गुरुवार, 9 जून 2022

काशीपुर: मानक से 2 गुना अधिक बढ़ा, वायु प्रदूषण

काशीपुर: मानक से 2 गुना अधिक बढ़ा, वायु प्रदूषण

पंकज कपूर
काशीपुर। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का काशीपुर में स्थापित क्षेत्रीय कार्यालय पिछले कुछ समय से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। अधिकारियों की गलत नीतियों के कारण काशीपुर की फिजा धीरे-धीरे दिल्ली के मानिंद प्रदूषण का शिकार होती जा रही है। जानकार बताते हैं कि वायु प्रदूषण यहां मानक से करीब दो गुना अधिक बढ़ गया है। यही नहीं, बल्कि देश के सर्वाधिक प्रदूषित 102 शहरों में पौराणिक नगरी काशीपुर का भी नाम शुमार हो चुका है।
सरकार को समय रहते अधिकारियों की कार गुजारियों पर गौर करना होगा अन्यथा भविष्य के परिणाम गंभीर प्रतीत होते हैं। ज्ञातव्य है कि औद्योगिक आस्थान महुआखेड़ा गंज समेत आसपास के क्षेत्रों में नियम कायदों को दरकिनार कर चल रही आधा दर्जन से अधिक पेपर मिलों के अलावा कल कारखानों से निकलने वाले जहरीले धुएं एवं प्रदूषित पानी के कारण स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर भारी खतरा मंडराने लगा है। जानकार बताते हैं कि कुंडा थाना क्षेत्र के हल्दुआ साहू इलाके में संचालित एक पेपर मिल से निकलने वाले जहरीले हुए एवं प्रदूषित पानी के कारण आसपास के ग्रामीण पीलिया एलर्जी अस्थमा छय रोग के अलावा गले फेफड़े एवं पेट के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। दूसरी ओर क्षेत्र में कीट पतंगे गिलहरी नेवले कछुए घोंघे जुगनू मेंढक जैसे जीव भी तेजी से बढ़ते प्रदूषण के कारण लगभग समाप्त होते जा रहे हैं। आरोप है कि उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी स्थानीय प्रशासन एवं क्षेत्रीय नेताओं के दबाव में कार्य कर रहे हैं। आरोप यह भी है कि मिलों द्वारा प्राधिकरण को दिए गए हलफनामे असत्य हैं। मिलो में आज भी पूर्ववत भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है जिससे ना केवल पानी के स्रोत खत्म हो रहे हैं बल्कि मिल के द्वारा केमिकल युक्त पानी को प्राकृतिक नालों में छोड़ने से स्थानीय लोगों के हैंडपंपों का पानी पीने योग्य भी नहीं रह गया है।
जल जनित गंभीर बीमारियों से अकाल मौतों का खतरा पैदा हो गया है। कल कारखाने हवा और पानी दोनों को समान रूप से प्रदूषित कर रहे हैं। उद्योगों से निकलने वाले धुएं एवं प्रदूषित जल तय मानकों से अधिक खतरनाक रूप धारण कर चुके हैं। आसपास बसी इंसानी आबादी के साथ-साथ पशु-पक्षी भी प्रभावित हो रहे हैं पर्यावरण संतुलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले कीट पतंगों की प्रजातियां भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं। हवा में सल्फर डाइऑक्साइड एवं नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ने के कारण यहां लोगों को अब गंभीर बीमारी का खतरा सताने लगा है। बताते हैं कि विभागीय अधिकारियों द्वारा ऑनलाइन मॉनिटरिंग नहीं हो रही है। मिलों में लगे इक्यूबमेंट भली प्रकार से संचालित नहीं किए जा रहे। साथ ही मार्ग से होकर गुजरने वाले वाहनों के प्रदूषण स्तर नहीं मांपे जा रहे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you, for a message universal express.

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया  अखिलेश पांडेय  वारसॉ। अक्सर लोग अपने प्यार का इजहार किसी खास जगह पर करने का सोचते हैं। ताकि वो पल ज...