मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

आपदा: 2030 तक बढ़कर 560 होने का खतरा

आपदा: 2030 तक बढ़कर 560 होने का खतरा

अकांशु उपाध्याय/सुनील श्रीवास्तव     
नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। बीमारियों, प्राकृतिक आपदाओं से आजिज आ चुकी दुनिया को अभी आने वाले सालों में और भयानक प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। अपनी एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने यह बात कही है। संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया 2015 से लगातार हर साल करीब 400 आपदाओं को झेल रही है, जिसकी संख्या 2030 तक बढ़कर 560 होने का अनुमान है। वहीं अगर 1970 से 2000 के बीच की अवधि को देखें तो मध्यम से बड़े स्तर की आपदाओं की संख्या 90 से 100 के बीच थी।
इस साल अगर देखें तो पिछले साल की तुलना में ज्यादा गर्मी पड़ रही है और इसकी शुरुआत भी जल्दी हो गई है।
अगर यही हाल रहा तो 2030 तक आते आते गर्म हवाओं का सिलसिला अपने चरम पर होगा। यह 2001 की तुलना में तीन गुना बढ़ जाएगा और सूखा पड़ने में भी 30 फीसद का इजाफा होगा। जलवायु परिवर्तन की वजह से केवल प्राकृतिक आपदाओं में ही बढ़ोतरी नहीं हो रही है, बल्कि कोविड-19, आर्थिक मंदी, खाद्य समस्या जैसी कई विपदाओं की वजह भी जलवायु परिवर्तन ही है। लोगों को तो इस बात का अंदाजा ही नहीं है कि प्राकृतिक आपदाओं के चलते हम कितना नुकसान झेल चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय की प्रमुख मामी मिज़तोरी का कहना है अगर हमने जल्दी ही इसे संतुलित करने की शुरुआत नहीं की तो आगे जो नुकसान होगा उसकी भरपाई करना या उसे संभाल पाना हमारे बस की बात नहीं होगी।
मिज़तोरी का कहना है कि समाज को आपदाओं के जोखिम से निपटने के लिए आर्थिक स्तर पर भी दोबारा सोचने की ज़रूरत है, अभी हमारा 90 फीसद कोष आपाताकालीन मदद के लिए होता है, 6 फीसद पुनर्निर्माण और 4 फीसद आपदा को रोकने पर खर्च होता है।

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