गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

प्रतिरोधक क्षमता बनाने वाली दवा को मंजूरी दीं

प्रतिरोधक क्षमता बनाने वाली दवा को मंजूरी दीं
अखिलेश पांंडेय     
वाशिंगटन डीसी। अमेरिका के संघीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं या एलर्जी से पीड़ित उन लोगों के लिए कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बनाने वाली एक दवा को बुधवार को मंजूरी दी। जिन्हें टीकाकरण से पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिल सकती है। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए प्रतिरोधक क्षमता निर्मित करना पिछले एक साल से इसका एक मानक उपचार रहा है।
हालांकि, खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा जिस ‘एस्ट्राजेनेका’ की एंटीबॉडी (प्रतिरोधक क्षमता बनाने वाली) दवा को बुधवार को मंजूरी दी गई है, वह अलग है। यह पहली ऐसी दवा है, जो संक्रमण के खिलाफ दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करेगी न कि केवल थोड़े समय के लिए। कैंसर रोगी, अंग प्रत्यारोपण कराने वाले, गठिया जैसी बीमारियों से परेशान लोग इस दवा को ले सकते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अनुमान जताया है कि अमेरिका की आबादी का दो से तीन प्रतिशत हिस्सा इस दायरे में आता है। घोषणा से पहले मिनेसोटा विश्वविद्यालय के डॉ. डेविड बौलवेयर ने कहा, ” ये लोग अब भी बाहर नहीं निकल पा रहे हैं क्योंकि उनके संक्रमण की चपेट में आने या उससे मौत होने का खतरा इन्हें अधिक है। ”
उन्होंने कहा कि इस दवा से इनमें से कई लोग एक बार फिर अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट पाएंगे। एफडीए ने ‘एस्ट्राजेनेका’ की जिस एंटीबॉडी दवा को मंजूरी दी है, उसका नाम ‘एवुशेल्ड’ है। यह दवा उन व्यस्क और 12 या उससे अधिक आयु के बच्चों के लिए है, जिनके कोविड-19 रोधी टीके लेने के बाद भी उनके शरीर में पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता नहीं बन पाई है, या जिन्हें टीके लेने से गंभीर एलर्जी हो जाती है।

ओमीक्रोन से संक्रमित लोगों की संख्या-40 हुईं

सुनील श्रीवास्तव       न्यूयॉर्क। अमेरिका के रोग नियंत्रण केंद्र की प्रमुख ने बुधवार को कहा कि देश में अभी तक 40 से अधिक लोग कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन से संक्रमित पाए गए हैं और इनमें से तीन चौथाई से अधिक लोगों ने टीके की खुराक ली हुई है। प्रमुख ने कहा कि लगभग सभी मरीजों में संक्रमण के हल्के लक्षण पाए गए हैं। सीडीसी निदेशक डॉ. रोचेल वालेन्स्की ने एक साक्षात्कार में बताया कि आंकड़े बहुत सीमित हैं और एजेंसी यह पता लगाने पर काम कर रही है कि अमेरिका के लिए कोरोना वायरस का नया उत्परिवर्ती रूप कैसा है। उन्होंने कहा कि लेकिन अभी तक सामने आए लगभग सभी मामलों में ”बीमारी के लक्षण हल्के” रहे हैं।

लक्षणों में मुख्यत: खांसी, सीने में जकड़न और थकान आदि हैं। एक मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन इससे किसी की मौत नहीं हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ओमीक्रोन स्वरूप का पहला मामला पिछले महीने दक्षिण अफ्रीका में सामने आया और तब से इस स्वरूप के मामले 57 देशों में सामने आए हैं।अमेरिका में ओमीक्रोन का पहला मामला एक दिसंबर को सामना आया। बुधवार दोपहर तक सीडीसी ने 19 राज्यों में इसके 43 मामले दर्ज किए। इनमें से करीब एक तिहाई मरीजों ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा की थी। इनमें से तीन-चौथाई से अधिक मरीजों ने टीके की खुराक ले ली है और एक तिहाई ने बूस्टर खुराक भी ले ली है।

नीति के तहत दो प्रवासियों को मेक्सिको भेजा

अखिलेश पांंडेय        मेक्सिको सिटी। अमेरिकी प्राधिकारियों ने बुधवार को पहले दो प्रवासियों को ‘रिमेन इन मेक्सिको’ नीति के तहत मेक्सिको भेज दिया। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय की इस नीति के तहत अमेरिका में शरण मांगने वाले लोगों को अमेरिकी आव्रजन अदालत में सुनवाई तक मेक्सिको में ही प्रतीक्षा करनी होती है।आव्रजन के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय संगठन (यूएन इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन) ने कहा कि दो शरणार्थियों को टेक्सास के अल पासो से सीमा पार सियुदाद जुआरेज भेजा गया । संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने इन दोनों व्यक्तियों की राष्ट्रीयता के बारे में जानकारी नहीं दी।

मेक्सिको के अधिकारियों ने इन दोनों का स्वागत किया, इन्हें दस्तावेज मुहैया कराए, संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने इनकी कोविड-19 जांच की और फिर एक आश्रय में ले गए। मेक्सिको का कहना है कि अमेरिकी सरकार इस नीति के तहत लौटे सभी शरणार्थियों को टीके की खुराक देने के लिए सहमत हुई है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन नीत प्रशासन ने एक अदालत के आदेश का पालन करते हुए सोमवार इस नीति को फिर से बहाल कर दिया और मेक्सिको ने जिन बदलावों की मांग की थी, उन्हें शामिल करने पर सहमति जताई। बाइडन ने पहले इस नीति को रद्द कर दिया था लेकिन टेक्सास और मिसौरी के एक मुकदमे ने उन्हें मेक्सिको की स्वीकृति के तहत, इसे वापस लागू करने को मजबूर कर दिया।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग के अभाव को रेखांकित किया

सुनील श्रीवास्तव      बीजिंग। चीनी पोतों को हिंद महासागर में अपनी अनियमित गतिविधियां बढ़ाते हुए टूना मछलियों को अवैध रूप से पकड़ने के लिए बड़े जालों का इस्तेमाल करते पाया गया है। नॉर्वे के एक निगरानी समूह की नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। इस रिपोर्ट में समुद्रों में मरीन प्रजातियों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के अभाव को रेखांकित किया गया है। ‘ट्रिग मैट ट्रैकिंग’ (टीएमटी) द्वारा बुधवार को प्रकाशित रिपोर्ट में पाया गया कि हिंद महासागर में मछलियां पकड़ने वाले पोतों की संख्या 2016 के बाद से छह गुना बढ़ गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ओमान और यमन के तट के निकट देखे गए पोतों में अधिकतर पर चीनी झंडा लगा हुआ है।

मछलियां पकड़ने वाली चीन की पोतों का विदेशी बेड़ा दुनिया में सबसे बड़ा है और चीन दुनिया भर में अवैध, बिना सूचना दिए और अनियमित तरीके से मछलियां पकड़ने के आरोपों से घिरा हुआ है। टीएमटी ने मछलियां पकड़ने के सभी पोतों को बड़े जालों के साथ पाया, जिनका इस्तेमाल मछलियां पकड़ने के अन्य माध्यमों से अधिक हानिकारक माना जाता है, क्योंकि इससे वे प्रजातियां भी जाल में फंस जाती है, जिन्हें पकड़ने का लक्ष्य नहीं होता है।

ड्रोन के जरिए पोतों के जालों में फंसी अन्य मछलियों के बीच टूना मछलियों को भी देखा गया। इस मौसम में इलाके में पाए गए 341 पोतों में से किसी ने भी अंततराष्ट्रीय जल में मछलियां पकड़ने की गतिविधि को नियमित करने वाले हिंद टूना आयोग या आईओटीसी से टूना पकड़ने की अनुमति नहीं ली थी।

टीएमटी ने कहा कि क्षेत्र में सक्रिय पांच पोतों को बाद में 30 मीट्रिक टन स्किपजैक और येलोफिन टूना के साथ पाकिस्तान स्थित एक बंदरगाह पर बुलाया गया। आईओटीसी वर्षों से इन टूना मछलियों को बड़ी संख्या में पकड़े जाने की गतिविधियों के बाद उनकी संख्या फिर से बढ़ाने की कोशिश कर रही है। टीएमटी ने जिन चीनी पोतों का जिक्र किया है, उनमें से कुछ का दुनिया के अन्य हिस्सों में भी अवैध गतिविधियां करने का इतिहास रहा है और उन्हें ओमान एवं यमन की सीमाओं के करीब जाते देखा गया, जहां उन्हें मछली पकड़ने की अनुमति नहीं थी।

टीके की बूस्टर खुराक दिए जाने को मंजूरी: कोरोना

अखिलेश पांंडेय        प्रिटोरिया। दक्षिण अफ्रीका ने कोविड-19 के मामलों में तेज बढ़ोतरी के बीच 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को फाइजर के कोविड-19 रोधी टीके की बूस्टर खुराक दिए जाने को मंजूरी दे दी है। दक्षिण अफ्रीका में पिछले 24 घंटे में संक्रमण के करीब 20,000 मामले सामने आए हैं जिनमें अधिकतर मामले वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन से संक्रमण के हैं। दवा कंपनी बायोएनटेक और फाइजर ने घोषणा की थी कि ओमीक्रोन स्वरूप के खिलाफ उनके टीके की दो खुराक संभवत: पर्याप्त नहीं हैं, जिसके बाद दक्षिण अफ्रीका स्वास्थ्य उत्पाद प्राधिकरण (एसएएचपीआरए) ने बुधवार को फाइजर के कॉमिरनेटी कोविड-19 रोधी टीके के इस्तेमाल की मंजूरी दी।

एसएएचपीआरए ने कहा कि 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को टीके की दूसरी खुराक लेने के कम से कम छह महीने बाद या कमजोर प्रतिरक्षा वाले 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों को टीके की दूसरी खुराक लेने के 28 दिन बाद तीसरी खुराक दी जा सकती है। एसएएचपीआरए का यह फैसला दक्षिण अफ्रीका में पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 19,842 नए मामले आने के बाद आया है। दक्षिण अफ्रीका में संक्रमण से 36 लोगों और की मौत होने से मृतक संख्या भी 90,000 के पार पहुंच गई है।

संक्रमण के इन मामलों में से 60 प्रतिशत से अधिक मामले देश के आर्थिक केंद्र गौतेंग प्रांत से हैं। संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच अधिक कड़ा लॉकडाउन लगाए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। दक्षिण अफ्रीका में इस समय कम पाबंदियों के साथ लॉकडाउन का पहला स्तर लागू किया गया है। संक्रमण की रोकथाम के लिए पाबंदियों के लिहाज से लॉकडाउन के पांच स्तर हैं। देश के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के बृहस्पतिवार को चार पश्चिम अफ्रीकी देशों की एक सप्ताह की यात्रा से लौटने के तुरंत बाद कोरोना कमांड काउंसिल और उनके मंत्रिमंडल के साथ तत्काल बैठकें करने की संभावना है।

हालांकि, दक्षिण अफ्रीका में सरकार, विभिन्न संगठनों और कारोबारियों की ओर से टीकाकरण की लगातार अपील के बावजूद लोग टीके लगाने को लेकर अब भी हिचक रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री जोए फाला ने सोमवार को चिंता जताते हुए कहा था कि अस्पतालों में बिस्तर तेजी से भर रहे हैं, हालांकि अधिकतर मामले गंभीर प्रकृति के नहीं हैं। सामाजिक विकास विभाग में जनसंख्या और विकास विभाग के मुख्य निदेशक जैक्स वैन जुयदम ने मंगलवार को महामारी के जनसांख्यिकीय प्रभाव विषय पर ब्रिक्स देशों के वेबिनार में कहा था कि महामारी के कारण दक्षिण अफ्रीका की जीवन प्रत्याशा में साढ़े तीन साल की कमी आई है। ब्रिक्स उभरती राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं का एक संघ है। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका इसके सदस्य हैं।

देश के मुस्लिम समुदाय को आगाह किया: परिषद

अखिलेश पांंडेय        सिंगापुर। सिंगापुर की इस्लामिक धार्मिक परिषद ने देश के मुस्लिम समुदाय को आगाह किया है कि वे ऐसे लोगों या समूहों से सतर्क रहें, जो भ्रामक बातें फैलाते हैं। साथ ही उन्हें गुप्त रूप से आयोजित किसी भी धार्मिक कार्यक्रम से सावधान रहने को भी कहा है। ‘द स्ट्रेट टाइम्स’ ने बुधवार को एक खबर में बताया कि भ्रामक शिक्षाएं देने का मामला पिछले साल सुर्खियों में आया था, जब इसमें लिप्त एक व्यक्ति ने स्वयंभू पैगंबर होने का दावा किया और जरूरतमंद मुसलमानों की मदद करने के लिए जुआ खेलने की अनुमति दी और 13 आध्यात्मिक पत्नियां रखने की इच्छा व्यक्त की थी।

खबर में बताया गया कि परिषद की फतवा समिति ने बुधवार को सिंगापुर के मुस्लमानों को आगाह किया कि किसी समूह या नेता की ऐसी किसी भी धार्मिक गतिविधि से सावधान रहें, जो गुप्त रूप से आयोजित की जाती है। यह समिति वरिष्ठ इस्लामी विद्वानों का एक समूह है, जो धार्मिक मामले से जुड़े निर्णय लेता है।परिषद को मजलिस उगामा इस्लाम सिंगापुर (एमयूआईएस) भी कहा जाता है। समिति ने केवल योग्य एवं पंजीकृत धार्मिक शिक्षकों के माध्यम से धार्मिक ज्ञान प्राप्त करने के महत्व पर बल दिया। उसने यहां के मुसलमानों से केवल एक स्रोत को सुनने के बजाय विभिन्न प्रकार के विद्वानों से सीखने का आग्रह किया और किसी भी समस्या से जुड़े मुद्दे का सामना करने पर, उन्हें अन्य धार्मिक नेताओं से परामर्श करने को कहा।

समिति ने कहा कि समुदाय के लोगों को रात में होने वाली कक्षाओं और गतिविधियों से सावधान रहना चाहिए, जिसमें सभी लोगों को हिस्सा लेने की अनुमति नहीं होती। ऐसे सत्र आयोजित करने वाले लोग अपने अनुयायियों को जो भी पढ़ाते हैं, उसे रिकॉर्ड करने की अनुमति भी नहीं देते। खबर में एमयूआईएस के हवाले से कहा कि फतवा समिति, समुदाय से उन लोगों या समूहों से सावधान रहने का आग्रह करना चाहती है जो भ्रामक शिक्षाएं फैलाते हैं। मुसलमानों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे असतिज़ा मान्यता योजना (एआरएस) के तहत पंजीकृत योग्य शिक्षकों से धार्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास करें।

समिति ने कहा कि इस्लाम में, छुपकर कोई भी शिक्षा दी जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सभी सूचनाओं को पहले ही स्पष्ट कर दिया गया है और जनता को बता दिया गया है। फतवा समिति को लगातार भ्रामक शिक्षाओं के बारे में शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। एमयूआईएस ने कहा कि हर शिकायत पर गौर किया जाएगा।

संभावित योजनाओं पर चर्चा करेंगे 'रक्षामंत्री'

सुनील श्रीवास्तव       वाशिंगटन डीसी। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और इजरायल के रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करने की तैयारी के लिए सैन्य अभ्यास करने की संभावित योजनाओं पर गुरुवार को चर्चा करेंगे। रॉयटर्स ने एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के हवाले से अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।

अमेरिकी रक्षा विभाग ने इस मामले में पूछे गये प्रश्न का अभी जवाब नहीं दिया है। पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने इससे पहले बुधवार को कहा था कि ऑस्टिन और इजरायली रक्षा मंत्री ईरान की उकसाने वाली परमाणु नीतियों पर चर्चा करेंगे।  किर्बी ने इस चर्चा के बारे में इससे अधिक जानकारी नहीं दी है।

माली: विस्फोट में 7 शांतिरक्षकों की मौंत हुईं

सुनील श्रीवास्तव     बमाको मध्य माली में बुधवार को एक आईईडी विस्फोट में संयुक्त राष्ट्र के सात शांतिरक्षकों की मौत हो गई और तीन गंभीर रूप से घायल हो गए। आईईडी की चपेट में आने से शांतिरक्षकों के वाहन में विस्फोट हो गया था। इस हमले के साथ ही संघर्षग्रस्त पश्चिमी अफ्रीकी देश में इस साल जान गंवाने वाले शांतिरक्षकों की संख्या 19 हो गई। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बताया कि हताहत हुए सभी शांतिरक्षक टोगो से थे।

वहीं, संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा विभाग ने बताया कि माली में इस साल शांतिरक्षकों पर हुआ यह सबसे बड़ा हमला है, जिसमें सर्वाधिक सात लोगों की मौत हुई है। माली 2012 से इस्लामी चरमपंथ से जूझ रहा है। फ्रांस के नेतृत्व वाले सैन्य अभियान की मदद से चरमपंथी विद्रोहियों को माली के उत्तरी शहरों में सत्ता से बेदखल कर दिया गया था, लेकिन वे रेगिस्तान में फिर से इकट्ठा हो गए और माली की सेना तथा उसके सहयोगियों पर हमले शुरू कर दिए। नागरिकों तथा संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षकों पर हमलों से स्थिति और खराब हो गई है। दुजारिक ने बताया कि आईईडी बांदियागरा क्षेत्र में फटा और टोगो से शांतिरक्षकों को ले जा रहा वाहन इसकी चपेट में आ गया। ये सभी शांतिरक्षक डौंट्ज़ा से सेवारे जाने वाले संयुक्त राष्ट्र के रसद काफिले का हिस्सा थे।

वहीं, संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा विभाग ने बताया कि शांतिरक्षक एक बख्तरबंद वाहन में सवार थे। संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि इस साल माली में 19 शांतिरक्षकों की जान गई है, जिनमें से आठ टोगो, तीन मिस्र, चार आईवरी कोस्ट और चार चाड के थे। दुजारिक ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने माली के अधिकारियों से ”इस हमले के अपराधियों की पहचान करने में कोई कसर नहीं छोड़ने” का आह्वान किया ताकि उन्हें शीघ्र न्याय के दायरे में लाया जा सके। उन्होंने पीड़ित परिवारों, सरकार और टोगो के लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की है। संयुक्त राष्ट्र के 87,000 से अधिक शांतिरक्षक 120 से अधिक देशों में 12 मिशन में कार्यरत हैं, जिनमें से 16,600 माली में तैनात हैं।

9 दिसंबर को मनाया जाता हैं 'भ्रष्टाचार' दिवस

अखिलेश पांंडेय      प्रिटोरिया। अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक दिवस हर साल 9 दिसंबर को दुनियाभर में मनाया जाता है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्‍य से संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने 31 अक्टूबर, 2003 को भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को अपनाया गया था। बता दें कि 2021 के करप्‍शन इंडेक्‍स में, भारत विश्‍व रैंकिंग में 194 देशों में से 82वें स्थान पर है। TRACE द्वारा तैयार की गई सूची के अनुसार, 2021 में, उत्तर कोरिया और तुर्कमेनिस्तान में भ्रष्टाचार का सबसे अधिक जोखिम था, जबकि डेनमार्क, नॉर्वे और फिनलैंड जैसे स्कैंडिनेवियाई देशों में सबसे कम भ्रष्टाचार है।

2020 में, भारत इस लिस्‍ट में 77 वें स्थान पर था, लेकिन 44 के स्कोर के साथ अपनी रैंक से 5 पायदान नीचे खिसक गया है। हालांकि, भारत ने चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य पड़ोसी देशों से बेहतर प्रदर्शन किया। केवल भूटान ने 62वां स्थान प्राप्त किया है, जो सीमावर्ती देशों में भारत से अधिक है। हर साल ‘करप्शन परसेप्शन इंडेक्स’ के नाम से एक रिपोर्ट प्रकाशित होती है। यह रिपोर्ट बताती है कि कौन से देशों में कितना भ्रष्टाचार है और इसे नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। इस रिपोर्ट की मानें तो पिछले 15 वर्षों में किसी भी देश की कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं देखी जा सकी है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2021 अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस यह देखने के लिए मनाया जा रहा है कि सरकारें, सिविल सेवक सहित अंतर्राष्ट्रीय हस्तियां अपने देशों में बढ़ रहे भ्रष्टाचार से निपटने के लिए क्‍या कदम उठा रहे हैं। इससे पहले नवंबर में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा छह सप्ताह का अभियान शुरू किया गया था जिसमें प्रत्येक सप्ताह प्रमुख विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाता था। यह अभियान भ्रष्टाचार का मुकाबला करने, अधिकारियों को अवैध रूप से धन लेने से रोकने के लिए चलाया गया था। इसका थीम “आपका अधिकार, आपकी भूमिका: भ्रष्टाचार को न कहें” निर्धारित किया गया था। अभियान का उद्देश्य भ्रष्टाचार के खिलाफ रुख अपनाने के लिए राष्ट्रों के बीच संबंधों को मजबूत करना, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए समाधान विकसित करना, भ्रष्ट धन की वसूली आदि करना था।



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