यह बात कन्फर्म है कि अमरूद भारत का फल नहीं है, क्योंकि देश की किसी भी प्राचीन धार्मिक ग्रंथ या पुरानी आयुर्वेद की किताबों में इसका कोई वर्णन नहीं है। इसके बावजूद यकीन करना मुश्किल है कि यह भारतीय फल नहीं है। जाने-माने आयुर्वेदाचार्य व योगगुरु आचार्य बालकृष्ण तभी दावा करते हैं कि अमरूद का पेड़ भारतवर्ष के कई स्थानों पर जंगलों में होता है। परंतु सच यह है कि जंगली आम, केला आदि के समान इसकी उपज अत्यन्त प्राचीन काल से हमारे यहां होती रही है। वह दावा करते हैं कि अमरूद यहां का ही मूल फल है। उनका यह भी कहना है कि इस फल में गुणों का खजाना है और इसमें सिर दर्द, खांसी-जुकाम, दांत का दर्द, मुंह के रोग रोकने के अलावा दिल के रोगों का भी बचाव करता है। यह हिमोग्लोबीन की कमी को दूर करता है और कब्ज से भी निजात दिलाता है।

दिल की सेहत को रखता है, दुरुस्त...
आहार विशेषज्ञों का कहना है कि अमरूद को इसलिए भी सुपर फ्रूट कहा जाता है। क्योंकि इसमें विटामिन ए और बी के अलावा लोहा, चूना और फास्फोरस भी पाया जाता है। इसीलिए यह शरीर की हड्डियों को भी पोषण देता है। यह रक्त में शुगर की मात्रा कम करता है। इसमें पाया जाने वाला लाइकोपीन तत्व त्वचा में निखार लाता है। विटामिन ए के कारण यह आंखों के लिए लाभकारी है।इसका नियमित और संतुलित सेवन शरीर का वजन कम करता है साथ ही शरीर का एक्स्ट्रा फैट घटाता है। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जिससे दिल सबंधी बीमारियां दूर रहती हैं।

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