मंगलवार, 13 जुलाई 2021

विहिप ने बिल पर राज्य विधि आयोग को भेजा सुझाव

हरिओम उपाध्याय                    
लखनऊ। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने उत्तर प्रदेश के जनसंख्या नियंत्रण बिल पर अपना सुझाव राज्य विधि आयोग को भेज दिया है। विहिप ने जनसंख्या स्थिरीकरण व ‘बच्चे दो ही अच्छे’ के प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताते हुए सोमवार को दस सूत्रीय सुझाव का प्रपत्र आयोग को प्रेषित किया।
विहिप ने अपने सुझाव प्रपत्र में लिखा है कि राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण बिल का जो मसौदा तैयार किया है उसके प्रस्तावना में दी गयी जनसंख्या स्थिरीकरण और ‘बच्चे दो ही अच्छे’ के प्रस्ताव को जनसंख्या संतुलन के लिये आवश्यक मानते हुए परिषद ने अपनी सहमति दी है।
हालांकि विहिप ने प्रजनन दर को एक समय सीमा में 1.7 तक लाने के प्रस्ताव पर असहमति दर्शाते हुए उस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता बतायी है। परिषद का कहना है कि जनसंख्या का स्थिरीकरण तभी सम्भव है जब किसी महिला के पूरे प्रजनन काल में बच्चों का औसतन जन्म दर दो से थोड़ा अधिक रहे। इसके लिए संगठन ने सकल प्रजनन दर को 2.1 उचित माना है। तर्क दिया है कि इस प्रजनन दर औसतन दो बच्चे अपने माता-पिता का स्थान लेंगे, लेकिन इनमें से यदि किसी बच्चे का प्रजनन क्षमता प्राप्त करने से पहले ही निधन हो जाता है तो अतिरिक्त 0.1 जन्म दर उस कमी को संतुलित करने में सक्षम होगा। 
ऐसे में जनसंख्या स्थिरीकरण के लिये ‘दो बच्चे’ की नीति अच्छी है। वहीं बच्चों की संख्या दो से कम होने की स्थिति में एक अवधि के बाद जनसंख्या का संकुचन होने लगेगा, जिसके सामाजिक और आर्थिक परिणाम सकारात्मक नहीं होंगे। 
विहिप ने अपने सुझाव में ‘एक बच्चे’ की नीति का विरोध किया है। तर्क दिया है कि इस नीति के तहत बच्चा जब युवा होगा तो उसके पास देखभाल के लिए दो की संख्या में माता-पिता के अलावा चार दादा-दादी होंगे। विहिप का कहना है कि चीन ने वर्ष 1980 में ‘एक बच्चे’ की नीति अपनायी थी, लेकिन उन माता-पिता को इससे छूट दी थी, जो स्वयं अपने मां-बाप की इकलौती संतान थे। चीन ने तीन दशाब्दी बाद इस नीति को वापस भी ले लिया था। 
संगठन का मानना है कि उत्तर प्रदेश के संदर्भ में ‘एक बच्चे’ की नीति समाज के विभिन्न वर्गों में जनसंख्या असंतुलन की स्थिति पैदा करेगी। इस सम्बंध में संगठन का कहना है कि देश के कई राज्यों में जनसंख्या  असंतुलन की यह स्थिति वर्तमान में बरकरार है। असम और केरल में तो यह बड़ी ही भयावह स्थिति में है। 
विहिप ने अपने सुझाव प्रपत्र में लिखा है कि केरल और असम में हिन्दुओं की सकल जन्म दर 2.1 से कम है लेकिन मुस्लिमों की असम में सकल जन्म दर 3.16 और केरल में 2.33 है, जिससे दोनों राज्यों में एक समुदाय की जनसंख्या संकुचित हो रही है तो दूसरे समुदाय में बेतहासा वृद्धि की तरफ गतिमान है। 
गौरतलब है कि उप्र में जनसंख्या के स्थिरीकरण के लिये योगी सरकार ने विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर 11 जुलाई को नई जनसंख्या नीति जारी की। इससे एक दिन पहले राज्य विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण व कल्याण) विधेयक-2021 का ड्राफ्ट तैयार कर उसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। आयोग ने इस विधेयक के ड्राफ्ट पर 19 जुलाई तक लोगों का सुझाव भी मांगा है। इसी क्रम में विहिप ने आज अपना सुझाव राज्य विधि आयोग के पास भेजा है। 

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