बुधवार, 18 मई 2022

कैलाश मानसरोवर को मुक्त कराने के लिए दबाव बनाएं

कैलाश मानसरोवर को मुक्त कराने के लिए दबाव बनाएं 

संदीप मिश्र          

आगरा। ज्ञानवापी मस्जिद में लगे फव्वारे के पत्थर को शिवलिंग बताकर माहौल खराब करने से अच्छा है कि मोदी सरकार कैलाश मानसरोवर को मुक्त कराने के लिए चीन पर दबाव बनाए। इसमें मुस्लिम समाज भी सरकार की मदद करेगा। ये बातें आज आगरा के एक होटल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कहीं। शाहनवाज़ आलम ने बनारस की निचली अदालत द्वारा ज्ञानवापी मामले की सुनवाई को ही गैर विधिक और पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि यह कानून स्पष्ट करता है कि 15 अगस्त 1947 के दिन तक पूजा स्थलों की जो भी स्थिति है वो यथावत बनी रहेगी। 

उसके खिलाफ़ किसी भी अदालत, ट्रिब्युनल या प्राधिकार में कोई याचिका स्वीकार ही नहीं की जा सकती। लेकिन बनारस की निचली अदालत ने इस क़ानून का उल्लंघन करते हुए फैसला दिया। ऐसा फैसला देने वाले जज के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट को अनुशासनात्मक कार्यवाई करनी चाहिए। उन्होंने 1937 और 1942 के दीन मोहम्मद बनाम सेक्रेटरी ऑफ स्टेट मुकदमे का हवाला देते हुए कहा कि जज को वह फैसला भी देख लेना चाहिए था जिसमें विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद की ज़मीन को अलग-अलग करके बैरिकेडिंग की गयी थी। जिसमें वजुखाना मस्जिद के हिस्से में था। जज साहब को बताना चाहिए कि जब 1937 और 1942 में अदालत को वजुखाने में कोई शिवलिंग नहीं दिखा तो इतने साल बाद उनको कहाँ से दिख गया।

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